बजट आ गया है. हर बार की तरह देश की एक बड़ी आबादी इसका ठीक वैसे ही इंतेज़ार कर रही थी, जैसे एमएनसी में काम करने वाली बहू, गांव से आने वाली अपनी सास का. बेचारी सास भी जानती है जब तक वो बहू के साथ उसके अपार्टमेंट में रहेगी सब मेड भरोसे रहेगा. सबसे दिलचस्प होता है ये देखना कि, जिन्हें मैथ नहीं आती या फिर वो जो मेरी तरह हिसाब किताब में कच्चे हैं, दीदे फाड़कर और टकटकी बांधकर बजट का वेट करते हैं. सनातन सत्य यही है कि हमें पता है कि बजट के आने के बाद हमारे जीवन में ज्यादा कुछ नहीं बदलता. चीजें वैसी ही बीतती हैं जैसी वो बीत रही हैं. मगर भगवान ही जानें कि वो कौन सी आस है जो हमें मजबूर करती है कि हम इसकी तरफ बेबसी से देखें.
जैसा कि हम बता चुके हैं यूं तो इस देश के सभी लोगों को बजट का इंतजार रहता है. मगर तब भी हमारे बीच लाखों लोग ऐसे हैं जो बजट को लेकर देश के बाकी लोगों से ज्यादा बेचैन रहते हैं.आइये नजर डालते हैं ऐसे महानुभावों पर और समझने की कोशिश करते हैं कि इन्हें बजट क्यों पसंद है.
इंजीनियरिंग के लड़के
यूं तो इंजीनियरिंग के लड़के इस निर्मोही दुनिया से कोसों दूर हैं और सेमेस्टर आने पर ही जागते हैं. मगर ये वो लोग हैं जिनको हर साल बजट तिल तिल मारता है. कैसे ? अरे भाई हर साल सरकार सिगरेट और शराब के दाम जो बढ़ा देती है. अब चाहे सेमेस्टर टॉप करने या पास होने की खुशी हो. या फिर फेल होने और ईयर बैक लगने का ग़म. इन बेचारों का दुख सुख इन्हीं चीजों से बंटता है. इंजीनियरिंग के ये लड़के एक बार फिर मायूस हुए हैं सरकार ने न शराब की कीमत कम की और न ही सिगरेट के दाम घटे. कह सकते हैं इनकी जिंदगी आगे भी वैसे ही चलेगी जैसे अभी चल रही...
बजट आ गया है. हर बार की तरह देश की एक बड़ी आबादी इसका ठीक वैसे ही इंतेज़ार कर रही थी, जैसे एमएनसी में काम करने वाली बहू, गांव से आने वाली अपनी सास का. बेचारी सास भी जानती है जब तक वो बहू के साथ उसके अपार्टमेंट में रहेगी सब मेड भरोसे रहेगा. सबसे दिलचस्प होता है ये देखना कि, जिन्हें मैथ नहीं आती या फिर वो जो मेरी तरह हिसाब किताब में कच्चे हैं, दीदे फाड़कर और टकटकी बांधकर बजट का वेट करते हैं. सनातन सत्य यही है कि हमें पता है कि बजट के आने के बाद हमारे जीवन में ज्यादा कुछ नहीं बदलता. चीजें वैसी ही बीतती हैं जैसी वो बीत रही हैं. मगर भगवान ही जानें कि वो कौन सी आस है जो हमें मजबूर करती है कि हम इसकी तरफ बेबसी से देखें.
जैसा कि हम बता चुके हैं यूं तो इस देश के सभी लोगों को बजट का इंतजार रहता है. मगर तब भी हमारे बीच लाखों लोग ऐसे हैं जो बजट को लेकर देश के बाकी लोगों से ज्यादा बेचैन रहते हैं.आइये नजर डालते हैं ऐसे महानुभावों पर और समझने की कोशिश करते हैं कि इन्हें बजट क्यों पसंद है.
इंजीनियरिंग के लड़के
यूं तो इंजीनियरिंग के लड़के इस निर्मोही दुनिया से कोसों दूर हैं और सेमेस्टर आने पर ही जागते हैं. मगर ये वो लोग हैं जिनको हर साल बजट तिल तिल मारता है. कैसे ? अरे भाई हर साल सरकार सिगरेट और शराब के दाम जो बढ़ा देती है. अब चाहे सेमेस्टर टॉप करने या पास होने की खुशी हो. या फिर फेल होने और ईयर बैक लगने का ग़म. इन बेचारों का दुख सुख इन्हीं चीजों से बंटता है. इंजीनियरिंग के ये लड़के एक बार फिर मायूस हुए हैं सरकार ने न शराब की कीमत कम की और न ही सिगरेट के दाम घटे. कह सकते हैं इनकी जिंदगी आगे भी वैसे ही चलेगी जैसे अभी चल रही है.
महिलाएं और लड़कियां
देश में जाड़ा चल रहा है. ठंड में शादियां ज्यादा होती हैं. महिलाओं और लड़कियों को कोई शादियां अटेंड करनी हैं. बात शादी की चल रहो हो तो ज्वेलरी का आना और उसका एक बड़ा मुद्दा बन जाना स्वाभाविक है. महिलाओं को इस बजट में देश के वित्त मंत्री ने बड़ी राहत दी है. कई सारी स्कीम सरकार सिर्फ महिलाओं को ध्यान में रखकर लाई है. मजेदार बात ये है कि सरकार ने इस बजट में सोने की कीमतों का ध्यान रखा है. चूंकि सोने पर इम्पोर्ट ड्यूटी कम हुई है अब महिलाएं शादियों में ज्यादा सज संवर सकती हैं. इसके अलावा सरकार ने हीरे की कीमतों पर भी रहम भारी निगाह डाली है.
स्कूल कॉलेज के टेक सेवी लड़के
दुनिया में असली क्रांति या तो मोबाइल लाया या फिर ई कॉमर्स वेबसाइट्स. एक ऐसे समय में जब अमेज़न से लेकर फ्लिपकार्ट तक पर सेल अपने पूरे शबाब पर चल रही थी सरकार ने उसपर सर्जिकल स्ट्राइक कर दी है. वर्मा जी के लड़के गुड्डू से लेकर अंसारी साहब के लड़के बबलू तक, इस बजट के बाद हर कोई परेशान है और एक दूसरे से सवाल कर रहा है कि क्या अब उन्हें ऑनलाइन प्रोडक्ट्स पर हैवी डिस्काउंट और काश बैक मिल पाएगा ? ध्यान रहे कि 1 फरवरी से ही ई-कॉमर्स कंपनियों को लेकर नए नियम लागू हो गए और ताजे बने नियमों के बाद Amazon और Flipkart जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों की वेबसाइट से बहुत सारे प्रोडक्ट गायब हो चुके हैं. जनता परेशान है कि और इसमें भी वो स्कूल कॉलेज के लड़के ज्यादा परेशान हैं जिन्होंने पॉकेत मनी की पाई पाई इसलिए जोड़ी थी क्योंकि वो कम दाम में भारी डिस्काउंट के साथ महंगे गैजेट खरीद सकें.
बुजुर्ग
राम राम जपते हुए या फिर अल्लाह अल्लाह करते हुए ज्यादातर बुजुर्ग टीवी पर बजट सिर्फ इसलिए देख रहे थे क्योंकि उन्हें ये जानना था कि सरकार ने उनका क्या फायदा किया है. उनकी पेंशन और ईपीएफ जैसी चीजों पर सरकार का रुख कैसा रहता है.
देश का आम नौकरी पेशा
बजट आ चुका है.ये जानते हुए कि देश का भार आम नौकरी पेशा के मजबूत कन्धों पर है हमने अपने इस लेख में नौकरी करने वाले लोगों को सबसे लास्ट में रखा है. वजह है इनकी मासूमियत. ये कितने मासूम हैं यदि इसे समझना हो तो हमें उस पल को याद करना चाहिए जब वित्त मंत्री पीयूष गोयल अपना भाषण दे रहे थे और उस भाषण पर देश के प्रधानमंत्री मोदी टेबल बजा रहे थे. मोदी सरकार ने अंतरिम बजट 2019 में आयकर छूट की सीमा ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी. ये वर्ग मारे खुशी के कूदने लगा. सवाल ये है कि इस देश के आखिर कितने लोग इतना कमाते हैं. या फिर ये कि आखिर इस देश के कितने लोगों के पास नौकरी है. NSSO की रिपोर्ट आए अभी ज्यादा वक़्त नहीं हुआ है. उसमें नौकरी को लेकर जो बातें हैं वो दिल दहला देने वाली हैं. खैर किसी को इस बजट से फायदा हुआ हो या न हुआ हो मगर इसमें आम नौकरी पेशाओं का फायदा किया है. अब उसे गाड़ी, मोबाइल, फ्रिज, वाशिंग मशीन की emi देने में अपनी बगलें नहीं झांकनी होंगी.
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