साल 2020 जिसने कोरोना (Coronavirus Pandemic) के चलते तकरीबन 11 महीने खूब लानत मलामत झेली, जमकर गालियां खाईं अब जब जा रहा है तो जहां इसके जाने से, कुछ लोगों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं है. तो कुछ ऐसे भी हैं, जो नहीं चाहते कि ये जाए या तब तक न जाए जबतक उनकी ख़ुद की एकदम व्यक्तिगत शादी नहीं हो जाती. नहीं मतलब बात कुछ यूं है कि, फ़ेसबुक (Facebook), ट्विटर (Twitter), इंस्टाग्राम (Instagram) कुछ भी खोलिए. रात के, दिन के किसी भी पहर खोलिए. न्यूज़ फीड Happily Married Couples से भरी पड़ी है. मेरे जानने में कई लोग ऐसे हैं जिनके लिए हम दोस्तों ने उम्मीद ही छोड़ दी थी. लेकिन होनी थी. हो गयी. ये लोग भी निपट गए. अब इतिहास इन लोगों को भी शादीशुदा के नाम से जानेगा. साल 2020 लंबे समय से छड़ रहे लोगों के शादीशुदा बनने का साल है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इस साल ने देश के हर एक साजन को उसकी सजनी या ये कहें कि दूल्हे को दुल्हन दे दी है. जिस तरह हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता ये फंडा साल 2020 और इस अटपटे साल में हुई शादियों पर भी अप्लाई होता है.
उत्तर प्रदेश विरला राज है. यहां आए रोज ऐसा बहुत कुछ होता है जो पूरे विश्व में कहीं नहीं होता है. आजमगढ़ को ही देख लीजिए. आजमगढ़ में एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है. यहां एक दूल्हे और उसके साथ गयी बारात के साथ ऐसा चोपा हुआ है कि क्या ही कहा जाए.
जिले के एक गांव से पूरे धूम धड़ाके के साथ बारात निकली जो अपनी मंज़िल पर नहीं पहुंच पाई और दूल्हे को बिना दुल्हन के बैरंग ही लौटना पड़ा. एकदम खाली हाथ. दरअसल हुआ कुछ यूं है कि खुशबूदार फूलों के सेहरे में सजा दूल्हा और डीजे/ बैंड के निकले म्यूजिक की थाप पर झूम कर नाचते बाराती जब दुल्हन के घर...
साल 2020 जिसने कोरोना (Coronavirus Pandemic) के चलते तकरीबन 11 महीने खूब लानत मलामत झेली, जमकर गालियां खाईं अब जब जा रहा है तो जहां इसके जाने से, कुछ लोगों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं है. तो कुछ ऐसे भी हैं, जो नहीं चाहते कि ये जाए या तब तक न जाए जबतक उनकी ख़ुद की एकदम व्यक्तिगत शादी नहीं हो जाती. नहीं मतलब बात कुछ यूं है कि, फ़ेसबुक (Facebook), ट्विटर (Twitter), इंस्टाग्राम (Instagram) कुछ भी खोलिए. रात के, दिन के किसी भी पहर खोलिए. न्यूज़ फीड Happily Married Couples से भरी पड़ी है. मेरे जानने में कई लोग ऐसे हैं जिनके लिए हम दोस्तों ने उम्मीद ही छोड़ दी थी. लेकिन होनी थी. हो गयी. ये लोग भी निपट गए. अब इतिहास इन लोगों को भी शादीशुदा के नाम से जानेगा. साल 2020 लंबे समय से छड़ रहे लोगों के शादीशुदा बनने का साल है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि इस साल ने देश के हर एक साजन को उसकी सजनी या ये कहें कि दूल्हे को दुल्हन दे दी है. जिस तरह हर किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता ये फंडा साल 2020 और इस अटपटे साल में हुई शादियों पर भी अप्लाई होता है.
उत्तर प्रदेश विरला राज है. यहां आए रोज ऐसा बहुत कुछ होता है जो पूरे विश्व में कहीं नहीं होता है. आजमगढ़ को ही देख लीजिए. आजमगढ़ में एक हैरतअंगेज मामला सामने आया है. यहां एक दूल्हे और उसके साथ गयी बारात के साथ ऐसा चोपा हुआ है कि क्या ही कहा जाए.
जिले के एक गांव से पूरे धूम धड़ाके के साथ बारात निकली जो अपनी मंज़िल पर नहीं पहुंच पाई और दूल्हे को बिना दुल्हन के बैरंग ही लौटना पड़ा. एकदम खाली हाथ. दरअसल हुआ कुछ यूं है कि खुशबूदार फूलों के सेहरे में सजा दूल्हा और डीजे/ बैंड के निकले म्यूजिक की थाप पर झूम कर नाचते बाराती जब दुल्हन के घर पहुंचे तो सभी के होश फाख्ता हो गए. बारातियों को यहां न तो कोई मंडप दिखा और न ही स्वागत करते दुल्हन के परिवार वाले. बेचारे बाराती भी इतने भोले कि जाड़े की इन सर्द रातों में सारी रात दुल्हन का घर और उनके परिवार वालों को ढूंढते रहे. जब दूल्हा और उसके साथ आई बारात हताश हो गयी तो ये लोग वापस लौट आए.
बताया जा रहा है कि घटना के बाद दूल्हा और बाराती कुछ इस हद तक फ्रस्ट्रेट हुए कि उन्होंने न केवल उस महिला को बंधक बनाया बल्कि उसकी जमकर पिटाई भी की जिसने ये रिश्ता लगवाया था. बाद में भले ही पुलिस आई हो लेकिन इस मामले में धोखा तो हुआ. सोचिए क्या ही बीत रही होगी उस दूल्हे पर? न जाने कितने अरमान रहे होंगे उसके दिल में.
मामले में एक दिलचस्प बात ये भी है कि लड़की वालों ने गाजे-बाजे और लाइट आदि की व्यवस्था के लिए लड़के वालों से 20 हजार रुपये भी युवक के परिजनों से ले लिए. बाक़ी जैसा कि हम बता चुके हैं पुलिस उस महिला से तफ्तीश में जुटी है जिसने ये शादी लगवाई. महिला से पुलिस को क्या जानकारी मिलती है और वो किस हद तक रोचक होती है इसका पता हमें जल्द ही चल जाएगा लेकिन जिस तरह इस मामले में लड़का साल 2020 में भी कुंवारा रहा, सुनकर दुख तो होता ही है.
बहरहाल हमारी पूरी सहानुभूति इस दूल्हे के साथ है. इसका गम हमारा गम है. यदि ये रो रहा है और अगर इसे ये लगता है कि रोने से इसका ग़म हल्का हो जाएगा तो हमें भी कन्धा बनने और उसे संबल देने में कोई गुरेज नहीं है. यूं भी कहावत है इंसान ही इंसान के काम आता है और चचा अरस्तु तो बहुत पहले कहकर जा ही चुके हैं. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है.
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