हमें अपनों ने लूटा ग़ैरों में कहा दम था... वाली बात शायर ने क्यों कही इस लेख को अंत तक पढ़ियेगा पता चल जाएगा लेकिन जो बात है हैं हम भारतीय बड़े अजीब - बेगानी शादी में अब्दुल्ला बनना हमारा पुराना शगल है. कहीं दूर क्यों जाना जब हम कल्पना के घोड़े पर सवार हों तो अमेरिका की ही सैर क्यों न कर ली जाए. अमेरिका में राष्ट्रपति पद (S Presidential Elections) के चुनाव हुए हैं. डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और जो बाइडेन (Joe Biden) के बीच कांटे की टक्कर हुई है. अमेरिका में हुए चुनाव के नतीजे आ गए हैं और जैसे समीकरण स्थापित हुए हैं एक आम अमेरिकी ने ट्रंप को धुर फिटे मुंह कहकर जो बाइडेन का साथ दिया है. जल्द ही सीनियर सिटीजन बाइडेन, अमरीका के राष्ट्रपति की शपथ लेंगे और वर्ल्ड पॉलिटिक्स के 'बिग ब्रो' बनेंगे. इसी बीच एक बड़ी खबर और आई है. एक ऐसे समय में जब इडली-डोसे और नारियल की चटनी के दम पर कमला हैरिस ने अमेरिका में रहने वाले साउथ इंडियन वोटर्स को अपने पाले में खींच लिया हो लिब्रल्स और सेक्युलर के ताजे ताजे मसीहा बाइडेन क्यों पीछे रहते. भाई फॉर्म में है और उसने भी अपना इंडियन कनेक्शन बता दिया है.
वाशिंगटन में हुए एक इवेंट में बाइडेन ने कहा है पांच बाइडेन भारत के मुंबई में भी हैं. जो बाइडेन ने तो जो कहा सो कहा किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफेसर टिम विल्लसे विलसे उनसे भी दो हाथ आगे निकल गए. टिम के अनुसार जो बाइडेन के पूर्वज 19 वीं शताब्दी में स्थापित ईस्ट इंडिया कंपनी में जहाजी थे.
टिम ने कहा कहा क्या नहीं कहा वो एक अलग बात है. सीधे शब्दों में ये समझिए कि जिस वक्त ईस्ट इंडिया कंपनी भारत का खजाना खाली कर उसे महारानी के कदमों में बिछा रही थी उस...
हमें अपनों ने लूटा ग़ैरों में कहा दम था... वाली बात शायर ने क्यों कही इस लेख को अंत तक पढ़ियेगा पता चल जाएगा लेकिन जो बात है हैं हम भारतीय बड़े अजीब - बेगानी शादी में अब्दुल्ला बनना हमारा पुराना शगल है. कहीं दूर क्यों जाना जब हम कल्पना के घोड़े पर सवार हों तो अमेरिका की ही सैर क्यों न कर ली जाए. अमेरिका में राष्ट्रपति पद (S Presidential Elections) के चुनाव हुए हैं. डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और जो बाइडेन (Joe Biden) के बीच कांटे की टक्कर हुई है. अमेरिका में हुए चुनाव के नतीजे आ गए हैं और जैसे समीकरण स्थापित हुए हैं एक आम अमेरिकी ने ट्रंप को धुर फिटे मुंह कहकर जो बाइडेन का साथ दिया है. जल्द ही सीनियर सिटीजन बाइडेन, अमरीका के राष्ट्रपति की शपथ लेंगे और वर्ल्ड पॉलिटिक्स के 'बिग ब्रो' बनेंगे. इसी बीच एक बड़ी खबर और आई है. एक ऐसे समय में जब इडली-डोसे और नारियल की चटनी के दम पर कमला हैरिस ने अमेरिका में रहने वाले साउथ इंडियन वोटर्स को अपने पाले में खींच लिया हो लिब्रल्स और सेक्युलर के ताजे ताजे मसीहा बाइडेन क्यों पीछे रहते. भाई फॉर्म में है और उसने भी अपना इंडियन कनेक्शन बता दिया है.
वाशिंगटन में हुए एक इवेंट में बाइडेन ने कहा है पांच बाइडेन भारत के मुंबई में भी हैं. जो बाइडेन ने तो जो कहा सो कहा किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफेसर टिम विल्लसे विलसे उनसे भी दो हाथ आगे निकल गए. टिम के अनुसार जो बाइडेन के पूर्वज 19 वीं शताब्दी में स्थापित ईस्ट इंडिया कंपनी में जहाजी थे.
टिम ने कहा कहा क्या नहीं कहा वो एक अलग बात है. सीधे शब्दों में ये समझिए कि जिस वक्त ईस्ट इंडिया कंपनी भारत का खजाना खाली कर उसे महारानी के कदमों में बिछा रही थी उस वक़्त इस पूरे कारनामे में बाइडेन के पूर्वजों की बड़ी भूमिका थी.
टिम की बातों पर यकीन करें तो मिलता है कि 19 वीं शताब्दी में जो बाइडेन के रिश्तेदार क्रिस्टोफर और विलियम बाइडेन ईस्ट इंडिया कंपनी में काम करते थे और पेशे से जहाजी थे. ये लोग हमारे भारत का माल अपने जहाज के बल पर इधर उधर करते थे. बाद में ये लोग मद्रास में सेटल हो गए और मजे की बात ये है कि उस समय इन दोनों भइयों ने भारत को कुछ इस हद तक लूटा था कि तब उनके ठाठ देखने वाले थे.
टिम के अनुसार क्रिस्टोफर बाइडेन के पास इतना पैसा था कि तत्कालीन मद्रासी उनकी खूब इज्जत करते थे. अच्छा बताते चलें कि टिम ने बाइडेन परिवार का ये सारा कच्चा चिट्ठा इंडियन काउंसिल ऑफ कल्चरल रिलेशन्स के लिए लिखे एक लेख में लिखा है. बहरहाल अब बाइडेन कुछ भी कहें और अपने को कितना भी अच्छा और नेकदिल क्यों न बता लें लेकिन सच्चाई यही है कि इनके रिश्तेदारों या ये कहें कि पूर्वजों ने भारत को लूटा है और डंके की चोट पर लूटा है.
लिब्रल्स और सेक्युलर बाइडेन की जीत पर कितने भी अनार कितनी भी फुलझड़ियां क्यों न जला लें. मगर अपने जश्न में इस बात को तो हरगिज़ न भूलें कि यही वो फिरंगी है जिसने न सिर्फ भारत से दोगुना लगान लिया. बल्कि कॉलर चौड़ा करके इधर उधर घूमे और तमाम लूट घसोट के बाद दक्षिण भारत के चेन्नई में अपना एम्पायर स्थापित किया.
तो भइया अब जब आपने इतनी बातें पढ़ ही ली हैं. और साथ ही शेर की उस पंक्ति को भी पढ़ा है जिसमें हमने अपनों के लूटने वाली बात की थी. तो साफ हो गया है कि बाइडेन खानदानी बेवफा हैं. मनाइए जश्न खूब मनाइए. लेकिन वो याद रखिये जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आपातकाल के बाद अपनी एक रैली में कहा था. अटल जी ने अपनी कलम से लिखा था कि-
बाद मुद्दत के मिले हैं दीवाने,
कहने - सुनने को बहुत हैं अफ़साने.
खुली हवा में ज़रा सांस तो ले लें,
कब तक रहेगी आज़ादी, कौन जानें.
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