लग्ज़री लाइफ कब भावुक कविता में बदल जाए, ये कोई विजय माल्या (Vijay Mallya) से पूछे. जिनके मस्तक पर पराजय का मुकुट बस सजते-सजते रह गया. लग्ज़री लाइफ और ब्यूटीफुल वाइफ (कृपया बहुवचन में पढ़ें) के कारण चर्चा में रहे, किंग ऑफ गुड टाइम्स का Worst nightmare बस आने ही वाला है. फिलहाल जरुर आते-आते रह गए. बताओ, आ जाते तो क्या दिक्क़त थी. पर नहीं, इस कोरोना काल में ढंग की एक भी ख़बर कायको मिलेगी हमको. लाइफ उतनी भी अच्छी कहां रही कि जीने का मज़ा ले सकें. बस जैसे-तैसे ऑक्सीजन लेकर, कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जित कर रहे हैं. इस बात का भी असीम दुःख है कि लॉक डाउन में परम पूज्य जनता के ऊलजलूल व्यवहार से निराश मोदी जी के चेहरे पर मुस्कान की लालिमा एक यही शख्स बिखेर सकता था. 56 इंच को 156 बनने में एक पल न लगता. पर हमारा और प्यारे देशवासियों का ये सुंदर सपना चकनाचूर हो गया. ये जरुर उनकी बददुआओं का फ़ल है जो हमारे इस स्वप्न से जलकर खाक़ हुए जा रहे. इसके लिए मैं पर्सनल डीपली आघात महसूस कर रही हूं.
वैसे कोई भी मामला हो, सबसे ज्यादा क्यूट रिएक्शन मेहनतक़श वर्ग का होता है. कल से एवीं उछले पड़े जा रहे हैं जैसे सबके हिस्से पौने सात-सात करोड़ आने ही वाले हैं. अरे पगलैटों! जब ये साब जी आयेंगे न, तब तुम अपनी कटी हुई जेब को फिर जाँचना और पुनः हाहाकार प्रारम्भ कर देना. पर हमें अभी ठीक से उदास तो हो लेने दो. हाय! मीडिया ने ‘आएगा, आ रहा’ कहते हुए आशा की जो किरणें फैलाई थीं, उसे काली रात निगल गई.
अदालत ने माल्या को भगोड़ा घोषित किया हुआ है. दूसरी तरफ जनता भी कोड़ा लेकर तैयार है. हम लोगों को तो खैर... यूं भी किसी को पीटने में बड़ा आनंद आता ही है. एक बार इन्हें भारत में आने तो दीजिये, फिर देखिये सब तरफ कैसे जलवे बिखरेंगे. बस कैलेंडर वाली सुंदरियां विलुप्त होंगीं और उनके स्थान पर सैल (cell) नंबर अठारह में कोई अकड़कर आ के बोलेगी, 'ए जरा साइड वाली वाल पे सरककर बैठने का. जेलर साब ने झाड़ू कटका मारने का बोला रे'.
पूरा देश इसी इंतजार में है कि आखिर वो दिन कब आएगा जब विजय माल्या हिंदुस्तान आएगा
तीन बार अपने प्यार को इकरार में बदलने वाले किंगफिशर के मालिक, बस एक ही चीज़ के लिए बेक़रार हैं और वो है आसान ज़िन्दगी. ये अब इस जनम में तो मिलने से रही. सभी के पाप का घड़ा एक न एक दिन फूटता ही है और इधर तो पूरा बोरवेल है. खेलों के जबरदस्त शौक़ीन इंसान का ये वाला खेल फ़ेल होता दिख रहा और अबकी तो कोई 'सहारा' भी न रहा.
जब सुना कि अंकल जी धार्मिक प्रवृत्ति के भी हैं तो हमें कोई ताज्जुब न हुआ. अब प्रायश्चित करने के लिए किसी के दरबार में जाकर तो नाक रगड़नी ही पड़ती है. तो फ़िलहाल सारा मामला भगवान जी के हाथ में है कि वो अपने भक्त को पास बुलाकर अन्दर करवाते हैं या फिर यहाँ बैठे-बैठे ही इग्नोर मार देते हैं.
आर्थर रोड जेल की एक सैल का वीडियो ब्रिटेन की अदालत को उपलब्ध कराया गया था. हो सकता है लाट साब को उसका इंटीरियर न जंचा हो. अब भिया! शौक बड़ी चीज़ है. सुना है कोई गोपनीय मुद्दा है. जब तक वो नहीं सुलझेगा, तब तक अंकल जी नहीं भेजे जा सकते.
ये 'गोपनीय' जो है न, बड़ा ही तिलिस्मी शब्द है. इसने अच्छे-अच्छों को कच्चा चबा डाला है. उनकी नींदें हराम कर दी हैं. जब कोई ये कहे कि 'मामला सुलझाने में वक्त लगेगा' तो समझ जाओ कि अंकल जी उनके पैर कस के पकड़ क्षमा याचना के एपिसोड नंबर बत्तीस में जुटे पड़े हैं... कि 'बस इस बार माफ़ कर दो, हमसे गलती हो गई, अगली बार नहीं करेंगे. वो भारत की जनता हमपे हँसे जा रही, खिल्ली उड़ा रही. बुहु-बुहु, सुबक-सुबक'.
खेल के शौक़ीन एक दिन खुद ही क्लीन बोल्ड हो जायेंगे ये किसको पता था. फ़िलहाल तो ये ऐसी इनिंग खेल रहे कि गेम ओवर होने के बाद भी बस दौड़ते ही जा रहे हैं और देश भर के थर्ड अंपायर हैरान-परेशान हैं. ओ शाब जी. तनिक रुक जाओ. इधर हमने ख़ुद के उम्मीद के दरवाजे FM के नाम कर दिए जो दिलासा दे रहा है, 'आएगा, आएगा, आएगा आने वाला...आएगाआआ,आएगाआआ'. हे ईश्वर! एक अच्छी ख़बर देकर जीवन सुधार दो न प्लीज़.
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