स्वेच्छा से विषपान करने में 'नील-कण्ठता' एक बड़ा आकर्षण है. अपनी कोशिश यह होती है जहर तो कम से कम पियें, पर कण्ठ अधिक से अधिक नीला हो. और कोई तो गले पर नीली स्याही पोतकर 'नीलकण्ठ' बने फिरते हैं. पंक्तियां व्यंग्य के पितामह हरिशंकर परसाई ने बहुत पहले लिखी हैं. अगर आज इन्हें पढ़े तो ख़ुद-ब-खुद मुंह से निकलेगा कि, अरे ये तो परसाई ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए लिखा है. कैसे? अरे वजह वही है दिल्ली में बढ़ते कोरोना के मामले और मुख्यमंत्री का अटपटा फैसला. फैसला भी ऐसा जिसमें रातों में सक्रिय रहने वाले कोरोना के सफाए के बाद अब वीकेंड वेरिएंट पर हमले की तैयारी है.
Omicron के मद्देनजर दिल्ली के मुख्यमंत्री और उनकी टीम का तो भइया एजेंडा एकदम क्लियर है और वो ये है कि जब खुलेगा ही नहीं तो फैलेगा कैसे ! पता नहीं कोरोना खुद चलकर इन लोगों के पास आया था या ये लोग उसके पास गए थे. कहा जा रहा है कि अगर संक्रमण रोकना है तो समाधान एक ही है और वो है वीकेंड कर्फ्यू.
पूरे विश्व का तो हम ज्यादा नहीं जानते मगर भारत में Corona यकीनन अलग है. अलग हो भी क्यों न. जब यहां केजरीवाल जैसे लोग हैं. उनके अतरंगे फरमान हैं और सबसे जरूरी राजनीति हो तो ये कहने में गुरेज नहीं है कि यहां इंडिया में कोरोना सरकारी नटवरलाली की गिरफ्त में है.
जैसा कि हम बता ही चुके हैं ये सारा गड़बड़ घोटाला Omicron के कारण हुआ है तो सब की (राज्यों की )तैयारी अपने लेवल की है. जनवरी की जानलेवा ठंड है. ऐसे मौसम में जब गली में आते चोर को देखकर गली का कुत्ता भी छोड़ो जाने दो यार बोल काजू का शेप लेकर...
स्वेच्छा से विषपान करने में 'नील-कण्ठता' एक बड़ा आकर्षण है. अपनी कोशिश यह होती है जहर तो कम से कम पियें, पर कण्ठ अधिक से अधिक नीला हो. और कोई तो गले पर नीली स्याही पोतकर 'नीलकण्ठ' बने फिरते हैं. पंक्तियां व्यंग्य के पितामह हरिशंकर परसाई ने बहुत पहले लिखी हैं. अगर आज इन्हें पढ़े तो ख़ुद-ब-खुद मुंह से निकलेगा कि, अरे ये तो परसाई ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए लिखा है. कैसे? अरे वजह वही है दिल्ली में बढ़ते कोरोना के मामले और मुख्यमंत्री का अटपटा फैसला. फैसला भी ऐसा जिसमें रातों में सक्रिय रहने वाले कोरोना के सफाए के बाद अब वीकेंड वेरिएंट पर हमले की तैयारी है.
Omicron के मद्देनजर दिल्ली के मुख्यमंत्री और उनकी टीम का तो भइया एजेंडा एकदम क्लियर है और वो ये है कि जब खुलेगा ही नहीं तो फैलेगा कैसे ! पता नहीं कोरोना खुद चलकर इन लोगों के पास आया था या ये लोग उसके पास गए थे. कहा जा रहा है कि अगर संक्रमण रोकना है तो समाधान एक ही है और वो है वीकेंड कर्फ्यू.
पूरे विश्व का तो हम ज्यादा नहीं जानते मगर भारत में Corona यकीनन अलग है. अलग हो भी क्यों न. जब यहां केजरीवाल जैसे लोग हैं. उनके अतरंगे फरमान हैं और सबसे जरूरी राजनीति हो तो ये कहने में गुरेज नहीं है कि यहां इंडिया में कोरोना सरकारी नटवरलाली की गिरफ्त में है.
जैसा कि हम बता ही चुके हैं ये सारा गड़बड़ घोटाला Omicron के कारण हुआ है तो सब की (राज्यों की )तैयारी अपने लेवल की है. जनवरी की जानलेवा ठंड है. ऐसे मौसम में जब गली में आते चोर को देखकर गली का कुत्ता भी छोड़ो जाने दो यार बोल काजू का शेप लेकर अपनी पोजीशन में पड़ा रहना बेहतर समझे तमाम राज्य सरकारों ने नाइट कर्फ्यू लगाकर यूं ही ऐतिहासिक काम किया था और अब जबकि दिल्ली सरकार या फिर पंजाब सरकार वीकेंड कर्फ्यू की बात कर रही है तो बहुत सीधे और सधे हुए शब्दों में कहें तो ये और कुछ नहीं बस मूर्खता की पराकाष्ठा है दिल को खुश करने का गालिब वाला ख्याल है.
बात एकदम क्लियर है. नाइट कर्फ्यू के बाद समझ ही गए होंगे कि कोरोना से सुरक्षित रहना है तो रात को घर में ही रहें. अब जबकि सरकार वीकेंड कर्फ्यू लगाने जा रही है तो मान लें कि वीकेंड वेरिएंट का खतरा है. हां, भीड़ वाला वेरिएंट अभी खतरनाक नहीं है. इसलिए सोमवार से शुक्रवार तक आप बिंदास भीड़भरे बाजारों में जा सकते हैं. चुनावी रैलियों में शामिल हो सकते हैं. चुनावी मैराथन में बच्चों को भेज सकते हैं. क्योंकि, वर्किंग डेज में भीड़ के बीच जाने से डरता है कोरोना.
समझे? अगर आप समझ गए तो अच्छा है. और जो न समझे तो भी हमें कोई विशेष हैरत नहीं है. क्यों ? अरे वही बात अंधेर नगरी चौपट राजा टके सेर भाजी टके सेर खाजा! हो सकता है कि केजरीवाल के इस वीकेंड कर्फ्यू वाले फैसले के बाद उनके आलोचक खासतौर से कपिल मिश्रा और मनोज तिवारी उन्हें मुहम्मद बिन तुगलक, सनकी शहंशाह, निर्मोही इत्यादि कह दें.
बता दें कि ये फैसला सिर्फ जनता को परेशान करने के लिए है तो हमें खुद इस प्रोपोजेंडा को खारिज करना होगा. हफ्ते में पांच दिन हैं जम के बवाल कीजिए. इधर उधर घूमिए. रिश्तेदारी और शादी ब्याह निपटाए. लास्ट के दो दिन बचेंगे चुपचाप कंबल में रहिए OTT पर बढ़िया सी फिल्म देखिए यूं भी किसी धर्म ग्रंथ में थोड़ी ना लिखा है कि मौज मस्ती के लिए सिर्फ वीकेंड है.
कर लेने दीजिए सरकारों को उनकी मनमर्जी यूं भी हेल्थ एक्सपर्ट्स ने तो पहले ही क्लियर कर दिया है Omicron कम खतरनाक है. आदमी बीमार भी हुआ तो दो एक दिन में ठीक हो ही जाएगा. बाकी बात दिल्ली की हुई है और वीकेंड कर्फ्यू की हुई है. तो आदमी ज्यादा आहत न ही हो तो ठीक है. सरकार ने भले ही बीमारी की आड़ ली है लेकिन जनता के छोले कुल्चे से लेकर बिरयानी, कबाब और जामा मस्जिद जाकर मुर्गे तोड़ने का पूरा ख्याल रखा है.
अच्छा हां. फैसला सरकार कहीं भी ले क्योंकि ये सारा चोंचला बीमारी की आड़ लेकर किया जा रहा है. तो हम बस इतना ही कहेंगे कि हमें मिलकर कोरोना की चेन तोड़नी है अब चाहे ऐसे या फिर वैसे. खैर ये बात तो हम भी बखूबी जानते हैं कि सिवाए परेशानी के इससे होने वाला कुछ है नहीं। लेकिन क्योंकि ये सरकारों के दिमाग का खब्त है. जनता साथ दे दे कम से कम कल ये तो न हो कि सरकार कह दे कि हमने तो सटीक कदम उठाए थे. अब जब जनता ने ही हमारा साथ नहीं दिया तो फिर कोई क्या करें.
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