उत्तर प्रदेश में चुनाव होने हैं. चुनावी रण से भले ही मायावती गायब हों. लेकिन भाजपा / सीएम योगी आदित्यनाथ का एजेंडा सेट है. वहीं अखिलेश और प्रियंका ने भी रणनीति बना ली है. सलाहकारों की मदद से डिसाइड हो चुका है कि वो कौन से मुद्दे हैं जिनपर सपा और कांग्रेस को भाजपा को घेरना है. अभी इस तरह के तमाम सोच विचार चल ही रहे थे कि ऐसे में शेखर कुमार यादव साहब ने सभी दलों के किए कराए पर पानी फेरने के लिए बाल्टी उठा ली है. अच्छा तो अब सवाल होगा कि कौन शेखर कुमार यादव? तो भइया शेखर कुमार यादव कोई छोटी मोटी या हल्की फुल्की हस्ती नहीं बल्कि मी-लॉर्ड हैं. वो भी कहीं और के नहीं देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के.
दरअसल जज साहब यानी शेखर कुमार यादव एक मामले की सुनवाई कर रहे थे और सुनवाई के दौरान अपने ही कोर्ट रूम में भावुक हो गए. फिर कोरोना की आड़ में वो बात बोल दी जिसे सुनकर सपा, बसपा, आप, कांग्रेस, असदुद्दीन की तो छोड़िए ख़ुद भाजपा वाले भी सन्न रह गए.
जज साहब ने चुनाव आयुक्त से उत्तर प्रदेश में फरवरी में होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव को फिलहाल टालने की अपील की है. जज यादव के अनुसार चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना संभव नहीं है और अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया तो परिणाम दूसरी लहर से कहीं अधिक भयावह होंगे.
जज साहब ने ये भी कहा कि, ‘चुनाव आयुक्त से न्यायालय का अनुरोध है कि रैली, सभाएं आदि जिसमें भीड़ जमा हो उस पर तत्काल रोक लगाएं. साथ ही चुनावी पार्टियों को आदेश दें कि वो अपना प्रचार व प्रसार रैली और सभा में भीड़ जुटाकर न करें बल्कि दूरदर्शन और समाचार पत्रों के माध्यम से...
उत्तर प्रदेश में चुनाव होने हैं. चुनावी रण से भले ही मायावती गायब हों. लेकिन भाजपा / सीएम योगी आदित्यनाथ का एजेंडा सेट है. वहीं अखिलेश और प्रियंका ने भी रणनीति बना ली है. सलाहकारों की मदद से डिसाइड हो चुका है कि वो कौन से मुद्दे हैं जिनपर सपा और कांग्रेस को भाजपा को घेरना है. अभी इस तरह के तमाम सोच विचार चल ही रहे थे कि ऐसे में शेखर कुमार यादव साहब ने सभी दलों के किए कराए पर पानी फेरने के लिए बाल्टी उठा ली है. अच्छा तो अब सवाल होगा कि कौन शेखर कुमार यादव? तो भइया शेखर कुमार यादव कोई छोटी मोटी या हल्की फुल्की हस्ती नहीं बल्कि मी-लॉर्ड हैं. वो भी कहीं और के नहीं देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के.
दरअसल जज साहब यानी शेखर कुमार यादव एक मामले की सुनवाई कर रहे थे और सुनवाई के दौरान अपने ही कोर्ट रूम में भावुक हो गए. फिर कोरोना की आड़ में वो बात बोल दी जिसे सुनकर सपा, बसपा, आप, कांग्रेस, असदुद्दीन की तो छोड़िए ख़ुद भाजपा वाले भी सन्न रह गए.
जज साहब ने चुनाव आयुक्त से उत्तर प्रदेश में फरवरी में होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव को फिलहाल टालने की अपील की है. जज यादव के अनुसार चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना संभव नहीं है और अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया तो परिणाम दूसरी लहर से कहीं अधिक भयावह होंगे.
जज साहब ने ये भी कहा कि, ‘चुनाव आयुक्त से न्यायालय का अनुरोध है कि रैली, सभाएं आदि जिसमें भीड़ जमा हो उस पर तत्काल रोक लगाएं. साथ ही चुनावी पार्टियों को आदेश दें कि वो अपना प्रचार व प्रसार रैली और सभा में भीड़ जुटाकर न करें बल्कि दूरदर्शन और समाचार पत्रों के माध्यम से करें.
वहीं जज साहब ने चुनाव आयोग से ये भी कहा कि अगर संभव हो सके तो फरवरी में होने वाले चुनाव को भी एक-दो माह के लिए टाल दें क्योंकि जीवन रहेगा तो चुनावी रैलियां, सभाएं आगे भी होती रहेंगी. जीवन का अधिकार हमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में भी दिया गया है.’
अब आलोचना क्या ही करना. बात तो सही कही है जज साहब ने. हां वो अलग बात है कि उन्हें ये सब तब याद आया जब कोरोना का नया वैरिएंट जिसे दुनिया Omicron का नाम दे रही है, हिंदुस्तान में भी दस्तक दे चुका है और जिनके ही राज्य यानी यूपी में 25 दिसंबर की रात 11 बजे से सुबह 5 बजे तक हर रोज़ सरकार ने नाईट कर्फ्यू का फरमान दिया है.
खैर ये कोई पहला मौका नहीं है जब जज साहब सुर्खियों में आए हैं इससे पहले विवाद तब हुआ था जब इन्होंने गाय के अंदर हवा डाली थी और बाहर ऑक्सिजन निकाली थी.बात कुछ दिनों पहले की है.जस्टिस शेखर कुमार यादव ने मवेशी वध पर जमानत अर्जी पर फैसला देते हुए कहा था, ‘वैज्ञानिकों का मानना है कि गाय ही एकमात्र ऐसा जानवर है जो ऑक्सीजन लेता और छोड़ता है.
जज साहब का कहना था कि पंचगव्य, जो गाय के दूध, दही, घी, मूत्र और गोबर से बना है, कई असाध्य रोगों के इलाज में मदद करता है. यज्ञ के दौरान गाय के दूध से बने घी का इस्तेमाल करना भारत में एक परंपरा है क्योंकि ये सूर्य की किरणों को विशेष ऊर्जा देता है, जो आखिरकार बारिश का कारण बनता है.’
बताने वाले ये तक बताते हैं कि जज साहब पीएम मोदी के फैन बड़े हैं और अक्सर ऐसा बहुत कुछ कह जाते हैं जो सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर जाता है. कैसे? अरे कहीं दूर क्या ही जाएं. इसी चुनाव वाले बयान को देख लें तो जिसकी जैसी श्रद्धा है वो उस लिहाज से सोशल मीडिया पर रियेक्ट कर रहा है.
बहरहाल अब जबकि जज साहब ने अपनी बात कह दी है तो देखना दिलचस्प रहेगा कि चुनाव आयोग इसपर क्या फैसला लेता है. बाकी जिस तरह की जज साहब की बातें हैं डर है कि Omicron के इस दौर में जज साहब की तरह चुनाव आयोग भी भावुक न हो जाए और ऐसा फैसला ले ले जिससे पार्टियों को लेनी देनी हो जाए. खुद सोचिये अगर चुनाव टल गए तो अखिलेश यदा और प्रियंका गांधी वाड्रा योगी आदित्यनाथ से लेकर मायावती, असदुद्दीन ओवैसी, चंद्रशेखर रावण जैसे लोगों की कंडीशन क्या होगी.
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