गॉड ऑफ क्रिकेट यानी सचिन तेंदुलकर का आज (24 अप्रैल) 44वां जन्मदिन है. उनके बारे में लोग इतना जानते होंगे जितना वो खुद नहीं जानते होंगे. लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो सचिन को लूजर समझते हैं लेकिन फैन्स के आगे ये लोग फींके से लकते हैं क्योंकि उनके रिकॉर्ड इन चंद लोगों को गलत साबित करते हैं. कुछ लोग ये कहते हैं कि जब भी वह सेंचुरी मारते हैं तो टीम इंडिया हार जाती है. तो कुछ लोग कहते हैं कि वो सिर्फ कमजोर टीम के खिलाफ में रन बनाते हैं. लेकिन सच कुछ और ही है. आइए जानते हैं..
पहला भ्रम : उनकी सेन्चुरी से नहीं मिलती जीत
कहा जाता है कि सचिन की सेन्चुरी के बाद भी टीम इंडिया टेस्ट मैच में जीत हासिल नहीं कर पाती. लेकिन सच्चाई ये नहीं कुछ और ही है. आंकड़ों की मानें तो सचिन के 51 शतकों मे से 20 शतक में भारत को जीत मिली है. जिसका जीत का प्रतिशत 39% है, जो ब्रायन लारा के 34% से कहीं ज्यादा है. ब्रायन लारा के 34 शतकों में से 8 में जीत मिली थी और लारा का जीत प्रतिशत 24 % रहा है.
दूसरा भ्रम : विदेश में नहीं खेल पाते सचिन
दूसरा भ्रम ये फैला है कि सचिन का बल्ला हमेशा विदेश में खामोश रहता है. वो बाहर वैसा नहीं खेल पाते जैसे वो घरेलू मैदान पर खेलते हैं. लेकिन आंकड़ों की मानें तो सचिन ने 51 शतकों में से 29 शतक विदेशी धरती पर लगाए हैं. वहीं लारा ने 34 शतकों में से 17 शतक विदेश में बनाए हैं. विदेश में शतक बनाने के हिसाब से सचिन का प्रतिशत 57% और वहीं लारा का 47% है.
तीसरा भ्रम : दूसरी इनिंग में नहीं खेल पाते...
गॉड ऑफ क्रिकेट यानी सचिन तेंदुलकर का आज (24 अप्रैल) 44वां जन्मदिन है. उनके बारे में लोग इतना जानते होंगे जितना वो खुद नहीं जानते होंगे. लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो सचिन को लूजर समझते हैं लेकिन फैन्स के आगे ये लोग फींके से लकते हैं क्योंकि उनके रिकॉर्ड इन चंद लोगों को गलत साबित करते हैं. कुछ लोग ये कहते हैं कि जब भी वह सेंचुरी मारते हैं तो टीम इंडिया हार जाती है. तो कुछ लोग कहते हैं कि वो सिर्फ कमजोर टीम के खिलाफ में रन बनाते हैं. लेकिन सच कुछ और ही है. आइए जानते हैं..
पहला भ्रम : उनकी सेन्चुरी से नहीं मिलती जीत
कहा जाता है कि सचिन की सेन्चुरी के बाद भी टीम इंडिया टेस्ट मैच में जीत हासिल नहीं कर पाती. लेकिन सच्चाई ये नहीं कुछ और ही है. आंकड़ों की मानें तो सचिन के 51 शतकों मे से 20 शतक में भारत को जीत मिली है. जिसका जीत का प्रतिशत 39% है, जो ब्रायन लारा के 34% से कहीं ज्यादा है. ब्रायन लारा के 34 शतकों में से 8 में जीत मिली थी और लारा का जीत प्रतिशत 24 % रहा है.
दूसरा भ्रम : विदेश में नहीं खेल पाते सचिन
दूसरा भ्रम ये फैला है कि सचिन का बल्ला हमेशा विदेश में खामोश रहता है. वो बाहर वैसा नहीं खेल पाते जैसे वो घरेलू मैदान पर खेलते हैं. लेकिन आंकड़ों की मानें तो सचिन ने 51 शतकों में से 29 शतक विदेशी धरती पर लगाए हैं. वहीं लारा ने 34 शतकों में से 17 शतक विदेश में बनाए हैं. विदेश में शतक बनाने के हिसाब से सचिन का प्रतिशत 57% और वहीं लारा का 47% है.
तीसरा भ्रम : दूसरी इनिंग में नहीं खेल पाते सचिन
कहने वालों की ये बात थोड़ी अटपटी लगती है क्योंकि 51 शतकों में उन्होंने 21 शतक दूसरी पारी में ही जमाए हैं और 9 शतक में टीम इंडिया को जीत मिली है. यानी दूसरी इनिंग में जब सचिन ने सेन्चुरी जड़ी है तो 41% भारत को जीत मिली है.
चौथा भ्रम : सचिन का शतक टीम इंडिया के काम नहीं आता
सचिन ने अपने करियर में 51 शतकों में से 40 शतक ऐसे हैं जहां टीम इंडिया को जीत मिली या फिर ड्रॉ हुआ. यानी टीम इंडिया की जीत का प्रतिशत 78% है. वहीं इस मामले में लारा की बात की जाए तो उनका भी लगभग 74% है. ये आंकड़े दर्शाते है कि महानतम बल्लेबाजों को टीम की हार पर दोष देना गलत है.
पांचवां भ्रम : कमजोर टीम के खिलाफ रन बनाते हैं सचिन
ये भ्रम भी है कि सचिन ने हमेशा ही कमजोर टीम के खिलाफ ही रन बनाए हैं. लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है. सचिन ने सबसे ज्यादा शतक (11) ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाए हैं. सचिन ने 51 शतकों में से 43 शतक दुनिया की टॉप टीमों के खिलाफ बनाए हैं और बचे बाकि वो जिम्बाब्वे और बांग्लादेश के खिलाफ बनाए हैं. अगर वहीं वनडे शतकों की बात की जाए तो सचिन के 38 शतक दुनिया की टॉप टीमों के खिलाफ आए हैं. वहीं बचे हुए 11 शतक जिम्बाब्वे, कीनिया, नाम्बीबिया और बांग्लादेश के खिलाफ बनाए हैं.
छठा भ्रम : वनडे में भी काम नहीं आती सचिन की सेन्चुरी
सचिन तेंदुलकर के 49 वनडे शतकों में से 33 शतकों में भारत को जीत मिली है. जिसमें जीत प्रतिशत 67% है और वहीं लारा के शतकों की बात की जाए तो 19 शतकों में से 16 शतकों में उनकी टीम को जीत मिली है. जो उनका जीत प्रतिशत है 84% है हालांकि इस मामले में लारा सचिन से आगे हैं लेकिन सचिन का 67% भी कम नहीं है क्योंकि हम सबको पता है कि सचिन ने जब भारत के लिए खेलना शुरु किया तो उस समय टीम के हालात अच्छे नहीं थे.
सातवां भ्रम : कड़े मुकाबले में फेल होते हैं सचिन
इस मामले की बात की जाए तो ऐसा दो बार हुआ है जब सचिन ने 49 ओवर में अपना शतक पूरा कर टीम को जीत दिलाई हो. वहीं लारा ने तीन बार ऐसे किया है. लेकिन इसके पीछे कारण ये भी है कि दोनों ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी करने आते थे और दोनों मैच को अंतिम ओवरों में खींचने में विश्वास नहीं रखते थे. क्योंकि जब भी ये दोनों क्रीज पर होते थे तो टीम अपने आप को सुरक्षित महसूस करती थी.
आठवां भ्रम : विदेशी धरती पर जीत नहीं दिला पाते सचिन
सचिन के विदेशों में 33 शतक में से 19 शतक जीत के गवाह रहे हैं. जिसका प्रतिशत 58% है. हालांकि लारा इस मामले में सचिन से कहीं ज्यादा आगे हैं लारा की 16 शतकों में से 12 शतकों में उनकी टीम विजय रही है. लेकिन सचिन के रिकॉर्डस ज्यादा संतुलित और कारगर रहे हैं और यही सब आंकड़े सचिन की महानता को दर्शाते हैं. ये तो रहे वो भ्रम जो दुनिया में फैले हुए हैं जो फेल साबित हुए. अब जानिए उनके वो रिकॉर्ड जो उन्हें महान बनाते हैं.... * सचिन भारत के लिए सबसे कम उम्र (16 वर्ष 205 दिन) में क्रिकेट खेलने वाले खिलाड़ी हैं.
* सचिन ने पाकिस्तान के खिलाफ 18 दिसंबर 1989 में गुजरावाला में वनडे मैचों में खेलना आरंभ किया. इसके बाद उनका पहला शतक 9 सितम्बर 1994 को कोलम्बों में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाया.
* वनडे मैचों में 50 से ज्यादा अवॉर्ड पाने वाले वो दुनिया के इकलौते क्रिकेटर हैं. * एक शतक में सर्वाधिक छक्के लगाने 7 का रिकॉर्ड भी सचिन के ही नाम है.
- 31 मार्च 2001 को सचिन वनडे में 10 हजार रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज बने थे. ये उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इंदौर में तीसरे वनडे में किया था.
(कंटेंट: मोनू चहल, इंटर्न @ ichowk.in )
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