खेलों को शांति और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है. जब हर चार साल पर ओलंपिक की मशाल दुनिया भर के देशों में भेजी जाती है, तो उसका भी मकसद यही होता है. लेकिन तब क्या जब खेलों के महाकुंभ की शुरुआत ही एक हत्या से हो. रियो ओलंपिक खेल 5 अगस्त से शुरू होने हैं, लेकिन विवादों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है. ब्राजील की अंदरूनी राजनीति, ओलंपिक की तैयारी के लिए खर्च हो रहे सरकारी पैसों के कारण वहां नाराज कई संगठन, मजदूरों की मांगे और जीका वायरस...ये तो केवल कुछ उदाहरण भर है. अब खेलों के इस महाकुंभ पर 'हत्या' का भी दाग लग गया है. एक मादा तेंदुए की हत्या का दाग.
ब्राजील के अमेजन प्रांत की राजधानी मानौस में ओलंपिक टॉर्च रैली आयोजित की गई थी. चूकी, रियो ओलंपिक का मैसकट एक तेंदुआ है, इसलिए अतिउत्साही आयोजकों ने सोचा कि क्यों न कार्यक्रम के दौरान एक असली तेंदुए का इस्तेमाल किया जाए.
कार्यक्रम हुआ भी. लेकिन कार्यक्रम के ठीक बाद मादा तेंदुआ नियंत्रण से बाहर हो गई. उसने एक सैनिक पर हमला किया. उसे बेहोश करने की भी कोशिश की गई लेकिन ट्रैंकुलाइजर का उस पर कोई असर नहीं हुआ. फिर क्या था खतरा देख, सेना के एक जवान ने उसके सिर में गोली मार दी. मादा तेंदुए का नाम जूमा बताया जा रहा है.
...तो मरा हुआ तेंदुआ ओलंपिक का नया मैसकट है? |
खेलों का महाकुंभ माने जाने वाले इस आयोजन के इतिहास में शायद ही कभी कोई ऐसी घटना हुई हो. तेंदुए की मौत के बाद जब विवाद शुरू हुए अब वहां रियो ओलंपिक की आयोजन समिति को अफसोस हो रहा है और भरोसा दिया है ऐसी गलती आगे कभी नहीं होगी. लेकिन ये वाकई ताज्जुब की बात है कि दुनिया में शांति और सद्भाव के प्रतीक ओलंपिक टॉर्च के...
खेलों को शांति और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है. जब हर चार साल पर ओलंपिक की मशाल दुनिया भर के देशों में भेजी जाती है, तो उसका भी मकसद यही होता है. लेकिन तब क्या जब खेलों के महाकुंभ की शुरुआत ही एक हत्या से हो. रियो ओलंपिक खेल 5 अगस्त से शुरू होने हैं, लेकिन विवादों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है. ब्राजील की अंदरूनी राजनीति, ओलंपिक की तैयारी के लिए खर्च हो रहे सरकारी पैसों के कारण वहां नाराज कई संगठन, मजदूरों की मांगे और जीका वायरस...ये तो केवल कुछ उदाहरण भर है. अब खेलों के इस महाकुंभ पर 'हत्या' का भी दाग लग गया है. एक मादा तेंदुए की हत्या का दाग.
ब्राजील के अमेजन प्रांत की राजधानी मानौस में ओलंपिक टॉर्च रैली आयोजित की गई थी. चूकी, रियो ओलंपिक का मैसकट एक तेंदुआ है, इसलिए अतिउत्साही आयोजकों ने सोचा कि क्यों न कार्यक्रम के दौरान एक असली तेंदुए का इस्तेमाल किया जाए.
कार्यक्रम हुआ भी. लेकिन कार्यक्रम के ठीक बाद मादा तेंदुआ नियंत्रण से बाहर हो गई. उसने एक सैनिक पर हमला किया. उसे बेहोश करने की भी कोशिश की गई लेकिन ट्रैंकुलाइजर का उस पर कोई असर नहीं हुआ. फिर क्या था खतरा देख, सेना के एक जवान ने उसके सिर में गोली मार दी. मादा तेंदुए का नाम जूमा बताया जा रहा है.
...तो मरा हुआ तेंदुआ ओलंपिक का नया मैसकट है? |
खेलों का महाकुंभ माने जाने वाले इस आयोजन के इतिहास में शायद ही कभी कोई ऐसी घटना हुई हो. तेंदुए की मौत के बाद जब विवाद शुरू हुए अब वहां रियो ओलंपिक की आयोजन समिति को अफसोस हो रहा है और भरोसा दिया है ऐसी गलती आगे कभी नहीं होगी. लेकिन ये वाकई ताज्जुब की बात है कि दुनिया में शांति और सद्भाव के प्रतीक ओलंपिक टॉर्च के सामने जंजीरों में बंधे एक जंगली जानवर को दर्शाने का ये सुझाव किसका था? गौरतलब है कि दक्षिण अमेरिका के कई हिस्सों में पहले ही तेंदुआ विलुप्त होती प्रजातियों में शामिल है.
बहरहाल, इस घटना के बाद पेटा और पशु अधिकारों के लिए काम करने वाले दूसरे संगठनों ने जमकर आयोजकों की निंदा की है. हत्या एक जंगली जानवर की हुई है, तो कोई कार्यवाई होगी...ये भूल जाइए. लेकिन कम से कम आयोजक ये जवाब तो दे ही दें कि अब क्या एक मरा हुआ तेंदुआ ओलंपिक का नया मैसकट है?
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