विश्वकप क्वॉर्टर फ़ाइनल: अर्जेंटीना बनाम नीदरलैंड्स! एक क्लासिक वर्ल्ड कप एनकाउंटर जो बीते पचास सालों में कभी सनसनीख़ेज़ से कम नहीं रहा है. दोनों टीमें एक-दूसरे को एक इंच जगह देने को राज़ी नहीं थीं. अर्जेंटीना 5-3-2 के फ़ॉर्मेशन से खेल रही है, नीदरलैंड्स 3-4-1-2 के साथ. प्रॉपर मिड ब्लॉक है. बैक थ्री हैं. गेंद तो दूर हवा भी इस मोर्चेबंदी से होकर गुज़र नहीं सकती. वैसे में एक टच ऑफ़ जीनियस ही चीज़ों को बदल सकता है.
अर्जेंटीना की टीम में बहुत बड़े सितारे नहीं हैं सिवाय नम्बर 10 की जर्सी वाले के. कमेंटेटर्स कह रहे हैं, दे डोंट हैव मच, बट दे हैव हिम. हिम यानी लियोनल मेस्सी. खेल के 35वें मिनट में मेस्सी गेंद लेकर आगे बढ़ते हैं. नीदरलैंड्स के डिफ़ेंडर्स खरगोशों की तरह सतर्क हो जाते हैं. इसी स्थिति का सामना करने के लिए तो वे इतने दिनों से प्रशिक्षण कर रहे हैं.
तीन डिफ़ेंडर्स मेस्सी को मैन-मार्क कर रहे हैं. इनमें दुनिया के आलातरीन डिफ़ेंडर वर्जिल वान डाइक भी हैं- लिवरपूल के सेंटर हाफ़. मेस्सी के पास गेंद को पास करने की कोई जगह नहीं है. राइट फ़्लैन्क में मोलीना ने एक रन निकाला है. मेस्सी ने उन्हें देखा नहीं है. या शायद देख लिया है, जाने कैसे! क्या उनके दिमाग़ में सेंसर्स लगे हैं? या वे अपनी पीठ से देख सकते हैं?
वे मोलीना को एक डिफ़ेंस-स्प्लिटिंग पास देते हैं, जाने कैसे. ताला खुल जाता है. गेंद ख़ुद को मोलीना के पैरों के नीचे पाती है. वे गोलची के सामने वन-ऑन-वन हैं और तमाम नाकेबंदियाँ खुल गई हैं. सात फुटे डिफ़ेंडर्स हवाओं की मीनारों में तब्दील हो गए हैं और अब केवल मूकदर्शक हैं. गोsssssssल... अर्जेंटीना 1- नीदरलैंड्स 0... यह फ़ुटबॉल है!
स्पेस में एक असम्भव...
विश्वकप क्वॉर्टर फ़ाइनल: अर्जेंटीना बनाम नीदरलैंड्स! एक क्लासिक वर्ल्ड कप एनकाउंटर जो बीते पचास सालों में कभी सनसनीख़ेज़ से कम नहीं रहा है. दोनों टीमें एक-दूसरे को एक इंच जगह देने को राज़ी नहीं थीं. अर्जेंटीना 5-3-2 के फ़ॉर्मेशन से खेल रही है, नीदरलैंड्स 3-4-1-2 के साथ. प्रॉपर मिड ब्लॉक है. बैक थ्री हैं. गेंद तो दूर हवा भी इस मोर्चेबंदी से होकर गुज़र नहीं सकती. वैसे में एक टच ऑफ़ जीनियस ही चीज़ों को बदल सकता है.
अर्जेंटीना की टीम में बहुत बड़े सितारे नहीं हैं सिवाय नम्बर 10 की जर्सी वाले के. कमेंटेटर्स कह रहे हैं, दे डोंट हैव मच, बट दे हैव हिम. हिम यानी लियोनल मेस्सी. खेल के 35वें मिनट में मेस्सी गेंद लेकर आगे बढ़ते हैं. नीदरलैंड्स के डिफ़ेंडर्स खरगोशों की तरह सतर्क हो जाते हैं. इसी स्थिति का सामना करने के लिए तो वे इतने दिनों से प्रशिक्षण कर रहे हैं.
तीन डिफ़ेंडर्स मेस्सी को मैन-मार्क कर रहे हैं. इनमें दुनिया के आलातरीन डिफ़ेंडर वर्जिल वान डाइक भी हैं- लिवरपूल के सेंटर हाफ़. मेस्सी के पास गेंद को पास करने की कोई जगह नहीं है. राइट फ़्लैन्क में मोलीना ने एक रन निकाला है. मेस्सी ने उन्हें देखा नहीं है. या शायद देख लिया है, जाने कैसे! क्या उनके दिमाग़ में सेंसर्स लगे हैं? या वे अपनी पीठ से देख सकते हैं?
वे मोलीना को एक डिफ़ेंस-स्प्लिटिंग पास देते हैं, जाने कैसे. ताला खुल जाता है. गेंद ख़ुद को मोलीना के पैरों के नीचे पाती है. वे गोलची के सामने वन-ऑन-वन हैं और तमाम नाकेबंदियाँ खुल गई हैं. सात फुटे डिफ़ेंडर्स हवाओं की मीनारों में तब्दील हो गए हैं और अब केवल मूकदर्शक हैं. गोsssssssल... अर्जेंटीना 1- नीदरलैंड्स 0... यह फ़ुटबॉल है!
स्पेस में एक असम्भव गलियारे की खोज जब तमाम गुंजाइशें खंख हो रही हों- यही फ़ुटबॉल है. दूसरे हाफ़ में मेस्सी की एक सर्पिल फ्री-किक क्रॉस बार को चूमते हुए निकल जाती है. उनकी एक अन्य थ्रू-बॉल डिफ़ेंस की कलई खोल देती है. येलो कार्ड की बरखा हो रही है. एक्यूना को पेनल्टी बॉक्स में फ़ाउल किया जाता है और रैफ़री सीटी बजा देता है. मेस्सी पेनल्टी को गोल में तब्दील करने में कोई भूल नहीं करते. यह 73वाँ मिनट है और अर्जेंतीना दो गोल से आगे है. यहाँ से कोई वापसी नीदरलैंड्स के लिए सम्भव नहीं.
या शायद, सम्भव है. 83वें मिनट में वेगहोर्स्ट गोल करते हैं और खेल बदल जाता है. खेल की लय बदल जाती है. 90 मिनट पूरे होने में सात मिनट शेष हैं. अर्जेंटीना सोच रही है- 3-1 की लीड के लिए खेलें या 2-1 की लीड को बचाने के लिए? अगर नीदरलैंड्स ने एक और गोल कर दिया तो खेल अतिरिक्त समय में चला जाएगा. तब अर्जेंटीना मिडफ़ील्डर परीडेस एक भारी भूल कर बैठते हैं. गेंद को क्लीयर करते समय वे उसे नीदरलैंड्स की बेंच पर दे मारते हैं. हल्ला-गुल्ला, हाथापाई शुरू हो जाती है. खेल रुक जाता है. 90 मिनट पूरे होने के बाद इसकी भरपाई बतौर 10 मिनट का अतिरिक्त समय खेल में जोड़ा जाता है. 10 मिनट! फ़ुटबॉल में यह अनंतकाल है.
10 मिनट पूरे होने में पंद्रह सेकंड शेष हैं कि अर्जेंटीना नीदरलैंड्स को फ़ॉउल कर देती है. फ्री-किक दी जाती है. यह गेम की आख़िरी किक है. यक़ीनन, नीदरलैंड्स इसे गोल में तब्दील नहीं कर सकती. हो ही नहीं सकता. किन्तु हो जाता है. 101वें मिनट का इक्वेलाइज़र आता है. वेगहोर्स्ट एक सनसनीख़ेज़ फ्री-किक रूटीन का मुज़ाहिरा करते हैं, जो ट्रेनिंग सेशंस में किसी शैतानी कल्पना की उपज रही होगी.
जब एक वॉल फ्री-किक को डिफ़ेंड करे तो उसके नीचे से गेंद को सरका दो, बेसिकली एक पास दे दो, गोलची के चेहरे के सामने स्ट्राइकर को धकेल दो, सीधा-सरल गोल करो, खेल बदल दो. खेल बदल जाता है. एक मिनट पहले अर्जेंटीना सेमीफ़ाइनल में पहुँचने का जश्न मना रही थी, एक मिनट बाद खेल बराबरी पर समाप्त हो गया है और अब आपको 30 मिनट एक्स्ट्रा टाइम खेलना है. यह फ़ुटबॉल है!
यही फ़ुटबॉल है कि एक्स्ट्रा टाइम में चंद इंचों और सेंटीमीटरों से खेल की तुला दाएँ-बाएँ दोलती रहती है. पर कोई गोल नहीं आता. खेल पेनल्टी शूटआउट में जाता है. अब दारोमदार दोनों गोलचियों पर है. तमाम फ़ॉर्मेशंस, व्यूह-रचनाएँ हवा हो चुकी हैं. कौन गेंद को रोक सकता है, कौन पेनल्टी दाग़ सकता है, इस पर सब निर्भर करता है. अर्जेंटीना ने सिम्पल काम किया. उसने अपने हिस्से के गोल किए और उनके गोलची एमी मार्तीनेज़ ने डचों के गोल रोके.
मार्तीनेज़ एक दैत्य है, जो प्रतिपक्षियों पर ठहाके लगाना पसंद करता है. गोल रोककर वह बीच मैदान बेशर्मी से नाचता भी है. मार्तीनेज़ ने कल यह सब किया. लेकिन किसी को फ़िक्र नहीं थी. 3 गोल के मुक़ाबले 4 गोल करके अर्जेंटीना ने पेनल्टी शूटआउट जीत लिया था. वे सेमीफ़ाइनल में पहुँच गए थे. विश्व-विजय का स्वप्न अभी-अभी यहीं था, अभी-अभी विलीन हो रहा था, अब फिर वह यथावत है. यह फ़ुटबॉल है!
विश्वकप के इतिहास में जब-जब अर्जेंटीना और नीदरलैंड्स भिड़े, कुछ हंगामा ही हुआ. 1974 में योहान क्राएफ़ के क्लॉकवर्क ऑरेंज ने अर्जेंटीना को 4-1 से रौंद दिया था, 1978 के फ़ाइनल में मारिया केम्पेस की अर्जेंटीना ने नीदरलैंड्स को हराकर इसका बदला चुकाया. 1998 में नीदरलैंड्स ने फिर अर्जेंटीना को नॉकआउट कर दिया, देनीस बेर्गकैम्प ने फ़ुटबॉल के इतिहास के सबसे लेजेंडरी गोलों में से एक किया- थ्री ऑफ़ द फ़ाइनेस्ट टचेस एवर... 2014 में अर्जेंटीना ने फिर बढ़त ली और सेमीफ़ाइनल में लुई वान हॉल की नीदरलैंड्स को पेनल्टी शूटऑउट में हरा दिया.
इसी मैच में हावीयर मैशेरानो ने आर्येन रॉबेन को वह युगांतरकारी टेकल किया था, जो किंवदंतियों में शुमार है. उन्हीं लुई वान हॉल की टीम को बीती रात उन्हीं लियो मेस्सी की अर्जेंटीना ने नॉकआउट किया. दर्शक दीर्घा में 1978 के हीरो मारियो केम्पेस मौजूद थे, 1986 के नायक ख़ोर्ख़े वाल्दानो भी करतलध्वनि से अभिवादन कर रहे थे. शायद डिएगो माराडोना की आत्मा भी आकाश से आशीष दे रही हो, फूल बरसा रही हो...
यह फ़ुटबॉल है!यह विश्वकप है! यह अर्जेंटीना है! यह उन्माद है!और... मेस्सी का मुकुट अब केवल दो मैच दूर है! इससे ज़्यादा कहने को कुछ नहीं!वामोस अर्ख़ेन्तीना, वीस्का एल कातालून्या, वीवा लियो मेस्सी, वीवा फ़ुटबोल...
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.