टीम इंडिया ने एशिया में फिर से अपनी बादशाहत साबित करते हुए एशिया कप जीत लिया है. हालांकि, इस जीत के लिए टीम को काफी संघर्ष करना पड़ा. टीम को बांग्लादेश के खिलाफ 222 रन का मामूली लक्ष्य हासिल करने के लिए भी मैच की आखिरी गेंद का इंतजार करना पड़ा. इससे पहले भी अफ़ग़ानिस्तान के खिलाफ मुक़ाबले में भी टीम को जीत नहीं मिल सकी और टीम को टाई से ही संतोष करना पड़ा था.
हालांकि, इनके पहले के मैचों में टीम बांग्लादेश और पाकिस्तान के खिलाफ एकतरफा जीत दर्ज करने में भी सफल रही थी. कुल मिलाकर इस टूर्नामेंट में जो एक बात फिर से देखने को मिली वो यह कि टीम का मध्यक्रम अभी भी टीम की कमजोर कड़ी बनी हुई है, या यूँ कहें की टीम अभी भी मध्यक्रम के लिए बल्लेबाज तय ही नहीं कर पा रही है. पिछले कुछ समय में यह टीम की एक नयी बीमारी बन के उभरी की टीम का मध्यक्रम जरूरी मौकों पर टीम के काम नहीं आ पा रहा है.
टीम ने इस दौरान मध्यक्रम में कई बल्लेबाजों को मौके भी दिए मगर अब तक यह तय ही नहीं लगता कि टीम में नंबर 5, 6 और 7 पर आखिर कौन से बल्लेबाज खेलते नजर आएंगे. भारतीय टीम इन अहम जगहों को भरने के लिए अजिंक्य रहाणे, अम्बाती रायडू, केदार जाधव, के. एल. राहुल, महेंद्र सिंह धोनी, हार्दिक पंड्या, दिनेश कार्तिक, मनीष पांडेय, रविंद्र जडेजा समेत कई अन्य खिलाड़ियों को लेकर उठापठक करते दिखी है. बावजूद इसके हर टूर्नामेंट में भारतीय टीम का मध्यक्रम 'आजमाओ और खिलाओ' वाले फॉर्मूले पर ही चलती दिखी. भारतीय टीम के ऊपर के तीन बल्लेबाज रोहित शर्मा, शिखर धवन और विराट कोहली जिस किसी भी मैच में फेल होते हैं उन मैचों में भारतीय टीम की हालत दयनीय हो जाती है. जिन मैचों में ऊपरी बल्लेबाज रन बनाते हैं उनमे टीम काफी मजबूत दिखने लगती है.
टीम इंडिया ने एशिया में फिर से अपनी बादशाहत साबित करते हुए एशिया कप जीत लिया है. हालांकि, इस जीत के लिए टीम को काफी संघर्ष करना पड़ा. टीम को बांग्लादेश के खिलाफ 222 रन का मामूली लक्ष्य हासिल करने के लिए भी मैच की आखिरी गेंद का इंतजार करना पड़ा. इससे पहले भी अफ़ग़ानिस्तान के खिलाफ मुक़ाबले में भी टीम को जीत नहीं मिल सकी और टीम को टाई से ही संतोष करना पड़ा था.
हालांकि, इनके पहले के मैचों में टीम बांग्लादेश और पाकिस्तान के खिलाफ एकतरफा जीत दर्ज करने में भी सफल रही थी. कुल मिलाकर इस टूर्नामेंट में जो एक बात फिर से देखने को मिली वो यह कि टीम का मध्यक्रम अभी भी टीम की कमजोर कड़ी बनी हुई है, या यूँ कहें की टीम अभी भी मध्यक्रम के लिए बल्लेबाज तय ही नहीं कर पा रही है. पिछले कुछ समय में यह टीम की एक नयी बीमारी बन के उभरी की टीम का मध्यक्रम जरूरी मौकों पर टीम के काम नहीं आ पा रहा है.
टीम ने इस दौरान मध्यक्रम में कई बल्लेबाजों को मौके भी दिए मगर अब तक यह तय ही नहीं लगता कि टीम में नंबर 5, 6 और 7 पर आखिर कौन से बल्लेबाज खेलते नजर आएंगे. भारतीय टीम इन अहम जगहों को भरने के लिए अजिंक्य रहाणे, अम्बाती रायडू, केदार जाधव, के. एल. राहुल, महेंद्र सिंह धोनी, हार्दिक पंड्या, दिनेश कार्तिक, मनीष पांडेय, रविंद्र जडेजा समेत कई अन्य खिलाड़ियों को लेकर उठापठक करते दिखी है. बावजूद इसके हर टूर्नामेंट में भारतीय टीम का मध्यक्रम 'आजमाओ और खिलाओ' वाले फॉर्मूले पर ही चलती दिखी. भारतीय टीम के ऊपर के तीन बल्लेबाज रोहित शर्मा, शिखर धवन और विराट कोहली जिस किसी भी मैच में फेल होते हैं उन मैचों में भारतीय टीम की हालत दयनीय हो जाती है. जिन मैचों में ऊपरी बल्लेबाज रन बनाते हैं उनमे टीम काफी मजबूत दिखने लगती है.
भारतीय टीम ने हाल के दिनों में जितने भी मैच जीतें हैं उनमे ज्यादतर मौकों पर या तो टीम को ऊपरी क्रम के बल्लेबाजों ने या गेंदबाजों ने जीत दिलाई है, मध्यक्रम अहम मौकों पर प्रदर्शन करने में नाकाम ही रहा है. अब जबकि क्रिकेट विश्वकप को 6 महीने के लगभग ही समय बचा है, ऐसे में टीम का मध्यक्रम तक तय ना हो पाना काफी गंभीर समस्या लगती है.
वैसे वर्ल्ड कप में धोनी और हार्दिक पंड्या का खेलना तय ही माना जा रहा है लेकिन मिडल ऑर्डर के बाकी दो स्थानों के लिए अंबाती, मनीष पांडे और केदार जाधव, रविंद्र जडेजा जैसे कुछ दावेदार मौजूद हैं. भारतीय टीम को अब अगला मुकाबला वेस्टइंडीज से करना है फिर उसके बाद टीम ऑस्ट्रेलिया के लिए रवाना हो जाएगी. ऐसे में समय रहते अगर यह तय हो जाये कि विश्वकप में संभावित टीम संयोजन क्या होगा तो यह ना केवल उन खिलाड़ियों के लिए बेहतर होगा बल्कि यह चीज भारतीय टीम के विश्वकप जीतने के संभावनाओं को भी बढ़ा सकती है.
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