एशिया कप शुरू होने से पहले एक स्थानीय पत्रकार ने बांग्लादेशी कप्तान मशरफे मुर्तजा से कहा था, 'आप एशिया कप में एक भी मैच नहीं जीत पाएंगे.' मुर्तजा सिर्फ मुस्कुराए और तब तक इंतजार किया जब तक बांग्लादेश श्रीलंका और पाकिस्तान जैसी बड़ी टीमों को हराकर फाइनल में जगह नहीं बना ली. बाद में जब इसी पत्रकार ने मुर्तजा से पूछा कि, यह सफर कितना मुश्किल था? तो मुर्तजा ने मुस्कुराते हुए कहा, 'लेकिन आपने तो कहा था कि हम एक भी मैच नहीं जीतेंगे.' मुर्तजा के इसी शांत अंदाज के उनके देशवासी दीवाने हैं. भले ही वह टीम इंडिया के कप्तान कैप्टन कूल धोनी न हो लेकिन बांग्लादेश क्रिकेट के लीजेंड जरूर हैं.
शायद यही वजह कि रविवार को जब एशिया कप के फाइनल में टीम इंडिया और बांग्लादेश की भिड़ंत होगी तो ये दोनों देशों के कप्तानों के बीच भी रोचक जंग होगी. हाल के वर्षों में बांग्लादेश क्रिकेट जिस तरह फर्श से अर्श पर पहुंची है उससे यह मुकाबला और भी दिलचस्प हो जाता है. धोनी के लिए भी यह उस दर्द का बदला चुकता करने का मौका होगा जो पिछले वर्ष उन्हें बांग्लादेश के हाथों उसकी धरती पर वनडे सीरीज गंवाकर मिला था. यह टीम इंडिया की बांग्लादेश के हाथों पहली सीरीज हार थी और निश्चित तौर पर बेहद सफल रहे कैप्टन धोनी के करियर के सबसे निराशाजनक पलों में से एक.
बांग्लादेश ने सबको चौंकाया:
अगर दो हफ्ते पहले किसी क्रिकेट फैन से यह पूछा जाता कि एशिया कप फाइनल मुकाबले में टीम इंडिया के साथ किसकी भिड़ंत हो सकती है, तो बिना एक पल भी गंवाए उसका जवाब होता है पाकिस्तान या श्रीलंका. वैसे भी जिस टूर्नामेंट में भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी टीमें खेल रही हों वहां बांग्लादेश के फाइनल में पहुंचने की उम्मीद तो बड़े-बड़े क्रिकेट पंडित भी शायद ही कर पाएं.
लेकिन सारी संभावनाओं को धता बताते हुए और खुद के बारे में की गई सभी नकारात्मक टिप्पणियों को गलत साबित करते हुए बांग्लादेश ने फाइनल में जगह बनाकर न सिर्फ क्रिकेट पंडितों बल्कि खुद अपने देशवासियों को भी सुखद...
एशिया कप शुरू होने से पहले एक स्थानीय पत्रकार ने बांग्लादेशी कप्तान मशरफे मुर्तजा से कहा था, 'आप एशिया कप में एक भी मैच नहीं जीत पाएंगे.' मुर्तजा सिर्फ मुस्कुराए और तब तक इंतजार किया जब तक बांग्लादेश श्रीलंका और पाकिस्तान जैसी बड़ी टीमों को हराकर फाइनल में जगह नहीं बना ली. बाद में जब इसी पत्रकार ने मुर्तजा से पूछा कि, यह सफर कितना मुश्किल था? तो मुर्तजा ने मुस्कुराते हुए कहा, 'लेकिन आपने तो कहा था कि हम एक भी मैच नहीं जीतेंगे.' मुर्तजा के इसी शांत अंदाज के उनके देशवासी दीवाने हैं. भले ही वह टीम इंडिया के कप्तान कैप्टन कूल धोनी न हो लेकिन बांग्लादेश क्रिकेट के लीजेंड जरूर हैं.
शायद यही वजह कि रविवार को जब एशिया कप के फाइनल में टीम इंडिया और बांग्लादेश की भिड़ंत होगी तो ये दोनों देशों के कप्तानों के बीच भी रोचक जंग होगी. हाल के वर्षों में बांग्लादेश क्रिकेट जिस तरह फर्श से अर्श पर पहुंची है उससे यह मुकाबला और भी दिलचस्प हो जाता है. धोनी के लिए भी यह उस दर्द का बदला चुकता करने का मौका होगा जो पिछले वर्ष उन्हें बांग्लादेश के हाथों उसकी धरती पर वनडे सीरीज गंवाकर मिला था. यह टीम इंडिया की बांग्लादेश के हाथों पहली सीरीज हार थी और निश्चित तौर पर बेहद सफल रहे कैप्टन धोनी के करियर के सबसे निराशाजनक पलों में से एक.
बांग्लादेश ने सबको चौंकाया:
अगर दो हफ्ते पहले किसी क्रिकेट फैन से यह पूछा जाता कि एशिया कप फाइनल मुकाबले में टीम इंडिया के साथ किसकी भिड़ंत हो सकती है, तो बिना एक पल भी गंवाए उसका जवाब होता है पाकिस्तान या श्रीलंका. वैसे भी जिस टूर्नामेंट में भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी टीमें खेल रही हों वहां बांग्लादेश के फाइनल में पहुंचने की उम्मीद तो बड़े-बड़े क्रिकेट पंडित भी शायद ही कर पाएं.
लेकिन सारी संभावनाओं को धता बताते हुए और खुद के बारे में की गई सभी नकारात्मक टिप्पणियों को गलत साबित करते हुए बांग्लादेश ने फाइनल में जगह बनाकर न सिर्फ क्रिकेट पंडितों बल्कि खुद अपने देशवासियों को भी सुखद आश्चर्य में डाला है. और हां, ये प्रदर्शन महज तुक्का नहीं है, बल्कि बांग्ला शेरों ने अपने प्रदर्शन से इसे हासिल किया है और खुद को इसका हकदार साबित किया है. क्या सिर्फ तुक्के के बल पर लगातार श्रीलंका और पाकिस्तान को हराया जा सकता है. लेकिन बांग्लादेश ने बाखूबी यह कर दिखाया है.
एशिया कप के इस फाइनल को दो ऐसी टीमों के बीच की जंग माना जा रहा है जिसमें एक क्रिकेट की दुनिया की महाशक्ति है तो दूसरे के हालिया प्रदर्शन को छोड़ दे तो वह नौसिखिया ही मानी जाती है. भले ही बांग्लादेश की टीम ने पिछले कुछ महीनों में वनडे क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन किया हो और टीम इंडिया को भी मात दी हो लेकिन अभी भी टी20 क्रिकेट में टीम इंडिया के मुकाबले वह कहीं नहीं ठहरती है. तो क्या एशिया कप का फाइनल एकतरफा मुकाबला होने जा रहा है और धोनी की टीम का चैंपियन बनना लगभग तय है. तो जवाब है, जी नहीं, क्योंकि आप बांग्लादेश को फेवेरिट भले ही न मानें लेकिन उसकी संभावनाओं को पूरी तरह खारिज भी नहीं कर सकते हैं.
टीम इंडिया प्रबल दावेदार, लेकिन बांग्लादेश भी रेस में:
बेशक टीम इंडिया चैंपियन बनने की सबसे मजबूत दावेदर है लेकिन बांग्लादेश जिस फॉर्म में है और खासकर जब वह अपनी धरती पर खेल रहा हो तो टीम इंडिया तो क्या दुनिया की कोई भी टीम अपनी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं हो सकती है. वैसे तो इस एशिया कप में लीग मुकाबलों में हुई भिड़ंत में बाजी टीम इंडिया के हाथ रही थी और धोनी की टीम बांग्लादेश से कहीं ज्यादा मजबूत है, इसलिए टीम इंडिया चैंपियन बनने की प्रबल दावेदार है. लेकिन बांग्लादेश की संभावनाओं को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता है. और चौंकिएगा मत, अगर बांग्लादेश पहली बार एशिया कप के खिताब पर कब्जा कर ले.
क्यों जीत सकता है बांग्लादेश एशिया कप का फाइनल:
इसकी वजहें भी हैं, सबसे बड़ी वजह है अपने घर में खेलना और अपनी पिचों को विपक्षी टीम से ज्यादा बेहतर समझना. दूसरी वजह बांग्लादेशी टीम की फॉर्म है, श्रीलंका से लेकर पाकिस्तान के खिलाफ जीत में गेंदबाजी से लेकर बल्लेबाजी तक बांग्लादेश ने अपनी छाप छोड़ी. बल्लेबाजी में तमीम इकबाल, सौम्य सरकार, शब्बीर रहमान, मुशफिकुर रहीम, शाकिब अल हसन जैसे खिलाड़ी हैं तो वहीं गेंदबाजी में कप्तान मशरफे मुर्तजा से लेकर युवा सनसनी मुस्तफिजुर रहमान, तस्किन अहमद जैसे गेंदबाज किसी भी टीम की नींद उड़ा सकते हैं.
बांग्लादेशी टीम को जो एक और बात जीत के लिए प्रेरित करेगी वह है अपने कप्तान मशरफे मुर्तजा को पहली एशिया कप जीत के साथ विदाई, मुर्तजा ने टी20 वर्ल्ड कप के बाद संन्यास के संकेत दिए हैं. बांग्लादेश की टीम फाइनल में जीत हासिल करके 2012 के एशिया कप के फाइनल में जीत के करीब पहुंचकर भी पाकिस्तान के हाथों मिली हार के गम को भुलाने की कोशिश भी जरूर करेगी.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि धोनी के धुरंधर इस एशिया कप को जीतने के सबसे प्रबल दावेदार थे और अब भी हैं और अकेले विराट कोहली का चलना भी बांग्लादेश की जीत की उम्मीदों को धूमिल कर देगा. लेकिन बांग्लादेश में भी टीम इंडिया को चौंकाने का माद्दा है.
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