16 वीं शताब्दी में पहली बार दुनिया ने इंग्लैंड के लोगों को क्रिकेट खेलते देखा. फिर जैसे जैसे ब्रिटिश एम्पायर का विस्तार हुआ गेम भी दुनिया मे फैला. बात अगर पहले अंतरराष्ट्रीय मैच की हो तो पहला इंटरनेशनल मैच 19 वीं शताब्दी के मध्य में हुआ और इसे भी खेलने वाले 'गोरे' ही थे. तब जो खेल खेला जाता था वो आज से अलग था. फॉरमेट कुछ ऐसा और जिस सलीके से गेम होता था कि कहने वालों ने इसे नाम ही दे दिया 'Gentlemen Game' बात आगे बढ़ेगी लेकिन उससे पहले हमने जो क्रिकेट को गोरों का खेल बताया है उसे ध्यान में इसलिए भी रखियेगा क्योंकि जो ऑस्ट्रेलिया में भारतीय टीम के दो प्लेयर्स जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज के साथ हुआ है उसने जहां एक तरफ क्रिकेट से मुहब्बत करने वाले हम भारतीयों को एक बड़ा संदेश देते हुए आईना दिखाया है,बल्कि ये भी बताया कि अगर कहीं सबसे ज्यादा रंगभेद और नस्लवाद है तो वो जगह सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट का मैदान है. बता दें कि टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गयी है जहां तीसरे टेस्ट मैच के दूसरे और तीसरे दिन खिलाड़ियों पर ऐसी टिप्पणियां हुई है जिसने Gentlemen Game कहे जाने वाले क्रिकेट को सवालों के घेरे में डाल दिया है. मामले पर लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं जिससे एक खेल के रूप में क्रिकेट शर्मसार हुआ है.
ध्यान रहे कि तीसरे टेस्ट मैच में मोहम्मद सिराज फाइन लेग बाउंड्री की ओर फील्डिंग कर रहे थे. सिराज के पीछे टीम ऑस्ट्रेलिया के जो फैंस बैठे थे उन्होंने टीम इंडिया के खिलाड़ियों के ऊपर नस्लीय टिप्पणी तो की ही साथ ही प्लेयर्स को गालियां भी दी गईं. सिराज के अलावा बुमराह की भी शिकायत ने ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड की मुश्किलों को बढ़ा दिया है.
वहीं ऑस्ट्रेलिया में इस घटना को एक...
16 वीं शताब्दी में पहली बार दुनिया ने इंग्लैंड के लोगों को क्रिकेट खेलते देखा. फिर जैसे जैसे ब्रिटिश एम्पायर का विस्तार हुआ गेम भी दुनिया मे फैला. बात अगर पहले अंतरराष्ट्रीय मैच की हो तो पहला इंटरनेशनल मैच 19 वीं शताब्दी के मध्य में हुआ और इसे भी खेलने वाले 'गोरे' ही थे. तब जो खेल खेला जाता था वो आज से अलग था. फॉरमेट कुछ ऐसा और जिस सलीके से गेम होता था कि कहने वालों ने इसे नाम ही दे दिया 'Gentlemen Game' बात आगे बढ़ेगी लेकिन उससे पहले हमने जो क्रिकेट को गोरों का खेल बताया है उसे ध्यान में इसलिए भी रखियेगा क्योंकि जो ऑस्ट्रेलिया में भारतीय टीम के दो प्लेयर्स जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज के साथ हुआ है उसने जहां एक तरफ क्रिकेट से मुहब्बत करने वाले हम भारतीयों को एक बड़ा संदेश देते हुए आईना दिखाया है,बल्कि ये भी बताया कि अगर कहीं सबसे ज्यादा रंगभेद और नस्लवाद है तो वो जगह सिर्फ और सिर्फ क्रिकेट का मैदान है. बता दें कि टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गयी है जहां तीसरे टेस्ट मैच के दूसरे और तीसरे दिन खिलाड़ियों पर ऐसी टिप्पणियां हुई है जिसने Gentlemen Game कहे जाने वाले क्रिकेट को सवालों के घेरे में डाल दिया है. मामले पर लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं जिससे एक खेल के रूप में क्रिकेट शर्मसार हुआ है.
ध्यान रहे कि तीसरे टेस्ट मैच में मोहम्मद सिराज फाइन लेग बाउंड्री की ओर फील्डिंग कर रहे थे. सिराज के पीछे टीम ऑस्ट्रेलिया के जो फैंस बैठे थे उन्होंने टीम इंडिया के खिलाड़ियों के ऊपर नस्लीय टिप्पणी तो की ही साथ ही प्लेयर्स को गालियां भी दी गईं. सिराज के अलावा बुमराह की भी शिकायत ने ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड की मुश्किलों को बढ़ा दिया है.
वहीं ऑस्ट्रेलिया में इस घटना को एक बेहद सामान्य घटना मना जा रहा है और मामले पर ऑस्ट्रेलिया की बेशर्मी का अंदाजा दुनिया के महानतम तेज गेंदबाजों में शुमार ग्लेन मैक्ग्रा की उस कॉमेंट्री से लगाया जा सकता है जिसमें उन्होंने कहा था कि 'इन चीजों को इतना तूल नहीं देना चाहिए.'
सोचने वाली बात ये है कि ऐसा ही कुछ अगर भारत में टीम ऑस्ट्रेलिया या उसके किसी खिलाड़ी के साथ होता तो क्या ग्लेन मैक्ग्रा उसे इसी तरह हल्के में लेते? जवाब है नहीं. वहीं बात अगर ऑस्ट्रेलियाई टीम की बदसलूकी की हो तो माइक्रो ब्लॉगिंग वेब साइट ट्विटर पर ऐसे वीडियोज की भरमार है जिनमें ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट फैंस को भारतीय टीम के प्लेयर्स से बदसलूकी करते हुए देखा जा सकता है.
गौरतलब है कि सिराज ने पहले कप्तान अजिंक्य रहाणे, फिर ऑन-फील्ड अंपायर्स से फैंस के इस बर्ताव की शिकायत की थी. तब हालात कितने पेचीदा हुए थे इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तीसरे दिन का मैच करीब 10 मिनट तक के लिए डिले हुआ था और नौबत सिक्योरिटी बुलाने की आ गई थी जिनकी मदद से अराजकता करने वाले दर्शकों को बाहर का रास्ता दिखाया गया. दिल खेल रोकना पड़ी.
शायद आपका सुनकर हैरानी हो ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट फैंस ने भारतीय टीम के सदस्यों मोहम्मद सिराज और जसप्रीत बुमराह के लिए काला कुत्ता, मंकी, वैंकर जैसे शब्द तो इस्तेमाल किये ही साथ ही उन्हें एक से एक गंदी गालियां दी गईं. चूंकि बात वाक़ई गंभीर है थी जिसे टीम इंडिया के किसी भी सदस्य ने हल्के में नहीं लिया ऑस्ट्रेलियाई के हाथ पांव फूलना स्वाभाविक था.
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड ने भारतीय टीम से माफी मांगते हुए मामेल की समानांतर जांच की बात कही है. क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के सिक्योरिटी और इंटेग्रिटी हेड की तरफ से भी मामले के मद्देनजर बयान आया है. बयान में कहा गया है कि 'सीरीज के मेजबान के रूप में हम उन्हें (भारतीय खिलाड़ियों) विश्वास दिलाते हैं कि हम पूरी तरह से मामले की जांच करेंगे.'
मामले ने टीम इंडिया के कैप्टन विराट कोहली को गंभीर रूप से दुखी किया है. ट्विटर पर अपना गुस्सा दिखाते हुए कोहली ने लिखा है कि 'नस्लभेदी अपशब्द किसी रूप में स्वीकार्य नहीं हैं. बाउंड्री लाइन्स पर बेहद घटिया बातें कही जा चुकी हैं, पहले ऐसी कई घटनाओं से मैं दो-चार हुआ हूं, यह बेहद बुरा बर्ताव है. मैदान पर ऐसा होते हुए देखना बेहद दुखद है.'
एक ऐसे समय में जब दुनिया के पास लड़ने झगड़ने और बहस के लिए तमाम तरह के मुद्दे हों यदि ऑस्ट्रेलियाई फैंस रंग को लेकर दूसरे देश से उलझ रहे हैं तो ये खुद में साफ हो जाता है कि भले ही दुनिया विशेषकर साउथ एशिया के लोग क्रिकेट से कितनी मुहब्बत क्यों न कर लें मगर 'गोरों' को लगता है कि ये खेल उनकी बपौती है.
घटना एक खेल के रूप में केवल क्रिकेट बल्कि सम्पूर्ण मानवता को शर्मसार करती है.साथ ही घटना ये भी बताती है कि जब खिलाड़ियों के अलावा फैंस तक अपने दिल में इतनी नफरत पालें हों तो अगर हम क्रिकेट को जेंटल मेन गेम कह रहे हैं तो हम किसी और के नहीं बल्कि अपने आपके साथ धोखा कर रहे हैं. अंत में बस इतना ही कि दलीलें जितनी भी क्यों न दे दी जाएं लेकिन सच्चाई यही है कि क्रिकेट के लिए हम भारतीय अभी सौतेले ही हैं वो हमें अपनाएगा मगर थोड़ा वक़्त लगेगा.
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