जिस देश में क्रिकेट का रुतबा धर्म जैसा या शायद उससे भी बढ़ कर हो, वहां अमूमन ऐसा होता नहीं. आधी रात से कुछ पहले जब दीपा कर्माकर ने ब्राजील के रियो में वॉल्ट फाइनल (जिमनास्टिक) के लिए दौड़ना शुरू किया, तो उनके साथ करोड़ो लोगों के सीने में धड़क रहा दिल भी उम्मीदों की पटरी पर दौड़ने लगा था.
दीपा बेशक ओलंपिक का मेडल भारत की झोली में डालने से चूक गई हों लेकिन उन्होंने इस देश की कई लड़कियों को, कई युवाओं को एक सपना दे दिया. ये बात इसलिए क्योंकि जिमनास्टिक जैसे खेल को हमारे देश में कितने लोग जानते हैं, ये जवाब बहुत मुश्किल नहीं.
यह भी पढ़ें- रियो ओलंपिक तक का सफर कैसे तय किया दीपा कर्माकर ने
फिर आखिर क्या कारण था कि पूरा देश आधी रात को टीवी से चिपका हुआ था. हम मेडल से चूक गए फिर भी क्यों हर आम से लेकर खास दीपा की तारीफ करता नहीं थक रहा. तो जवाब सीधा है. उन्होंने अपनी प्रतिभा से लाखों लोगों के भीतर उस खेल को लेकर रोमांच पैदा कर दिया जिसकी एबीसीडी भी वो नहीं जानते थे. अब भी नहीं जानते. लेकिन, बड़े खिलाड़ी की पहचान ही यही होती है कि वो अपनी प्रतिभा से किसी खेल को ही एवरेस्ट सी ऊंचाइयों पर पहुंचा देता है.
रियो ओलंपिक में दीपा |
दीपा की इसलिए भी दाद देनी चाहिए कि उन्होंने उस देश में यह मुकाम हासिल किया है, जहां दुनिया के स्तर के जिम्नास्ट बनाने वाला इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है. अब भी यह इस देश में...
जिस देश में क्रिकेट का रुतबा धर्म जैसा या शायद उससे भी बढ़ कर हो, वहां अमूमन ऐसा होता नहीं. आधी रात से कुछ पहले जब दीपा कर्माकर ने ब्राजील के रियो में वॉल्ट फाइनल (जिमनास्टिक) के लिए दौड़ना शुरू किया, तो उनके साथ करोड़ो लोगों के सीने में धड़क रहा दिल भी उम्मीदों की पटरी पर दौड़ने लगा था.
दीपा बेशक ओलंपिक का मेडल भारत की झोली में डालने से चूक गई हों लेकिन उन्होंने इस देश की कई लड़कियों को, कई युवाओं को एक सपना दे दिया. ये बात इसलिए क्योंकि जिमनास्टिक जैसे खेल को हमारे देश में कितने लोग जानते हैं, ये जवाब बहुत मुश्किल नहीं.
यह भी पढ़ें- रियो ओलंपिक तक का सफर कैसे तय किया दीपा कर्माकर ने
फिर आखिर क्या कारण था कि पूरा देश आधी रात को टीवी से चिपका हुआ था. हम मेडल से चूक गए फिर भी क्यों हर आम से लेकर खास दीपा की तारीफ करता नहीं थक रहा. तो जवाब सीधा है. उन्होंने अपनी प्रतिभा से लाखों लोगों के भीतर उस खेल को लेकर रोमांच पैदा कर दिया जिसकी एबीसीडी भी वो नहीं जानते थे. अब भी नहीं जानते. लेकिन, बड़े खिलाड़ी की पहचान ही यही होती है कि वो अपनी प्रतिभा से किसी खेल को ही एवरेस्ट सी ऊंचाइयों पर पहुंचा देता है.
रियो ओलंपिक में दीपा |
दीपा की इसलिए भी दाद देनी चाहिए कि उन्होंने उस देश में यह मुकाम हासिल किया है, जहां दुनिया के स्तर के जिम्नास्ट बनाने वाला इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है. अब भी यह इस देश में छोटा ही है. लेकिन उम्मीद है कि दीपा और उसके जगाए सपनों के जरिए सैकड़ों-हजारों लोग इससे जुड़ेंगे. वैसे, जिमनास्टिक से इतर दिलचस्प बात ये भी है कि जिस ट्विटर के जरिए हजारों-लाखों लोग दीपा को बधाई दिए जा रहे हैं, वो ट्विटर पर थी ही नहीं. हां, अब जाकर उन्होंने ट्विटर जरूर ज्वाइन कर लिया है. देखिए, दीपा ने फाइनल के बाद क्या कहा-
Hello everyone, very happy to connect with you all today through my team. Happy Independence Day! pic.twitter.com/6AW11EPPRe
— Dipa Karmakar (@DipaKarmakar) August 15, 2016
ट्विटर पर लोग तारीफ करते नहीं थक रहे-
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