फुटबॉल के महाकुम्भ यानी FIFA World Cup 2022 की शुरुआत हो गयी है. ये पहली बार है जब क़तर के रूप में किसी खाड़ी / मुस्लिम देश में फुटबॉल का महासमर हो रहा है और विवादों को सुर्ख़ियों में आने के पर्याप्त कारण मिल गए हैं. कई टीमें हैं. तमाम एक से बढ़कर एक खिलाड़ी हैं. कप पर कब्ज़ा किसका होगा? गोल्डन बूट किस खिलाड़ी के करियर ग्राफ को ऊपर ले जाएगा? सवाल कई हैं लेकिन इन पर बात करने से पहले हमारे लिए क़तर के कट्टरपंथी रवैये पर बात करना बहुत जरूरी हो जाता है. भले ही कतर में फीफा के इक्का दुक्का ही मैच हुए हों लेकिन एक ऐसे समय में जब फीफा के आयोजन के कारण क़तर और फुटबॉल को ट्रेंड करना चाहिए मुल्क का तुगलकी निजाम जरूर चर्चा में आ गया है. चाहे वो टूर्नामेंट के दौरान शराब के सेवन पर लगा प्रतिबंध, हो या फिर टूर्नामेंट के मद्देनजर एलजीबीटी और वेश्यावृति जैसे मसलों पर अपना क्लियर स्टैंड। क़तर पर लगातार यही आरोप लग रहे थे कि फुटबॉल की आड़ में वो इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहा है. फुटबॉल वर्ल्ड कप के दौरान क़तर अपने एजेंडे को कितनी शिद्दत से निभा रहा है इसकी पुष्टि तब और गहरी हो जाती है जब हम वर्ल्ड कप में इस्लामी प्रचार के लिए क़तर पहुंचे ज़ाकिर नायक को देखते हैं.
बताया जा रहा है कि धर्म का लबादा ओढ़कर अपने जहरीले भाषणों से माहौल बिगाड़ने के लिए मशहूर विवादित मुस्लिम उपदेशक जाकिर नाइक। क़तर के इशारे पर फुटबॉल वर्ल्ड कप देखने आए लोगों को तसल्लीबख्श तरीके से कन्वर्ट करने की फ़िराक में है. शायद आपको हैरत हो लेकिन ये एक ऐसा सच है जो मुस्लिम मुल्क कतर के चाल, चरित्र और चेहरे को संदेह के घेरों में डालता है.
गल्फ...
फुटबॉल के महाकुम्भ यानी FIFA World Cup 2022 की शुरुआत हो गयी है. ये पहली बार है जब क़तर के रूप में किसी खाड़ी / मुस्लिम देश में फुटबॉल का महासमर हो रहा है और विवादों को सुर्ख़ियों में आने के पर्याप्त कारण मिल गए हैं. कई टीमें हैं. तमाम एक से बढ़कर एक खिलाड़ी हैं. कप पर कब्ज़ा किसका होगा? गोल्डन बूट किस खिलाड़ी के करियर ग्राफ को ऊपर ले जाएगा? सवाल कई हैं लेकिन इन पर बात करने से पहले हमारे लिए क़तर के कट्टरपंथी रवैये पर बात करना बहुत जरूरी हो जाता है. भले ही कतर में फीफा के इक्का दुक्का ही मैच हुए हों लेकिन एक ऐसे समय में जब फीफा के आयोजन के कारण क़तर और फुटबॉल को ट्रेंड करना चाहिए मुल्क का तुगलकी निजाम जरूर चर्चा में आ गया है. चाहे वो टूर्नामेंट के दौरान शराब के सेवन पर लगा प्रतिबंध, हो या फिर टूर्नामेंट के मद्देनजर एलजीबीटी और वेश्यावृति जैसे मसलों पर अपना क्लियर स्टैंड। क़तर पर लगातार यही आरोप लग रहे थे कि फुटबॉल की आड़ में वो इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा दे रहा है. फुटबॉल वर्ल्ड कप के दौरान क़तर अपने एजेंडे को कितनी शिद्दत से निभा रहा है इसकी पुष्टि तब और गहरी हो जाती है जब हम वर्ल्ड कप में इस्लामी प्रचार के लिए क़तर पहुंचे ज़ाकिर नायक को देखते हैं.
बताया जा रहा है कि धर्म का लबादा ओढ़कर अपने जहरीले भाषणों से माहौल बिगाड़ने के लिए मशहूर विवादित मुस्लिम उपदेशक जाकिर नाइक। क़तर के इशारे पर फुटबॉल वर्ल्ड कप देखने आए लोगों को तसल्लीबख्श तरीके से कन्वर्ट करने की फ़िराक में है. शायद आपको हैरत हो लेकिन ये एक ऐसा सच है जो मुस्लिम मुल्क कतर के चाल, चरित्र और चेहरे को संदेह के घेरों में डालता है.
गल्फ से जुड़े तमाम अलग अलग अख़बारों और वेबसाइट्स पर नजर डालें तो उनमें बताया यही जा रहा है कि, फीफा वर्ल्ड कप 2022 में जाकिर हिंदू, ईसाई और अपने को नास्तिक कहने वाले लोगों से 'संवाद' करेगा। उनके प्रश्नों के जवाब देगा और यदि लोग वो लोग जाकिर नाइक की बातों और उसके तर्कों से संतुष्ट हुए तो ही उन्हें इस्लाम में आने की दावत दी जाएगी।
अब जबकि क़तर ने जाकिर खान को फीफा के लिए आमंत्रित कर ही लिया है. बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये सब करते हुए क़तर दुनिया को क्या दिखाना चाह रहा है. कहीं ऐसा तो नहीं कि अपनी इस वाहियात हरकत से क़तर दुनिया के सामने ये सन्देश देने की फ़िराक में हो कि 'मॉडर्न' होते हुए भी 'धार्मिक' हुआ जा सकता है?
जो भी हो. चाहे वो मेन स्ट्रीम मीडिया हो या फिर सोशल मीडिया क़तर का ये रवैया सवालों के घेरे में तो है ही.और हो भी क्यों न. ज़ाकिर नाइक का शुमार दुनिया के उन विवादित लोगों में है जिनकी बातों ने लोगों का कुछ इस हद तक ब्रेन वाश किया कि तमाम लोगों ने मानवता और भाईचारे का मार्ग छोड़कर आतंकवाद या ये कहें कि इस्लामी जिहाद को तरजीह दी.
बात जाकिर नाइक की चल रही है और उसकी करतूतों की चल रही है. तो हमारे लिए ये बता देना भी बहुत जरूरी है कि उसकी बातें कुछ इस हद तक आपत्तिजनक हैं कि उन्होंने कई मौकों पर लोगों को हिंसा के लिए प्रेरित किया है. बात भारत की हो तो भारत में 2016 के अंत में जाकिर नाइक को लेकर खूब घमासान मचा था.
तब जाकिर के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (IRF) को गैरकानूनी घोषित कर दिया था. बात अगर इस साल यानी 2022 की हो तो इसी वर्ष मार्च में, MHA ने जाकिर नाइक की संस्था IRF को एक गैरकानूनी संगठन घोषित किया और इसे पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था.
पीस टीवी का संस्थापक जाकिर नाइक किस हद तक शातिर है? कैसे ये भोले भाले लोगों के दिमाग से खेल रहा है इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि 2016 में जब बांग्लादेश की राजधानी ढाका में विस्फोट हुए और घटना के बाद जो आतंकी गिरफ्तार हुए थे, उन्होंने बताया था कि वह जाकिर नाइक के भाषणों से प्रभावित हैं. ज्ञात हो कि उस विस्फोट में 22 लोगों के मारे जाने की आधिकारिक पुष्टि हुई थी.इसके बाद भारत में जाकिर के खिलाफ मुंबई पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने मामले की जांच की थी. बाद में NIA ने मामले की इंवेस्टीगेशन की थी.
ध्यान रहे जिस वक़्त भारत में जाकिर नाइक को लेकर विवाद चल रहा था उस वक़्त उसकी संस्था IRF से जुड़ी एक रिपोर्ट भी खूब वायरल हुई जिसके अनुसार IRF के जरोये जाकिर नाइक ने 400 से 500 महिलाओं और पुरुषों का धर्मान्तरण किया था.
बहरहाल विषय क़तर का धर्म के प्रचार प्रसार के लिए जाकिर नाइक को फीफा वर्ल्ड कप 2022 के लिए आमंत्रित करना है तो कहना गलत नहीं है कि क़तर का ये रवैया हैरान परेशां करने वाला इसलिए भी है क्योंकि ये क़तर ही था जिसने पहले अपनी विवादित पेंटिंग से सुर्ख़ियों में आए एमएफ हुसैन को शरण दी फिर जब अभी हाल में ही जब भाजपा नेता नूपुर शर्मा ने पैगंबर मुहम्मद के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग किया तो ये क़तर ही था जिसने तमाम मुस्लिम मुल्कों के बीच भारत के खिलाफ मोर्चा खोला था.
बाकी जिस तरह जाकिर नाइक फीफा में धार्मिक उपदेश देने के लिए क़तर पहुंचा है. साफ़ है कि वहां भले ही टीमें आपस में फुटबॉल खेल रही हों. एक दूसरे पर गोल दाग रही हों ज़ाकिर नाइक अपना एक अलग ही फीफा खेल रहे हैं जिसका कप सीधा जन्नत है. जो जाकिर को मिले न मिले उनकी बातें सुनकर कन्वर्ट होने वाले को ज़रूर मिलेगा।
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