अमेरिका में जिमनास्टिक से जुड़े पूर्व डॉक्टर लैरी नासर को 175 साल की सजा सुनाई गई है. लैरी पर आरोप है कि उन्होंने कुल 156 लड़कियों का यौन शोषण किया है. जो भी लैरी नासर के खिलाफ आए अदालत के इस फैसले के बारे में सुन रहा है वह हैरान हो जा रहा है. लेकिन ऐसा नहीं है कि ऐसी घटनाएं और देशों में नहीं होती हैं. अगर सिर्फ भारत की ही बात की जाए तो 'भारतीय खेल प्राधिकरण' इस तरह की घटनाओं के लिए अक्सर ही चर्चा का विषय बना रहता है. जहां एक ओर भारत में सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल और मैरी कौम जैसी महिलाओं ने खेल की दुनिया में नाम कमाया है, वहीं दूसरी ओर भारत में भी 5 ऐसे 'लैरी नासर' हैं, जिन पर महिला खिलाड़ियों का यौन शोषण करने के आरोप तो लगे, लेकिन वह सब सिर्फ खबर बनकर ही रह गए. आइए जानते हैं इनके बारे में..
1- टीम में शामिल होने के लिए 'गंदी' मांगें
यूं तो हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है, लेकिन खेल के अलावा हॉकी गलत कारणों से भी चर्चा का विषय बनता रहा है. 2010 में कुछ महिला हॉकी खिलाड़ियों ने तत्कालीन चीफ कोच महाराज कृष्णन कौशिक पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. यह मामला तब सामने आया जब रंजीता देवी ने हॉकी इंडिया को एक ईमेल भेजा. ईमेल में उन्होंने यौन शोषण की बात करते हुए लिखा था कि उन्होंने कोच की मांगें पूरी नहीं कीं, इसलिए उन्हें टीम में शामिल नहीं किया गया. यह भी लिखा गया था कि कौशिक ने 1998 में बैंकॉक एशियन गेम्स में पुरुषों की टीम के कोच की भूमिका निभाई थी, जिसने गोल्ड मेडल जीता और इसी रुतबे के दम पर कौशिक ने खुद को बचा लिया. यौन शोषण के आरोपों के बाद कौशिक को इस्तीफा देना पड़ा था. कौशिक के खिलाफ हुई जांच में यह साबित नहीं हुआ कि उन्होंने किसी महिला खिलाड़ी का यौन शोषण किया. हालांकि, उन्हें अभद्र टिप्पणी करने और गलत भाषा इस्तेमाल करने का दोषी माना गया. इसके बाद उन्हें जुलाई 2013 में पुरुष हॉकी टीम के कोच के तौर पर चुना गया.
अमेरिका में जिमनास्टिक से जुड़े पूर्व डॉक्टर लैरी नासर को 175 साल की सजा सुनाई गई है. लैरी पर आरोप है कि उन्होंने कुल 156 लड़कियों का यौन शोषण किया है. जो भी लैरी नासर के खिलाफ आए अदालत के इस फैसले के बारे में सुन रहा है वह हैरान हो जा रहा है. लेकिन ऐसा नहीं है कि ऐसी घटनाएं और देशों में नहीं होती हैं. अगर सिर्फ भारत की ही बात की जाए तो 'भारतीय खेल प्राधिकरण' इस तरह की घटनाओं के लिए अक्सर ही चर्चा का विषय बना रहता है. जहां एक ओर भारत में सानिया मिर्जा, साइना नेहवाल और मैरी कौम जैसी महिलाओं ने खेल की दुनिया में नाम कमाया है, वहीं दूसरी ओर भारत में भी 5 ऐसे 'लैरी नासर' हैं, जिन पर महिला खिलाड़ियों का यौन शोषण करने के आरोप तो लगे, लेकिन वह सब सिर्फ खबर बनकर ही रह गए. आइए जानते हैं इनके बारे में..
1- टीम में शामिल होने के लिए 'गंदी' मांगें
यूं तो हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है, लेकिन खेल के अलावा हॉकी गलत कारणों से भी चर्चा का विषय बनता रहा है. 2010 में कुछ महिला हॉकी खिलाड़ियों ने तत्कालीन चीफ कोच महाराज कृष्णन कौशिक पर यौन शोषण का आरोप लगाया था. यह मामला तब सामने आया जब रंजीता देवी ने हॉकी इंडिया को एक ईमेल भेजा. ईमेल में उन्होंने यौन शोषण की बात करते हुए लिखा था कि उन्होंने कोच की मांगें पूरी नहीं कीं, इसलिए उन्हें टीम में शामिल नहीं किया गया. यह भी लिखा गया था कि कौशिक ने 1998 में बैंकॉक एशियन गेम्स में पुरुषों की टीम के कोच की भूमिका निभाई थी, जिसने गोल्ड मेडल जीता और इसी रुतबे के दम पर कौशिक ने खुद को बचा लिया. यौन शोषण के आरोपों के बाद कौशिक को इस्तीफा देना पड़ा था. कौशिक के खिलाफ हुई जांच में यह साबित नहीं हुआ कि उन्होंने किसी महिला खिलाड़ी का यौन शोषण किया. हालांकि, उन्हें अभद्र टिप्पणी करने और गलत भाषा इस्तेमाल करने का दोषी माना गया. इसके बाद उन्हें जुलाई 2013 में पुरुष हॉकी टीम के कोच के तौर पर चुना गया.
2- नेशनल लेवल जिम्नास्ट कोच पर यौन शोषण का आरोप
यौन शोषण के एक अन्य चौंकाने वाले मामले में जिम्नास्ट कोच मनोज राना और जिम्नास्ट चंदन पाठक के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. इन दोनों पर एशियन गेम्स 2014 के दौरान इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में एक महिला का यौन शोषण करने का आरोप था. 29 साल की महिला जिम्नास्ट ने आरोप लगाया था कि इन दोनों ने उनके कपड़ों को लेकर भद्दे कमेंट किए थे. इस शिकायत पर जिम्नास्ट फेडरेशन ऑफ इंडिया ने आश्वासन दिलाया था कि दोषी पाए जाने पर राना और पाठक के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा. पुलिस ने दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा सेक्शन 509 और सेक्शन 506 के तहत मुकदमा भी दर्ज किया.
3- महिला क्रिकेटर्स से सेक्शुअल फेवर की मांग
आंध्र प्रदेश में महिलाओं की क्रिकेट टीम ने 2009 में आंध्रा क्रिकेट एसोसिएशन के सेक्रेटरी वी चामुंडेश्वरनाथ पर आरोप लगाया कि उन्होंने सेक्शुअल फेवर की मांग की थी. इसके बाद आंध्रा क्रिकेट एसोसिएशन ने चामुंडेश्वर को जून में नौकरी से निकाल दिया और पुलिस ने उनके खिलाफ केस भी दर्ज किया था. यह शर्मनाक घटना तब सामने आई जब 6 महिला क्रिकेटर राज्य गृह मंत्री पी सबिता इंद्रा रेड्डी से मिलीं और अपनी परेशानी उन्हें बताई. इनमें से एक महिला क्रिकेटर मद्दीनेनी दुर्गा भवानी ने अक्टूबर 2015 में रहस्यमयी परिस्थितियों में आत्महत्या कर ली.
4- बॉक्सिंग भी नहीं रहा अछूता
तमिलनाडु बॉक्सिंग एसोसिएशन के सेक्रेटरी ए के करुणाकरन पर कांस्य पदक विजेता ई तुलसी ने दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था. उनका कहना था कि करुणाकरन ने नेशनल टीम में सेलेक्ट होने के लिए उनसे 'को-ऑपरेट' करने को कहा था. करुणाकर अपने असिस्टेंड के साथ मार्च 2011 में गिरफ्तार कर लिए गए, लेकिन चार दिन बाद ही करीब 25 बॉक्सिंग स्टूडेंट ने पुलिस से कहा कि तुलसी के आरोप झूठे हैं. एक अन्य बॉक्सिंग कोच आर सतीश्वरी ने तो तुलसी के चरित्र पर भी उंगली उठा दी. हालांकि, ई तुलसी अपनी बात पर कायम रहीं कि अच्छे प्रदर्शन के बावजूद उन्हें आने वाले टूर्नामेंट के लिए नहीं चुना गया, क्योंकि उन्होंने अधिकारी की सेक्शुअल फेवर मांग को ठुकरा दिया था.
5- स्टेडियम में ही महिला बॉक्सर ने की आत्महत्या
एक महिला बॉक्सर जो मैरी कॉम की तरह देश का नाम रोशन कर सकती थी, उसने कोच ओमकार यादव द्वारा कथित शोषण के चलते मौत को गले लगा लिया. 21 साल की एस अमरावती ने नवंबर 2009 में हैदराबाद के लाल बहादुर स्टेडियम में ही जहर खाकर जान दे दी थी. इसके बाद एक जांच भी की गई, लेकिन हॉस्टल के अधिकारियों ने इस तरह के आरोपों को गलत करार देते हुए कहा कि अमरावती में आत्मविश्वास की कमी थी.
इन सभी घटनाओं से यह तो साफ होता है कि यौन शोषण की घटनाएं भारत में भी खूब होती हैं, लेकिन अधिकतर महिलाएं चुपचाप सब सहती हैं. कुछ ऐसी भी होती हैं, जो हार कर मौत को गले लगा लेती हैं और अगर कोई इसे लेकर शिकायत करती भी है, तो यह पता नहीं होता कि अपराधी को सजा मिलेगी भी या नहीं. ऐसा भी नहीं है कि सारी शिकायतें सही ही होती हैं, क्योंकि अक्सर यह भी देखा गया है कि जांच में सारे आरोप झूठे साबित हुए.
लैरी नासर के मामले में जिस बात की सबसे ज्यादा तारीफ की जानी चाहिए, वो है अमेरिका की महिला जिम्नास्ट. जिन्होंने एकजुट होकर लैरी की ज्यादती के खिलाफ न सिर्फ केस लड़ा बल्कि बहादुरी के साथ निर्णायक गवाही दी. ये सब तब हुआ, जब इस केस में पल-पल की जानकारी मीडिया में प्रकाशित हो रही थी. भारत में महिलाएं बदनामी के डर से कई बार ज्यादती की शिकायत नहीं करती हैं. लेकिन अमेरिका का यह ताजा मामला उदाहरण है उन महिला खिलाडि़यों के साहस का, जिन्होंने बेबाक होकर कोर्ट में अपने साथ हुई ज्यादती को दर्ज कराया.
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