पिछले 20 दिन में पांच गोल्ड!
* 2 जुलाई 2019: एथलेटिक्स ग्रांपी, पोलैंड, 200 मीटर: गोल्ड
* 7 जुलाई 2019: एथलेटिक्स मीट, कुटनो, पोलैंड 200 मीटर: गोल्ड
* 13 जुलाई 2019: एथलेटिक्स मीट, क्लाइनो, चेक रिपब्लिक, 200 मीटर: गोल्ड
* 17 जुलाई 2019: एथलेटिक्स मीट, टाबोर, चेक रिपब्लिक, 200 मीटर: गोल्ड
* 20 जुलाई 2019: नोवे मेस्टो नाड मेटुजी ग्रां प्री, चेकगणराज्य, 400 मीटर: गोल्ड
यह आंकड़े ढिंग एक्सप्रेस के नाम से मशहूर भारत की युवा एथलीट और भारत की नई उड़न परी हिमा दास के हैं. हिमा पिछले 20 दिनों में 5 स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रही हैं. 19 साल की भारतीय स्प्रिंटर का यह प्रदर्शन किसी सपने से कम नहीं है. हिमा जिस तरह के फॉर्म में हैं उसमे लाजिमी ही है कि खेल प्रेमियों की उनसे उम्मीदों भी काफी बढ़ गयी होंगी. हिमा का प्रदर्शन उस क्रिकेट प्रेमी जनता को भी सुकून देगा जो भारतीय क्रिकेट टीम की विश्वकप में हार से मायूस हो गए थे.
असम के छोटे से गांव से निकली हिमा उस समय चर्चा में आयी थीं, जब जुलाई 2018 में फिनलैंड के टैम्पेयर शहर में उन्होंने इतिहास रच दिया था. हिमा ने आईएएएफ विश्वअंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता था. यह पहला मौका था जब भारत को आईएएएफ की ट्रैक स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल हुआ था. उससे पहले भारत की किसी भी महिला खिलाड़ी जूनियर या सीनियर को किसी भी स्तर पर विश्व चैम्पियनशिप में गोल्ड नहीं मिला था.
कहते हैं कि अगर कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी परिस्थिति आपके जज्बे के बीच में नहीं आ सकती. हिमा की भी कहानी कुछ ऐसी ही है. असम के नौगांव जिले के धिंग गांव की...
पिछले 20 दिन में पांच गोल्ड!
* 2 जुलाई 2019: एथलेटिक्स ग्रांपी, पोलैंड, 200 मीटर: गोल्ड
* 7 जुलाई 2019: एथलेटिक्स मीट, कुटनो, पोलैंड 200 मीटर: गोल्ड
* 13 जुलाई 2019: एथलेटिक्स मीट, क्लाइनो, चेक रिपब्लिक, 200 मीटर: गोल्ड
* 17 जुलाई 2019: एथलेटिक्स मीट, टाबोर, चेक रिपब्लिक, 200 मीटर: गोल्ड
* 20 जुलाई 2019: नोवे मेस्टो नाड मेटुजी ग्रां प्री, चेकगणराज्य, 400 मीटर: गोल्ड
यह आंकड़े ढिंग एक्सप्रेस के नाम से मशहूर भारत की युवा एथलीट और भारत की नई उड़न परी हिमा दास के हैं. हिमा पिछले 20 दिनों में 5 स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रही हैं. 19 साल की भारतीय स्प्रिंटर का यह प्रदर्शन किसी सपने से कम नहीं है. हिमा जिस तरह के फॉर्म में हैं उसमे लाजिमी ही है कि खेल प्रेमियों की उनसे उम्मीदों भी काफी बढ़ गयी होंगी. हिमा का प्रदर्शन उस क्रिकेट प्रेमी जनता को भी सुकून देगा जो भारतीय क्रिकेट टीम की विश्वकप में हार से मायूस हो गए थे.
असम के छोटे से गांव से निकली हिमा उस समय चर्चा में आयी थीं, जब जुलाई 2018 में फिनलैंड के टैम्पेयर शहर में उन्होंने इतिहास रच दिया था. हिमा ने आईएएएफ विश्वअंडर-20 एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता था. यह पहला मौका था जब भारत को आईएएएफ की ट्रैक स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल हुआ था. उससे पहले भारत की किसी भी महिला खिलाड़ी जूनियर या सीनियर को किसी भी स्तर पर विश्व चैम्पियनशिप में गोल्ड नहीं मिला था.
कहते हैं कि अगर कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी परिस्थिति आपके जज्बे के बीच में नहीं आ सकती. हिमा की भी कहानी कुछ ऐसी ही है. असम के नौगांव जिले के धिंग गांव की रहने वाली हिमा एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखती है. हिमा के पिता चावल की खेती कर परिवार का गुजारा किया करते थे. परिवार में 5 बहनों में सबसे छोटी हिमा ने भी शायद सपने में नहीं सोचा होगा कि आने वाले वक़्त में उसकी पहचान भारत की उड़न परी के रूप में होने वाली है. खुद हिमा को भी फुटबॉल खेलने का शौक था, फुटबाल खेलने का एक फायदा जो हिमा को मिला वह यह कि इसके कारण उनका स्टैमिना काफी अच्छा हो गया. हालांकि स्कूल के एक टीचर की सलाह पर हिमा एथलेटिक्स की तरफ चल पड़ी, और यही हिमा के जीवन में बड़ी बदलाव लेकर आया.
हिमा वर्तमान में 5 स्वर्ण जीतकर शानदार प्रदर्शन कर रही हैं, लेकिन असम में आई बाढ़ को लेकर भी काफी चिंतिति हैं. हिमा लगातार सोशल मीडिया पर लोगों से असम की बाढ़ पीड़ित जनता की मदद की अपील कर रही हैं. हिमा ने खुद अपने वेतन का आधा हिस्सा बाढ़ राहत कोष में दान किया है, खेल कोटे से ही हिमा दास को गुवाहाटी में Indian Oil Corporation में HR Officer के पद पर नियुक्ति मिली थी. यह बताता है कि हिमा ना केवल अपने खेल बल्कि अपने राज्य में आयी विपदा को लेकर भी काफी संजीदा हैं.
हालांकि यह सही है कि हिमा ने जो पदक जीता है वो किसी बड़ी चैंपियनशिप में नहीं जीते हैं और ना ही हिमा का मुकाबला विश्व के सर्वेश्रेष्ठ धावकों से हो रहा था. यह भी गौर करने वाली बात है कि खुद हिमा भी 200 मीटर में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से दूर रही हैं. हिमा ने 200 मीटर में जो सारे स्वर्ण जीते हैं वो 23 सेकंड के आस पास का रहे हैं. वहीं अगर ओलंम्पिक जैसी प्रतियोगिता की बात करें तो आम तौर पर यह 21 से 22 सेकंड के आस पास का रहता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि हिमा ने जरूर अपने प्रदर्शन से उम्मीदें तो बंधाई है मगर ओलंम्पिक जैसे बड़े कम्पटीशन में पदक जीतने के लिए अपने प्रदर्शन को और सुधारना होगा और साथ ही अपने अंदर मानसिक मजबूती भी लानी होगी और अगर हिमा ऐसा करने में कामयाब होती हैं तो निश्चित रूप से हिमा अगले साल टोक्यो ओलंपिक में भारतीय झंडा लहराने में कामयाब हो जाएंगी.
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