'कॉफी विद करण' का नया एपिसोड जिसमें क्रिकेटर हार्दिक पांड्या और के एल राहुल आए थे वो कई मामलों में बेहद शॉकिंग था. इस बारे में कोई भी दलील नहीं दी जा सकती है कि उनके बयान गलत नहीं थे. गली के छिछोरे लड़कों द्वारा जिस तरह के डायलॉग बोले जाते हैं वो एक इज्जतदार क्रिकेटर कह रहा था. हार्दिक पांड्या ने एक या दो नहीं बल्कि लगभग पूरे एपिसोड में इसी तरह की बातें कही हैं.
उदाहरण के तौर पर उनका ये कहना कि उन्हें 1 घंटे बात करने के बाद भी लड़कियों का नाम याद नहीं रहता, कई बार तो वो पूछते ही नहीं हैं. या फिर ये कि उन्हें लड़कियों से बात करने से बेहतर उन्हें चलते-फिरते देखना ज्यादा पसंद है. वो खुद को ज्यादा ब्लैक (अफ्रीकन सभ्यता) से जोड़कर देखते हैं इसलिए उनके लिए ये जरूरी है कि वो लड़कियों को चलते हुए देखें. एक बार तो वो ये भी बोल गए कि लड़कियों को देखकर वो पिक्चर इमैजिन कर लेते हैं. इस बयान के बाद के एल राहुल ने उन्हें घूर कर देखा तो हार्दिक अपनी बात को समझाने में लग गए.
एपिसोड में एक जगह तो वो बोल गए कि वो अपने माता-पिता से भी जाकर कह देते हैं कि 'आज मैं करके आया (यहां बात लड़की से संबंध बनाने की हो रही है.)'. कहीं भी किसी भी सभ्यता में, किसी भी देश में महिलाओं के लिए इस तरह के भद्दे कमेंट्स सही नहीं माने जाते हैं और हार्दिक इसे बड़े ही आराम से कह रहे थे क्योंकि वो समझ रहे थे कि इससे वो कूल बनेंगे, लेकिन एक क्रिकेटर तो छोड़िए किसी फिल्म स्टार को भी ऐसे भद्दे कमेंट्स देने में बेहद शर्म महसूस होगी.
हार्दिक पांड्या ने ये साबित कर दिया है कि क्रिकेट अब एक जेंटलमैन का गेम नहीं रह गया है. क्रिकेट में नियमों से ज्यादा अब शायद मौज-मस्ती देखी...
'कॉफी विद करण' का नया एपिसोड जिसमें क्रिकेटर हार्दिक पांड्या और के एल राहुल आए थे वो कई मामलों में बेहद शॉकिंग था. इस बारे में कोई भी दलील नहीं दी जा सकती है कि उनके बयान गलत नहीं थे. गली के छिछोरे लड़कों द्वारा जिस तरह के डायलॉग बोले जाते हैं वो एक इज्जतदार क्रिकेटर कह रहा था. हार्दिक पांड्या ने एक या दो नहीं बल्कि लगभग पूरे एपिसोड में इसी तरह की बातें कही हैं.
उदाहरण के तौर पर उनका ये कहना कि उन्हें 1 घंटे बात करने के बाद भी लड़कियों का नाम याद नहीं रहता, कई बार तो वो पूछते ही नहीं हैं. या फिर ये कि उन्हें लड़कियों से बात करने से बेहतर उन्हें चलते-फिरते देखना ज्यादा पसंद है. वो खुद को ज्यादा ब्लैक (अफ्रीकन सभ्यता) से जोड़कर देखते हैं इसलिए उनके लिए ये जरूरी है कि वो लड़कियों को चलते हुए देखें. एक बार तो वो ये भी बोल गए कि लड़कियों को देखकर वो पिक्चर इमैजिन कर लेते हैं. इस बयान के बाद के एल राहुल ने उन्हें घूर कर देखा तो हार्दिक अपनी बात को समझाने में लग गए.
एपिसोड में एक जगह तो वो बोल गए कि वो अपने माता-पिता से भी जाकर कह देते हैं कि 'आज मैं करके आया (यहां बात लड़की से संबंध बनाने की हो रही है.)'. कहीं भी किसी भी सभ्यता में, किसी भी देश में महिलाओं के लिए इस तरह के भद्दे कमेंट्स सही नहीं माने जाते हैं और हार्दिक इसे बड़े ही आराम से कह रहे थे क्योंकि वो समझ रहे थे कि इससे वो कूल बनेंगे, लेकिन एक क्रिकेटर तो छोड़िए किसी फिल्म स्टार को भी ऐसे भद्दे कमेंट्स देने में बेहद शर्म महसूस होगी.
हार्दिक पांड्या ने ये साबित कर दिया है कि क्रिकेट अब एक जेंटलमैन का गेम नहीं रह गया है. क्रिकेट में नियमों से ज्यादा अब शायद मौज-मस्ती देखी जाने लगी है. पर उस मौज मस्ती के भी कुछ कायदे होते हैं जो हार्दिक बिलकुल ही भूल गए.
हार्दिक पांड्या ने अपनी इस गैर जिम्मेदाराना हरकत के लिए माफी भी मांग ली और ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. पर क्या माफी मांगने से वो रिस्पेक्ट अब हम उन्हें दे पाएंगे जो शो से पहले देते थे.
फिल्मी सितारों को क्या छूट है:
हार्दिक ने कहा कि वो शो के नेचर के कारण भावनाओं में बह गए थे, लेकिन ये शो का नेचर नहीं कि महिलाओं पर सेक्सिस्ट बयान किए जाएं. और अगर हार्दिक फिल्मी सितारों के बयानों पर ये कह रहे हैं तो ये भी गलत तरीका है. एक फिल्मी सितारा रेपिस्ट का किरदार भी निभाता है. वो विलेन भी बनता है और वो एक छिछोरा भी बनता है जिसे देखकर शर्म आ जाए. एक फिल्मी सितारा AIB नॉकआउट जैसे शो में स्टेज पर खड़े होकर गाली भी देता है पर उसे लोग किसी तय पैमाने से नहीं देखते हैं. ऐसे में किस तरह से हार्दिक खुद को उसी पैमाने पर तौल रहे हैं.
खिलाड़ियों से क्या उम्मीद रहती है:
एक खिलाड़ी को अगर किसी टॉक शो में देखा जा रहा है तो उससे उतनी ही उम्मीद की जाती है जितनी कपिल देव और सचिन तेंदुलकर को टॉक शो में देखते हुए होती है. फिल्मी सितारे न तो देश को रिप्रेजेंट करने दुनिया भर में जाते हैं न ही उन्हें हमेशा एक रोल मॉडल की तरह देखा जाता है. क्रिकेट को हमेशा से जेंटलमेन गेम कहा जाता था. खिलाड़ियों से देश की शान को आंका जाता था, लेकिन हार्दिक पांड्या के इस चीप स्टंट के बाद किसी भी हालत में ये नहीं कहा जा सकता है कि क्रिकेट के खिलाड़ियों को उसी तरह देखा जाएगा. कम से कम मेरी राय में तो अब हार्दिक पांड्या ने इस खेल की इमेज में ही सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं.
महिलाओं के लिए फिल्मी सितारों और खिलाड़ियों के बयानों में फर्क है:
एक लड़की होने के कारण मैं ये बता सकती हूं कि फिल्मी सितारों के कमेंट्स और खिलाड़ियों के कमेंट्स किसी लड़की को लेकर अगर किए गए हैं तो वो कितने अलग मायने रखते हैं. मेरे लिए ये बड़ी बात नहीं होगी कि कोई फिल्मी सितारा अपनी डेटिंग के बारे में बताए. संजू फिल्म में संजय दत्त के बारे में कहा गया कि वो 300 से ज्यादा लड़कियों के साथ सोए हैं पर ये बात सभी ने समझ ली और ये सोचा कि ये इंडस्ट्री ही ऐसी है, लेकिन क्या यही कोई क्रिकेटर बोले तो समझा जा सकता है? जी नहीं, जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि ये पूरी तरह से पैमाने पर निर्भर करता है क्योंकि क्रिकेटर हमेशा देश को रिप्रेजेंट करता है. उसका काम सिर्फ खेल खेलकर लोगों का मनोरंजन करना नहीं बल्कि देश की नजरों को ऊंचा करना भी है. पर हार्दिक का ये गैर जिम्मेदाराना बयान कहीं भी देश के लिए नहीं है और न ही वो ये समझ पाए हैं कि भारत के लिए क्रिकेट और क्रिकेटरों की क्या अहमियत है.
जहां एक ओर हार्दिक की इस बात पर सोशल मीडिया में लोगों का गुस्सा उबल रहा है वहीं दूसरी ओर बीसीसीआई भी नाराज है और कोई कड़ा एक्शन ले सकती है. हार्दिक को इस बात का अहसास होना चाहिए कि उन्होंने क्या गलती की है. सिर्फ एक ट्वीट कर माफी मांग लेना ये नहीं छुपा सकता कि आखिर उनकी सोच कैसी है.
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