टी-20 सीरीज के पहले मुकाबले में इंग्लैंड की पारी के दौरान भारतीय महिला फील्डर हरलीन देओल ने बाउंड्री लाइन पर एक शानदार कैच पकड़ कर सबका दिल जीत लिया. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. हरलीन देओल की तुलना कोई रविंद्र जडेजा, युवराज सिंह और मो. कैफ के साथ कर रहा है, तो कोई उन्हें 'सुपर वुमन' बता रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं यही हरलीन जब बचपन में लड़कों के साथ खेलती थीं, तो आस-पड़ोस के लोग उनके मां-बाप को ताने मारते थे. ऐसे लोगों से तंग आकर अपने खेल को निखारने के लिए मजबूरन उनको अपना शहर चंडीगढ़ छोड़कर हिमाचल प्रदेश में आकर बसना पड़ा था.
महिलाओं के प्रति हमारे समाज में लोगों का रवैया शुरू से ही दोहरा रहा है. महिला सशक्तिकरण की वकालत करने वाले हमारे ही समाज के लोग अपनी बहू-बेटियों को घर में ही रखना चाहते हैं. कई बार तो पढ़ा-लिखाकर भी नौकरी करने से मना कर देते हैं. घर में बेटी के पैदा होने के बाद से भेदभाव शुरू हो जाता है. बेटी है तो चुल्हे-चौके का काम भी सीखेगी, इस भावना के साथ उसके बड़ा होते ही शादी करके विदा करने की चिंता सताने लगती है. यदि किसी लड़की ने पितृसत्तात्मक समाज द्वारा बनाए गए सामाजिक नियमों को तोड़कर कुछ अलग करने की कोशिश की, तो कयामत आ जाती है. कुछ ऐसा ही हरलीन के साथ भी हुआ.
बहुत मुश्किलों भरा रहा है हरलीन देओल का सफर
हरलीन कौर देओल का सफर बहुत मुश्किलों भरा रहा है. इस महिला खिलाड़ी ने अपना क्रिकेट करियर बनाने के लिए महज 13 साल की उम्र में अपने परिवार और शहर को छोड़ दिया था. चंडीगढ़ छोड़कर हिमाचल प्रदेश में आकर बस गई थीं. इतनी कम उम्र में अपने माता-पिता को छोड़कर एक नए शहर में जाकर बसना किसी...
टी-20 सीरीज के पहले मुकाबले में इंग्लैंड की पारी के दौरान भारतीय महिला फील्डर हरलीन देओल ने बाउंड्री लाइन पर एक शानदार कैच पकड़ कर सबका दिल जीत लिया. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. हरलीन देओल की तुलना कोई रविंद्र जडेजा, युवराज सिंह और मो. कैफ के साथ कर रहा है, तो कोई उन्हें 'सुपर वुमन' बता रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं यही हरलीन जब बचपन में लड़कों के साथ खेलती थीं, तो आस-पड़ोस के लोग उनके मां-बाप को ताने मारते थे. ऐसे लोगों से तंग आकर अपने खेल को निखारने के लिए मजबूरन उनको अपना शहर चंडीगढ़ छोड़कर हिमाचल प्रदेश में आकर बसना पड़ा था.
महिलाओं के प्रति हमारे समाज में लोगों का रवैया शुरू से ही दोहरा रहा है. महिला सशक्तिकरण की वकालत करने वाले हमारे ही समाज के लोग अपनी बहू-बेटियों को घर में ही रखना चाहते हैं. कई बार तो पढ़ा-लिखाकर भी नौकरी करने से मना कर देते हैं. घर में बेटी के पैदा होने के बाद से भेदभाव शुरू हो जाता है. बेटी है तो चुल्हे-चौके का काम भी सीखेगी, इस भावना के साथ उसके बड़ा होते ही शादी करके विदा करने की चिंता सताने लगती है. यदि किसी लड़की ने पितृसत्तात्मक समाज द्वारा बनाए गए सामाजिक नियमों को तोड़कर कुछ अलग करने की कोशिश की, तो कयामत आ जाती है. कुछ ऐसा ही हरलीन के साथ भी हुआ.
बहुत मुश्किलों भरा रहा है हरलीन देओल का सफर
हरलीन कौर देओल का सफर बहुत मुश्किलों भरा रहा है. इस महिला खिलाड़ी ने अपना क्रिकेट करियर बनाने के लिए महज 13 साल की उम्र में अपने परिवार और शहर को छोड़ दिया था. चंडीगढ़ छोड़कर हिमाचल प्रदेश में आकर बस गई थीं. इतनी कम उम्र में अपने माता-पिता को छोड़कर एक नए शहर में जाकर बसना किसी के लिए भी आसान नहीं होता है, लेकिन हरलीन ने अपने सपनों को साकार करने के लिए इस चुनौती स्वीकार किया. सबसे पहले उन्होंने हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन की अंडर-19 आवासीय अकादमी में अपना नाम दर्ज कराया. इसके बाद उन्होंने वहां जमकर मेहनत की थी. वो क्रिकेट के अलावा हॉकी, फुटबॉल, बास्केटबॉल भी खेलती रही हैं.
हरलीन को खेलता देख पड़ोसी ताने क्यों मारते थे?
हरलीन की दादी गुरुदेव कौर और उनकी मां चरणजीत देओल हमेशा उनका सपोर्ट करती थीं. उनकी मां ने एक इंटरव्यू में बताया था कि हरलीन ने तीन साल की उम्र से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. वह अपने भाई मनजोत सिंह देओल के साथ गली में क्रिकेट खेला करती थी. उनके साथ भाई के दोस्त भी खेला करते थे. लड़कों के साथ लड़की को खेलता हुआ देख आस-पास के लोग हरलीन और उनके परिजनों को ताने मारा करते थे. उनका कहना था कि एक लड़की को लड़कों के साथ नहीं खेलना चाहिए. यही वजह है कि अपने खेल को आगे बढ़ाने के लिए हरलीन को अपना परिवार और शहर छोड़ना पड़ा. ताकि अपनों के तानों से दूर खेल पर फोकस कर सकें.
खेल के साथ पढ़ाई में भी अव्वल हैं हरलीन देओल
21 जून 1998 में चंडीगढ़ में पैदा हुई 23 साल की हरलीन देओल खेल के साथ पढ़ाई में भी अव्वल रही हैं. हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा में उन्होंने 80 फीसदी अंक हासिल किए थे. हिमाचल प्रदेश के लिए स्टेट और नेशनल लेवल पर 85 मेडल जीतने वाली ये खिलाड़ी स्कूल के समय में भी बेस्ट एथलीट रही है. दाएं हाथ की इस बल्लेबाज ने 22 फरवरी 2019 को इंग्लैंड के खिलाफ हुए एक दिवसीय मैच में अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेला था. महिला क्रिकेट टीम में पहली बार चुने जाने पर हरलीन ने कहा था, 'मेरी दादी (गुरुदेव कौर) चाहती थीं कि मैं भारत के लिए खेलूं और अब मैं यहां हूं. मेरी मां (चरणजीत देओल) ने मेरे हर फैसले में सपोर्ट किया.'
हरलीन और सनी देओल के बीच कनेक्शन है क्या?
हरलीन देओल ने भारत के लिए अबतक 1 वनडे और 10 टी20 मैच खेले हैं. इस दौरान उन्होंने वनडे में 2 और टी20 में 110 रन बनाए हैं. टी20 क्रिकेट में 6 विकेट भी झटके हैं. अपने छोटे से करियर में हरलीन भारतीय महिला क्रिकेट टीम का अहम हिस्सा बन गई हैं. अब इंग्लैंड की खिलाड़ी एमी जोन्स का कैच झपटने के बाद उन्होंने जिस तरह गदर मचाया है, आने वाले वक्त में उन्हें क्रिकेट के हर फॉर्मेट में खेलते हुए देखा जा सकता है. वैसे 'गदर' से याद आया कुछ लोग हरलीन देओल को बॉलीवुड एक्टर सनी देओल और बॉबी देओल का रिश्तेदार समझ रहे हैं. ऐसे लोगों को बता दें कि इन दोनों हस्तियों के बीच दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.