इजराइल और फिलिस्तीन के बीच तनाव कैसा था? दो मुल्कों की लड़ाई में किस तरह निर्दोष लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा? अभी बीते दिनों ही हम इसके गवाह बने. भले ही वर्तमान में इजराइल और फिलिस्तीनी गुट हमास के बीच युद्ध विराम को लेकर सहमति बन गई हो और दोनों मुल्कों में सुकून हो लेकिन अभी भी शांति की बातें बेईमानी हैं. ध्यान रहे, दोनों मुल्कों के बीच जिस तरह 11 दिनों तक भीषण संघर्ष देखने को मिला पहले ही इस बात का विश्वास हो चला था कि भले ही दोनों मुल्कों के बीच लगी आग ठंडी पड़ गई हो लेकिन इसकी चिंगरी रह रह कर उठेगी. ये कयास सही साबित हुए हैं. इजराइल और फिलिस्तीन विवाद सरहदों से निकलकर खेल के मैदान पहुंच गया है. शुरुआत टोक्यो ओलंपिक 2021 से हुई है और जो बात हैरत में डालती है वो है इस विवाद में अल्जीरिया का कूदना और इजरायल के खिलाड़ी के सामने खेलने से मना कर देना. बात आगे बढ़ेगी मगर विश्व के तमाम मुल्कों को याद रखना होगा कि सीमा का विवाद अपनी जगह हैं और खेल, खेल का मैदान अपनी जगह.
टोक्यो में चल रहे ओलंपिक 2021 खेलों के मद्देनजर लोग उस वक़्त सकते में आ गए जब ये खबर आई कि अल्जीरिया के एक खिलाड़ी को सस्पेंड कर दिया गया. मामले में दिलचस्प ये कि खिलाड़ी ने इजरायल के खिलाड़ी के सामने खेलने से मना कर दिया था. ऐसा उसने क्यों किया इसके पीछे की वजह फिलिस्तीन है. अल्जीरिया के खिलाड़ी ने ऐसा फिलिस्तीन को समर्थन देने के उद्देश्य से किया.
बताते चलें कि ओलंपिक इवेंट में अल्जीरिया के जूडो खिलाड़ी फेथी नूरिन का इजराइल के खिलाड़ी तोहर बुटबुल से मुकाबला होना था. मैच की तैयारियां जोरों पर थीं लेकिन तभी इस बात ने सबको आश्चर्य में डाल दिया कि अल्जीरिया के खिलाड़ी ने इजराइल के...
इजराइल और फिलिस्तीन के बीच तनाव कैसा था? दो मुल्कों की लड़ाई में किस तरह निर्दोष लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा? अभी बीते दिनों ही हम इसके गवाह बने. भले ही वर्तमान में इजराइल और फिलिस्तीनी गुट हमास के बीच युद्ध विराम को लेकर सहमति बन गई हो और दोनों मुल्कों में सुकून हो लेकिन अभी भी शांति की बातें बेईमानी हैं. ध्यान रहे, दोनों मुल्कों के बीच जिस तरह 11 दिनों तक भीषण संघर्ष देखने को मिला पहले ही इस बात का विश्वास हो चला था कि भले ही दोनों मुल्कों के बीच लगी आग ठंडी पड़ गई हो लेकिन इसकी चिंगरी रह रह कर उठेगी. ये कयास सही साबित हुए हैं. इजराइल और फिलिस्तीन विवाद सरहदों से निकलकर खेल के मैदान पहुंच गया है. शुरुआत टोक्यो ओलंपिक 2021 से हुई है और जो बात हैरत में डालती है वो है इस विवाद में अल्जीरिया का कूदना और इजरायल के खिलाड़ी के सामने खेलने से मना कर देना. बात आगे बढ़ेगी मगर विश्व के तमाम मुल्कों को याद रखना होगा कि सीमा का विवाद अपनी जगह हैं और खेल, खेल का मैदान अपनी जगह.
टोक्यो में चल रहे ओलंपिक 2021 खेलों के मद्देनजर लोग उस वक़्त सकते में आ गए जब ये खबर आई कि अल्जीरिया के एक खिलाड़ी को सस्पेंड कर दिया गया. मामले में दिलचस्प ये कि खिलाड़ी ने इजरायल के खिलाड़ी के सामने खेलने से मना कर दिया था. ऐसा उसने क्यों किया इसके पीछे की वजह फिलिस्तीन है. अल्जीरिया के खिलाड़ी ने ऐसा फिलिस्तीन को समर्थन देने के उद्देश्य से किया.
बताते चलें कि ओलंपिक इवेंट में अल्जीरिया के जूडो खिलाड़ी फेथी नूरिन का इजराइल के खिलाड़ी तोहर बुटबुल से मुकाबला होना था. मैच की तैयारियां जोरों पर थीं लेकिन तभी इस बात ने सबको आश्चर्य में डाल दिया कि अल्जीरिया के खिलाड़ी ने इजराइल के खिलाड़ी का सामना करने से मना कर दिया है. अल्जीरिया के खिलाड़ी का कहना था कि भले ही उसे ओलंपिक इवेंट से हटा दिया जाए लेकिन वो इजराइल के खिलाड़ी से फाइट नहीं करेगा. फेथी अपनी जिद पर अड़े रहे और आखिरकार उन्होंने गेम से हटने का फैसला लिया.
नूरिन के इस फैसले के बाद न केवल उन्हें टोक्यो ओलंपिक से वापस अल्जीरिया जाने के लिए बोल दिया गया,बल्कि उन्हें खेल से सस्पेंड कर दिया गया है. फेथी की 73 किग्रा वर्ग के टूर्नामेंट में इजराइल के तोहर बुटबुल से फाइट होनी थी लेकिन क्योंकि फेथी फिलिस्तीन को सपोर्ट कर रहे थे इसलिए उन्होंने गेम छोड़ दिया और नई बहस को पंख दे दिए.
फिलिस्तीन को सपोर्ट करने के कारण साथ जो कुछ भी हुआ है उसपर फेथी ने अपना पक्ष रखा है. फेथी नूरिन ने कहा है कि, 'हमने ओलंपिक तक पहुंचने के लिए बहुत मेहनत की. लेकिन फिलीस्तीनी मकसद इन सब से बड़ा है.' उधर, इंटरनेशनल जूडो फेडरेशन ने नूरिन के साथ उनके कोच अमर बेनिखलेफ को भी सस्पेंड कर दिया है.
कोच क्यों हटाए गए? वजह उनकी बातें थीं. कोच ने कहा था कि, 'हमें एक इजरायली अपोनेंट मिला और इसलिए हमें खेल छोड़ना पड़ा. हमने सही फैसला किया.
इस पूरे मसले पर फेडरेशन की तरफ से एक बयान जारी हुआ है. अपने बयान में फेडरेशन ने कहा है कि, 'हमारी सख्त गैर-भेदभाव नीति है, जो एक प्रमुख सिद्धांत के रूप में एकजुटता को बढ़ावा देती है, जो जूडो में लागू होती है.' नूरिन का फैसला 'इंटरनेशनल जूडो फेडरेशन के पूर्ण विरोध में' था. फेडरेशन ने कहा, अल्जीरियाई ओलंपिक समिति ने एथलीट और कोच दोनों के लिए मान्यता वापस ले ली और उन्हें घर भेज देगी. इसके बाद प्रतिबंधों को लागू किया जाएगा.
मामले पर नूरिन ने अल्जीरियाई मीडिया से बात भी की है और अपना पक्ष रखा है. वैसे नूरिन ने इस तरह की हरकत कोई पहली बार नहीं की है. ऐसा करने का उनका पुराना इतिहास रहा है. पूर्व में भी ऐसे तमाम मौके आए हैं जब एक खिलाड़ी के रूप में वो इजराइल के प्रति अपनी नफरत दर्शा चुके हैं.
नूरिन का ये कदम खेल जगत के साथ साथ सोशल मीडिया पर भी खूब सुर्खियां बटोर रहा है. मामले के मद्देनजर जिसकी जैसी राजनीतिक विचारधारा है वो वैसी प्रतिक्रियाएं दे रहा है.
मामले में सबसे दिलचस्प रुख मानवाधिकार के झंडाबरदारों का है. ये लोग नूरिन की इस पहल का समर्थन बाहें फैलाकर कर रहे हैं.
ट्विटर पर ऐसे भी तमाम यूजर्स हैं जो इस घटना के बाद नूरिन की आलोचना कर रहे हैं और उन्होंने जो किया है उसे कायरता बता रहे हैं.
आलोचकों से इतर. हो सकता है कि इस घटना के बाद एक बड़ा वर्ग नूरिन के समर्थन में आ जाए और उन्होंने जो किया है उसे लेकर तारीफों के पल बांध दे लेकिन सच्चाई यही है कि नूरिन ने खेल के दौरान जो किया वो निंदनीय है. नूरीन जैसे कटटरपंथियों को इस बात को समझना होगा कि किसी जगह से जुड़ा विवाद उस जगह तक ठीक है. मगर वो बुरा तब होता है जब उसे हटाकर किसी दूसरी जगह कर दिया जाता है.
चूंकि नूरिन दो अलग देशों का विवाद ओलंपिक जैसे इवेंट में लाए हैं. साबित हो गया कि व्यक्ति चाहे कुछ भी बन जाए लेकिन यदि उसकी सोच कट्टरपंथी है तो फिर वो कहीं का नहीं रहता. बाकी एक खिलाड़ी के रूप में नूरिन जो कर गए हैं उसे कोई भी समझदार आदमी जायज नहीं ठहराएगा।
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