अगर हम एक भारतीय होने के लिहाज से फुटबॉल विश्वकप की बात करें तो शायद ही भारतियों को खुशी देने वाली कोई भी बात इस फुटबॉल विश्वकप में है. भारतीय फुटबॉल टीम हर बार की तरह इस बार भी वर्ल्डकप का हिस्सा नहीं है और ना ही फुटबॉल विश्वकप भारत में हो रहा है. यहां तक कि इस बार के फुटबॉल विश्वकप में एशिया से चुने गए 16 रेफरियों में से कोई भी भारतीय नहीं है. रही बात भारतीय फुटबॉल टीम के वर्तमान प्रदर्शन की, तो इस वक्त भारतीय टीम की फीफा रैंकिंग 97 है और अगर फीफा रैंकिंग के शुरू होने से अब तक भारतीय टीम की औसत रैंकिंग देखें तो यह 132 है. यानी कुल मिलाकर भारतीयों का कोई खास कनेक्शन फुटबॉल के इस खेल से नहीं जुड़ पाता.
हालांकि इन आकड़ों के बावजूद भारतीयों के इस खेल के प्रति आकर्षण में कोई कमी नहीं है. और इसकी बानगी पिछले साल भारत में आयोजित अंडर 17 विश्वकप के दौरान भी दिखी थी, जब टूर्नामेंट के हर एक मैच में भारी संख्या में दर्शक मैच देखने उमड़े थे. हालांकि भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में कुछ खास नहीं कर सकी मगर टीम को देशवासियों का जबरदस्त समर्थन मिला था. एक तरफ जहां स्टेडियम में दर्शकों की भीड़ दिखी तो टीवी पर भी इन मैचों की संख्या 47 मिलियन लोगों तक पहुंच गई, जो कि अंडर 17 विश्वकप के लिहाज से बहुत ही बेहतरीन व्यूवरशिप कही जा सकती है.
अब फिर से क्रिकेट क्रेजी इस देश में 2018 के फुटबॉल विश्वकप के लिए भी जबरदस्त दीवानगी देखने को मिल रही...
अगर हम एक भारतीय होने के लिहाज से फुटबॉल विश्वकप की बात करें तो शायद ही भारतियों को खुशी देने वाली कोई भी बात इस फुटबॉल विश्वकप में है. भारतीय फुटबॉल टीम हर बार की तरह इस बार भी वर्ल्डकप का हिस्सा नहीं है और ना ही फुटबॉल विश्वकप भारत में हो रहा है. यहां तक कि इस बार के फुटबॉल विश्वकप में एशिया से चुने गए 16 रेफरियों में से कोई भी भारतीय नहीं है. रही बात भारतीय फुटबॉल टीम के वर्तमान प्रदर्शन की, तो इस वक्त भारतीय टीम की फीफा रैंकिंग 97 है और अगर फीफा रैंकिंग के शुरू होने से अब तक भारतीय टीम की औसत रैंकिंग देखें तो यह 132 है. यानी कुल मिलाकर भारतीयों का कोई खास कनेक्शन फुटबॉल के इस खेल से नहीं जुड़ पाता.
हालांकि इन आकड़ों के बावजूद भारतीयों के इस खेल के प्रति आकर्षण में कोई कमी नहीं है. और इसकी बानगी पिछले साल भारत में आयोजित अंडर 17 विश्वकप के दौरान भी दिखी थी, जब टूर्नामेंट के हर एक मैच में भारी संख्या में दर्शक मैच देखने उमड़े थे. हालांकि भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में कुछ खास नहीं कर सकी मगर टीम को देशवासियों का जबरदस्त समर्थन मिला था. एक तरफ जहां स्टेडियम में दर्शकों की भीड़ दिखी तो टीवी पर भी इन मैचों की संख्या 47 मिलियन लोगों तक पहुंच गई, जो कि अंडर 17 विश्वकप के लिहाज से बहुत ही बेहतरीन व्यूवरशिप कही जा सकती है.
अब फिर से क्रिकेट क्रेजी इस देश में 2018 के फुटबॉल विश्वकप के लिए भी जबरदस्त दीवानगी देखने को मिल रही है. 14 जून से रूस में शुरू हो खेल के महाकुम्भ को स्टेडियम में लुत्फ लेने के लिए टिकटों की खरीद के लिए भारतीयों में अच्छी खासी उत्सुकता देखी जा रही है. पिछले महीने आए आकड़ों के अनुसार अब तक दो बार टिकट बिक्री के दौर के बाद भारत रूस के अलावा उन 10 देशों में शामिल है जहां के लोगों ने सबसे ज्यादा टिकट लिए हैं, जबकि उन देशों में भारत केवल अमेरिका और चीन से पीछे है जहां की टीम इस फीफा विश्वकप का हिस्सा नहीं है. अमेरिका 1986 के बाद पहली बार 2018 के फुटबॉल विश्वकप का हिस्सा नहीं है.
टिकट बिक्री के आंकडों के अनुसार, पहले राउंड में 87902 टिकटों में से भारतीयों ने 1905 टिकट खरीदें हैं जबकि दूसरे राउंड के लिए हुई टिकट बिक्री में कुल बिके 394433 टिकटों में से भारतीयों ने 4509 टिकट खरीदे हैं. जिस देश की टीम कभी फुटबॉल विश्वकप में नहीं खेली, वहां के दर्शकों के ये आकंडें वाकई शानदार कहे जा सकते हैं.
एक तरफ तो भारतीय दर्शक स्टेडियम में मैच देखने को लेकर उत्सुक हैं तो वहीं टीवी पर भी फुटबॉल विश्वकप का लुत्फ उठाने वालों की कोई कमीं नहीं है. टीवी पर फुटबॉल देखने के मामले में भी भारतीय काफी आगे हैं. साल 2014 में ब्राज़ील में संपन्न हुए फुटबॉल विश्वकप के दौरान लगभग 86 मिलियन लोगों ने इसे टीवी पर देखा, जबकि साल 2010 के विश्वकप के दौरान यह आकंड़ा 45 मिलियन था.
यह आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं कि भले ही हमारी टीम विश्वकप तक का सफर तय नहीं कर पायी है, मगर फिर भी इस खेल को लेकर दीवानगी किसी और देश के मुकाबले कम नहीं है. और आगामी फुटबॉल विश्वकप में भी यह दीवानगी जारी रहने वाली है.
ये भी पढ़ें-
FIFA World Cup 2018: भारत क्यों करेगा ब्राजील को चीयर
FIFA World Cup 2018: बिल्ली बताएगी कौन जीतेगा, आखिर जानवरों के अनुमान पर क्यों भरोसा करते हैं इंसान?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.