क्रिकेट जिसे खेल प्रेमी Gentleman's Game भी कहते हैं एक मिथक से ज्यादा कुछ नहीं है. क्रिकेटर्स और उनकी ज़िंदगी भी बिल्कुल वैसी ही है जैसी हमारी आपकी. चाहे खिलाड़ियों के बीच का आपस का कम्पटीशन हो या फिर खेल में रूपये पैसे की संलिप्तता खेल में शराफ़त उतनी ही है जितना दाल में नमक. इन बिंदुओं के मद्देनजर हम जब भारतीय खिलाड़ियों को देखते हैं तो मिलता है कि उनके अंदर नैतिकता फिर भी बची हुई है लेकिन जब हम फॉरेन प्लेयर्स या ये कहें कि विदेशी खिलाड़ियों का रुख करते हैं तो स्थिति बिल्कुल अलग है. विदेशी खिलाड़ी चाहे वो किसी भी देश के क्यों न हों असभ्य, उद्दंड और बदतमीज हैं. सवाल होगा कैसे तो जवाब है क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर का वो ट्वीट जिसमें उन्होंने खुद के कोरोना पॉजिटिव होने की घोषणा की. सचिन के इस ट्वीट पर केविन पीटरसन ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी और एक ऐसी बात कह दी जो उनके कद को सूट नहीं करती है. मामले में दिलचस्प ये रहा कि केविन पीटरसन को युवराज सिंह ने जवाब दिया. युवराज के ट्वीट से माहौल थोड़ा गंभीर हो गया था युवराज ने एक ट्वीट और किया और माहौल को हल्का करने की कोशिश की. युवराज के ट्वीट पर केविन पीटरसन ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
सचिन के कोरोना पॉजिटिव होने पर ट्वीट करके पीटरसन ने बता दिया कि विदेशी खिलाड़ी टीम इंडिया के क्रिकेटर्स के लिए क्या सोच रखते हैं
बताते चलें कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर आ चुकी है. हालात बद से बदतर हो रहे हैं और इस बार गॉड ऑफ क्रिकेट सचिन भी कोरोना की चपेट में आए हैं. सचिन ने इस जानकारी को ख़ुद अपने फैंस के साथ साझा किया. जिसपर केविन पीटरसन ने व्यंग्य करते हुए लिखा है कि कृपया कोई मुझे बताए, आखिर क्यों किसी को दुनिया को बताने की जरूरत पड़ती है कि वह कोरोना पॉजिटिव है?
पीटरसन के इस ट्वीट को देखकर कोई भी इस बात का अंदाजा बड़ी ही आसानी के साथ लगा सकता है कि उनका इशारा सचिन तेंदुलकर की तरफ़ था. पीटरसन के इस ट्वीट पर भी ढेरों प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. क्रिकेटर युवराज सिंह ने ईंट का जवाब पत्थर से देते हुए लिखा है कि और यह सवाल आज ही आपको क्यों सूझा? इससे पहले क्यों नहीं? युवी ने साथ ही दूसरे रिप्लाय में लिखा- हाहाहा सिर्फ तुम्हारी टांग खींच रहा था। केपी ने हालांकि युवी का जवाब नहीं दिया.
ध्यान रहे सचिन ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर लिखा था, 'हल्के लक्षण के बाद मैं आज कोरोना पॉजिटिव पाया गया हूं. मैंने खुद को होम क्वारंटीन कर लिया है. मैं इस महामारी से संबंधित सभी जरूरी प्रोटोकॉल को पालन कर रहा हूं. मैं सभी हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को धन्यवाद देता हूं जो मुझे पूरे देशभर से सपोर्ट कर रहे हैं. सभी अपना ध्यान रखें.' देश में कोरेाना वायरस ने एक बार फिर पैर पसारना शुरू कर दिया है.
गौरतलब है कि सचिन ने अभी हाल ही में रायपुर में आयोजित रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज में इंडिया लीजेंड्स के कप्तान की जिम्मेदारी निभाई थी. जिसमें इंडिया लीजेंड्स ने फाइनल में श्रीलंका को हराकर खिताब अपने नाम किया था. इस टूर्नामेंट में 7 मैचों में सचिन ने कुल 223 रन बनाए थे.
बात सचिन के ट्वीट पर केविन पीटरसन के बेलगाम बोलों की हुई थी तो जैसा इतिहास रहा है पीटरसन ने ये बात हंसी मजाक में बिल्कुल नहीं की है और इसे करते वक़्त उन्होंने भरपूर सोच विचार किया है. विदेशी खिलाड़ियों का भारतीय खिलाड़ियों के प्रति क्या रवैया है गर जो इस बात को समझना हो तो हम जनवरी 2021 में ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गए टीम इंडिया के प्लेयर्स मोहम्मद सिराज और जसप्रीत बुमराह का रुख कर सकते हैं.
तब तीसरे टेस्ट मैच के दूसरे और तीसरे दिन जो हुआ उसने न केवल एक खेल के रूप में क्रिकेट को बेनकाब किया था बल्कि ये भी बता दिया था कि क्रिकेट में नैतिकता या Gentleman Game जैसी तमाम बातें कोरी लफ्फाजी से ज्यादा और कुछ नहीं हैं. जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज रंगभेद और नस्लवाद का शिकार हुए थे साथ ही उन्हें अपशब्दों का भी सामना करना पड़ा था.
बात अगर उस मैच की हो तो तीसरे टेस्ट मैच में मोहम्मद सिराज फाइन लेग बाउंड्री की ओर फील्डिंग कर रहे थे. सिराज के पीछे टीम ऑस्ट्रेलिया के जो फैंस बैठे थे उन्होंने टीम इंडिया के खिलाड़ियों के ऊपर नस्लीय टिप्पणी तो की ही साथ ही प्लेयर्स को खूब जमकर गालियां भी दी गईं. सिराज के अलावा कुछ ऐसी ही मिलती जुलती शिकायत बुमराह ने भी ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड से की थी.
चाहे वो सचिन से पीटरसन की बदसलूकी हो या फिर बुमराह सिराज का मामला साफ है कि टीम इंडिया के क्रिकेट में उत्कृष्ट प्रदर्शन के बावजूद विदेशी खिलाड़ी इंडियन प्लेयर्स को कुछ खास नहीं समझते हैं. जिस तरह एक के बाद एक इंडियन प्लेयर्स के साथ बदसलूकी के मामले सामने आ रहे हैं ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि बीसीसीआई के अलावा आईसीसी को भी इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए वरना आने वाले वक्त में एक खेल के रूप में क्रिकेट यूं ही शर्मिंदा होता रहेगा.
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