भारतीय टीम की जीत का सिलसिला आखिरकार इंग्लैंड में जाकर थम गया, जब भारतीय टीम 9 एकदिवसीय श्रृंखला जीतने के बाद इंग्लैंड के साथ सीरीज 1-2 से गंवा बैठी. इससे पहले भारतीय टीम ने इंग्लैंड को T20 सीरीज में मात दी थी. हालांकि भारतीय टीम सीरीज जरूर हार गई मगर इस सीरीज के बाद हार से ज्यादा चर्चा इस बात की हो रही है कि क्या अब महेंद्र सिंह धोनी को एकदिवसीय क्रिकेट से भी अलविदा कह देना चाहिए. इस बात की चर्चा को मैच के बाद वायरल हुए एक वीडियो ने भी बल दिया जहां धोनी मैच के बाद अंपायर से बॉल मांगते दिख रहे हैं.
हालांकि प्रदर्शन के लिहाज से देखें तो धोनी ने जहां दूसरे मैच में 37 रन तो वहीं तीसरे मैच में 42 रन बनाए, हालांकि रन के लिहाज से यह आकंडें बुरे नहीं लगते मगर इन रनों के लिए धोनी ने क्रमशः 59 और 66 गेंद का सामना किया. दूसरे मैच में तो धोनी को अपनी धीमी बल्लेबाजी के लिए दर्शकों के गुस्से का भी सामना करना पड़ा, जब दर्शकों ने धोनी के खिलाफ हूटिंग की. वाकई जब टीम 300 से ज्यादा के स्कोर का पीछा कर रही हो, ऐसे में धोनी की धीमी बल्लेबाजी समझ से परे ही थी, हालांकि मैच के बाद कप्तान विराट कोहली जरूर धोनी का बचाव करते आये थे. हालांकि तीसरे मैच में धोनी की धीमी बल्लेबाजी के परिस्थितियों को भी जिम्मेदार माना जा सकता है जहां धोनी के ऑउट हो जाने की स्थिति में टीम के 50 ओवर से पहले आउट होने का खतरा था.
अब इस दौरे के बाद फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है...
भारतीय टीम की जीत का सिलसिला आखिरकार इंग्लैंड में जाकर थम गया, जब भारतीय टीम 9 एकदिवसीय श्रृंखला जीतने के बाद इंग्लैंड के साथ सीरीज 1-2 से गंवा बैठी. इससे पहले भारतीय टीम ने इंग्लैंड को T20 सीरीज में मात दी थी. हालांकि भारतीय टीम सीरीज जरूर हार गई मगर इस सीरीज के बाद हार से ज्यादा चर्चा इस बात की हो रही है कि क्या अब महेंद्र सिंह धोनी को एकदिवसीय क्रिकेट से भी अलविदा कह देना चाहिए. इस बात की चर्चा को मैच के बाद वायरल हुए एक वीडियो ने भी बल दिया जहां धोनी मैच के बाद अंपायर से बॉल मांगते दिख रहे हैं.
हालांकि प्रदर्शन के लिहाज से देखें तो धोनी ने जहां दूसरे मैच में 37 रन तो वहीं तीसरे मैच में 42 रन बनाए, हालांकि रन के लिहाज से यह आकंडें बुरे नहीं लगते मगर इन रनों के लिए धोनी ने क्रमशः 59 और 66 गेंद का सामना किया. दूसरे मैच में तो धोनी को अपनी धीमी बल्लेबाजी के लिए दर्शकों के गुस्से का भी सामना करना पड़ा, जब दर्शकों ने धोनी के खिलाफ हूटिंग की. वाकई जब टीम 300 से ज्यादा के स्कोर का पीछा कर रही हो, ऐसे में धोनी की धीमी बल्लेबाजी समझ से परे ही थी, हालांकि मैच के बाद कप्तान विराट कोहली जरूर धोनी का बचाव करते आये थे. हालांकि तीसरे मैच में धोनी की धीमी बल्लेबाजी के परिस्थितियों को भी जिम्मेदार माना जा सकता है जहां धोनी के ऑउट हो जाने की स्थिति में टीम के 50 ओवर से पहले आउट होने का खतरा था.
अब इस दौरे के बाद फिर यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या धोनी को 2019 के विश्वकप तक टीम में बने रहना चाहिए या किसी और को मौका देना चाहिए? निश्चित तौर पर वर्तमान भारतीय टीम को विश्वकप जीतने के लिए धोनी की जरूरत होगी. अगर वर्तमान टीम पर नजर दौड़ाएं तो भारतीय टीम पहले तीन बल्लेबाज रोहित शर्मा, शिखर धवन और कप्तान विराट कोहली से बहुत ज्यादा उम्मीद रखती है, क्योंकि अभी भारतीय टीम का मध्य क्रम हिला हुआ है. इसमें अभी तक टीम कई खिलाड़ियों को खिला कर देख चुकी है मगर अभी तक तय तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि अंतिम 11 में कौन होंगे. ऐसी स्थिति में धोनी काफी उपयोगी हो सकते हैं क्योंकि धोनी का होना निचले क्रम को मजबूती देता है. यह जरूर है कि धोनी हाल के वर्षों में कुछ धीमे हो गए हैं मगर अच्छी चीज यह है कि धोनी के बल्ले से अभी भी रन आ रहे हैं और विकेट के पीछे अभी भी उनका कोई सानी नहीं है.
अगले साल का वर्ल्डकप इंग्लैंड में होना है जहां धोनी का अनुभव काफी काम आ सकता है क्योंकि आधी भारतीय टीम नई है, और धोनी न केवल मैदान पर बल्कि मैदान के बाहर भी उनके लिए काफी मददगार हो सकते हैं. वैसे धोनी इस बार के आईपीएल में काफी जबरदस्त फॉर्म में थे और उन्होंने ताबड़तोड़ रन भी बनाये थे, और ऐसे में उन्हें बिल्कुल भी खारिज नहीं किया जा सकता. वर्तमान में धोनी टीम के सबसे फिट खिलाड़ियों में से भी हैं इसलिए अगले साल के विश्वकप तक उनके खेलने की उम्मीद तो की ही जा सकती है.
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