भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 10 हजार रन बनाने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बन गई हैं. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चल रही एक दिवसीय क्रिकेट सीरीज के दौरान लखनऊ में मिताली ने ये रिकॉर्ड बनाया है. 'लेडी सचिन' के नाम से मशहूर 38 साल की ये क्रिकेटर ऐसा कारनामा करने वाली दुनिया की दूसरी महिला खिलाड़ी बन चुकी है. इंग्लैंड की शॉरलॉट एडवर्ड्स पहले स्थान पर हैं. मिताली अब तक पांच वर्ल्ड कप खेल चुकी हैं. साल 2005 के वर्ल्ड कप में वह पहली बार टीम की कप्तान बनी थीं, तब भारतीय टीम उप विजेता रही थी.
बहुत कम लोग जानते हैं कि मिताली राज ने बचपन से क्लासिकल डांस सीखना शुरू कर दिया था. 10 साल की उम्र में तो वह भरतनाट्यम में पारंगत हो गई थी. लेकिन बचपन से बहुत आलसी थीं, इसीलिए वायुसेना में वारंट अधिकारी उनके पिता ने उन्हें सक्रिय बनाए रखने के लिए डांस के साथ क्रिकेट की ट्रेनिंग भी दिलानी शुरू कर दी. लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब उनको डांस और क्रिकेट में से किसी एक को चुनना था, तो उन्होंने क्रिकेट को गले लगाया. आज मिताली महिला क्रिकेट टीम की पहचान हैं. बहुत लोगों को तो मिताली के आने बाद पता चला कि महिला क्रिकेट टीम भी अच्छा खेल सकती है.
मिताली के पिता दोराय राज ने एक इंटरव्यू में बताया था, 'मिताली बहुत आलसी थी. सुबह बहुत देर से जागती थी. उसे एक्टिव बनाने के लिए मैं बेटे के साथ उसे भी ग्राउंड पर ले जाने लगा. वहां कभी-कभी प्लास्टिक और टेनिस बॉल फेंकने के लिए कहता था. उस समय वहां कोच ज्योति प्रसाद थे. मिताली की गेंदबाजी देख उन्हें एक हफ्ते के लिए ट्रायल पर रख लिया. एक दिन उन्होंने कहा कि इस लड़की में टैलेंट है. आप इसे...
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 10 हजार रन बनाने वाली पहली भारतीय महिला क्रिकेटर बन गई हैं. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चल रही एक दिवसीय क्रिकेट सीरीज के दौरान लखनऊ में मिताली ने ये रिकॉर्ड बनाया है. 'लेडी सचिन' के नाम से मशहूर 38 साल की ये क्रिकेटर ऐसा कारनामा करने वाली दुनिया की दूसरी महिला खिलाड़ी बन चुकी है. इंग्लैंड की शॉरलॉट एडवर्ड्स पहले स्थान पर हैं. मिताली अब तक पांच वर्ल्ड कप खेल चुकी हैं. साल 2005 के वर्ल्ड कप में वह पहली बार टीम की कप्तान बनी थीं, तब भारतीय टीम उप विजेता रही थी.
बहुत कम लोग जानते हैं कि मिताली राज ने बचपन से क्लासिकल डांस सीखना शुरू कर दिया था. 10 साल की उम्र में तो वह भरतनाट्यम में पारंगत हो गई थी. लेकिन बचपन से बहुत आलसी थीं, इसीलिए वायुसेना में वारंट अधिकारी उनके पिता ने उन्हें सक्रिय बनाए रखने के लिए डांस के साथ क्रिकेट की ट्रेनिंग भी दिलानी शुरू कर दी. लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब उनको डांस और क्रिकेट में से किसी एक को चुनना था, तो उन्होंने क्रिकेट को गले लगाया. आज मिताली महिला क्रिकेट टीम की पहचान हैं. बहुत लोगों को तो मिताली के आने बाद पता चला कि महिला क्रिकेट टीम भी अच्छा खेल सकती है.
मिताली के पिता दोराय राज ने एक इंटरव्यू में बताया था, 'मिताली बहुत आलसी थी. सुबह बहुत देर से जागती थी. उसे एक्टिव बनाने के लिए मैं बेटे के साथ उसे भी ग्राउंड पर ले जाने लगा. वहां कभी-कभी प्लास्टिक और टेनिस बॉल फेंकने के लिए कहता था. उस समय वहां कोच ज्योति प्रसाद थे. मिताली की गेंदबाजी देख उन्हें एक हफ्ते के लिए ट्रायल पर रख लिया. एक दिन उन्होंने कहा कि इस लड़की में टैलेंट है. आप इसे प्रॉपर क्रिकेट कैंप में भेजिए. इसके बाद स्कूली लड़कियों को क्रिकेट की कोचिंग देने वाले संपत कुमार उसके कोच बन गए. फिर जो कुछ हुआ वो इतिहास है.'
वर्ल्ड क्रिकेट में नजीर हैं मिताली
तमाम संघर्षों, विवादों और उतार-चढ़ाव के बाद आज मिताली राज वर्ल्ड क्रिकेट में नजीर बन चुकी हैं. उनके नाम कई रिकॉर्ड हैं. वह एकदिवसीय मैचों में लगातार सात अर्धशतक बनाने वाली पहली महिला क्रिकेटर हैं. मिताली से आगे पाकिस्तान के जावेद मियांदाद एकमात्र खिलाड़ी हैं, जिन्होंने लगातार 9 अर्धशतक बनाए हैं. वह एकमात्र ऐसी क्रिकेटर हैं (पुरुष या महिला), जिन्होंने एक से अधिक आईसीसी वर्ल्ड कप फाइनल में भारतीय टीम की कप्तानी की है. उन्होंने साल 2017 और 2005 में दो बार ऐसा किया है. वह पहली भारतीय क्रिकेटर हैं, जिन्होंने वर्ल्ड कप में 1000 से अधिक रन बनाए हैं.
'क्रिकेट महिलाओं का भी खेल है'
क्रिकेट को पुरुषों का खेल माना जाता है. इस खेल के बड़े रिकॉर्ड्स अधिकांशत: पुरुष खिलाड़ियों के नाम पर होते रहे हैं. लेकिन मिताली राज (Mithali Raj) जैसी क्रिकेटर ने इस मिथक को तोड़ दिया है. उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में कई ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित कर देश का नाम रौशन किया है. उन्होंने कई रिकॉर्ड ऐसे बनाए हैं, जो पुरुष क्रिकेटर उनके बाद बना पाए हैं. 3 दिसंबर 1982 को राजस्थान के जोधपुर में जन्मी मिताली राज शुरुआती दिनों में जब अपनी किट लेकर खेलने जाती, तो लोग यही समझते कि हॉकी प्लेयर हैं, क्योंकि वो सोच ही नहीं पाते थे कि लड़कियों की क्रिकेट टीम होगी.
सर्वाधिक रन का बनाया कीर्तिमान
साल 2003 में 'अर्जुन अवार्ड' और साल 2015 में 'पदम् श्री' से सम्मानित मिताली राज ने महज 17 साल की उम्र में वर्ल्ड क्रिकेट में अपना करियर शुरू कर दिया था. साल 1999 में मिल्टन केन्स में आयरलैंड के खिलाफ अपना पहला एक दिवसीय मैच खेला, जिसमें नाबाद 114 रन बनाए थे. साल 2002 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला था. अपने तीसरे टेस्ट मैच में मिताली ने 214 रन बनाकर कैरण रोल्टन का विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया था. अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेट में आज तक का यह सर्वाधिक स्कोर का कीर्तिमान है. उन्होंने 10 टेस्ट मैचों की 16 पारियों में 663 रन बनाए हैं.
विवाद में विजय के साथ वापसी
कहते हैं जब कोई इंसान बुलंदियों पर होता है, तो उसके साथ कई बार अनावश्यक विवाद होते रहते हैं. कुछ ऐसा ही मिताली राज के साथ भी हुआ. साल 2018 में उनका अपनी टीम के तत्कालीन कोच रमेश पवार और कप्तान हरमनप्रीत कौर के साथ एक मैच को लेकर विवाद हो गया. विवाद इतना बढ़ा कि मिताली को उस साल आयोजित टी-20 वर्ल्ड कप फाइनल मैच से बाहर कर दिया गया. मिताली ने बीसीसीआई को कोच और सीओए के खिलाफ लेटर लिख दिया. यह विवाद लंबा खिंचा, लेकिन बाद में रमेश पवार को कोच पद से हटा दिया गया और मिताली की टीम में वापसी हो गई.
यूं ही महान खिलाड़ी नहीं बन जाता!
कुछ खिलाड़ी 'मुंह' चलाने की जगह 'हाथ' चलाना पसंद करते हैं. जो महान होते हैं, वो कभी अपनी आलोचनाओं पर पलटवार नहीं करते, बल्कि अपने खेल से यह साबित कर देते हैं कि वो सच में महान हैं. क्रिकेट की ही बात करें तो महान क्रिकेटर की संज्ञा धारण करने वाले सचिन तेंदूलकर हों या महेंद्र सिंह धोनी, हर बार आलोचना का जवाब इन दोनों ने अपने बल्ले से दिया. जब रिटायरमेंट की बात हुई, दोनों ने शतक जड़ दिया. आलोचकों का मुंह खुद बंद हो जाता. कुछ ऐसा ही मिताली का भी हाल है. हालही में उनके रिटायरमेंट को लेकर चर्चाएं होनी शुरू हो गई थीं, लेकिन इसी बीच रनों का पहाड़ खड़ा करके, अनोखा रिकार्ड बनाकर मिताली ने रिटायरमेंट की चर्चा करने वालों के मुंह बंद कर दिए. मिताली राज को बहुत-बहुत शुभकामनाएं!
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