ओलंपिक 2021 के लिए टोक्यो गए खिलाड़ी 1 गोल्ड 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज मेडल के साथ हिंदुस्तान लौट चुके हैं. सारे देश में खुशी की लहर है. राज्य और केंद्र सरकार दोनों ही खिलाड़ियों पर इनामों की बरसात कर रहे हैं. स्पॉन्सर्स जीतने वाले खिलाड़ियों पर पहले ही नजरें गड़ाए बैठे थे, भारत के खिलाड़ियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने उन्हें भी मौका दे दिया है. स्पॉन्सर्स की तरफ से चौका जड़ने की तैयारी लगभग पूरी है. क्या मेन स्ट्रीम मीडिया क्या सोशल मीडिया कहीं का भी रुख कर लीजिए हर जगह एक सुर में यही कहा जा रहा है कि वाक़ई इस बार अपने खिलाड़ियों ने कमाल कर दिया. वाक़ई ये कमाल ही है जिसके चलते हम खिलाड़ियों को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नाश्ता करते देख रहे हैं. खिलाड़ियों से हुई इस मुलाकात में जैसा रवैया देश के पीएम का था ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि पीएम मोदी ने खिलाड़ियों के साथ वो कर दिया है जो 70 साल में कभी नहीं हो पाया. बात बहुत सीधी और एकदम स्पष्ट है. 70 साल लग गए देश और खिलाड़ियों दोनों को ये समझने में कि खिलाड़ी ही देश की असली धरोहर हैं.
ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोक्यो ओलिंपिक में हिस्सा लेकर देश का मान बढ़ाने वाले सभी खिलाड़ियों की न केवल हौसला अफजाई की बल्कि उनसे अपने आवास पर मुलाकात भी की है. आवास पर हुए इस प्रोग्राम में देश के पीएम एथलीटों को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए सम्मानित करते नजर आए. लेकिन उससे पहले सभी ने PM मोदी के साथ ब्रेक-फास्ट किया. यूं तो इस प्रोग्राम में बहुत कुछ हुआ लेकिन पूरे इवेंट में दो पल सबसे खास थे. इनमें ऐसा बहुत कुछ था जिसने महफ़िल लूट ली.
ध्यान रहे कि हम जिन दो पलों की बात कर रहे हैं इनमें एक वो पल था जब...
ओलंपिक 2021 के लिए टोक्यो गए खिलाड़ी 1 गोल्ड 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज मेडल के साथ हिंदुस्तान लौट चुके हैं. सारे देश में खुशी की लहर है. राज्य और केंद्र सरकार दोनों ही खिलाड़ियों पर इनामों की बरसात कर रहे हैं. स्पॉन्सर्स जीतने वाले खिलाड़ियों पर पहले ही नजरें गड़ाए बैठे थे, भारत के खिलाड़ियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन ने उन्हें भी मौका दे दिया है. स्पॉन्सर्स की तरफ से चौका जड़ने की तैयारी लगभग पूरी है. क्या मेन स्ट्रीम मीडिया क्या सोशल मीडिया कहीं का भी रुख कर लीजिए हर जगह एक सुर में यही कहा जा रहा है कि वाक़ई इस बार अपने खिलाड़ियों ने कमाल कर दिया. वाक़ई ये कमाल ही है जिसके चलते हम खिलाड़ियों को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नाश्ता करते देख रहे हैं. खिलाड़ियों से हुई इस मुलाकात में जैसा रवैया देश के पीएम का था ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि पीएम मोदी ने खिलाड़ियों के साथ वो कर दिया है जो 70 साल में कभी नहीं हो पाया. बात बहुत सीधी और एकदम स्पष्ट है. 70 साल लग गए देश और खिलाड़ियों दोनों को ये समझने में कि खिलाड़ी ही देश की असली धरोहर हैं.
ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोक्यो ओलिंपिक में हिस्सा लेकर देश का मान बढ़ाने वाले सभी खिलाड़ियों की न केवल हौसला अफजाई की बल्कि उनसे अपने आवास पर मुलाकात भी की है. आवास पर हुए इस प्रोग्राम में देश के पीएम एथलीटों को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए सम्मानित करते नजर आए. लेकिन उससे पहले सभी ने PM मोदी के साथ ब्रेक-फास्ट किया. यूं तो इस प्रोग्राम में बहुत कुछ हुआ लेकिन पूरे इवेंट में दो पल सबसे खास थे. इनमें ऐसा बहुत कुछ था जिसने महफ़िल लूट ली.
ध्यान रहे कि हम जिन दो पलों की बात कर रहे हैं इनमें एक वो पल था जब टोक्यो ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा को चूरमा खिलाया गया. वहीं दूसरे में पीएम मोदी ने टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली पीवी सिंधु के साथ अपने आइसक्रीम खाने के वादे को पूरा किया.
गौरतलब है कि बीते दिन 15 अगस्त के मौके पर लाल किले पर झंडा फहराने के बाद नरेंद्र मोदी ने टोक्यो 2020 में भाग लेने वाले खिलाड़ियों को लेकर कहा था कि - एथलीट्स पर विशेष तौर पर हम ये गर्व कर सकते हैं कि उन्होंने केवल दिल ही नहीं जीता, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने का बहुत बड़ा काम किया है.
वहीं अब जब आवास पर मुलाकात हो गई है और पीएम ने अपना वादा भी पूरा कर दिया है तो हम इतना जरूर कहेंगे कि जैसा खेलों और खिलाड़ियों के प्रति इंटरेस्ट नरेंद्र मोदी ने दिखाया है अगर इसके लिए कोई मेडल होता तो अवश्य ही पीएम मोदी उसके हकदार होते. हो सकता है ये मेडल वाली बात आलोचकों को बुरी लग जाए मगर हम ऐसा क्यों कह रहे हैं? इसकी माकूल वजहें हमारे पास हैं.
इन वजहों को समझने के लिए हमें उस समय को याद करना होगा जब हमारे खिलाड़ी ओलंपिक खेलों के सिलसिले में टोक्यो रवाना होने वाले थे. तब पीएम मोदी ने सभी खिलाड़ियों से संवाद स्थापित किया. हो सकता है इस जानकारी के बाद लोग कह दें कि इसमें नया क्या था? ये तो हमेशा ही होता आया है. तो ऐसे लोगों को इस बात को जरूर जानना चाहिए कि अपने संवाद में पीएम मोदी ने खिलाड़ियों को जो आत्मीयता,जो अपनापन दिया उसका एहसास शब्दों में नहीं किया जा सकता. ये एक ऐसी अनुभूति है जिसे केवल समझा और महसूस किया जा सकता है.
एक खिलाड़ी के लिए ये आत्मीयता कितना मायने रखती है ? यदि इस सवाल का सबसे सही जवाब कोई दे सकता है तो वो और कोई नहीं बल्कि शटलर पीवी सिंधू ही होंगी. प्रधानमंत्री ने शटलर पीवी सिंधू से बात करते हुए एक पुराने किस्से को याद किया था और कह था कि, 'मुझे याद है कि रियो ओलंपिक के समय आपको आइसक्रीम खाने से रोका जाता था. टोक्यों ओलंपिक में सफलता के बाद साथ में आइसक्रीम खाएंगे'.
हालांकि पीएम अपना वादा पूरा कर चुके हैं मगर एक बार एक खिलाड़ी की नजर से पीएम की इस बात पर पुनर्विचार कीजिये. क्या ऐसी आत्मीयता या ये कहें कि इस तरह पर्सनल होना एक खिलाड़ी को मंत्रमुग्ध नहीं करेगा? भले ही टोक्यो से आने के बाद अनुशासन के नाम पर संकट के बादल गहराने लगे हों लेकिन रेसलर विनेश फोगाट के घरवालों से ये पूछना कि वो लोग कौन सी चक्की का आटा खाते हैं क्या एक खिलाड़ी के अंदर नई ऊर्जा का संचार नहीं करेगा?
आलोचक भी इस बात को मानते हैं कि बात करने में पीएम का कोई जोड़ नहीं है. पीएम मोदी उस वक़्त बेजोड़ साबित होते हैं जब वो हारने के बावजूद भारतीय महिला हॉकी टीम को फोन करते हैं. उस टेलीफोन वार्ता में पीएम मोदी का हॉकी प्लेयर नवनीत कौर की आंख में लगी चोट का हाल चाल लेना, सलीमा की तबियत के बारे में पूछना, वंदना का जिक्र करना ये बताने के लिए काफी है कि पीएम मोदी यूं ही शब्दों के जादूगर नहीं हैं. उन्होंने जो कर दिखाया है उसके विषय में 70 सालों में शायद हो किसी अन्य प्रधानमंत्री ने सोचा हो.
बात फिर वही है. वो व्यक्ति जो देश का मुखिया है जब वो इस तरह हाल चाल लेता है. संवाद स्थापित करता है उत्साह बढ़ाता है तो उस पल खिलाड़ी को भी अपनी जिम्मेदारी का एहसास होता है. कहना गलत नहीं है कि ऐसे पलों में खिलाड़ी की ऊर्जा और आत्मविश्वास सातवें आसमान पर होता होगा.
अंत में हम बस ये कहकर अपनी बातों को विराम देंगे कि नीरज को चूरमा और सिंधू को आइस क्रीम खिलाकर पीएम मोदी ने इतिहास रच दिया है. काश बीते 70 सालों में किसी प्रधानमंत्री ने ऐसा सोचा या फिर किया होता तो आज स्थिति कुछ और होती 7 की जगह 17 या 27 या 37 मेडल भारत के पास होते.
खैर राजनीति को किनारे रखकर देश के प्रधानमंत्री का खिलाड़ियों के लिए टाइम निकालना. उनसे मिलना. उनके साथ ब्रेक फ़ास्ट करना फिर सम्मानित करना अपने पुराने वादे निभाना और सबसे जरूरी और बड़ी बात खिलाड़ियों के विषय में सोचना ये नरेंद्र मोदी के अलावा शायद ही कोई और कर पाता.
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