क्रिकेट का शौक हर किसी को दीवाना बना देता है. खाने-पीने से लेकर पढ़ाई लिखाई तक चौपट करते हुए शौकीन देखे जा सकते हैं. हालांकि, घर वालों की डांट डपट इस शौक पर किसी भी प्रकार का अंकुश आज भी नहीं लगा पाती. दर्शक भले ही क्रिकेटर न बन पाएं, लेकिन टीवी पर क्रिकेट देख रहे मैच का जुनून जीवन में एक अलग ही रोमांच पैदा करता है. खुद एक क्रिकेट प्रेमी होने के नाते इसे अच्छे से जान और समझ सकता हूँ. लेकिन जैसे-जैसे समाजिकता और क्रिकेट के पीछे की पॉलिटिक्स से पर्दा उठता चला गया, मेरा क्रिकेट को देखने का नज़रिया भी बदल गया. अब क्रिकेट दिल से नहीं दिमाग से देखता हूँ. किसी के आउट होने पर अब दुख नहीं बल्कि उसके पिछले दिन की दिनचर्या वाली खबर पर नज़र रखता हूँ. पूरे क्रिकेट इतिहास में कई खिलाड़ियों से जो एकतरफा याराना हुआ करता था अब उसका रूप बदल चुका है. इसी क्रम में आपको उन खिलाड़ियों की याद दिला देना चाहता हूँ जो अपने मोटे होने की वजह से भी उतना ही चर्चित थे, जितना अपने खेले क्रिकेट के लिए. टीवी स्क्रीन पर उन्हे देख अजब सी खुशी भी होती थी. फिलहाल आज की या कहें मेरी खुद की पीढ़ी अब उन खिलाड़ियों को टीवी स्क्रीन पर शायद ही देख पाये, जो अपने वजन के लिए चर्चित हो. सिक्स पैक एब्स वाले जमाने में ऐसे क्रिकेटरों का मिल पाना भी महज एक संयोग होगा. तो आइये जानते है ऐसे ही कुछ मोटे मोटे खिलाड़ियों को जिनको कभी स्क्रीन पर देख हम खुश हुआ करते थे. और वे हमने अपनी बैटिंग बॉलिंग और फील्डिंग से एक खुशनुमा एहसास कराया करते थे.
ऐसे खिलाड़ियों की सूची में पाकिस्तानी खिलाड़ी इंजमाम उल हक और बरमूडा के ड्वेन लेवरॉक मेरे फेवरेट रहे हैं. ड्वेन का पेट जब टीशर्ट को फाड़ता हुआ बाहर निकलने की कोशिश करता था वो मोमेंट मैं आज भी याद करता हूँ.
क्रिकेट का शौक हर किसी को दीवाना बना देता है. खाने-पीने से लेकर पढ़ाई लिखाई तक चौपट करते हुए शौकीन देखे जा सकते हैं. हालांकि, घर वालों की डांट डपट इस शौक पर किसी भी प्रकार का अंकुश आज भी नहीं लगा पाती. दर्शक भले ही क्रिकेटर न बन पाएं, लेकिन टीवी पर क्रिकेट देख रहे मैच का जुनून जीवन में एक अलग ही रोमांच पैदा करता है. खुद एक क्रिकेट प्रेमी होने के नाते इसे अच्छे से जान और समझ सकता हूँ. लेकिन जैसे-जैसे समाजिकता और क्रिकेट के पीछे की पॉलिटिक्स से पर्दा उठता चला गया, मेरा क्रिकेट को देखने का नज़रिया भी बदल गया. अब क्रिकेट दिल से नहीं दिमाग से देखता हूँ. किसी के आउट होने पर अब दुख नहीं बल्कि उसके पिछले दिन की दिनचर्या वाली खबर पर नज़र रखता हूँ. पूरे क्रिकेट इतिहास में कई खिलाड़ियों से जो एकतरफा याराना हुआ करता था अब उसका रूप बदल चुका है. इसी क्रम में आपको उन खिलाड़ियों की याद दिला देना चाहता हूँ जो अपने मोटे होने की वजह से भी उतना ही चर्चित थे, जितना अपने खेले क्रिकेट के लिए. टीवी स्क्रीन पर उन्हे देख अजब सी खुशी भी होती थी. फिलहाल आज की या कहें मेरी खुद की पीढ़ी अब उन खिलाड़ियों को टीवी स्क्रीन पर शायद ही देख पाये, जो अपने वजन के लिए चर्चित हो. सिक्स पैक एब्स वाले जमाने में ऐसे क्रिकेटरों का मिल पाना भी महज एक संयोग होगा. तो आइये जानते है ऐसे ही कुछ मोटे मोटे खिलाड़ियों को जिनको कभी स्क्रीन पर देख हम खुश हुआ करते थे. और वे हमने अपनी बैटिंग बॉलिंग और फील्डिंग से एक खुशनुमा एहसास कराया करते थे.
ऐसे खिलाड़ियों की सूची में पाकिस्तानी खिलाड़ी इंजमाम उल हक और बरमूडा के ड्वेन लेवरॉक मेरे फेवरेट रहे हैं. ड्वेन का पेट जब टीशर्ट को फाड़ता हुआ बाहर निकलने की कोशिश करता था वो मोमेंट मैं आज भी याद करता हूँ.
1994 में न्यूजीलैंड के विरुद्ध मैच से अपने वन डे इंटरनेशन की शुरुआत और न्यूजीलैंड के खिलाफ ही अपने टेस्ट मैच की शुरुआत करने वाले राइट हैंड बल्लेबाज और राइट आर्म्स मीडियम फास्ट बॉलर डैरेन गॉफ़ जितना अपनी बॉलिंग की लाइन और लेंथ के लिए जाने जाते हैं उतना ही खुद के वजन के लिए भी. उनका वजन उनकी टीम और दर्शकों के लिए खेल के मैदान और बाहर दोनों जगहों पर खूब रोमांचित करता था. आज की पीढ़ी उन्हे क्रिकेट के मैदान में नहीं देख पाएगी. 2006 में डैरेन ने लॉर्ड्स में अपना आखिरी मैच पाकिस्तान के खिलाफ खेला था. गौरतलब है कि 90 के दशक में वो इंग्लैंड की टीम की बॉलिंग का प्रतिनिधित्व किया करते थे. जेसी राइडर...
जेसी राइडर न्यूजीलैंड टीम के लेफ्ट हैंडर इंजमाम उल हक कहे जाते हैं. न्यूजीलैंड टीम के आलराउंडर बल्लेबाज जेसी राइडर ने 2008 में इंग्लैंड के विरुद्ध अपने वन डे क्रिकेट की शुरुआत की और वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए 2014 के एक मैच के बाद सन्यास ले लिया था. पूरे क्रिकेट कैरियर में उन्होंने 48 वन डे मैच खेले और 95.71 के स्ट्राइक रेट से 1362 रन बनाए. उनका ओवर वेट वजन उनके और उनकी टीम के लिए जितना मनोरंजक था उतना दर्शकों को भी उन्हें स्क्रीन देखकर मजा आता था. रमेश पवार...
भारत की क्रिकेट टीम में यूं तो सभी अपने सिक्स पैक एब्स और स्वैग को लेकर चर्चा में रहते हैं लेकिन एकमात्र ऐसा खिलाड़ी भारत की तरफ से खेल चुका है जिसका बढ़ा हुआ वेट चर्चा का प्रमुख विषय हुआ करता था. छोटे कद के रमेश पवार ने अपना कैरियर 2004 में शुरू किया था, लेकिन ज्यादा दूर तक उनका क्रिकेट टीम के साथ जुड़ाव रह नहीं पाया. इसमें कहीं न कहीं उनका बढ़ा हुआ वेट भी प्रमुख कारण था. रमेश अपने हेयर स्टाइल के लिए भी उन दिनों फेमस हुआ करते थे.
आस्ट्रेलियाई ओपनर बल्लेबाज डेविड बून की बल्लेबाजी के कायल न जाने उन दिनों कितने हुआ करते थे. 1984 से अपने टेस्ट और वन डे मैच की शुरुआत करने वाले बून ने 107 टेस्ट और 181 वन डे मैच खेले. स्ट्राइक रेट भी 65 से ऊपर का रहा. इनके बढ़ा हुए वजन का असली मजा दर्शक फील्डिंग के दौरान लिया करते थे. केग ऑन लेग के नाम से मशहूर डेविड को आज की क्रिकेट देखने वाली पीढ़ी काफी मिस करेगी.
अर्जुन रन्थुंगा...
श्रीलंकन खिलाड़ी अर्जुन रन्थुंगा 18 साल की उम्र में टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ी थे. उन्होने अपने पहले ही मैच में अर्धशतक मार अपने भविष्य को व्याख्यायित कर दिया था. बाद के वर्षों में श्रीलंका क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करने वाले अर्जुन के नाम ढेरों रिकॉर्ड दर्ज हैं. उनके नाम यह भी रिकॉर्ड है कि वह बहुत कम सिंगल रन लिया करते थे. चूंकि वह बहुत मोटे थे इसीलिए उनके लिए सिंगल दौड़ पाना मुश्किल हुआ करता था. मर्व ह्यूघ्स (Merve hughes)
आस्ट्रेलिया के बॉलर मर्व ह्यूघ्स अपनी बॉलिंग के साथ ही अपने वजन और बेहतरीन अंदाज वाली मूंछों के लिए लोकप्रिय थे. खेल के मैदान से घरों में टीवी स्क्रीन पर देख रहे भारतीय दर्शकों ने जब-जब उन्हें देखा उनका खुले दिल से स्वागत किया. मर्व अपने मज़ाकिया लहजे से दर्शकों को खूब आनंदित किया करते थे. 33 ODI और 53 टेस्ट खेलने वाले मर्व को क्रिकेट दर्शक आज भी उनके चिर परिचित अंदाज के लिए याद करते हैं. इंजमाम उल हक...
अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में अगर सबसे प्यारी चीज है तो वह मेरी नज़र में पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के इंजमाम उल हक ही हैं. उनको जब-जब टीवी स्क्रीन पर देखा उनका अंदाज ही देख कर खूब आनंदित हुआ. उनकी मैच के बाद बोली जाने वाली अंग्रेजी और मैच के दौरान दौड़ कर लिए जाने वाले रन का दृश्य आज भी देखते हुए मेरे मन से एक अलग रोमांच आ जाता है. एक हाई वेटेड खिलाड़ी के लिए भाग कर रन लेना कितना कठिन होता है यह इंजमाम से बेहतर भला कौन जान सकता है. मैंने तो कई ऐसे भी मैच देखे हैं, जिसमें इंजमाम की रनिंग के लिए किसी दूसरे खिलाड़ी को लगाया जाता था. आज के क्रिकेट में ऐसा सिर्फ चोटिल होने की स्थिति में ही हो सकता है.
बरमूडा क्रिकेट टीम भले ही छोटी हो, लेकिन कई बार उस टीम ने दुनिया की अलग अलग टीमों को अचंभित किया है. हालांकि, उनकी खुद की टीम में ड्वेन लेवरॉक के तौर पर एक ऐसा अचंभा था की उन्हें देख कर कोई भी सोच में पड़ जाये. बरमूडा में ही जेल की वैन चलाने वाले पुलिस कर्मी ड्वेन लेवरॉक अपने वजन के लिए चर्चा में रहते थे. 2007 के विश्व कप क्रिकेट में वह सबसे ज्यादा वजन के खिलाड़ी के तौर पर भी चर्चा के केंद्र में रहे थे. मौजूदा क्रिकेट में ऐसे मोटे खिलाड़ियों का किसी भी टीम में मिल पाना महज एक संयोग हो सकता है. ऐसा नहीं हैं कि इनके मोटापे की वजह से इन खिलाड़ियों ने खेल के मैदान में कुछ नहीं किया हो. इन सभी के नाम ढेरों ऐसे रिकॉर्ड है जिसके लिए इन्हें याद किया जाता है.
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