फुटबॉल वर्ल्ड कप शुरू होने को है और देश दुनिया के लोगों का उत्साह देखने वाला है. बात चूंकि फुटबॉल की है तो लाजमी है जीत 32 में से उसी टीम की होगी जो शानदार प्रदर्शन करते हुए सबको मात देगी. शानदार प्रदर्शन के लिए अभ्यास बहुत जरूरी है. टीमें अपने विजय अभियान का आगाज़ करने से पहले प्रैक्टिस मैच में अपनी तैयारियां पुख्ता करती और अपनी कमियों को दूर करती नजर आ रही हैं. छोटी से लेकर बड़ी टीम चाहे कोई भी हो सभी टीमें इसी फिराक में हैं कि कैसे वो उम्दा खेल का परिचय देकर वर्ल्ड कप हथिया लें. फुटबॉल जैसे खेल के लिए सबसे जरूरी हैं कि खिलाड़ी फिट रहें. ऐसे में उन मुस्लिम देशों को बड़ी परेशानी हो रही है जो रमजान के मद्देनजर रोजे से हैं मगर फीफा वर्ल्ड कप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं.
फीफा वर्ल्ड कप में भाग ले रही ट्यूनीशिया की टीम भी किसी अन्य टीम की तरह है. मगर रमजान के मद्देनजर जो रास्ता उसने निकाला वो हैरत में डालने वाला था. बात आगे बढ़ाने से पहले आपको बताते चलें कि ट्यूनीशियाई की टीम में 23 में से 22 खिलाड़ी मुस्लिम हैं और इनमें भी ज्यादातर खिलाड़ी रोजे से हैं.
टीम ने पिछले सात दिनों में दो मैच खेले हैं और दोनों ही मैचों में जब भी इफ्तार का समय नजदीक आया टीम के गोल कीपर ने अपने साथी खिलाडियों के रोजों को ध्यान में रखकर एक बेहद अनूठी चाल चली. टीम के गोल कीपर की ये चाल कामयाब हुई और जहां एक तरफ रोजा बदस्तूर जारी रखा तो वहीं इस्लामिक नियमों के अनुसार वहीं ग्राउंड पर ही अपना रोजा खोला.
फुटबॉल वर्ल्ड कप शुरू होने को है और देश दुनिया के लोगों का उत्साह देखने वाला है. बात चूंकि फुटबॉल की है तो लाजमी है जीत 32 में से उसी टीम की होगी जो शानदार प्रदर्शन करते हुए सबको मात देगी. शानदार प्रदर्शन के लिए अभ्यास बहुत जरूरी है. टीमें अपने विजय अभियान का आगाज़ करने से पहले प्रैक्टिस मैच में अपनी तैयारियां पुख्ता करती और अपनी कमियों को दूर करती नजर आ रही हैं. छोटी से लेकर बड़ी टीम चाहे कोई भी हो सभी टीमें इसी फिराक में हैं कि कैसे वो उम्दा खेल का परिचय देकर वर्ल्ड कप हथिया लें. फुटबॉल जैसे खेल के लिए सबसे जरूरी हैं कि खिलाड़ी फिट रहें. ऐसे में उन मुस्लिम देशों को बड़ी परेशानी हो रही है जो रमजान के मद्देनजर रोजे से हैं मगर फीफा वर्ल्ड कप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं.
फीफा वर्ल्ड कप में भाग ले रही ट्यूनीशिया की टीम भी किसी अन्य टीम की तरह है. मगर रमजान के मद्देनजर जो रास्ता उसने निकाला वो हैरत में डालने वाला था. बात आगे बढ़ाने से पहले आपको बताते चलें कि ट्यूनीशियाई की टीम में 23 में से 22 खिलाड़ी मुस्लिम हैं और इनमें भी ज्यादातर खिलाड़ी रोजे से हैं.
टीम ने पिछले सात दिनों में दो मैच खेले हैं और दोनों ही मैचों में जब भी इफ्तार का समय नजदीक आया टीम के गोल कीपर ने अपने साथी खिलाडियों के रोजों को ध्यान में रखकर एक बेहद अनूठी चाल चली. टीम के गोल कीपर की ये चाल कामयाब हुई और जहां एक तरफ रोजा बदस्तूर जारी रखा तो वहीं इस्लामिक नियमों के अनुसार वहीं ग्राउंड पर ही अपना रोजा खोला.
ध्यान रहे कि, मैच के दौरान साथी खिलाड़ी अपना रोजा खोल सकें इसके लिए पूरी टीम ने मिलकर एक प्लान बनाया है. प्लान के अनुसार इफ्तार के कुछ वक़्त पहले ही टीम के गोलकीपर मेउज हसन चोट का बहाना बनाकर नीचे लेट जाते हैं, जिससे टीम को समय मिलता है और उनके साथी पूरी तसल्ली से अपना रोजा खोल लेते हैं. ज्ञात हो कि टीम के गोलकीपर हसन पुर्तगाल और तुर्की के खिलाफ दोनों मुकाबलों में सूरज डूबने के साथ सेकंड हाफ के शुरू में चोट का बहाना बनाकर नीचे गिर जाते हैं, जिसे रोजा खोला जा सके. दोनों ही मौकों पर उनकी चोट ने उनके साथियों को ग्राउंड पर किनारे जाकर खजूर खाने और पानी पीने का मौका दे दिया.
गौरतलब है कि पुर्तगाल के खिलाफ पहले मैच में हसन 58वें मिनट पर चोटिल हो गए और इसके छह मिनट बाद ही ट्यूनीशिया ने गोल करके मुकाबला 2-2 से ड्रॉ करवाया. वहीं बात अगर तुर्की के साथ खेले गए मैच की हो तो 49वें मिनट में वह चोट लगने की बात कहकर सीधे लेट गए थे. जो तस्वीरें सामने आ रही हैं उनको देखें तो मिल रहा है कि जब ग्राउंड पर उनका इलाज चल रहा था उस वक़्त उनके खिलाड़ी अपना रोजा खोल रहे थे. ये मैच भी 2-2 से ड्रॉहुआ था.
इस घटना के बाद फूटबाल प्रेमी दो वर्गों में बंट गए हैं जिनमें एक वर्ग ये मान रहा है कि ट्यूनीशिया की टीम ने ग्राउंड पर नियमों का उल्लंघन किया है तो वहीं एक फुटबॉल प्रेमियों का एक वर्ग ऐसा है जिसका ये मानना है कि हर चीज की आलोचना सही नहीं है और इन्होंने ये भी किया वो एक टीम के तौर पर इनकी यूनिटी दर्शा रहा है. अंत में हम भी ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि भले ही ट्यूनीशिया की टीम की आलोचना हो रही हो मगर जो उन्होंने किया उससे उन तमाम टीमों को प्रेरणा लेनी चाहिए जो खेलती तो साथ हैं मगर जिनमें एकता और टीम भावना का आभाव होता है.
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