करीब दो हफ्तों का लंबा इंतजार. फिर निराशा और उम्मीदों के बीच लगातार संघर्ष और आखिरकार एक ब्रॉन्ज मेडल. संयोग देखिए, पहला मेडल दिलाया भी तो किसने. भारतीय महिला पहलवान साक्षी मलिक ने! ओलंपिक अब खत्म होने को हैं और बेशक भारत को उतने पदक नहीं मिले जितनी उम्मीद थी. लेकिन फिर भी साक्षी की ये जीत बहुत अहम है.
अब बात करते हैं इस जीत की. सुबह किसी चैनल पर साक्षी की जीत का कवरेज करते हुए एक लाइन चल रही थी- 'हिंदुस्तान की सुल्तान'. लेकिन साक्षी सुल्तान कैसे हो सकती है. वह तो अपनी सभी चुनौतियों को हराते हुए पदक जीतकर लाई है. उसने तो अपनी प्रैक्टिस के बारे में कोई उल-जुलूल बात नहीं की.
बड़े पर्दे के 'सुल्तान' का वो बयान तो आपको याद ही होगा. सलमान खान ने सुल्तान की शूटिंग के दौरान हुई थकान की तुलना रेप की शिकार महिला की हालत से कर डाली थी. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सलमान ने अपनी मेहनत का बखान इन शब्दों में किया था, 'जब मैं रिंग से बाहर जाता था तो रेप्ड वुमन की तरह महसूस करता था. मैं सीधा नहीं चल पाता था. खाना खाता और फिर ट्रेनिंग के लिए चला जाता. और यही सिलसिला चलता रहा.'
यह भी पढ़ें- आखिर कहाँ हैं ब्रांड एम्बेसडर सलमान और रहमान
सलमान ने कभी अपने इस बयान पर कोई अफसोस जताने की जरूरत नहीं समझी. न समझें. वे बड़े स्टार हैं! लेकिन ओलंपिक का ये ब्रांड एंबेसडर अगर खेलों पर नजर रखता है तो उसे ये तो अब बताना ही चाहिए कि जो लड़की एक दिन में पांच-पांच मुकाबले जीतती है, वो भी पर्दे पर नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बेहतरीन महिला पहलवानों के खिलाफ... उसे देखकर वो क्या सोचते हैं.
करीब दो हफ्तों का लंबा इंतजार. फिर निराशा और उम्मीदों के बीच लगातार संघर्ष और आखिरकार एक ब्रॉन्ज मेडल. संयोग देखिए, पहला मेडल दिलाया भी तो किसने. भारतीय महिला पहलवान साक्षी मलिक ने! ओलंपिक अब खत्म होने को हैं और बेशक भारत को उतने पदक नहीं मिले जितनी उम्मीद थी. लेकिन फिर भी साक्षी की ये जीत बहुत अहम है. अब बात करते हैं इस जीत की. सुबह किसी चैनल पर साक्षी की जीत का कवरेज करते हुए एक लाइन चल रही थी- 'हिंदुस्तान की सुल्तान'. लेकिन साक्षी सुल्तान कैसे हो सकती है. वह तो अपनी सभी चुनौतियों को हराते हुए पदक जीतकर लाई है. उसने तो अपनी प्रैक्टिस के बारे में कोई उल-जुलूल बात नहीं की. बड़े पर्दे के 'सुल्तान' का वो बयान तो आपको याद ही होगा. सलमान खान ने सुल्तान की शूटिंग के दौरान हुई थकान की तुलना रेप की शिकार महिला की हालत से कर डाली थी. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सलमान ने अपनी मेहनत का बखान इन शब्दों में किया था, 'जब मैं रिंग से बाहर जाता था तो रेप्ड वुमन की तरह महसूस करता था. मैं सीधा नहीं चल पाता था. खाना खाता और फिर ट्रेनिंग के लिए चला जाता. और यही सिलसिला चलता रहा.' यह भी पढ़ें- आखिर कहाँ हैं ब्रांड एम्बेसडर सलमान और रहमान सलमान ने कभी अपने इस बयान पर कोई अफसोस जताने की जरूरत नहीं समझी. न समझें. वे बड़े स्टार हैं! लेकिन ओलंपिक का ये ब्रांड एंबेसडर अगर खेलों पर नजर रखता है तो उसे ये तो अब बताना ही चाहिए कि जो लड़की एक दिन में पांच-पांच मुकाबले जीतती है, वो भी पर्दे पर नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बेहतरीन महिला पहलवानों के खिलाफ... उसे देखकर वो क्या सोचते हैं.
वैसे, सलमान घोषणा कर चुके हैं कि वे ओंलिपक में हिस्सा ले रहे हर भारतीय एथलीटों को 1 लाख रुपये देंगे. ये और बात है कि हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सलमान महिला जिमनास्ट दीपा कर्माकर का नाम तक गलत ले बैठे थे. कभी दीपिका तो कभी दीप्ति जो सूझा बोल दिया. ये कुछ दिन पहले की बात है जब बॉलीवुड से लेकर समूचे देश तक में दीपा की बात हो रही थी. बहरहाल, साक्षी ने जो कर दिखाया है, उसके बाद वो किसी परिचय की मोहताज नहीं रह गई हैं. ओलंपिक में ब्रॉन्ज हासिल करने के साथ ही वे ओलंपिक इतिहास में मेडल हासिल करने वाली चौथी महिला एथलीट बन गई हैं. यह भी पढ़ें- जिमनास्टिक देखने के लिए इस देश ने अपनी नींद कब खराब की थी? इससे पहले कर्णम मल्लेश्वरी, मैरी कॉम और साइना नेहवाल ऐसा कमाल कर चुकी हैं. दिलचस्प बात ये है कि कर्णम मल्लेश्वरी ने वेटलिफ्टिंग और मैरी कॉम ने बॉक्सिंग में मेडल जीते. ये वो खेल हैं, जिसके बारे में हमारा समाज यही सोच सोचकर हैरान होता रहा है कि महिलाएं ये ताकत वाले खेल कैसे खेल सकती हैं. 'आरफा' की जीत साबित करती हैं साक्षी फिल्म सुल्तान में अनुष्का शर्मा का आरफा वाला किरदार भले ही ये जताने के लिए गढ़ा गया कि कैसे एक लड़की समाज की धारणा बदलने और अपने सपने को पूरा करने के लिए रेसलिंग को चुनती है. लेकिन फिल्मी कहानी में उस 'आरफा' को भी आखिरकार अपने सपनों की तिलांजलि देनी पड़ती है. इसलिए ये कहना होगा कि रियल लाइफ की 'आरफा' साक्षी ने ही सही मायनों में उन तमाम धारणाओं को तोड़ा है. हमारे समाज और फिल्मों तक में 'हीरो' का हिरोइज्म कुछ कदर हावी रहता है कि हम महिलाओं को कोई बड़ा कमाल करते दिखाने से बचते रहते हैं. लेकिन साक्षी ने दिखा दिया है कि फिल्मों की कहानी से उलट एक दूसरी कहानी भी गढ़ी जा सकती है. और वो ही असली जिंदगी की कहानी. यह भी पढ़ें- रियो ओलंपिकः इन एथलीटों की हार तो जीत से भी बड़ी है! इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये भी पढ़ेंRead more! संबंधित ख़बरें |