जम्मू-कश्मीर में आतंकियों द्वारा आम नागरिकों और सेना के जवानों की गई हत्याओं के विरोध में मांग उठ रही है कि टी20 वर्ल्ड कप (T20 World Cup) में 24 अक्टूबर को भारत (India) और पाकिस्तान (Pakistan) के बीच होने वाले महामुकाबले को रद्द कर दिया जाए. हालांकि, ऐसा संभव नहीं है. भारत जैसे देश में जहां क्रिकेट (Cricket) को लेकर जुनून इस कदर हो कि इसे एक अलग ही धर्म का दर्जा दे दिया गया हो. वहां एक आम नागरिक की भावनाओं के लिहाज से भारत-पाकिस्तान (India vs Pakistan) के बीच मैच रद्द करने की बात जायज नजर आती है. लेकिन, वर्ल्ड क्रिकेट (World Cricket) के लिहाज से देखा जाए, तो यह भारत के लिए ही एक झटका साबित हो सकता है. खैर, ये बात तो तय है कि टी20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया का पाकिस्तान के खिलाफ मैच होना ही है. लेकिन, क्रिकेट खेलने वाले दुनियाभर के कई देशों द्वारा पाकिस्तान से दूरी बना लेने के बावजूद वह खुद में सुधार लाने की ओर कुछ खास कदम उठाता नजर नहीं आता है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो पाकिस्तान को आतंकवाद (Terrorism) का सरगना बने रहने के लिए वर्ल्ड क्रिकेट से दूर होना भी मंजूर है.
भारत ने बना रखी है पाकिस्तानी क्रिकेट से दूरी
टी20 वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले महामुकाबले का फैंस बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. क्योंकि, करीब दो साल से भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह का कोई मैच नहीं हुआ है. वैसे टीम इंडिया और पाकिस्तान क्रिकेट टीम के बीच क्रिकेट पर बीते 9 साल से ब्रेक लगा हुआ है. इस दौरान टीम इंडिया ने पाकिस्तान क्रिकेट टीम के साथ किसी भी तरह की द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेली है. हालांकि, वर्ल्ड क्रिकेट को हैंडल करने वाले आईसीसी के टूर्नामेंट्स में भारत और पाकिस्तान के बीच भिड़ंत देखने को मिल जाती है. लेकिन, पिछली बार यह मौका इंग्लैंड में हुए 2019 के वनडे वर्ल्ड कप में आया था. दरअसल, भारत ने राजनीतिक रूप से मजबूत इच्छाशक्ति दिखाते हुए पाकिस्तान और उसकी क्रिकेट टीम की बुरी हालत बना दी है. टीम इंडिया ने पाकिस्तान क्रिकेट टीम के साथ आखिरी द्विपक्षीय सीरीज 2012 में खेली थी. वहीं, टीम इंडिया आखिरी बार 2006 में पाकिस्तान के दौरे पर गई थी. वहीं, टेस्ट मैच की बात की जाए, तो भारत-पाकिस्तान के बीच आखिरी मुकाबला 2008 में खेला गया था. भारत को आईसीसी...
जम्मू-कश्मीर में आतंकियों द्वारा आम नागरिकों और सेना के जवानों की गई हत्याओं के विरोध में मांग उठ रही है कि टी20 वर्ल्ड कप (T20 World Cup) में 24 अक्टूबर को भारत (India) और पाकिस्तान (Pakistan) के बीच होने वाले महामुकाबले को रद्द कर दिया जाए. हालांकि, ऐसा संभव नहीं है. भारत जैसे देश में जहां क्रिकेट (Cricket) को लेकर जुनून इस कदर हो कि इसे एक अलग ही धर्म का दर्जा दे दिया गया हो. वहां एक आम नागरिक की भावनाओं के लिहाज से भारत-पाकिस्तान (India vs Pakistan) के बीच मैच रद्द करने की बात जायज नजर आती है. लेकिन, वर्ल्ड क्रिकेट (World Cricket) के लिहाज से देखा जाए, तो यह भारत के लिए ही एक झटका साबित हो सकता है. खैर, ये बात तो तय है कि टी20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया का पाकिस्तान के खिलाफ मैच होना ही है. लेकिन, क्रिकेट खेलने वाले दुनियाभर के कई देशों द्वारा पाकिस्तान से दूरी बना लेने के बावजूद वह खुद में सुधार लाने की ओर कुछ खास कदम उठाता नजर नहीं आता है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो पाकिस्तान को आतंकवाद (Terrorism) का सरगना बने रहने के लिए वर्ल्ड क्रिकेट से दूर होना भी मंजूर है.
भारत ने बना रखी है पाकिस्तानी क्रिकेट से दूरी
टी20 वर्ल्ड कप में भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले महामुकाबले का फैंस बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. क्योंकि, करीब दो साल से भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह का कोई मैच नहीं हुआ है. वैसे टीम इंडिया और पाकिस्तान क्रिकेट टीम के बीच क्रिकेट पर बीते 9 साल से ब्रेक लगा हुआ है. इस दौरान टीम इंडिया ने पाकिस्तान क्रिकेट टीम के साथ किसी भी तरह की द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेली है. हालांकि, वर्ल्ड क्रिकेट को हैंडल करने वाले आईसीसी के टूर्नामेंट्स में भारत और पाकिस्तान के बीच भिड़ंत देखने को मिल जाती है. लेकिन, पिछली बार यह मौका इंग्लैंड में हुए 2019 के वनडे वर्ल्ड कप में आया था. दरअसल, भारत ने राजनीतिक रूप से मजबूत इच्छाशक्ति दिखाते हुए पाकिस्तान और उसकी क्रिकेट टीम की बुरी हालत बना दी है. टीम इंडिया ने पाकिस्तान क्रिकेट टीम के साथ आखिरी द्विपक्षीय सीरीज 2012 में खेली थी. वहीं, टीम इंडिया आखिरी बार 2006 में पाकिस्तान के दौरे पर गई थी. वहीं, टेस्ट मैच की बात की जाए, तो भारत-पाकिस्तान के बीच आखिरी मुकाबला 2008 में खेला गया था. भारत को आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप-2021 के मद्देनजर पाकिस्तान क्रिकेट टीम के साथ टेस्ट सीरीज खेलनी थी. लेकिन, भारत ने सख्त तेवर अपनाते हुए मना कर दिया था. भड़के पाकिस्तान ने आईसीसी का दरवाजा खटखटाया और टीम इंडिया की शिकायत की. लेकिन, कोई फायदा नहीं मिला.
भारत ने पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने को लेकर अपनी राय बहुत स्पष्ट कर रखी है. भारत सरकार के साथ ही बीसीसीआई प्रमुख सौरव गांगुली का भी मानना है कि आतंकवाद और बातचीत के एक साथ न होने की तर्ज पर ही क्रिकेट को लेकर भी भारत का रवैया बिल्कुल सख्त होना चाहिए. आईसीसी की वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप-2021 में पाकिस्तान के साथ सीरीज खेलने से इनकार करने में सौरव गांगुली ने दोबारा नहीं सोचा था. सौरव गांगुली ने सख्त तेवर अपनाते हुए आईसीसी के सामने साफ कर दिया था कि टीम इंडिया किसी भी हाल में पाकिस्तान के साथ नहीं खेलेगी. भारत ने आईसीसी को पहले से ही बता रखा है कि किसी भी आईसीसी टूर्नामेंट के पाकिस्तान में आयोजित होने पर टीम इंडिया इसमें भाग नहीं लेगी. इतना ही नहीं, बीसीसीआई ने विश्व की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग IPL में भी पाकिस्तानी खिलाड़ियों के खेलने पर लंबे समय से बैन लगाया हुआ है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो भारत ने राजनीतिक तौर के साथ ही क्रिकेट में भी पाकिस्तान से उचित दूरी बना रखी है.
रसातल में जाने वाला है पाकिस्तान क्रिकेट
वेस्टइंडीज, बांग्लादेश जैसे देशों को छोड़ दिया जाए, तो आज के समय में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने को कोई भी देश तैयार नहीं है. दुनिया की बेहतरीन क्रिकेट टीमों को पाकिस्तान में मैच खेलने से डर लगता है. दरअसल, पाकिस्तान ने दुनियाभर में आतंकिस्तान के तौर अपनी पहचान बना ली है. अफगानिस्तान में हिंसा और आतंक के दम पर सत्ता में काबिज हुए तालिबान को बढ़ावा देने में भी पाकिस्तान का ही हाथ था. पाकिस्तान ने तालिबान को करीब दो दशकों तक अपने यहां पनाह दी. इतना ही नहीं, पाकिस्तान दुनियाभर के टॉप मोस्ट वांटेड आतंकियों की शरणस्थली के तौर पर भी जाना जाता है. हाल ही में 18 साल बाद पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के साथ सीरीज खेलने पहुंची न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम ने ऐन मौके पर अपना दौरा रद्द कर दिया था. दरअसल, पाकिस्तान की इंटेलिजेंस एजेंसियों ने न्यूजीलैंड क्रिकेट टीम पर आतंकी हमला होने की संभावना जताई थी. जिसके बाद उनके सामने पाकिस्तान से निकलने का ही विकल्प बचा था. इसके ठीक बाद इंग्लैंड की क्रिकेट टीम ने भी पाकिस्तान का दौरा रद्द करने की घोषणा कर दी थी. कहना गलत नहीं होगा कि आतंकवाद की फैक्ट्री बनने के चलते पाकिस्तानी क्रिकेट रसातल में जाता जा रहा है.
आतंकवाद का सरगना बने रहने की चाहत
किसी जमाने में अपनी तेज रफ्तार गेंदों से दुनियाभर के बल्लेबाजों को छकाने वाले पूर्व पाकिस्तानी खिलाड़ी और वर्तमान में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी आतंकियों की भाषा ही बोलते नजर आते हैं. कश्मीर मामले को लेकर दुनियाभर में खुद को मुस्लिमों का मसीहा साबित करने की कोशिश करने में जुटा पाकिस्तान भारत में आतंकवाद फैलाने के पीछे की प्रमुख वजह है. भारत के मोस्ट वांटेड अपराधियों को पाकिस्तान में पनाह दी जाती है. इतना ही नहीं, संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका की ओर से घोषित आतंकियों की पनाहगाह भी पाकिस्तान रहा है. अफगानिस्तान में सत्ता में आई तालिबानी सरकार के मंत्रियों की लिस्ट में जितने मोस्ट वांटेड आतंकी थे, उन सभी को पाकिस्तान में शरण मिली हुई थी. मनी लॉन्ड्रिंग के जरिये आतंकवाद को खाद-पानी देने के लिए पाकिस्तान पर एफएटीएफ ने प्रतिबंध लगा रखा है. इस प्रतिबंध की वजह से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो चुकी है. लेकिन, इतना सब होने के बावजूद भी पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर कोई समझौता करने के मूड में नहीं दिखता है. आखिर क्रिकेट जैसी छोटी चीज के लिए वह आतंकवाद के सरगना का खिताब कैसे छोड़ सकता है?
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.