क्रिकेट जैसे खेल में कुछ भी पूर्वनिर्धारित नहीं है. न खेल, न खिलाड़ियों के निर्णय. मौके बेमौके क्रिकेट की दुनिया में ऐसा कुछ न कुछ घट जाता है तो कभी विवाद का विषय बनता है तो कभी कयासों का कारण. ऐसी घटनाएं फैंस को कैसे और किस हद तक प्रभावित करती हैं? गर इस सवाल को समझना हो तो हमें बीसीसीआई के मुखिया और पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली के उस ट्वीट का रुख करना चाहिए जिसने भारतीय क्रिकेट की दुनिया और फैंस के बीच खलबली मचा दी. चाहे वो सोशल मीडिया के अलग अलग ट्रेंड्स हों या फिर मेन स्ट्रीम मीडिया. लोगों ने अपनी सुविधा के हिसाब से गांगुली के उस ट्वीट के अर्थ निकाल लिए. कहा तो यहां तक गया कि गांगुली ने बीसीसीआई के मुखिया के पद से इस्तीफा दे दिया. गांगुली ने खुद अटकलों को विराम दिया है और कहा है कि, मैंने इस्तीफा नहीं दिया है. मैं दुनिया भर में एक नया शिक्षा ऐप लॉन्च कर रहा हूं. इस्तीफा नहीं दिया.
क्योंकि सीजन राज्यसभा की उम्मीदवारी का है तो कयास तो यहां तक थे कि बल्ले के सहारे दादा राज्यसभा का रुख करने वाले हैं. राज्यसभा से लेकर किसी पार्टी की शरण में जाने तक बातें हो ही रही थीं. लोगों को राहत तब मिली जब बीसीसीआई के सचिव फ्रंट फुट पर आए और परेशान लोगों को तसल्ली देते हुए कहा कि गांगुली ने बोर्ड से इस्तीफा नहीं दिया है.
जय शाह ने समाचार एजेंसी पीटीआई को एक बयान जारी किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि, ‘सौरव गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटने को लेकर चल रही अफवाहें तथ्यात्मक रूप से गलत हैं. मीडिया अधिकारों को लेकर आगे कुछ उत्साहित करने वाला समय आने वाला है. मेरे साथी और मैं पूरी तरह से इस आगामी मौके और...
क्रिकेट जैसे खेल में कुछ भी पूर्वनिर्धारित नहीं है. न खेल, न खिलाड़ियों के निर्णय. मौके बेमौके क्रिकेट की दुनिया में ऐसा कुछ न कुछ घट जाता है तो कभी विवाद का विषय बनता है तो कभी कयासों का कारण. ऐसी घटनाएं फैंस को कैसे और किस हद तक प्रभावित करती हैं? गर इस सवाल को समझना हो तो हमें बीसीसीआई के मुखिया और पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली के उस ट्वीट का रुख करना चाहिए जिसने भारतीय क्रिकेट की दुनिया और फैंस के बीच खलबली मचा दी. चाहे वो सोशल मीडिया के अलग अलग ट्रेंड्स हों या फिर मेन स्ट्रीम मीडिया. लोगों ने अपनी सुविधा के हिसाब से गांगुली के उस ट्वीट के अर्थ निकाल लिए. कहा तो यहां तक गया कि गांगुली ने बीसीसीआई के मुखिया के पद से इस्तीफा दे दिया. गांगुली ने खुद अटकलों को विराम दिया है और कहा है कि, मैंने इस्तीफा नहीं दिया है. मैं दुनिया भर में एक नया शिक्षा ऐप लॉन्च कर रहा हूं. इस्तीफा नहीं दिया.
क्योंकि सीजन राज्यसभा की उम्मीदवारी का है तो कयास तो यहां तक थे कि बल्ले के सहारे दादा राज्यसभा का रुख करने वाले हैं. राज्यसभा से लेकर किसी पार्टी की शरण में जाने तक बातें हो ही रही थीं. लोगों को राहत तब मिली जब बीसीसीआई के सचिव फ्रंट फुट पर आए और परेशान लोगों को तसल्ली देते हुए कहा कि गांगुली ने बोर्ड से इस्तीफा नहीं दिया है.
जय शाह ने समाचार एजेंसी पीटीआई को एक बयान जारी किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि, ‘सौरव गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष पद से हटने को लेकर चल रही अफवाहें तथ्यात्मक रूप से गलत हैं. मीडिया अधिकारों को लेकर आगे कुछ उत्साहित करने वाला समय आने वाला है. मेरे साथी और मैं पूरी तरह से इस आगामी मौके और भारतीय क्रिकेट के हितों की रक्षा करने पर ध्यान लगाए हैं.
ध्यान रहे भले ही अपने दूसरे ट्वीट से गांगुली तमाम अफवाहों को विराम दे चुके हों लेकिन अब उनका 'नई शुरुआत' का जिक्र करना लोगों के बीच चर्चा और कौतुहल दोनों का विषय बना हुआ है. चूंकि सारी बहस सौरव के ट्वीट से शुरू हुई तो ये बता देना भी जरूरी है कि बीसीसीआई में अध्यक्ष की कुर्सी में बैठने के बाद सौरव की जिंदगी में ऐसे तमाम मौके आए जब उन्हें विवादों का सामना करना पड़ा.
बीते साल की ही बात है विराट कोहली ने परफॉरमेंस का हवाला देकर टी 20 के कप्तान का पद छोड़ दिया था. बाद में उन्हें ओडीआई के कप्तान के पद से भी हटा दिया गया. इसका जिम्मेदार सौरव गांगुली को ठहराया गया था. विराट समर्थकों के बीच ये बहस आम थी कि यदि विराट के क्रिकेट करियर का पतन हुआ तो उसके जिम्मेदार सौरव गांगुली ही हैं.
जिक्र दादा के ट्वीट का हुआ है तो जब हम उस ट्वीट पर नजर डालें तो सौरव ने लिखा है कि 1992 से शुरू हुई मेरी क्रिकेट यात्रा को 2022 में 30वां वर्ष है. तब से क्रिकेट ने मुझे बहुत कुछ दिया है. सबसे महत्वपूर्ण, इसने मुझे आप सभी लोगों का समर्थन दिया है. मैं प्रत्येक व्यक्ति का शुक्रिया करना चाहता हूं जो मेरी इस यात्रा में साथ रहे हैं, जिन्होंने मेरा समर्थन किया है और आज मैं जहां हूं, वहां पहुंचने में मेरी मदद की है. आज मैं ऐसी शुरूआत करने की योजना बना रहा हूं जो मुझे लगता है कि शायद काफी लोगों की मदद करेगी. मुझे उम्मीद है कि मैं जब अपनी इस यात्रा के नए अध्याय में प्रवेश करूंगा तो आप मेरा इसी तरह समर्थन करना जारी रखेंगे.’
मामले के मद्देनजर यूं तो तमाम तर्क दिए जा सकते हैं. लेकिन गांगुली के ट्वीट के बाद इस्तीफे की अटकले क्यों लगीं? इसकी एक अहम् वजह उनकी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से हुई मुलकात है. बीते दिनों जब गांगुली शाह से मिले थे कहा यही गया था कि शाह इन्हें राजनीति में लाएंगे और बंगाल से राज्यसभा का उम्मीदवार घोषित करेंगे. ये कयास इसलिए भी थे क्योंकि जहां एक तरफ सौरव गांगुली भाजपा के नजदीक हैं तो वहीं उनकी घनिष्ठा सूबे की मुखिया ममता बनर्जी के साथ भी देखी जा सकती है. ये ममता ही थीं जिन्होंने संन्यास के बाद गांगुली को बंगाल क्रिकेट संघ का अध्यक्ष बनाया था.
बहरहाल अब जबकि चाहे वो जय शाह हों या फिर स्वयं सौरव गांगुली तमाम कयासों पर विराम लग गया है. तो फैंस को परेशान होने की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं है. अटकलें स्वास्थ्य को लेकर भी थीं. तो बताते चलें की गांगुली पूरी तरह ठीक हैं. वहीं जिक्र चूंकि राज्यसभा का है तो क्रिकेट में कुछ न तो निश्चित है न पूर्व निर्धारित बाकी जनता और गांगुली दोनों ही बहुत समझदार हैं.
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