पाकिस्तानी स्पिनर दानिश कनेरिया (Danish Kaneria) मैच फिक्सिंग के आरोप में आजीवन बैन झेल रहे हैं. जबकि उनके बाद ऐसे ही आरोप में बैन की सजा पाए मोहम्मद आमिर, सलमान बट और मोहम्मद आसिफ वापसी कर चुके हैं. कनेरिया इस भेदभाव की वजह उनके हिंदू धर्म को कई वर्षों से बताते रहे हैं. लेकिन अब शोएब अख्तर ने दानिश के साथ पाकिस्तानी ड्रेसिंग रूम में होते रहे दुर्व्यवहार पर से पर्दा हटाया, तो हमारे से इस पड़ोसी इस्लामी देश के भीतर गैर-मुस्लिम धर्मावलंबियों के प्रति कड़वाहट का चेहरा सामने आ गया.
दानिश के धार्मिक उत्पीड़न का मामला आसिया बीबी से बिलकुल अलग है. ईसाई महिला आसिया बीबी पर तो ईशनिंदा का आरोप लगा था. लेकिन दानिश तो पाकिस्तान के लिए मैच विनर होने के बावजूद अपने हिंदू धर्म के कारण अपमान और उत्पीड़न झेल रहे थे. बकौल शोएब अख्तर के, कोई पाकिस्तानी खिलाड़ी उनके साथ खाने की टेबल पर नहीं बैठता था. अब दानिश भी कह रहे हैं कि वे उन सभी खिलाडि़यों के नाम सामने लाएंगे, जिन्होंने उनके साथ ये बदसलूकी की.
दानिश ने हालांकि अपनी इस पीड़ा को तीन साल पहले भी इंडिया टुडे के साथ शेयर किया था कि किस तरह पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड ने हिंदू होने के नाते किस तरह उनके साथ भेदभाव किया है. जबकि पाकिस्तानी फैंस से उन्हें प्यार ही मिला है. लेकिन मौजूदा माहौल में दानिश कनेरिया से जुड़ी ये कंट्रोवर्सी भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों में बहस का विषय बन गई है.
पाकिस्तान में एक ओर जहां इमरान खान भारत में मोदी सरकार...
पाकिस्तानी स्पिनर दानिश कनेरिया (Danish Kaneria) मैच फिक्सिंग के आरोप में आजीवन बैन झेल रहे हैं. जबकि उनके बाद ऐसे ही आरोप में बैन की सजा पाए मोहम्मद आमिर, सलमान बट और मोहम्मद आसिफ वापसी कर चुके हैं. कनेरिया इस भेदभाव की वजह उनके हिंदू धर्म को कई वर्षों से बताते रहे हैं. लेकिन अब शोएब अख्तर ने दानिश के साथ पाकिस्तानी ड्रेसिंग रूम में होते रहे दुर्व्यवहार पर से पर्दा हटाया, तो हमारे से इस पड़ोसी इस्लामी देश के भीतर गैर-मुस्लिम धर्मावलंबियों के प्रति कड़वाहट का चेहरा सामने आ गया.
दानिश के धार्मिक उत्पीड़न का मामला आसिया बीबी से बिलकुल अलग है. ईसाई महिला आसिया बीबी पर तो ईशनिंदा का आरोप लगा था. लेकिन दानिश तो पाकिस्तान के लिए मैच विनर होने के बावजूद अपने हिंदू धर्म के कारण अपमान और उत्पीड़न झेल रहे थे. बकौल शोएब अख्तर के, कोई पाकिस्तानी खिलाड़ी उनके साथ खाने की टेबल पर नहीं बैठता था. अब दानिश भी कह रहे हैं कि वे उन सभी खिलाडि़यों के नाम सामने लाएंगे, जिन्होंने उनके साथ ये बदसलूकी की.
दानिश ने हालांकि अपनी इस पीड़ा को तीन साल पहले भी इंडिया टुडे के साथ शेयर किया था कि किस तरह पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड ने हिंदू होने के नाते किस तरह उनके साथ भेदभाव किया है. जबकि पाकिस्तानी फैंस से उन्हें प्यार ही मिला है. लेकिन मौजूदा माहौल में दानिश कनेरिया से जुड़ी ये कंट्रोवर्सी भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों में बहस का विषय बन गई है.
पाकिस्तान में एक ओर जहां इमरान खान भारत में मोदी सरकार के राज में मुसलमानों पर हो रही ज्यादती का उल्लेख करते हुए आरोप लगा रहे हैं. तो दानिश कनेरिया का मामला उनके अपने घर में दीपक तले अंधेरा होने की तरह सामने आया है. जिन्ना के जन्मदिन 25 दिसंबर को इमरान खान ने कहा कि उनके कायद-ए-आजम ने मुसलमानों के लिए ये मुल्क बनाया, जहां माइनॉरिटी के साथ बराबरी का सुलूक किया जाता है. लेकिन दानिश के मामले में उनके दलीलों का 'फैक्ट-चैक' कर दिया.
इधर, भारत में नागरिकता संशोधन कानून के हक में दी गई उस दलील को दानिश के मामले से ताकत ही मिली, जहां कहा गया था कि भारत के पड़ोसी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में गैर-मुस्लिम धर्म के लोगों का उत्पीड़न किया जाता है. CAA का विरोध कर रहे लोगों को टैग करके सोशल मीडिया पर कई पोस्ट लिखी गईं, जिसमें शोएब अख्तर के बयान की वीडिया क्लिप थी, जिसमें दानिश के साथ हुए भेदभाव का जिक्र था.
दानिश कनेरिया के उदाहरण ने बीजेपी सरकार और उसके समर्थकों को CAA support में अपनी बात कहने के लिए नया हथियार मिल गया है. अब ये बात ढंकी-छुपी नहीं है कि पूर्व क्रिकेटर और पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री इमरान खान के शासन में वहां के एक हिंदू क्रिकेटर को धार्मिक उत्पीड़न की शिकायत को लेकर सार्वजनिक होना पड़ रहा है.
ईसाई यूसुफ योहाना का मोहम्मद यूसुफ बनना साधारण धर्मांतरण नहीं था
पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक रहे शहरयार एम. खान ने अपनी किताब 'Cricket Cauldron: The Turbulent Politics of Sport in Pakistan' में पाकिस्तान के ईसाई खिलाड़ी यूसुफ योहाना के धर्म परिवर्तन की दारुण कथा लिखी है. वे लिखते हैं कि युसुफ के पूर्वज पीढ़ी दर पीढ़ी जमादार (सफाईकर्मी) का काम करते रहे. दलित होने के नाते उनके परिवार ने काफी यातनाएं झेलीं. इन यातनाओं से बचने के लिए और समाज में बराबरी से रहने के लिए काफी पहले उनके परिवार ने कैथोलिक ईसाई धर्म अपना लिया. लेकिन, इस धर्म परिवर्तन के बावजूद उनके परिवार के लिए आमदनी के रास्ते कुछ खास नहीं खुले. पाकिस्तान में ईसाइयों के साथ भेदभाव कोई अनोखी बात नहीं है. अपनी पहचान छुपाने के लिए ईसाई पाकिस्तान की सड़कों पर मुस्लिमों की तरह पहनावा पहनते हैं और बातचीत करते हैं.
यूसुफ के पिता रेलवे स्टेशन पर सफाईकर्मी की नौकरी करते रहे. और युसुफ खुद बतौर दर्जी का काम सीख रहे थे. उनकी किस्मत तब खुली जब एक क्रिकेट टीम में खिलाड़ी कम होने के कारण उन्हें खेलने का मौका दिया. युसुफ ने अपनी बल्लेबाजी के जौहर से सबको चकित कर दिया. धीरे-धीरे वो क्लब से होते हुए राष्ट्रीय टीम में पहुंच गए. लेकिन ईसाई होने के कारण कई बार उन्हें प्रताड़ना झेलनी पड़ी. एक समय ऐसा आया कि युसुफ पाकिस्तानी बल्लेबाजी की रीढ़ बन गए. पाकिस्तान को एक मैच विनर बल्लेबाज की जरूरत थी, जो युसुफ योहाना के रूप में उन्हें मिल गया था.
इस्लाम के प्रचारक बन चुके उनके पूर्व साथी खिलाड़ी सईद अनवर ने उन्हें धर्म परिवर्तन कर लेने का सुझाव दिया. यूसुफ को एहसास कराया गया कि उनके और पाकिस्तान के कप्तान के पद के बीच एक ही रुकावट है. यूसुफ का ईसाई धर्म. 2004-05 के आस्ट्रेलिया टूर के लिए यूसुफ को पाकिस्तान टीम की कप्तानी दी गई. लेकिन उस टूर से लौटते ही यूसुफ ने अपनी पत्नी तानिया के साथ ईसाई धर्म छोड़कर इस्लाम धर्म अपना लिया. और यूसुफ योहाना से मोहम्मद यूसुफ बन गए. करीब तीन महीने बाद ये खबर सार्वजनिक हुई. जब बात बाहर आई तो सबसे ज्यादा आश्चर्य यूसुफ की मां को हुआ.
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