कल पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान धोनी (Mahendra Singh Dhoni) के खेल से संन्यास (Retirement) लेने की घोषणा के तत्काल बाद भारत के मध्यक्रम के बाएं हाथ के बल्लेबाज सुरेश रैना (Suresh Raina Retirement ) ने भी अपना बल्ला रख दिया. शायद क्रिकेट (Cricket) के इतिहास में यह एक दुर्लभ उदाहरण होगा जब आपसी समझ और व्यवहार के कारण मैदान पर दिखने वाले इन आत्मीय मित्रों ने राम लक्ष्मण (Lord Ram and Lord Lakshman) सदृश साथ साथ वनगमन की भांति एक साथ ही क्रिकेट को अलविदा कह दिया. माही के संन्यास के ऐलान से क्रिकेट प्रेमी और प्रशंसक जहां भौचक थे वहीं तत्काल रैना के संन्यास की घोषणा से तो लोग हतप्रभ ही हो गए. भारतीय क्रिकेट में धोनी के कद के आगे रैना का न तो कोई रिकार्ड टिकता है और न ही कद. लेकिन भारतीय टीम के विगत दशक में मजबूत प्रदर्शन में मध्यक्रम में युवराज (Yuvraj Singh) और सुरेश रैना की बल्लेबाजी का कोई तोड़ भी न था. अपने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी और विशिष्ट खेल तकनीक के कारण सुरेश रैना ने अपनी एक अलग पहचान भी बनाई थी.
अपने शुरुआती समय में विश्व के बाएं हाथ के बल्लेबाजों में सर्वाधिक प्रतिभावान खिलाड़ी में गिने जाने वाले रैना ने अपने क्रिकेट कैरियर में पहला वन-डे साल 2005 में राहुल द्रविड़ की कप्तानी में खेला तत्पश्चात् सन 2006 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहला टी-20 खेला. टेस्ट क्रिकेट में रैना की बल्लेबाजी कुछ ख़ास प्रभावशाली नहीं रही इस कारण से साल 2010 में श्रीलंका के खिलाफ उन्हें टेस्ट कैप मिलने के बाद सिर्फ 18 टेस्ट में ही टीम इंडिया में अपना स्थान बना सके.
क्रिकेट के तीनों प्रारूप में सुरेश रैना पहले ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं जो शतक लगा चुके है. बाद में इस लिस्ट में...
कल पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान धोनी (Mahendra Singh Dhoni) के खेल से संन्यास (Retirement) लेने की घोषणा के तत्काल बाद भारत के मध्यक्रम के बाएं हाथ के बल्लेबाज सुरेश रैना (Suresh Raina Retirement ) ने भी अपना बल्ला रख दिया. शायद क्रिकेट (Cricket) के इतिहास में यह एक दुर्लभ उदाहरण होगा जब आपसी समझ और व्यवहार के कारण मैदान पर दिखने वाले इन आत्मीय मित्रों ने राम लक्ष्मण (Lord Ram and Lord Lakshman) सदृश साथ साथ वनगमन की भांति एक साथ ही क्रिकेट को अलविदा कह दिया. माही के संन्यास के ऐलान से क्रिकेट प्रेमी और प्रशंसक जहां भौचक थे वहीं तत्काल रैना के संन्यास की घोषणा से तो लोग हतप्रभ ही हो गए. भारतीय क्रिकेट में धोनी के कद के आगे रैना का न तो कोई रिकार्ड टिकता है और न ही कद. लेकिन भारतीय टीम के विगत दशक में मजबूत प्रदर्शन में मध्यक्रम में युवराज (Yuvraj Singh) और सुरेश रैना की बल्लेबाजी का कोई तोड़ भी न था. अपने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी और विशिष्ट खेल तकनीक के कारण सुरेश रैना ने अपनी एक अलग पहचान भी बनाई थी.
अपने शुरुआती समय में विश्व के बाएं हाथ के बल्लेबाजों में सर्वाधिक प्रतिभावान खिलाड़ी में गिने जाने वाले रैना ने अपने क्रिकेट कैरियर में पहला वन-डे साल 2005 में राहुल द्रविड़ की कप्तानी में खेला तत्पश्चात् सन 2006 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहला टी-20 खेला. टेस्ट क्रिकेट में रैना की बल्लेबाजी कुछ ख़ास प्रभावशाली नहीं रही इस कारण से साल 2010 में श्रीलंका के खिलाफ उन्हें टेस्ट कैप मिलने के बाद सिर्फ 18 टेस्ट में ही टीम इंडिया में अपना स्थान बना सके.
क्रिकेट के तीनों प्रारूप में सुरेश रैना पहले ऐसे भारतीय खिलाड़ी हैं जो शतक लगा चुके है. बाद में इस लिस्ट में रोहित शर्मा का नाम जुड़ा। 2010 के बाद से रैना ने लगातार शानदार प्रदर्शन किया, खूब रन बनाए और टीम को कई गंभीर मौके पर जीत दिलाई. रैना में मैच के अंत तक धैर्य से खेलने और जरूरत पड़ने पर रन रेट को बढ़ाने के लिए ताबड़तोड़ खेलने की विलक्षण क्षमता थी. इसी कारण इनके प्रशंसकों ने इन्हें द्रविड़ की भांति मिस्टर भरोसेमंद की उपाधि भी दी.
आईपीएल में चेन्नई सुपकिंग्स की टीम में भी कई मौकों पर धोनी के साथ उन्होंने लगभग हारे हुए मैच जीता कर क्रिकेट प्रेमियों को मंत्र मुग्ध भी किया. उनके कैरियर में यदि आंकड़ों पर गौर करें तो एक मध्यक्रम के बल्लेबाज जिसे प्रायः लंबी पारी तब ही मिलती है जब शीर्ष क्रम लगभग ध्वस्त हो चुका होता है या अंतिम के ओवरों में जब ज्यादा गेंदे शेष नहीं रहती है. इस लिहाज से टेस्ट में 26.5 का औसत व स्ट्राइक रेट 53.1, एकदिवसीय में 35.3 औसत व स्ट्राइक रेट 93.5 और टी ट्वेंटी में 29.2 के औसत के साथ 124.7 रन का औसत रैना की प्रतिभा और खेल क्षमता को दर्शाता है.
इसी के साथ आईपीएल समेत रैना ने कुल 14000 के लगभग रन भी बनाए. अभी उम्र के लिहाज़ से रैना के पास लगभग 2- 3 वर्षों का खेल भी बाकी था. लेकिन एक ईमानदार खिलाड़ी अपनी क्षमता का हर वक्त आंकलन भी करता चलता है. अतः निश्चित रूप से रैना ने अपने सन्यास के पीछे धोनी के प्रति अपने प्रेम और सम्मान के अतिरिक्त अपने प्रदर्शन में पिछले दो तीन वर्षों में आई गिरावट को भी आधार बनाया होगा. फ़िलहाल यह खेल है और यहां हर किसी को एक दिन रिटायर होना है.
भले ही आज धोनी के विशाल कद के पीछे रैना की उपलब्धियों की कोई विशेष चर्चा न हो लेकिन क्रिकेट के प्रेमी इस छोटे कद के ऐसे खिलाड़ी के रूप में याद रखेंगे जिसने एकदिवसीय और टी ट्वेंटी दोनों के विश्वकप में शतक जमाया है. साथ ही रैना के वह छक्के हमेशा याद रखेंगे जो उन्होंने पिछले पैर को जमीन पर टिकाकर अपने बल्ले से मैदान के पार भेजे है.
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