अगर मैं आपसे पूछूं कि क्या आप दलीप सिंह राणा को जानते हैं तो शायद पहली बार में आप नाम न पहचान पाएं, लेकिन अगर मैं कहूं कि यहां 'द ग्रेट खली' की बात हो रही है तो यकीनन आपके चेहरे में एक मुस्कान आ सकती है. 27 अगस्त 1975 को पंजाब के एक छोटे से गांव में जन्मे दिलीप सिंह राणा ने अमेरिका तक का सफर बड़े ही दिलचस्प तरीके से पूरा किया.
मजदूर से पहलवान तक का सफर .. दलीप सिंह राणा
बहुत ही कम लोगों को पता है कि खली उर्फ दलीप सिंह राणा असल में एक मजदूर का काम करते थे. रोड के किनारे पत्थर काटने का काम किया करते थे. उसके बाद मालाबार हिल्स पर एक होटल में भी काम किया. अतीत में दलीप को एक आम इंसान के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन असल में अगर देखा जाए तो इस आम इंसान ने अपनी मेहनत से ही खुद को खास बनाया है.
जो दलीप की सबसे बड़ी ताकत दिखाई देती है, यानी उनकी लंबाई वो असल में एक बीमारी है. Acromegaly एक ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से शरीर के हार्मोन्स में गड़बड़ी होने लगती है. और शरीर की ग्रंथियां ज्यादा बढ़ने वाला हार्मोन बनाती हैं. यानी इंसान की हाइट, हाथ, पैर सब कुछ बढ़ने लगते हैं. अपनी हाईट के कारण दलीप सिंह राणा अपने गांव में बहुत लोकप्रिय थी.
लेकिन इसे कभी उन्होंने अपने कमजोरी नहीं बनने दिया. कुश्ती और पहलवानी की ओर अपना ध्यान लगाया और 1995-96 में मिस्टर इंडिया बॉडीबिल्डर का खिताब भी जीता. दलीप का ये सफर आसान नहीं था. रास्ते में कई रोड़े थे तो कई बार समय खुद उनके खिलाफ था, लेकिन वो आगे बढ़ते गए.
दलीप सिंह को पुलिस की नौकरी किस्मत से ही मिली. वो एक दिन रोड किनारे पत्थर तोड़ने का काम कर रहे थे, उसी दिन...
अगर मैं आपसे पूछूं कि क्या आप दलीप सिंह राणा को जानते हैं तो शायद पहली बार में आप नाम न पहचान पाएं, लेकिन अगर मैं कहूं कि यहां 'द ग्रेट खली' की बात हो रही है तो यकीनन आपके चेहरे में एक मुस्कान आ सकती है. 27 अगस्त 1975 को पंजाब के एक छोटे से गांव में जन्मे दिलीप सिंह राणा ने अमेरिका तक का सफर बड़े ही दिलचस्प तरीके से पूरा किया.
मजदूर से पहलवान तक का सफर .. दलीप सिंह राणा
बहुत ही कम लोगों को पता है कि खली उर्फ दलीप सिंह राणा असल में एक मजदूर का काम करते थे. रोड के किनारे पत्थर काटने का काम किया करते थे. उसके बाद मालाबार हिल्स पर एक होटल में भी काम किया. अतीत में दलीप को एक आम इंसान के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन असल में अगर देखा जाए तो इस आम इंसान ने अपनी मेहनत से ही खुद को खास बनाया है.
जो दलीप की सबसे बड़ी ताकत दिखाई देती है, यानी उनकी लंबाई वो असल में एक बीमारी है. Acromegaly एक ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से शरीर के हार्मोन्स में गड़बड़ी होने लगती है. और शरीर की ग्रंथियां ज्यादा बढ़ने वाला हार्मोन बनाती हैं. यानी इंसान की हाइट, हाथ, पैर सब कुछ बढ़ने लगते हैं. अपनी हाईट के कारण दलीप सिंह राणा अपने गांव में बहुत लोकप्रिय थी.
लेकिन इसे कभी उन्होंने अपने कमजोरी नहीं बनने दिया. कुश्ती और पहलवानी की ओर अपना ध्यान लगाया और 1995-96 में मिस्टर इंडिया बॉडीबिल्डर का खिताब भी जीता. दलीप का ये सफर आसान नहीं था. रास्ते में कई रोड़े थे तो कई बार समय खुद उनके खिलाफ था, लेकिन वो आगे बढ़ते गए.
दलीप सिंह को पुलिस की नौकरी किस्मत से ही मिली. वो एक दिन रोड किनारे पत्थर तोड़ने का काम कर रहे थे, उसी दिन वहां से DSP गुजर रहे थे. जब उन्होंने दलीप को देखा तब वो एक भारी पत्थर उठाकर एक जगह से दूसरी जगह ले जा रहे थे. इस बात से पुलिस का वो अफसर बहुत खुश हुआ और दलीपकी ताकत देख उसे पंजाब पुलिस में नौकरी दे दी. ये वो दौर था जब पत्थर उठाने वाला दलीप सिंह पंजाब पुलिस में कॉन्सटेबल बन गया. दलीप सिंह ने नौकरी तो की, लेकिन वो खुश नहीं थे. उन्होंने अपने गुरू आशुतोष महाराज से कहा कि वो देश के लिए कुछ करना चाहते हैं. इसी समय दलीप सिंह ने प्रण लिया था कि वो शराब, ड्रग्स या अन्य किसी भी गलत काम की ओर नहीं बढ़ेंगे. इसके बाद ही दलीप सिंह ने कुश्ती की ट्रेनिंग शुरू की. ट्रेनिंग इतनी कड़ी थी कि पुलिस डिपार्ट्मेंट से भी कुछ लोग दलीप को मदद मिलने लगी. 18 घंटे परिश्रम के बाद खली ने कुश्ती में नाम करना शुरू की.
दलीप की जिंदगी में अब कुश्ती ने अपनी जगह बना ली थी. वो लगातार कई मैच जीत रहे थे. एक बार मैंगलोर जाते समय उन्होंने इंटरनेशल रेस्लिंग कॉम्पटीशन WWE के बारे में सुना. इसके बारे में उन्हें उनके दोस्तों ने बताया था. उससे पहले WWE का नाम भी नहीं सुना था. उस दिन दलीप ने जाना था कि द अंडरटेकर, केन, बिग शो, द रॉक आदि सुपर स्टार्स हैं और उन्हें लाखों करोड़ों लोग पसंद करते हैं. उनके मन में भी यही चाहत जागी. पर आखिर पंजाब पुलिस का एक बंदा कैसे अमेरिका जा सकता था? सपने देखने तक तो ठीक था, लेकिन दलीप को तो वहां भी भाषा भी नहीं आती थी. वहां जाने का खर्च उठाना तो बहुत दूर की बात थी.
दलीप ने अपने दोस्तों से इस बारे में बात की और स्पॉन्सर ढूंढने लगे जो खली को अमेरिका भेज दें. उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है कि आखिर वहां जाने के लिए किस-किस चीज़ की जरूरत होती है. सबसे पहले शुरुआत हुई बेहतर ट्रेनिंग अकेडमी की. उस समय तो प्रोफेशन्ल रेस्लिंग बहुत ज्यादा आगे नहीं बढ़ी थी और हार्वर्ड जैसी यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएट होने के बाद भी नौकरी पाने की 100% गारंटी नहीं होती थी, फिर भी दलीप ने अपना हाथ आजमाया और उन्होंने ऑल प्रो रेस्लिंग स्कूल (एक छोटा सा प्रोफेश्नल रेस्लिंग स्कूल) में एडमीशन ले लिया.
पंजाब पुलिस से अंडरटेकर किलर तक.. जायंट सिंह
उन्हें पंजाब पुलिस से इजाजत मांग कर जाना था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और दलीप ने अपनी नौकरी को दांव पर रखकर अमेरिका के लिए उड़ान भरी. सेन फ्रांसिस्को, कैलिफोर्निया एयरपोर्ट पर उतर कर खली बहुत ही घबरा रहे थे, लेकिन आगे बढ़ते गए. खली ने वहां काफी कुछ सीखा. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती के लिए उन्होंने तकनीक सीखी. स्कूल में भी उनकी ताकत देखकर सभी चौंक जाते थे.
1996 में दलीप ने ऑल प्रो रेस्लिंग ऑफ अमेरिका में हिस्सा लिया और वहां जायंट सिंह (Giant singh) के नाम से काम करने लगे. ऑल प्रो रेस्लिंग में जायंट सिंह ने कई सारे नामी पहलवानों को धूल चटा दी. जायंट का पहला मैच टोनी जोन्स के साथ वेस्ट साइड प्लाजा के खिलाफ था.
APW में अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद जायंट जापान के NJPW (New Japan Pro Wrestling) गए. 2001 में जायंट सिंह ने जायंट सिल्वा (एक और पहलवान) के साथ मिलकर टीम बनाई और NJPW के इतिहास में पहली बार इस हाईट के पहलवान एक साथ टीम में थे. टोकियो डोम में एक ऐतिहासिक खेल खेला गया और यहां दोनों दैत्यों की जोड़ी ने चार पहलवानों को हरा दिया.
पुलिस की नौकरी और WWE दोनों में देखते ही चुन लिए गए खली..
इसके बाद वो दौर आया जिसके लिए दलीप सिंह ने पंजाब से शुरुआत की थी. 2005 के अंत तक WWE का मैनेजमेंट अपनी कंपनी को बढ़ाने के बारे में सोच रहा था और वो जापान तक जा पहुंची. WWE के एक बड़े अधिकारी ने जापान यात्रा के दौरान जायंट सिंह उर्फ दलीप सिंह राणा उर्फ खली को देखा. खली को इस बार भी किस्मत ने मौका दिया था. जिस तरह पंजाब DSP खली को देखकर खुश हो गए थे उसी तरह WWE के अधिकारी भी हुए.
दलीप सिंह राणा जो जायंट सिंह बन चुके थे उनके लिए वो बहुत खुशी का मौका था क्योंकि वो जिसके लिए आए थे 10 साल बाद आखिर उसकी ओर बढ़ ही चले थे.
कैसे मिला 'खली' नाम?
दलीप सिंह राणा और द ग्रेट खली असल में एक सिक्के के दो पहलू ही हैं. खली का नाम काली के नाम पर रखा गया, लेकिन क्योंकि WWE के रेस्लर्स उस नाम को 'खली' कहते थे इसलिए दलीप सिंह राणा 'काली' से खली बन गए. WWE में खली का नाम पड़ा. अब जायंट सिंह द ग्रेट खली बन चुके थे. इस नाम को भी अमेरिकनों ने ही रखा था और इसलिए WWE के बाद से हम द ग्रेट खली को इस नाम से जानते हैं.
2006 जनवरी में खली ने कंपनी में अपना काम शुरू कर दिया और अब खली को वो नाम चाहिए था जिसके लिए खली वहां गए थे. उन्हें भारत का नाम रौशन करना था. भारत में द अंडरटेकर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध थे. दुनिया भर में करोड़ों दीवाने थे उनके. इसलिए खली से जब पूछा गया कि पहले मैच में उन्हें किससे कुश्ती लड़नी है तो उन्होंने अंडरटेकर का नाम लिया. खुद रेस्लिंग के भगवान कहे जाने वाले अंडरटेकर से लड़ना कोई आसान काम नहीं था.
7 अप्रैल 2006 को खली का पहला मैच था खली ने अंडरटेकर को हरा दिया पर किसी कारण से इस मैच का फैसला नहीं आ पाया था. उस समय तक खली को अननेम्ड सिंह (nnamed singh) कहा जाता था, लेकिन एक हफ्ते बाद खली नाम मिला और बड़े ही चाव से रिंग पर बताया गया कि अब आखिरकार एक ऐसा पहलवान है जो अंडरटेकर को ध्वस्त कर सकता है. 21 अप्रैल के स्मैकडाउन एपिसोड में खली ने अपना पहला डेब्यू किया और जापानी पहलवान सोइची फिनाकी को हराया.
खली ने इसके बाद पीछे पलट कर नहीं दिखा. खली को फिल्मों में भी रोल मिलने लगे, हॉलीवुड-बॉलीवुड के साथ-साथ खली बिग बॉस सीजन 4 में भी आए. अब वो पंजाब में अपना रेस्लिंग स्कूल खोले हुए हैं. खली ने यकीनन वो कर दिखाया जो उन्होंने सोचा था. रोड पर पत्थर तोड़ने वाला एक आम आदमी कैसे द ग्रेट खली बना इसकी कहानी तो सभी बताते हैं, लेकिन दलीप सिंह राणा का संधर्ष ही है वो जिसने खली को पहचान दिलाई.
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