भारत के 31 वर्षीय स्टार मुक्केबाज विजेंदर सिंह की नजर 17 दिसंबर को पूर्व विश्व चैम्पियन फ्रांसिस चेका के खिलाफ होने वाली बाउट में नाकआउट जीत दर्ज कर अपना डब्ल्यूबीओ एशिया पैसिफिक सुपर मिडिलवेट खिताब बरकरार रखने पर होगी.
पेशेवर मुक्केबाजी में अपनी छाप छोड़ चुके भारतीय खिलाड़ी विजेंदर सिंह के सामने आज अभी तक की सबसे मुश्किल चुनौती होगी. वह इस बार डब्ल्यूबीओ एशिया पेसिफिक सुपर मिडिलवेट का खिताब बचाने अपने से अनुभवी तंजानिया के मुक्केबाज फ्रांसिस चेका से भिड़ेंगे. शनिवार को होने वाले दस राउंड के मुकाबले में विजेंदर का सामना अब तक के सबसे अनुभवी प्रतिद्वंदी से होगा.
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तंजानिया के मुक्केबाज फ्रांसिस चेका से होगा मुकाबला |
विजेंदर ने इसी साल ऑस्ट्रेलिया के कैरी होप को मात देते हुए यह खिताब अपने नाम किया था. अब उनके सामने इसे बचाने की मुश्किल चुनौती है. तंजानिया के चेका के पास 43 मुकाबलों का अनुभव है, जिसमें से उन्होंने 32 में जीत हासिल की है. 34 साल के चेका इस समय अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी महासंघ (आईबीएफ) की सुपर मिडिलवेट डिवीजन में मौजूदा अफ्रीकन चैंपियन हैं. विजेंदर ने 2015 में शुरू की गई पेशेवर मुक्केबाजी में 27 राउंड मुकाबले खेले हैं, और चेका के पास करियर के 300 राउंड मुकाबलों का अनुभव है. चेका तंज़ानिया के मोरोगोरो में रहते हैं और उन्होंने मैथ्यू मैकलिन और पॉल स्मिथ जैसे विश्व विजेताओं को धुल चटाकर अफ्रीकी खिताब भी जीता है.
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विजेंदर ने बीजिंग ओलंपिक-2008 में भारत को मुक्केबाजी में पहला पदक दिलाया था. ओलम्पिक कांस्य पदक विजेता विजेंदर के लिए यह साल काफी शानदार रहा है. वह इसी साल आस्ट्रेलिया के कैरी होप को हराते हुए डब्ल्यूबीओ एशिया पैसेफिक सुपर मिडिलवेट चैम्पियन बने थे. इस जीत के साथ उन्होंने डब्ल्यूबीओ विश्व रैंकिंग में बड़ी छलांग लगाई और अब वह 10वें स्थान पर हैं.
विजेंदर ने शुक्रवार को कहा- 'ये मेरा घर है. मुझ पर दबाव क्यों होगा? मेरे अपने लोग हैं. इनके बीच चेका को तो क्या मैं किसी को भी हराने का दम रखता हूं. मैं इसके लिए पूरी तरह से तैयार हूं. उनका अनुभव भले ही कितना अधिक हो लेकिन मेरा अनुभव भी कुछ कम नहीं. मेरे पास पेशेवर मुक्केबाजी की अनुभव भले ही कम हो लेकिन ओलंपिक खेलों, एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों का अनुभव बहुत अधिक है और चेका को हराने के लिए यह काफी है.'
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एशिया पैसिफिक सुपर मिडिलवेट खिताबी बाउट 'नाइट ऑफ द चैंपियंस' के टिकटों की ऑनलाइन बिक्री शुरू हो गई. सामान्य स्टैंड के टिकटों की कीमत 1000 रूपए, प्रीमियम स्टैंड की 1500 रूपए, वीआईपी स्टैंड की 2000 रूपए, गोल्ड रिंगसाइड टिकटें 10000 रूपए और प्लैटिनम रिंगसाइड की कीमत 15000 रूपए है.
हरियाणा के भिवानी जिले के एक छोटे से गांव से निकलकर बॉक्सिंग जैसे खेल में ओलिंपिक में पदक जीतने और फिर डब्ल्यूबीओ एशिया पैसेफिक सुपर मिडिलवेट चैंपियन बनने तक का विजेंदर सिंह का सफर जितना प्रेरणादायी है और उत्साहित करता है, उतना ही ज्यादा विजेंद्र की जीत का भरोसा भी दिलाता है.
बीजिंग ओलंपिक 2008 में कांस्य पदक जीतने वाले विजेंदर ने अभी तक पेशेवर मुक्केबाजी में सात मुकाबले खेले हैं और अपराजित रहे हैं. ये मुक़ाबला ये भी तये करेगा की अब भारत भी खेल की दुनिया का महाशक्ति बनाने की और तेजी से अग्रसर है. सो इस मुकाबले पर पूरे देश की नगाहें टिकी होना लाजमी हैं. इसलिए जीतो विजेन्द्र, भारत का मान बढाओ, पुरे देश की तरफ से अग्रिम शुभकामनाएं.
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प्रो-बॉक्सिंग में विजेंदर सिंह का सफर
- 20 अक्टूबर, 2015 को पहली बार प्रो-बॉक्सिंग में कदम रखते ही विजेंदर टेक्निकल नॉक आउट के आधार पर बिटिश बॉक्सर सोनी वाइटिंग को हराने में कामयाब रहे.
- दूसरी बार डब्लिन में विजेंदर ने दूसरे ब्रिटिश बॉक्सर डीन गिलेन को पहले ही राउंड में हराया.
- तीसरे मुकाबले में उन्होने बुल्गारिया के सामेट यूसिनोव को शिकस्त दी.
- चौथे मैच में हंगरी के एंलेक्जेंडर होवार्थ को तीसरे राउंड में घूल चटाया.
- पांचवें मुक़ाबले में उन्होंने फ्रांस के माटिओज़ रॉयर को हराया.
- मई में विजेंदर ने पोलैंड के एंडरेड़ सोल्ड्रा को टेक्निकल नॉक आउट में मात दी.
- जुलाई में विजेंदर सिंह ने ऑस्ट्रेलिया के केरी होप को 274 के मुकाबले 296 अंकों से हराकर डब्ल्यूबीओ एशिया पैसिफिक सुपर मिडलवेट चैंपियनशिप जीत ली.
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