विराट कोहली जिस वक्त टीम में आने के मुहाने पर खड़े थे उस वक्त भारत का टॉप आर्डर सचिन, सहवाग और गंभीर जैसे प्लेयर से भरा था. मिडिल ऑर्डर में युवराज, धोनी, रैना जैसे दिग्गज टीम में जमे हुए थे. विराट के लिए इन खिलाड़ियों से मिलकर बनी चट्टान सी टीम में जगह बनाना आसान नहीं था. शुरुआत में उन्हें मौके भी चोटिल खिलाड़ियों की जगह मिल रहे थे. इन मिले मौकों पर वह 40 से 60 रनों की पारियां खेल जाते थे. कई दफा इस वजह से भी उनकी आलोचना हो जाती थी की वो इन पारियों को बड़ी पारियों में तब्दील नहीं कर पाते थे. लेकिन एक बार जब उन्होंने बड़ी पारियों को खेलना शुरू किया तो उसे अपनी आदत बना ली, जो आज तक बनी हुई है.
शुरुआत में टीम में जगह बनाने के लिए मशक्कत करने वाले विराट कोहली के प्रदर्शन ने ऐसा समा बांधा की कई लोग जो यह कहते थे की सचिन के बाद कौन होगा? वह कहने लगे की कई मायनों में कोहली, सचिन से बेहतर दिखते हैं और यदि कोविड की वजह से क्रिकेट में बाधा न आई होती तो शायद अबतक कोहली शतकों के बादशाह हो गए होते. विराट के शॉट परम्परागत शॉटों से भिन्न होते हैं. उनका कवर ड्राइव, स्टेट ड्राइव, फ्लिक, कट शॉट आदि उनका अपनी ही तरह का होता है. इसी नाते मोहम्मद आसिफ ने एक बार कहा था कि विराट की फॉर्म यदि एक बार चली जाएगी तो वह जल्दी वापस नहीं आएगी. मेरा भी अपना यही मानना था.
विराट मुख्यतः बॉटम हैंड के प्लेयर हैं. वह अपनी शॉट में ताकत एक झटके से लगाते हैं. उनके शॉट ऐसे होते हैं जैसे किसी कसे हुए बोल्ट को एकाएक तेज ताकत से खोल दिया जाए. विराट का छक्का कभी भी ऐसा नहीं लगता जैसा रोहित, युवराज, सहवाग और राहुल आदि का लगता है. उनके शॉट परम्परागत शॉटों से अलग दिखते हैं. ऐसे शॉट के लिए टाइमिंग, टच, आत्मविश्वास और कलाइयों में लचक होना बेहद जरूरी होता है. इसी नाते ये लगता रहता है की जिस...
विराट कोहली जिस वक्त टीम में आने के मुहाने पर खड़े थे उस वक्त भारत का टॉप आर्डर सचिन, सहवाग और गंभीर जैसे प्लेयर से भरा था. मिडिल ऑर्डर में युवराज, धोनी, रैना जैसे दिग्गज टीम में जमे हुए थे. विराट के लिए इन खिलाड़ियों से मिलकर बनी चट्टान सी टीम में जगह बनाना आसान नहीं था. शुरुआत में उन्हें मौके भी चोटिल खिलाड़ियों की जगह मिल रहे थे. इन मिले मौकों पर वह 40 से 60 रनों की पारियां खेल जाते थे. कई दफा इस वजह से भी उनकी आलोचना हो जाती थी की वो इन पारियों को बड़ी पारियों में तब्दील नहीं कर पाते थे. लेकिन एक बार जब उन्होंने बड़ी पारियों को खेलना शुरू किया तो उसे अपनी आदत बना ली, जो आज तक बनी हुई है.
शुरुआत में टीम में जगह बनाने के लिए मशक्कत करने वाले विराट कोहली के प्रदर्शन ने ऐसा समा बांधा की कई लोग जो यह कहते थे की सचिन के बाद कौन होगा? वह कहने लगे की कई मायनों में कोहली, सचिन से बेहतर दिखते हैं और यदि कोविड की वजह से क्रिकेट में बाधा न आई होती तो शायद अबतक कोहली शतकों के बादशाह हो गए होते. विराट के शॉट परम्परागत शॉटों से भिन्न होते हैं. उनका कवर ड्राइव, स्टेट ड्राइव, फ्लिक, कट शॉट आदि उनका अपनी ही तरह का होता है. इसी नाते मोहम्मद आसिफ ने एक बार कहा था कि विराट की फॉर्म यदि एक बार चली जाएगी तो वह जल्दी वापस नहीं आएगी. मेरा भी अपना यही मानना था.
विराट मुख्यतः बॉटम हैंड के प्लेयर हैं. वह अपनी शॉट में ताकत एक झटके से लगाते हैं. उनके शॉट ऐसे होते हैं जैसे किसी कसे हुए बोल्ट को एकाएक तेज ताकत से खोल दिया जाए. विराट का छक्का कभी भी ऐसा नहीं लगता जैसा रोहित, युवराज, सहवाग और राहुल आदि का लगता है. उनके शॉट परम्परागत शॉटों से अलग दिखते हैं. ऐसे शॉट के लिए टाइमिंग, टच, आत्मविश्वास और कलाइयों में लचक होना बेहद जरूरी होता है. इसी नाते ये लगता रहता है की जिस दिन उम्र बढ़ी, लचक गायब हुई, टच खत्म हुआ और फॉर्म गायब हुई उस दिन के बाद शायद ही कोहली फार्म में वापस आ पाएं.
ऐसा हुआ भी विराट कोहली अपने स्टैंडर्ड से नीचे खेलने लगे. तीन साल तक आलोचकों के निशाने पर रहे लेकिन अपनी मेहनत और आत्मविश्वास के बलपर उसने सबको गलत साबित किया. जो बॉटम हैंड सबको उनकी कमजोरी दिखती थी, उसे उसने अपनी ताकत बनाया. हाल ही में हारिस रउफ की गेंद पर एक बाउंसी गेंद पर स्ट्रेट सिक्स मारना किसी बॉटम हैंड वाले कोहली जैसे बल्लेबाज के द्वारा ही सम्भव था. ये वही कोहली है जो कठोर इतना की एंडरसन, फाकनर, स्टीव स्मिथ, ब्राड की आंखों में आंखे डालकर घूर देता है. जैसे का तैसा जवाब देने में माहिर वह किसी के उलाहनों को न बर्दाश्त करने वाला इंसान है.
लेकिन संवेदनशील इतना की उसी स्मिथ की हूटिंग करने वाले दर्शकों से ऐसा न करने की अपील करता है और स्मिथ के साथ खड़ा हो जाता है. पाकिस्तान के खिलाफ जीत के बाद भी आंखों से आंसू बहा देता है. किसान आंदोलन पर अपनी बात रखता है. हाथरस की घटना को अमानवीयता और क्रूरता से परे बताता है और सजा की मांग करता है. जिन घटनाओं पर लोग तटस्थ होकर अपनी शोहरत बचाते हैं वहां भी उसने आवाज दी है. कोहली सही मायने में भारत के असली हीरा हैं. आज वो अपना 34वां जन्मदिन मना रहे हैं. 20-20 विश्वकप चल रहा है. वे अपनी पुरानी लय में हैं. मैदान पर उनकी ऊर्जा, उत्साह, जश्न का ढंग वही पुराने 20-22 साल वाले कोहली का है. भारत का रन मशीन और चेज मास्टर दुबारा रन उगल रहा है और उम्मीद है उगलता ही जाएगा.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.