महान नायकों अक्सर वो लोग ही नहीं होते जिनका गवाह इतिहास भी होता है. ये वो लोग होते हैं जो साधारण चीजों के बीच रहकर असाधारण काम कर जाते हैं. जिनकी रोजमर्रा के कामों में भी एक जादू है जिसे हम सभी प्यार करते हैं. मैं एक ऐसे व्यक्ति को जानता था जो क्रिकेट से प्यार करता था. जिसने अपने आसपास के हर इंसान को क्रिकेट खेलने, क्रिकेट सोचने, क्रिकेट को जीना सिखाया था. न तो वो टेस्ट क्रिकेट का प्लेयर था, न ही राज्य स्तरीय क्रिकेट खिलाड़ी. लेकिन वो क्रिकेट के लिए जीता था, जागता था, सोता था यहां तक की सांस भी क्रिकेट की ही लेता था.
उनके लिए क्रिकेट कहानियां सुनाने की तरह थी. और हर बॉल एक कहानी थी. क्रिकेट, दुनिया का प्रवेश द्वार थी; निष्पक्षता और मानवता का एक कोर्स. जब आप किसी बाउंसर का सामना करते हैं तो दुनिया का सामना करते हैं.
कला-
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने किस स्तर पर क्रिकेट का खेला है. गली क्रिकेट भी टेस्ट क्रिकेट की तरह ही कला का ही एक रूप होता है. पुराने टूटे फूटे बैट से खेलने वाले भी डॉन ब्रैडमैन या कीथ मिलर की तरह ही हमारे लिए मूल्यवान थे. क्रिकेट नैतिकता थी- क्रिकेट नियमों को इसलिए नहीं तोड़ा जाता क्योंकि क्रिकेट को धोखा देना मतलब जीवन को धोखा देना है.
बचपन में क्रिकेट और विज्ञान ने ही हमारे विचारों का निर्माण किया. आइंस्टीन के विचार या ब्रैडमैन ने कैसा खेला, यही हमारे लिए अखंडता के परीक्षण थे. यादें जरुरी थी. नॉर्मन यार्डली, जैक फिंगलेटन, एसके गुरुनाथन और नेविल कार्डस द्वारा पचास और साठ के दशक में अखबारों में लिखे गए आर्टिकल हमारी इन यादों को संजोने का काम किया.
कमेंट्री हमारे लिए सिर्फ भाषण ही नहीं था बल्कि ये हर पल जीवन को देखने...
महान नायकों अक्सर वो लोग ही नहीं होते जिनका गवाह इतिहास भी होता है. ये वो लोग होते हैं जो साधारण चीजों के बीच रहकर असाधारण काम कर जाते हैं. जिनकी रोजमर्रा के कामों में भी एक जादू है जिसे हम सभी प्यार करते हैं. मैं एक ऐसे व्यक्ति को जानता था जो क्रिकेट से प्यार करता था. जिसने अपने आसपास के हर इंसान को क्रिकेट खेलने, क्रिकेट सोचने, क्रिकेट को जीना सिखाया था. न तो वो टेस्ट क्रिकेट का प्लेयर था, न ही राज्य स्तरीय क्रिकेट खिलाड़ी. लेकिन वो क्रिकेट के लिए जीता था, जागता था, सोता था यहां तक की सांस भी क्रिकेट की ही लेता था.
उनके लिए क्रिकेट कहानियां सुनाने की तरह थी. और हर बॉल एक कहानी थी. क्रिकेट, दुनिया का प्रवेश द्वार थी; निष्पक्षता और मानवता का एक कोर्स. जब आप किसी बाउंसर का सामना करते हैं तो दुनिया का सामना करते हैं.
कला-
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने किस स्तर पर क्रिकेट का खेला है. गली क्रिकेट भी टेस्ट क्रिकेट की तरह ही कला का ही एक रूप होता है. पुराने टूटे फूटे बैट से खेलने वाले भी डॉन ब्रैडमैन या कीथ मिलर की तरह ही हमारे लिए मूल्यवान थे. क्रिकेट नैतिकता थी- क्रिकेट नियमों को इसलिए नहीं तोड़ा जाता क्योंकि क्रिकेट को धोखा देना मतलब जीवन को धोखा देना है.
बचपन में क्रिकेट और विज्ञान ने ही हमारे विचारों का निर्माण किया. आइंस्टीन के विचार या ब्रैडमैन ने कैसा खेला, यही हमारे लिए अखंडता के परीक्षण थे. यादें जरुरी थी. नॉर्मन यार्डली, जैक फिंगलेटन, एसके गुरुनाथन और नेविल कार्डस द्वारा पचास और साठ के दशक में अखबारों में लिखे गए आर्टिकल हमारी इन यादों को संजोने का काम किया.
कमेंट्री हमारे लिए सिर्फ भाषण ही नहीं था बल्कि ये हर पल जीवन को देखने और हर क्षण को मस्ती में जीने का एक तरीका था. ये निर्णय और उदारता मांगता था. सिर्फ ये कहना कि आप क्रिकेट से प्यार करते थे, इस बात का संकेत था कि आप जादुई दुनिया से जुड़े थे. 80 की उम्र का एक आदमी, 10 साल के बच्चे से भी छोटा था. एक तरह से क्रिकेट ने हमें विज्ञान, बॉलीवुड या लोकतंत्र की तुलना में दुनिया में रहने और जीवन जीने के तरीकों के बारे में ज्यादा सिखाया.
कमेंट्री इतिहास को देखने का एक तरीका था. और रोजमर्रा के जीवन को इतिहास के रूप मनाना भी. यहां गली-नुक्कड़ में होने वाला गेम भी लॉर्ड्स में होने वाले मैच की ही तरह महत्वपूर्ण था. हर स्ट्रोक में महारत हासिल करना होता था और उसका जश्न मनाया जाता था. दुनिया में एक मासूमियत थी. आपको बेस्ट नहीं होना था बल्कि आपको ये पता होना था कि क्या और क्यों बेस्ट है.
मेरे हीरो, सी ने मुझे सिखाया कि क्रिकेट बैट को पकड़ना जीवन को पकड़ने जैसा है. मुझे याद है सी ने मुझे मेरे पिता के बारे में बताया. मेरे पिता एक दिन उनके पास आए. सी ने उनसे कहा कि उन्होंने एक नई सफेद टोपी खरीदी है. मेरे पिता ने उनसे इसे उठाने के लिए कहा. सी को टोपी के नीचे एक नई बॉल मिली. सी को वो बहुत पसंद आया.
मैं ये स्वीकार करता हूं कि क्रिकेट के मामले में मैं बहुत आलसी था. मुझे कभी भी स्लिप में फिल्डिंग करने के लिए खड़ा नहीं किया जाता. मुझे हमेशा ही बाउंड्री लाइन पर खड़ा कर दिया जाता. ये वैसी जगह थी जहां आप टीम का हिस्सा रहते हुए भी खुद से जुड़े रहते हैं. खुद के साथ रहते हैं. मैंने कई जरुरी कैच छोड़े लेकिन उससे मुझे फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मुझे क्रिकेट से प्यार था. कम से कम झाड़ियों में चले गए गेंदों को खोजने में मुझे महारत हासिल थी.
मैंने ये भी महसूस किया कि कैच छोड़ने वाले के बगैर कोई भी टीम पूरी नहीं होती. जिस दिन आप इस कलंक को जीना सीख जाएंगे आप जीवन के हर परीक्षा को पास कर पाने में सक्षम हो जाएंगे.
महान अध्यापक-
सी ने कभी विश्वविद्यालय में नहीं पढ़ाया, लेकिन वह जीवन के महान शिक्षकों में से एक थे. उन्होंने एक छोटी चीज सिखाई: बैट को कैसे पकड़ें, गेंद को कैसे चमकाएं. उसने मुझे सिखाया कि हम में से हर किसी में एक क्रिकेट खिलाड़ी था और उसे उस पर काबू करना था. क्रिकेट सिर्फ चीजों को करने का एक तरीका नहीं था. यह मूल्यों की दुनिया थी. जब भी किसी ने कहा कि "ये क्रिकेट नहीं है" तब ये पता चलता है कि जीवन जीने ये तरीका नहीं है.
इन सीखों को आप जीवन के हर दौर में इस्तेमाल करते हैं. ब्रैडमैन को खोजते हुए इनका इस्तेमाल करते हैं. ब्रैडमैन एक क्लास थे. ऐसा खरा सोना जिसकी कीमत कभी कम नहीं हुई. क्रिकेट आपको निर्णय करने की क्षमता बढ़ती है और खुद को हमेशा ही सुधारने की सीख देता है. इसे रीप्ले कहते थे. लेकिन रीप्ले सिर्फ वो नहीं होता जो आप नेट में प्रैक्टिस करते हैं. बल्कि ये आपके लिए एक अनुभव की तरह होता है.
मैं आज भी 10वीं कक्षा में गलत खेले गए उस शॉट को फिर से खेलने की कोशिश करता हूं. रीप्ले जीवन और क्रिकेट की मांग में निरंतर सुधार के लिए एक मौका है. रीप्ले के बिना प्ले संभव नहीं है. मैं अपने जीवन के शॉट्स को हमेशा दोबारा खेलता रहता हूं. विचित्र रूप से, सी एक महान क्रिकेटर नहीं थे लेकिन क्रिकेट ने उन्हें जीवन की प्रतिभा को समझने की भावना दी.
जीवन के मॉडल की बात करते हुए, एक दोस्त ने एक बार कहा: "हमारे जीवन में दो सी थे. एक महान खगोलशास्त्री, चंद्रशेखर, दूसरा क्रिकेट का प्रेमी. लेकिन सी1 के बगैर सी2 नहीं हो सकते. महानता को समझने के लिए, किसी को भी उदारता, निर्णय, खेल के नियमों की भावना को समझने की जरुरत होती है. चाहे वो विज्ञान हो या फिर संगीत, किसी को भी क्रिकेट की इस भावना को समझने, जानने की आवश्यकता थी.
क्रिकेट जीवन जीने और इसे फिर से चलाने का एक प्रतिमान था.
खेल को याद करना-
एक बार मैंने सुना था कि आखिर में सी उदास था. लोग चिंतित थे कि जब कोई क्रिकेट मैच चाल रहा होता तो लोग टीवी पर कोई हिंदी धारावाहिक देख रहे होते. मुझे पूरा विवरण तो नहीं पता. लेकिन मुझे लगता है कि सी, द्रविड़, तेंदुलकर और कुंबले का खेल और बिशन, चंद्र या पटौदी के पुराने दिनों की याद आ रही थी. तब क्रिकेट एक खेल था, अब यह एक कमोडिटी गेम बन गया है.
ऐसा लग रहा था जैसे एक सभ्यता मर रही थी. विराट कोहली सौ शतक बना सकते हैं लेकिन कभी भी वो द्रविड़ या तेंदुलकर नहीं हो सकते. दोनों की भाषा अलग है. ऐसा लगता है जैसे कोई कविता, गद्य बन गई है. हर किसी को हमेशा ही ईमानदार बनने की कोशिश करनी चाहिए. आप बस इसे अपने अंदर जानते महसूस करते हैं. कुछ महीने पहले सी की मृत्यु हो गई. ऐसा लगा जैसे संगीत का कोई टुकड़ा मर गया. एक उदासी थी, लेकिन ये स्थाई नहीं रहा. जिंदगी आगे बढ़ती गई और हम क्रिकेट और जिंदगी का उत्सव मनाते रहे.
एक ने बड़ी ही शांति से दुनिया को अलविदा कह दिया. उन्होंने अपनी पारी बहुत अच्छी तरह से खेली. लेकिन जिंदगी कभी रिप्ले का मौका नहीं देती यही दुख है.
( मेल टुडे से साभार )
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