एक दौर था. सितारे बुलंद थे और वक़्त भी सही था तो पूरी टीम इंडिया तराजू के एक पलड़े पर और विराट कोहली दूसरे पर. क्योंकि उस समय कोहली ट्राम इंडिया के लिए 'परफार्मिंग असेट' थे तो टीम में उनका एक अलग मरतबा था वो एक प्रभावशाली व्यक्ति हुआ करते थे. ये वो समय था जब टीम इंडिया का स्टार परफ़ॉर्मर मौज-मस्ती के लिए अंतरराष्ट्रीय शतक बना रहा था और तीनों प्रारूपों टेस्ट, वन डे इंटरनेशनल और टी20 में भारत का नेतृत्व कर रहा था, जिसका सौभाग्य अतीत में बहुत कम भारतीय कप्तानों को मिला था.
जिक्र कोहली का हुआ है. तो शायद ही कोई 2017 का वो समय भूल पाए जब कोहली का गेम अपने पूरे शबाब पर था. और उसी समय उनका टीम के कोच अनिल कुंबले के साथ विवाद हुआ था. कोच- कप्तान विवाद कुछ इस हद तक बढ़ा कि दुनिया के महानतम गेंदबाजों में शुमार अनिल कुंबले ने कप्तान के साथ 'अस्थिर' रिश्तों का हवाला देते हुए अपना पद त्याग दिया था. बाद में जब चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में टीम इंडिया ने पाकिस्तान के हाथों हार देखी विवाद थम गया और बात विवाद पर न होकर फाइनल पर मिली हार पर होने लगी.
कुंबले के बाहर होने के बाद, रवि शास्त्री, जिन्होंने 2016 तक कोहली के साथ टीम मैनेजर के रूप में काम किया था, को मुख्य कोच नियुक्त किया गया था. शास्त्री की नियुक्ति सीधी नहीं थी, लेकिन कथित तौर पर कोहली ने पूर्व विश्व कप विजेता ऑलराउंडर को ड्रेसिंग रूम में वापस लाने के लिए एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगाया और शास्त्री के मद्देनजर सिलेक्टर्स के सामने अपने मन की बात रखी. चूंकि कोहली की परफॉर्मेंस बोलती थी इसलिए सिलेक्टर्स को भी उनकी बातें माननी पड़ी और शास्त्री टीम में आए.
विराट कोहली और रवि शास्त्री की जोड़ी ने नामुमकिम को...
एक दौर था. सितारे बुलंद थे और वक़्त भी सही था तो पूरी टीम इंडिया तराजू के एक पलड़े पर और विराट कोहली दूसरे पर. क्योंकि उस समय कोहली ट्राम इंडिया के लिए 'परफार्मिंग असेट' थे तो टीम में उनका एक अलग मरतबा था वो एक प्रभावशाली व्यक्ति हुआ करते थे. ये वो समय था जब टीम इंडिया का स्टार परफ़ॉर्मर मौज-मस्ती के लिए अंतरराष्ट्रीय शतक बना रहा था और तीनों प्रारूपों टेस्ट, वन डे इंटरनेशनल और टी20 में भारत का नेतृत्व कर रहा था, जिसका सौभाग्य अतीत में बहुत कम भारतीय कप्तानों को मिला था.
जिक्र कोहली का हुआ है. तो शायद ही कोई 2017 का वो समय भूल पाए जब कोहली का गेम अपने पूरे शबाब पर था. और उसी समय उनका टीम के कोच अनिल कुंबले के साथ विवाद हुआ था. कोच- कप्तान विवाद कुछ इस हद तक बढ़ा कि दुनिया के महानतम गेंदबाजों में शुमार अनिल कुंबले ने कप्तान के साथ 'अस्थिर' रिश्तों का हवाला देते हुए अपना पद त्याग दिया था. बाद में जब चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में टीम इंडिया ने पाकिस्तान के हाथों हार देखी विवाद थम गया और बात विवाद पर न होकर फाइनल पर मिली हार पर होने लगी.
कुंबले के बाहर होने के बाद, रवि शास्त्री, जिन्होंने 2016 तक कोहली के साथ टीम मैनेजर के रूप में काम किया था, को मुख्य कोच नियुक्त किया गया था. शास्त्री की नियुक्ति सीधी नहीं थी, लेकिन कथित तौर पर कोहली ने पूर्व विश्व कप विजेता ऑलराउंडर को ड्रेसिंग रूम में वापस लाने के लिए एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगाया और शास्त्री के मद्देनजर सिलेक्टर्स के सामने अपने मन की बात रखी. चूंकि कोहली की परफॉर्मेंस बोलती थी इसलिए सिलेक्टर्स को भी उनकी बातें माननी पड़ी और शास्त्री टीम में आए.
विराट कोहली और रवि शास्त्री की जोड़ी ने नामुमकिम को मुमकिन बनाया और ऐसा बहुत कुछ हुआ जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो. माना जाता है कि ये वो समय था जब भारत ने कई मौकों पर इतिहास रचा. ऐसा नहीं था कि कोहली और शास्त्री की जोड़ी ने विजय का परचम ही लहराया. ऐसे भी मौके आए जब भारत को मुंह की खानी पड़ी और 2019 में विश्व कप के सेमीफाइनल से बाहर होना भारत के लिए एक ऐसा ही पल था.
स्प्लिट कैप्टेंसी या नहीं?
विश्व कप में जो हुआ उसको लेकर तमाम तरह के सवाल जवाब हुए, भांति- भांति की बातें हुईं लेकिन कोहली का बाल भी बांका नहीं हुआ. कारण? कोहली की परफॉरमेंस. विश्व कप से बाहर होने के बावजूद भारतीय क्रिकेट के तहत अपना नम्बर एक का दर्जा बरकरार रखा.
क्योंकि इस समय तक रोहित शर्मा ने भी इंडियन प्रीमियर लीग में सीमित ओवरों के कप्तान के रूप में अपनी योग्यता साबित की थी. स्प्लिट कैप्टेंसी की बातों ने जोर पकड़ा लेकिन टीम मैनेजमेंट और सिलेक्टर्स ने उसपर कान नहीं दिए और इस तरह कोहली ने क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में नेतृत्व करना जारी रखा. वो वक़्त भी आया बजब डायनामिक्स बदलने शुरू हुए.
हालांकि, 2021 में, गतिशीलता बदल गई. भारत ने ऑस्ट्रेलिया में लगातार दूसरी बार टेस्ट सीरीज जीती. पहली बार विराट कोहली के नेतृत्व में 2018-19 में भारत ने जीत दर्ज की और 2020-21 में अपने प्रभावशाली नेता यानी विराट कोहली के बिना. कोहली के लिए ये वो समय था जब वो एडिलेड में पहले टेस्ट में भारत की शर्मनाक हार के बाद पितृत्व अवकाश पर घर लौट आए थे.
कोहली के जाने के बाद ये समय भारत के लिए भी बहुत निर्णायक था. इस समय तक इस बात का फैसला हो चुका था कि टीम किसी एक की नहीं है. भारत ने अजिंक्य रहाणे के नेतृत्व में इतिहास रचा और गाबा के किले पर तिरंगा लहराया. भारत ने इस सीरीज को 2-1 से जीता और दुनिया को बताया कि कोहली टीम में रहें या न रहें इतिहास लिखा जाएगा.
ऑस्ट्रेलिया में रहाणे के नेतृत्व में शानदार प्रदर्शन के बाद भी, इसमें कोई संदेह नहीं था कि 4 टेस्ट मैचों की श्रृंखला में घर में इंग्लैंड के खिलाफ टीम का नेतृत्व कौन करेगा. विराट कोहली ने टीम की कमान संभाली और भारत को होम ग्राउंड में जीत दिलाई.
ध्यान रहे ये वो समय था जब कप्तान कोहली ने कोई बड़ा स्कोर नहीं बनाया था. कोहली का खराब बैटिंग फॉर्म तब सुर्खियों में आया जब कप्तान के रूप में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक साल से अधिक समय तक कोई सेंचुरी नहीं जड़ी.
वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल मिस
मई में कोविड -19 के कारण आईपीएल 2021 के निलंबन के बाद, इंग्लैंड के दौरे से पहले तक भारत के पास ठीक ठाक समय था. भारत ने साउथेम्प्टन में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में न्यूजीलैंड का सामना किया, जो कोहली के लिए अपने विरोधियों को गलत साबित करने और कप्तान के रूप में आईसीसी खिताब जीतने का एक और मौका था. हालांकि, चीजें भारत के अनुकूल नहीं रहीं और न्यूजीलैंड ने आराम से फाइनल में ऐतिहासिक जीत दर्ज की.
हालांकि, कोहली के सारथियों ने इंग्लैंड में उनका पूरा साथ दिया और 5 मैचों की टेस्ट सीरीज़ में भारत इंग्लैंड पर हावी हुआ, सीरीज अधूरी रही क्योंकि 5 वां टेस्ट कोविड -19 के कारण निलंबित कर दिया गया.
भारत ने इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज में 2-1 की अजेय बढ़त तो ली लेकिन कोहली के बैटिंग फॉर्म में सुधार के कोई संकेत नहीं दिखे. जबकि रोहित शर्मा और केएल राहुल ने शतक बनाए. इस सीरीज में कोहली संघर्ष करते नजर आए और उन्होंने 4 टेस्ट मैच में सिर्फ 218 रन बनाए.
जब कोहली ने T20 और IPL की कप्तानी को छोड़ दिया
जब भारत के खिलाड़ी सितंबर में आईपीएल 2021 के शेष सत्र के लिए यूएई गए, तो कोहली ने एक अप्रत्याशित घोषणा की. उन्होंने कहा कि वह अक्टूबर-नवंबर में यूएई में विश्व कप के बाद भारत की टी20ई कप्तानी छोड़ देंगे. कुछ दिनों के भीतर, कोहली ने यह भी कहा कि वह संयुक्त अरब अमीरात में आईपीएल सत्र की समाप्ति के बाद आरसीबी के कप्तान के रूप में पद छोड़ देंगे.
कोहली ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वह वर्क लोड मैनेजमेंट पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं वहीं उनका ये भी कहना था कि वह भारत के वनडे और टेस्ट कप्तान के रूप में बने रहना चाहते हैं.
कोहली को इंडियन प्रीमियर लीग में बिना किसी खिताब के कप्तान के रूप में अपना कार्यकाल समाप्त करना पड़ा क्योंकि आरसीबी को प्ले-ऑफ में बाहर कर दिया गया था. आईपीएल में सबसे अधिक डेकोरेटेड बल्लेबाजों में से एक विराट खुद को बहुप्रतीक्षित फ्रेंचाइजी के कप्तान के रूप में साबित करने में सक्षम नहीं हुए.
टी20 विश्व कप डिजास्टर
सभी की निगाहें अब कोहली पर थीं क्योंकि माना यही जा रहा था कि कोहली के अनुभव के चलते टीम इंडिया कप पर आसानी से कब्जा कर लेगी. वहीं कोहली भी इस बात को समझते थे कि 2021 में आईसीसी खिताब जीतने का यह उनका आखिरी मौका है. एमएस धोनी को टीम के मेंटर के रूप में चुना गया जिसका कोहली और मुख्य कोच शास्त्री दोनों ने स्वागत किया. इस फैसले को खुद बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों द्वारा लिया गया जिनका मानना था कि इससे भारत के टी 20 विश्व कप जीतने में मदद मिलेगी.
हालांकि टी20 वर्ल्ड कप का अभियान भारत के लिए आपदा साबित हुआ. उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ शुरुआती मैच में 10 विकेट से हार का सामना करना पड़ा और न्यूजीलैंड ने अपने दूसरे सुपर 12 मैच में उन्हें पीछे छोड़ दिया. लगातार दो बड़ी हार का मतलब था कि भारत 2012 के बाद पहली बार नॉकआउट चरण में पहुंचे बिना आईसीसी प्रतियोगिता से बाहर हुआ.
यह कोहली के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं था, जिन्होंने टी20ई कप्तानी छोड़ दी थी और एकदिवसीय कप्तानी पर बने रहने की इच्छा व्यक्त की थी. BCCI ने रोहित शर्मा को न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू श्रृंखला के लिए T20 का कप्तान चुना. न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू श्रृंखला के पूरा होने के बाद, बीसीसीआई ने कोहली को भूमिका से बर्खास्त करते हुए रोहित को वन डे टीम का कप्तान घोषित किया.
जब कोहली को एकदिवसीय कप्तान के रूप में हटाया गया
रोहित का एकदिवसीय कप्तानी में पदोन्नत होना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी, जिस तरह से कोहली को बर्खास्त किया गया, उससे कुछ लोग आहत हुए और उनकी भौंहें तन गईं. बीसीसीआई ने 8 दिसंबर को दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए टेस्ट टीम की घोषणा करते हुए अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कुछ ही पंक्तियों में इसकी घोषणा की थी.
बीसीसीआई द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद तमाम सवाल जवाब भी हुए और इस फैसले को संदेह के घेरों में रखा गया.
बहरहाल अब चाहे कोहली खुद सफाई दें. या उनकी मदद के लिए खुद बीसीसीआई सामने आए. साफ है कि हद से ज्यादा ख़राब परफॉर्मेंस ने साल 2021 के तहत कप्तान कोहली की किरकिरी करा दी है. वो कोहली जो किसी जमाने में अपने बल्ले से रनों की बरसात करता था आज उसका बल्ला खामोश है. यदि कोहली का बल्ला इसी तरह खामोश रहा तो उनका क्रिकेट कैरियर कहां जाएगा दुनिया और खासकर क्रिकेट फैंस इसका जवाब बखूबी जानते हैं.
खैर अब जबकि विराट कोहली खराब परफॉर्मेंस की मार झेल रहे हैं तो हमारे लिए भी देखना दिलचस्प रहेगा कि कोहली के अच्छे दिन आते हैं या नहीं. अभी कोहली के पास समय है. उनके अंदर खूब क्रिकेट है. यदि कोहली अपना आत्मसात करें और अपनी कमियों को दूर करें तो यकीनन उन्हें उसी तरह हाथों हाथ लिया जाएगा जैसे पहले मगर ये सब कब होगा इसका जवाब भविष्य के गर्त में छिपा है. फ़िलहाल बात बुरी या ये कहें कि ख़राब परफॉरमेंस की है जिसने सिर्फ और सिर्फ कोहली को रुस्वा ही किया है.
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