वर्ष 2005 में महान ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज रिकी पॉन्टिंग का बल्ला जमकर बोल रहा था. जब ये विवाद उठा को पॉन्टिंग टेस्ट क्रिकेट में जबर्दस्त अंदाज में रन बना रहे थे. तब कहा गया कि पॉन्टिंग के बैट को एक पतली कार्बन ग्रेफाइट के प्रयोग से ज्यादा शक्तिशाली बनाया गया था, जिसकी वजह से पॉन्टिंग को रन बनाने में मदद मिल रही थी. बाद में आईसीसी ने ऐसे बैट के प्रयोग पर रोक लगा दी थी. अब वही रिकी पॉन्टिंग क्रिकेट के खेल को अलविदा कहने के बाद टेस्ट क्रिकेट में बैट की साइज को लेकर नियम तय किए जाने की बात कर रहे हैं.
पॉन्टिंग ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा कि अब वक्त आ गया है कि टेस्ट क्रिकेट में बैट की साइज को लेकर नियम तय कर दिए जाएं. पॉन्टिंग का कहना था कि आधुनिक बल्लेबाज बड़े और भारी बैट की मदद से टेस्ट क्रिकेट में ढेरों रन बटोर रहे हैं. पॉन्टिंग के इस बयान से क्रिकेट में एक बार फिर से ये बहस छिड़ गई कि क्या आज के बल्लेबाज चौकों और छक्कों की झड़ी लगाने के लिए भारीभरकम बैट का सहारा लेते हैं? आखिर क्यों जरूरी है क्रिकेट बैट की साइज का तय होना, आइए जानें.
पॉन्टिंग चाहते हैं कि क्रिकेट के बैट का साइज तय किया जाए:
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पॉन्टिंग ने 5 जुलाई को आयोजित हुई ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट सोसाइटी के सलाना डिनर के दौरान कहा कि अब वक्त आ गया है जब टेस्ट क्रिकेट के लिए बैट के साइज को तय कर दिया जाए.
हालांकि पॉन्टिंग ने वनडे और टी20 जैसे छोटे फॉर्मेट्स के लिए बैट के साइज में बदलाव की मांग नहीं की और कहा कि खेल के छोटे फॉर्मेट्स चौकों और छक्कों की वजह से चलतें हैं, जबकि टेस्ट क्रिकेट में आजकल बल्लेबाजों का दबदबा ज्यादा रहता है क्योंकि उनके लिए खेल पहले से ज्यादा आसान हो गया है.
पॉन्टिंग ने कहा कि क्रिकेट के खेल में आजकल इस्तेमाल किए जा रहे कुछ बैट सच में बहुत ही ज्यादा बड़े हैं. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में मैन्युफैक्चरर ऐसे बैट्स बना रहे हैं जोकि काफी बड़े और...
वर्ष 2005 में महान ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज रिकी पॉन्टिंग का बल्ला जमकर बोल रहा था. जब ये विवाद उठा को पॉन्टिंग टेस्ट क्रिकेट में जबर्दस्त अंदाज में रन बना रहे थे. तब कहा गया कि पॉन्टिंग के बैट को एक पतली कार्बन ग्रेफाइट के प्रयोग से ज्यादा शक्तिशाली बनाया गया था, जिसकी वजह से पॉन्टिंग को रन बनाने में मदद मिल रही थी. बाद में आईसीसी ने ऐसे बैट के प्रयोग पर रोक लगा दी थी. अब वही रिकी पॉन्टिंग क्रिकेट के खेल को अलविदा कहने के बाद टेस्ट क्रिकेट में बैट की साइज को लेकर नियम तय किए जाने की बात कर रहे हैं.
पॉन्टिंग ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा कि अब वक्त आ गया है कि टेस्ट क्रिकेट में बैट की साइज को लेकर नियम तय कर दिए जाएं. पॉन्टिंग का कहना था कि आधुनिक बल्लेबाज बड़े और भारी बैट की मदद से टेस्ट क्रिकेट में ढेरों रन बटोर रहे हैं. पॉन्टिंग के इस बयान से क्रिकेट में एक बार फिर से ये बहस छिड़ गई कि क्या आज के बल्लेबाज चौकों और छक्कों की झड़ी लगाने के लिए भारीभरकम बैट का सहारा लेते हैं? आखिर क्यों जरूरी है क्रिकेट बैट की साइज का तय होना, आइए जानें.
पॉन्टिंग चाहते हैं कि क्रिकेट के बैट का साइज तय किया जाए:
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पॉन्टिंग ने 5 जुलाई को आयोजित हुई ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट सोसाइटी के सलाना डिनर के दौरान कहा कि अब वक्त आ गया है जब टेस्ट क्रिकेट के लिए बैट के साइज को तय कर दिया जाए.
हालांकि पॉन्टिंग ने वनडे और टी20 जैसे छोटे फॉर्मेट्स के लिए बैट के साइज में बदलाव की मांग नहीं की और कहा कि खेल के छोटे फॉर्मेट्स चौकों और छक्कों की वजह से चलतें हैं, जबकि टेस्ट क्रिकेट में आजकल बल्लेबाजों का दबदबा ज्यादा रहता है क्योंकि उनके लिए खेल पहले से ज्यादा आसान हो गया है.
पॉन्टिंग ने कहा कि क्रिकेट के खेल में आजकल इस्तेमाल किए जा रहे कुछ बैट सच में बहुत ही ज्यादा बड़े हैं. उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में मैन्युफैक्चरर ऐसे बैट्स बना रहे हैं जोकि काफी बड़े और भारी होते हैं. इससे बल्लेबाजों को गेंद को ज्यादा ताकत से और ज्यादा दूर तक मारने में मदद मिलती है.
आखिर क्यों है क्रिकेट की बैट की साइज पर विवाद?
वैसे तो क्रिकेट में पहले से ही क्रिकेट बैट की लंबाई और इसकी चौड़ाई को लेकर नियम मौजूद है लेकिन क्रिकेट बैट की गहराई को लेकर अभी कोई नियम नहीं है. इसी का फायदा उठाकर बैट बनाने वाली कंपनियों ने हल्की लकड़ियों के प्रयोग से ऐसे बैट बनाने शुरू कर दिए हैं, जिनकी गहराई बहुत ज्यादा होती है, यानी कि वे बहुत मोटे होते हैं. ऐसे मोटे बैट्स से बल्लेबाजों को लंबे-लंबे शॉट्स खेलने में मदद मिलती है.
डेविड वॉर्नर जैसे क्रिकेटर टेस्ट क्रिकेट में भी भारीभरकम बैट का प्रयोग करते हैं |
पावर हिटिंग के लिए फेमस मैथ्यू हेडन से लेकर डेविड वॉर्नर जैसे क्रिकेटरों के बैट की मोटाई 70 के दशक के क्रिकेटरों के बैट की मोटाई से कई गुना ज्यादा हो चली है. इससे बल्लेबाजों के मिसटाइम शॉट भी मैदान नहीं बल्कि बाउंड्री के बाहर जाकर गिरते हैं. वनडे और टी20 जैसे छोटे फॉर्मेट्स तो छोड़िए अब तो टेस्ट क्रिकेट में भी ढेरो चौके और छक्के लगते हैं, जिसकी वजह टेस्ट क्रिकेट में बल्लेबाजों द्वारा प्रयोग किए जा रहे भारी और बड़े बैट हैं. अब गेंद और बैट के बीच बराबर मुकाबले के लिए ही बैट के साइज को तय करने की मांग की जा रही है. यही वजह है कि गेल के लंबे और ताकतवर छक्कों जैसे शॉट क्रिकेट में 70, 80 के दशक में नहीं दिखते थे.
इन आधुनिक बैट को बनाने के लिए इनके किनारों को मोटा बनाया जाता है. करीब ढाई दशक पहले के क्रिकेट के बैट के किनारे जहां 1 सेमी होते थे वहीं आज इनकी मोटाई 7 सेमी तक पहुंच गई है. बैट के किनारों की मोटाई बढ़ने को स्वीट स्पॉट कहते हैं, यानी बैट के किनारों को मोटा बनाकर बल्लेबाज को फायदा पहुंचाया जाता है. ऐसे बैट्स के इस्तेमाल से ही टी20 और वनडे क्रिकेट में आजकल ढेरो रन बनते हैं.
कितना बदला क्रिकेट का बैट? साउथ अफ्रीका के महान बल्लेबाज बैरी रिचर्ड्स ने बाएं हाथ में अपना वह बैट पकड़ा है जिससे 1970 के पर्थ टेस्ट में उन्होंने एक दिन में 325 रन बनाए थे और दूसरे हाथ में डेविड वॉर्नर का बैट है (तस्वीरः साभार क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया) |
क्या है क्रिकेट के बैट के साइज का नियम?
क्रिकेट के नियम 6 के मुताबिक बैट की लंबाई 38 इंच (965 mm) से ज्यादा और चौड़ाई 4.25 इंच (108mm) से ज्यादा नहीं होनी चाहिए जबकि बैट का वजन 2 से लेकर 3 पौंड (1.2 किलो से 1.4 किलो) तक होना चाहिए. क्रिकेट बैट के नियम बनने के पीछे भी एक मजेदार घटना है. 1771 में हई इस घटना को ‘मॉन्स्टर बैट घटना’ के नाम से जाना जाता है.
क्या है ‘मॉन्सटर बैट घटना’
1771 में इंग्लैंड में हुए एक काउंटी मैच के दौरान एक अंग्रेज बल्लेबाज विकेटों जितनी चौड़ी बैट लेकर बैटिंग करने उतरा. ऐसा करने से वह कभी बोल्ड नहीं हो सकता था क्योंकि उसकी बैट ने पूरी विकेट को ढक रखा था. इस घटना के बाद ही क्रिकेट बैट की चौड़ाई को तय करने का नियम बना और इसे करीब सवा चार इंच रखा गया, जो तब से आज तक मान्य है.
क्रिकेट के बैट को लेकर हमेशा से ही विवाद सामने आते रहे हैं. आइए जानें क्रिकेट बैट से जुड़े कुछ चर्चित विवादों के बारे में.
ऐल्युमीनियम का बैटः
क्रिकेट में बैट को लेकर इससे विवादित शायद ही कुछ हुआ हो. ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज डेनिस लिली 1979 में इंग्लैंड के खिलाफ एशेज टेस्ट के दौरान ऐल्युमीनियम से बना बैट लेकर पहुंच गए. उस समय ऐसा बैट प्रयोग करने के खिलाफ कोई नियम नहीं था. लेकिन विपक्षी कप्तान द्वारा लिली के बैट से गेंद को नुकसान पहुंचने की शिकायत के बाद जब अंपायर लिली को समझाने पहुंचे तो काफी नानुकर के बाद लिली ने अपना बैट गुस्से में जमीन पर फेंक
देखें वीडियोः जब डेनिस लिली ने प्रयोग किया ऐल्युमिनियम का बैट
2005 में पॉन्टिंग के बैट पर ग्रेफाइट का प्रयोगः
2005 में रिकी पॉन्टिंग ने काहुना बैट का प्रयोग किया, जिसके बारे में शिकायत थी कि इस बैट के किनारों को ग्रेफाइट से पेंट किया गया है. इस बैट से बल्लेबाज को अनावश्यक फायदा पहुंचाने के आरोपों के बाद एमसीसी ने इसकी जांच की और इसके प्रयोग पर बैन लगा दिया.
रिकी पॉन्टिंग अपने बैट के किनारों पर ग्रेफाइट प्रयोग करने के लिए विवादों में रह चुके हैं |
जब क्रिस गेल ने किया गोल्डन बैट का प्रयोगः
2015 में खेले गए बिग बैश लीग के एक मैच मेलबोर्न रेनेगेड्सकी तरफ से खेलते हुए गेल ने एक मैच में गोल्डन कलर के बैट का प्रयोग किया. गेल के गोल्डन बैट पर विवाद छिड़ गया और कहा गया कि गेल ने अपने बैट में किसी धातु का प्रयोग किया है. हालांकि इसे बनाने वाली कंपनी ने कहा कि इस पर सिर्फ गोल्डन कलर के पेंट का प्रयोग किया गया था.
बिग हिटर गेल ने भी एक बार गोल्डन बैट करके विवादों को जन्म दिया था |
क्रिकेट के खेल के तमाम बदलावों में से एक बैट के साइज में आया बदलाव भी है. इस बदलाव ने गेंद और बैट के बीच बराबरी के मुकाबले की संभावना को कमतर किया है. इसलिए चौके-छक्के लगना तो जरूरी हैं लेकिन बैट नहीं बल्कि अच्छी बल्लेबाजी की बदौलत
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