2013 में आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग की जांच के लिए गठित लोढ़ा पैनल ने अपनी तमाम सिफारिशों के अलावा जो सबसे बड़ी सिफारिश की थी वह है क्रिकेट में बेटिंग या सट्टेबाजी को कानूनी दर्जा दे देना. लोढ़ा कमिटी का कहना है कि सट्टेबाजों पर पूरी तरह लगाम लगा पाना मुश्किल है.
इसलिए सट्टेबाजी को कानूनी दर्जा देकर सरकार इससे जबर्दस्त राजस्व कमा सकती है और उन पैसों का इस्तेमाल देश के विकास में किया जा सकता है. अब सवाल ये उठता है कि क्या क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी बना देने से फिक्सिंग पर रोक लग जाएगी? क्या भारत जैसे देश में सट्टेबाजी को कानूनी बना देना सही है? या ऐसा करने से उल्टे फिक्सिंग और बढ़ जाएगी? आइए जानें.
क्यों उठ रही है क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी बनाने की मांगः
लोढ़ा पैनल ही नहीं बल्कि पुलिस से लेकर वकीलों और कई जानकारों का कहना है कि सट्टेबाजी को पूरी तरह से रोक पाना लगभग नामुमकिन हैं क्योंकि अक्सर इसे संचालित करने वाले लोग अपनी जगह और नंबर बदलते रहते हैं और अंडरग्राउंड ही रहते हैं. साथ ही इनका तर्क है कि ऐसा करके हर साल सरकार को कानूनी सट्टेबाजी से हजारों करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा.
साथ ही क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी बना देने से लाइसेंस प्राप्त सट्टेबाज गैर-कानूनी सट्टेबाजों के खिलाफ जानकारी देने में पुलिस की मदद करेंगे. इससे गैर कानूनी सट्टेबाजी पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी और सरकार को हजारों करोड़ का राजस्व भी मिलेगा. फिक्की की एक रिपोर्ट के मुताबिक क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी बना देने से सरकार को हर साल 12 से 19 हजार करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा. यानी कि जो बेहिसाब पैसा अभी सट्टेबाजों की जेबों में चला जाता है उसमें से बड़ा हिस्सा सरकार को मिलने लगेगा जोकि देश के विकास में काम आएगा.
इसके लिए दुनिया के उन देशों का उदाहरण भी दिया जाता है जहां खेलों में सट्टेबाजी वैध है. इन देशों में इंग्लैंड, अमेरिका, ऑस्ट्रिया, कनाडा और यूरोप के कुछ देश शामिल है. यहां की सरकारों को हर...
2013 में आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग की जांच के लिए गठित लोढ़ा पैनल ने अपनी तमाम सिफारिशों के अलावा जो सबसे बड़ी सिफारिश की थी वह है क्रिकेट में बेटिंग या सट्टेबाजी को कानूनी दर्जा दे देना. लोढ़ा कमिटी का कहना है कि सट्टेबाजों पर पूरी तरह लगाम लगा पाना मुश्किल है.
इसलिए सट्टेबाजी को कानूनी दर्जा देकर सरकार इससे जबर्दस्त राजस्व कमा सकती है और उन पैसों का इस्तेमाल देश के विकास में किया जा सकता है. अब सवाल ये उठता है कि क्या क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी बना देने से फिक्सिंग पर रोक लग जाएगी? क्या भारत जैसे देश में सट्टेबाजी को कानूनी बना देना सही है? या ऐसा करने से उल्टे फिक्सिंग और बढ़ जाएगी? आइए जानें.
क्यों उठ रही है क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी बनाने की मांगः
लोढ़ा पैनल ही नहीं बल्कि पुलिस से लेकर वकीलों और कई जानकारों का कहना है कि सट्टेबाजी को पूरी तरह से रोक पाना लगभग नामुमकिन हैं क्योंकि अक्सर इसे संचालित करने वाले लोग अपनी जगह और नंबर बदलते रहते हैं और अंडरग्राउंड ही रहते हैं. साथ ही इनका तर्क है कि ऐसा करके हर साल सरकार को कानूनी सट्टेबाजी से हजारों करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा.
साथ ही क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी बना देने से लाइसेंस प्राप्त सट्टेबाज गैर-कानूनी सट्टेबाजों के खिलाफ जानकारी देने में पुलिस की मदद करेंगे. इससे गैर कानूनी सट्टेबाजी पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी और सरकार को हजारों करोड़ का राजस्व भी मिलेगा. फिक्की की एक रिपोर्ट के मुताबिक क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी बना देने से सरकार को हर साल 12 से 19 हजार करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा. यानी कि जो बेहिसाब पैसा अभी सट्टेबाजों की जेबों में चला जाता है उसमें से बड़ा हिस्सा सरकार को मिलने लगेगा जोकि देश के विकास में काम आएगा.
इसके लिए दुनिया के उन देशों का उदाहरण भी दिया जाता है जहां खेलों में सट्टेबाजी वैध है. इन देशों में इंग्लैंड, अमेरिका, ऑस्ट्रिया, कनाडा और यूरोप के कुछ देश शामिल है. यहां की सरकारों को हर साल बेटिंग पर टैक्स लगाने से मोटी कमाई होती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया को इससे 11 अरब डॉलर और कनाडा को करीब 15 अरब डॉलर का फायदा हुआ था. भारत में क्रिकेट को वैध किए जाने की मांग इसलिए भी उठ रही है कि क्योंकि बेटिंग की दुनिया का करीब 65 फीसदी सट्टा टीम इंडिया के मैचों पर ही लगता है और टीम इंडिया के हर वनडे मैच पर करीब 20 करोड़ डॉलर का सट्टा लगता है.
भारत में हर साल क्रिकेट पर हजारों करोड़ रुपये की बेटिंग होती है |
सट्टेबाजी को कानूनी बना देने से बढ़ेगी फिक्सिंग!
यह कह पाना मुश्किल है कि सट्टेबाजी को कानूनी बना देने से फिक्सिंग पर लगाम कैसे लग जाएगी. हालांकि लोढ़ा कमेटी ने अपनी सिफारिशों में साफ तौर पर कहा है कि बेटिंग को लीगल बनाने के लिए जरूरी है कि क्रिकेट की संचालन संस्था ये सुनिश्चित करे कि कोई भी क्रिकेट खिलाड़ी और अधिकारी इसमें शामिल न हो पाने पाए. लेकिन सवाल तो है कि जिस देश में आज भी हर साल हजारों करोड़ की लॉटरी के टिकट बिक जाते हैं वहां अगर क्रिकेट में सट्टेबाजी को लीगल कर दिया गया तो लोग उसमें जमकर हिस्सा नहीं लेने लगेंगे.
भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता को देखते हुए डर इस बात का है कि इस पर सट्टा लगाने वालों की बाढ़ आ जाएगी. खासकर युवा वर्ग और गरीब तबके द्वारा अपने पैसे सट्टे में झोंकने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी, जिसे किसी भी लिहाज से अच्छा कतई नहीं कहा जा सकता है. साथ ही सट्टेबाजी के कानूनी होने पर इसका लाइसेंस हासिल करने की होड़ मच जाएगी और फिर बड़ी-बड़ी कंपनियां भी मुनाफे के चक्कर में इससे जुड़ेंगी और अरबों रुपये की बेटिंग इंडस्ट्री हो जाएगी. जहां जितना ज्यादा पैसा होता है उतना ही लालच भी होता है, तो जाहिर सी बात है कि ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने की चाह में बड़े सट्टेबाज मनचाहे परिणाम पाने के लिए मैचों को फिक्स करने की कोशिश करेंगे यानी फिक्सिंग का डर खत्म नहीं होगा बल्कि और बढ़ जाएगा.
भारत में सिर्फ हॉर्स रेसिंग में ही गैम्बलिंग वैध है, लेकिन वह बहुत ही कम और सम्पन्न लोगों द्वारा खेला जाने वाला खेल है. ऐसे में उससे आम लोगों के जुड़ने की संभावनाएं न के बराबर हैं. लेकिन भारत में क्रिकेट में बेटिंग को लीगल करना भारी पड़ सकता है. हॉर्स रेसिंग कराने वाले कलकत्ता रॉयल टर्फ क्लब के एक अनुभवी पंटर का कहना है कि अगर भारत में सट्टेबाजी को लीगल किया गया तो मैच फिक्सिंग को कोई नहीं रोक पाएगा.
यानी इस देश में क्रिकेट में सट्टेबाजी को लीगल कर देने से सरकार को भले ही फायदा हो लेकिन क्रिकेट को नुकसान ही होगा!
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.