राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड के इतिहास में ये पहली बार होगा जब 4 खिलाड़ियों को ये खेल रत्न मिल सकता है. रियो ओलंपिक में जिमनास्ट दीपा कर्माकर और शूटर जीतू राय ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए अपने अपने खेल में चौथा स्थान हासिल किया. हालांकि, उन्होंने कोई मेडल तो नहीं जीता, फिर भी उनके जज्बे और खेल के प्रति उनके लगन को देखते हुए सरकार ने उनको खेल रत्न अवार्ड देने का निर्णय लिया है.
जीतू और दीपा को भी मिलेगा खेल रत्न! |
रियो ओलिंपिक में कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के लिए रोहतक की साक्षी मालिक और बैडमिंटन में सिल्वर मैडल हासिल करने के लिए पीवी सिंधू को भी खेल रत्न मिलना तय है. पीवी सिंधू ने तो रियो ओलंपिक में इतिहास ही रच दिया जब वो भारत की पहली महिला खिलाडी बनी जिसने ओलंपिक में सिल्वर मैडल जीता हो. साक्षी मालिक भी सिंधु से कम पीछे नहीं रहीं. वो भी देश की पहली महिला पहलवान बनी जिसने ओलंपिक में कोई मेडल अपने नाम किया.
यह भी पढ़ें- जिमनास्टिक देखने के लिए इस देश ने अपनी नींद कब खराब की थी?
रियो ओलंपिक में इन दोनों की कामयाबी बहुत ही मायने रखती है. जब ऐसा लग रहा था कि भारत शायद इस बार ओलंपिक में मेडल का खाता ही खोल नहीं पाए, इनका बेहतरीन प्रदर्शन करना और देश के लिए मेडल जितना और विश्व में भारत का मान बढ़ाना वाकई काबिले तारीफ है.
राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड के इतिहास में ये पहली बार होगा जब 4 खिलाड़ियों को ये खेल रत्न मिल सकता है. रियो ओलंपिक में जिमनास्ट दीपा कर्माकर और शूटर जीतू राय ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए अपने अपने खेल में चौथा स्थान हासिल किया. हालांकि, उन्होंने कोई मेडल तो नहीं जीता, फिर भी उनके जज्बे और खेल के प्रति उनके लगन को देखते हुए सरकार ने उनको खेल रत्न अवार्ड देने का निर्णय लिया है.
रियो ओलिंपिक में कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के लिए रोहतक की साक्षी मालिक और बैडमिंटन में सिल्वर मैडल हासिल करने के लिए पीवी सिंधू को भी खेल रत्न मिलना तय है. पीवी सिंधू ने तो रियो ओलंपिक में इतिहास ही रच दिया जब वो भारत की पहली महिला खिलाडी बनी जिसने ओलंपिक में सिल्वर मैडल जीता हो. साक्षी मालिक भी सिंधु से कम पीछे नहीं रहीं. वो भी देश की पहली महिला पहलवान बनी जिसने ओलंपिक में कोई मेडल अपने नाम किया. यह भी पढ़ें- जिमनास्टिक देखने के लिए इस देश ने अपनी नींद कब खराब की थी? रियो ओलंपिक में इन दोनों की कामयाबी बहुत ही मायने रखती है. जब ऐसा लग रहा था कि भारत शायद इस बार ओलंपिक में मेडल का खाता ही खोल नहीं पाए, इनका बेहतरीन प्रदर्शन करना और देश के लिए मेडल जितना और विश्व में भारत का मान बढ़ाना वाकई काबिले तारीफ है.
जो भी खिलाड़ी ओलंपिक में कोई पदक जीतता है तो वो खुद ब खुद खेल रत्न अवॉर्ड पाने का हक़दार बन जाता है. इस तरह साक्षी मालिक और पीवी सिंधु खेल रत्न पाने के योग्य हैं और उन्हें ये मिलना निश्चित है. 1991-92 में जब से इस अवार्ड की शुरुआत की गयी है, परंपरागत तौर पर एक ही खिलाड़ी को प्रदान की गयी है. आखिरी बार 2015 में टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्ज़ा को ये अवार्ड दिया गया था. मगर कई बार ऐसे मौके भी आए हैं जब एक से अधिक खिलाड़ियों को ये अवार्ड दिया गया है. 2009 में सबसे अधिक तीन खिलाड़ियों को एक साथ खेल रत्न अवार्ड दिया गया था. महिला बॉक्सर मैरी कॉम, पुरुष बॉक्सर विजेंदर सिंह और पहलवान सुशील कुमार को उनके शानदार प्रदर्शनों के कारण यह अवार्ड दिया गया था. उस दौरान विजेंदर सिंह और सुशील कुमार ने तो 2008 बीजिंग ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल भी जीता था. यह भी पढ़ें- रोहतक से रियो तक, बस साक्षी की मेहनत ही मेहनत राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड भारत का खेल जगत में दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान है. इसे पाना किसी भी खिलाड़ी के लिए बहुत ही गर्व की बात है. भारत के कई महान खिलाडी जैसे सचिन तेंदुलकर, साइना नेहवाल, सानिया मिर्ज़ा, विश्वनाथन आनंद, अभिनव बिंद्रा आदि को ये अवार्ड मिल चूका है. लेकिन पहली बार इस तरह का समीकरण बन रहा है जिससे लग रहा की इस साल चार खिलाड़ियों को खेल रत्न अवार्ड मिल सकता है. इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये भी पढ़ेंRead more! संबंधित ख़बरें |