दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर सरकार गंभीर नहीं दिख रही है और इसी का नतीजा है कि न सिर्फ देश में, बल्कि विदेशों तक में देश की राजधानी का मजाक बन गया है. पहले क्रिकेट के दौरान खिलाड़ियों ने मास्क पहने और अब 15 नवंबर से शुरू होने वाली बॉक्सिंग प्रतियोगिता के लिए आई खिलाड़ियों ने भी मास्क पहने हैं. मंगलवार 13 नवंबर को दिल्ली के लोधी रोड में पीएम 10 का स्तर 286 यानी 'खराब' और पीएम 2.5 का स्तर 373 यानी 'बेहद खराब' रहा. प्रदूषण को रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं, जिसका नतीजा है कि दिल्ली गैस चैंबर बन चुकी है.
मास्क, स्कार्फ और टीशर्ट से ढका मुंह
दिल्ली में 15 नवंबर से लेकर 24 नवंबर तक महिला वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप होनी है, लेकिन बढ़ते प्रदूषण के चलते कोई खिलाड़ी चेहरे पर मास्क लगाए दिख रहा है तो कोई स्कार्फ पहने है. इतना ही नहीं, कुछ खिलाड़ी तो अपनी टीशर्ट से ही नाक-मुंह ढके दिखे, क्योंकि प्रदूषण का स्तर ही इतना अधिक है. आखिर इन खिलाड़ियों के पास और दूसरा रास्ता भी क्या है? अगर वह मास्क नहीं पहनेंगे तो इस गैस चैंबर में बीमार होते उन्हें देर नहीं लगेगी और बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीतने से पहले ही वह हार जाएंगे.
खिलाड़ियों के मां-बाप हैं परेशान
2014 चैंपियनशिप की Bantamweigh कैटेगरी की गोल्ड मेडलिस्ट बल्गेरिया से आईं 27 साल की Stanimira Petrova कहती हैं कि उनका परिवार दिल्ली में फैले स्मॉग की वजह से उनके स्वास्थ्य को लेकर काफी परेशान है. यूरोप की 7 बॉक्सर्स ने बताया कि हवा में एक अजीब सा स्वाद फैला हुआ है और ये हवा आंखों में जलन पैदा कर रही है. उन सबके कोच का कहना है कि उन्हें खराब हवा होने के बारे में बताया तो गया था, लेकिन...
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर सरकार गंभीर नहीं दिख रही है और इसी का नतीजा है कि न सिर्फ देश में, बल्कि विदेशों तक में देश की राजधानी का मजाक बन गया है. पहले क्रिकेट के दौरान खिलाड़ियों ने मास्क पहने और अब 15 नवंबर से शुरू होने वाली बॉक्सिंग प्रतियोगिता के लिए आई खिलाड़ियों ने भी मास्क पहने हैं. मंगलवार 13 नवंबर को दिल्ली के लोधी रोड में पीएम 10 का स्तर 286 यानी 'खराब' और पीएम 2.5 का स्तर 373 यानी 'बेहद खराब' रहा. प्रदूषण को रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए जा रहे हैं, जिसका नतीजा है कि दिल्ली गैस चैंबर बन चुकी है.
मास्क, स्कार्फ और टीशर्ट से ढका मुंह
दिल्ली में 15 नवंबर से लेकर 24 नवंबर तक महिला वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप होनी है, लेकिन बढ़ते प्रदूषण के चलते कोई खिलाड़ी चेहरे पर मास्क लगाए दिख रहा है तो कोई स्कार्फ पहने है. इतना ही नहीं, कुछ खिलाड़ी तो अपनी टीशर्ट से ही नाक-मुंह ढके दिखे, क्योंकि प्रदूषण का स्तर ही इतना अधिक है. आखिर इन खिलाड़ियों के पास और दूसरा रास्ता भी क्या है? अगर वह मास्क नहीं पहनेंगे तो इस गैस चैंबर में बीमार होते उन्हें देर नहीं लगेगी और बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीतने से पहले ही वह हार जाएंगे.
खिलाड़ियों के मां-बाप हैं परेशान
2014 चैंपियनशिप की Bantamweigh कैटेगरी की गोल्ड मेडलिस्ट बल्गेरिया से आईं 27 साल की Stanimira Petrova कहती हैं कि उनका परिवार दिल्ली में फैले स्मॉग की वजह से उनके स्वास्थ्य को लेकर काफी परेशान है. यूरोप की 7 बॉक्सर्स ने बताया कि हवा में एक अजीब सा स्वाद फैला हुआ है और ये हवा आंखों में जलन पैदा कर रही है. उन सबके कोच का कहना है कि उन्हें खराब हवा होने के बारे में बताया तो गया था, लेकिन इससे बचने के लिए कोई सुविधा नहीं दी है. फ्रेंच कोच Anthony Veniant का कहना है कि उन्होंने इस टूर्नामेंट को दिल्ली से बाहर कराने की गुजारिश की थी, लेकिन उनकी गुजारिश को ठुकरा दिया गया. उन्होंने कहा कि दिल्ली की हवा में प्रदूषण बहुत अधिक होने की वजह से खिलाड़ियों के माता-पिता काफी चिंतित हैं.
बॉक्सिंग वेन्यू तक नहीं बदला
खिलाड़ियों और उनके कोच की तरफ से दिल्ली के प्रदूषण का मुद्दा उठाने पर भारतीय बॉक्सिंग फेडरेशन के मुख्य सचिव जय कोवली ने कहा है कि खिलाड़ियों के ट्रेनिंग एरिया, बॉक्सिंग वेन्यू और जिस होटल में खिलाड़ी ठहरे हैं उसके आस-पास की एयर क्वालिटी की मॉनिटरिंग की जा चुकी है. उन सबके आधार पर ही उन्होंने बॉक्सिंग वेन्यू को बदलने की गुजारिश को ठुकरा दिया. उन्होंने कहा कि दिल्ली में स्पोर्ट्स की सबसे अच्छी सुविधाएं हैं और बॉक्सिंग वेन्यू को बदलना नामुमकिन है. अगर कुछ अधिक नहीं हो सकता था तो कम से कम बॉक्सिंग वेन्यू को ही बदलने पर विचार किया जा सकता था, लेकिन वह भी नहीं किया गया.
क्रिकेट में भी मास्क लगाकर खेलते दिखे थे खिलाड़ी
हाल ही में मुंबई और भारतीय रेलवे के बीच भी दिल्ली में रणजी ट्रॉफी मैच हुआ था, जिसमें खिलाड़ी मास्क पहने दिखे थे. मुंबई के कोच विनायक सामंत ने कहा था कि एक बॉलर को दिल्ली के आने के बाद से उल्टियां और सिरदर्द हो रहा है. पिछले साल भारत और श्रीलंका के बीच टेस्ट मैच हुआ था, तब भी श्रीलंका के बहुत से खिलाड़ियों ने मास्क पहन कर क्रिकेट खेला था. 2016 में बीसीसीआई ने दिल्ली में होने वाले दो रणजी मैच को प्रदूषण अधिक होने की वजह से ही कैंसल तक कर दिया था.
नाकाफी हैं सरकारी इंतजाम
ऐसा नहीं है कि प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार कुछ कर ही नहीं रही है, लेकिन जो कर रही है, उससे ये साफ पता चलता है कि वह सिर्फ खानापूर्ति है. सुप्रीम कोर्ट की प्रदूषण के दिल्ली को बचाने के हर दिवाली कोई न कोई आदेश देता है, लेकिन दिवाली की रात हर गली में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ा दी जाती हैं और इसके लिए कोई भी दोषी साबित नहीं होता. सरकार ने पानी की बौछार करना शुरू करती है, ऑड-ईवन पॉलिसी लाती है, लेकिन प्रदूषण में कमी होती नहीं दिखती. पंजाब-हरियाणा में किसान धान की फसल काटने के बाद पराली जलाते हैं, जिसका धुआं भी दिल्ली की हवा को जहरीला करता है, लेकिन उन पर भी कोई लगाम नहीं लग रही. कूड़े के पहाड़ बने हुए हैं, जिनमें आए दिन आग लग जाती है, जहरीली गैसें निकलती हैं, लेकिन कोई इन पर लगाम नहीं लगा पा रहा. न तो सड़कों पर दौड़ती प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों पर रोक लग रही है ना ही फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं रुक रहा है. नतीजा ये हो रहा है कि पूरी दुनिया में दिल्ली के नाम पर थू-थू हो रही है.
ये एक-दो बार की बात नहीं है. हर साल नवंबर में दिल्ली की हवा बेहद खराब हो ही जाती है. इसकी वजह होते हैं पंजाब-हरियाणा की पराली से उठा धुआं और दिवाली की रात लोगों द्वारा की गई आतिशबाजी. हर बार सरकार के सामने एक ही चुनौती होती है, लेकिन हर बार सरकार मुंह के बल गिरी नजर आती है. दिल्ली सरकार केंद्र पर आरोप मढ़ती रहती है और केंद्र सरकार अरविंद केजरीवाल को कोसती रहती है. दोनों सरकारों के बीच में पिसती है दिल्ली की जनता, जिसे गैस चैंबर में जीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. खिलाड़ियों द्वारा मास्क लगाकर खेलना उनके लिए अपनी सुरक्षा करने वाली बात है, लेकिन सरकारों को ये देखकर शर्म आनी चाहिए कि वह दुनिया भर से खिलाड़ियों को बुलाकर सांस लेने के लिए साफ हवा भी मुहैया नहीं करा पा रही है.
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