जून 20 तक शायद ही इस बात पर कोई चर्चा की भी सोचता कि 2019 क्रिकेट विश्वकप की मेजबान टीम इंग्लैंड पर विश्वकप के पहले ही दौर से बाहर होने का संकट मंडरा रहा है. 3 दिन पहले तक विश्वकप के सेमीफाइनल में पहुंचने वाले चार टीमों के नाम लगभग तय ही माने जा रहे थे, हालांकि जून 21 को हुए इंग्लैंड-श्रीलंका के मैच के बाद से ही चीजें पूरी तरह बदल गयी हैं. जहां भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड का सेमीफाइनल में पहुंचना अभी भी तय ही दिखता है, तो वहीं श्रीलंका से मैच हार कर इंग्लैंड ने अपने सेमीफाइनल के राह में कांटे बो लिए हैं. सीरीज में इंग्लैंड की दूसरी हार के साथ ही टूर्नामेंट पूरी तरह खुल चुका है और पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश एक बार फिर से सेमीफाइनल में स्थान बनाने की रेस में शामिल हो चुके हैं.
वैसे तो इंग्लैंड अभी भी पॉइंट्स टेबल में छह मैचों में चार जीत के बाद, 8 अंकों के साथ चौथे स्थान पर विराजमान है, मगर इंग्लैंड को अपने बचे हुए तीन मैचों में टॉप की तीनों टीमों यानी कि ऑस्ट्रेलिया, भारत और न्यूज़ीलैंड से भिड़ना है और यही तीन मैच इंग्लैंड के लिए चिंता का सबब बन सकते हैं. इंग्लैंड के चिंता के दो कारण हैं, पहला यह कि तीनों ही टीमें वर्तमान टूर्नामेंट में जबरदस्त फॉर्म में हैं. जहां भारत और न्यूज़ीलैंड की टीमें अभी तक टूर्नामेंट में अपराजित रहीं हैं, तो वहीं ऑस्ट्रेलिया को एकमात्र हार भारतीय टीम के खिलाफ मिली है. इन टीमों का वर्तमान फॉर्म जहां इंग्लैंड को परेशानी में डाल सकता है तो वहीं वर्ल्ड कप के मुक़ाबलों में इंग्लैंड का भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के खिलाफ पुराना रिकॉर्ड भी उन्हें डराने के लिए काफी है. दरअसल, इंग्लैंड की टीम इन तीनों टीमों में से किसी को भी 1992 विश्वकप के बाद हरा ही नहीं सकी है.
जून 20 तक शायद ही इस बात पर कोई चर्चा की भी सोचता कि 2019 क्रिकेट विश्वकप की मेजबान टीम इंग्लैंड पर विश्वकप के पहले ही दौर से बाहर होने का संकट मंडरा रहा है. 3 दिन पहले तक विश्वकप के सेमीफाइनल में पहुंचने वाले चार टीमों के नाम लगभग तय ही माने जा रहे थे, हालांकि जून 21 को हुए इंग्लैंड-श्रीलंका के मैच के बाद से ही चीजें पूरी तरह बदल गयी हैं. जहां भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड का सेमीफाइनल में पहुंचना अभी भी तय ही दिखता है, तो वहीं श्रीलंका से मैच हार कर इंग्लैंड ने अपने सेमीफाइनल के राह में कांटे बो लिए हैं. सीरीज में इंग्लैंड की दूसरी हार के साथ ही टूर्नामेंट पूरी तरह खुल चुका है और पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश एक बार फिर से सेमीफाइनल में स्थान बनाने की रेस में शामिल हो चुके हैं.
वैसे तो इंग्लैंड अभी भी पॉइंट्स टेबल में छह मैचों में चार जीत के बाद, 8 अंकों के साथ चौथे स्थान पर विराजमान है, मगर इंग्लैंड को अपने बचे हुए तीन मैचों में टॉप की तीनों टीमों यानी कि ऑस्ट्रेलिया, भारत और न्यूज़ीलैंड से भिड़ना है और यही तीन मैच इंग्लैंड के लिए चिंता का सबब बन सकते हैं. इंग्लैंड के चिंता के दो कारण हैं, पहला यह कि तीनों ही टीमें वर्तमान टूर्नामेंट में जबरदस्त फॉर्म में हैं. जहां भारत और न्यूज़ीलैंड की टीमें अभी तक टूर्नामेंट में अपराजित रहीं हैं, तो वहीं ऑस्ट्रेलिया को एकमात्र हार भारतीय टीम के खिलाफ मिली है. इन टीमों का वर्तमान फॉर्म जहां इंग्लैंड को परेशानी में डाल सकता है तो वहीं वर्ल्ड कप के मुक़ाबलों में इंग्लैंड का भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के खिलाफ पुराना रिकॉर्ड भी उन्हें डराने के लिए काफी है. दरअसल, इंग्लैंड की टीम इन तीनों टीमों में से किसी को भी 1992 विश्वकप के बाद हरा ही नहीं सकी है.
इंग्लैंड ने अब तक ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ विश्वकप में 7 मैच खेले हैं, जिसमें पांच में इंग्लैंड टीम को हार का सामना करना पड़ा है, जबकि 2 मैचों में इंग्लैंड की टीम विजयी रही है. इंग्लैंड को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आखिरी जीत 1992 के विश्वकप में मिली है. जबकि 2003, 2007 और 2015 के विश्वकप के मुकाबलों में ऑस्ट्रेलिया की टीम विजयी रही है.
इंग्लैंड का भारतीय टीम के साथ भी रिकॉर्ड कुछ ऐसा ही है, इंग्लैंड ने भारत के खिलाफ विश्वकप में 7 मुकाबले खेले हैं, जिसमें 3 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है, जबकि 3 में उन्हें जीत मिली वहीं एक मुकाबला टाई रहा है. इंग्लैंड ने आखिरी बार 1992 के विश्वकप में भारतीय टीम को हराया है, जबकि 1999 और 2003 के विश्वकप मुकाबले में भारत विजयी रहा था, वहीं 2011 का मुकाबला टाई रहा था. इंग्लैंड का न्यूजीलैंड के खिलाफ पिछला रिकॉर्ड तो और भी चिंताजनक रहा है. इंग्लैंड और न्यूजीलैंड ने विश्वकप में अब तक 8 मुकाबले खेले हैं, जिनमें इंग्लैंड मात्र तीन मुकाबले ही जीत सका है और बाकियों में उसे हार का सामना करना पड़ा है. इंग्लैंड न्यूजीलैंड से आखिरी बार 1983 के विश्वकप में जीतने में सफल रहा है जबकि उसके बाद 1983 के दूसरे मैच में, 1992, 1996, 2007 और 2015 में न्यूजीलैंड की टीम इंग्लैंड पर भारी पड़ी है. यानी विश्वकप के आखिरी 5 मुकाबलों में न्यूजीलैंड का ही दबदबा रहा है.
इंग्लैंड के लिहाज से पाकिस्तान का दक्षिण अफ्रीका को हराना भी बुरी खबर ही है, अब पाकिस्तान के भी 5 अंक हो गए हैं, जबकि उसके तीन मैच बाकी हैं. पाकिस्तान को अब अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और न्यूजीलैंड से खेलना बाकि है. इसी तरह श्रीलंका भी 6 मैचों में 6 अंक के साथ सेमीफाइनल की दौड़ में बना हुआ है, श्रीलंका को अपने आखिरी तीन मुक़ाबले भारत, वेस्टइंडीज और न्यूजीलैंड से खेलना है. इसी तरह बांग्लादेश के लिए भी राहें अभी बंद नहीं हुई है, हालांकि इसके लिए बांग्लादेश को भारत, पाकिस्तान दोनों से जीतना होगा. विश्वकप के शुरू होने तक इंग्लैंड को विश्वकप जीतने का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, इंग्लैंड के पास एक बैलेंस टीम थी और घर में खेलने का फायदा भी. हालांकि, पाकिस्तान के बाद श्रीलंका से हार ने इंग्लैंड को अगर मगर के चक्कर मे डाल दिया है. अब इंग्लैंड को टूर्नामेंट में आगे बढ़ने के लिए अपने तीनों मैच जीतने होंगे, हालांकि दो मुकाबले जीत कर भी इंग्लैंड आगे बढ़ सकता है, मगर इसमें हो सकता है कि इंग्लैंड को रन रेट के आसरे रहना हो. वैसे एक जीत की स्थिति में भी वह आगे बढ़ सकती है मगर इसके लिए उसे दूसरे के मुकाबलों में अपने मनमुताबिक परिणाम पाने की दुआएं करनी होंगी.
कुल मिलाकर हाल के कुछ मुकाबलों के बाद विश्वकप का रोमांच वापस आ गया. सेमीफाइनल की चार टीमों के लिए अभी भी लड़ाई जारी है, ऐसे में हर मुकाबले की अपनी अहमियत होगी और हर टीम अपनी वापसी के लिए बेकरार होगी. अब देखना होगा कि अंतिम चार में कौन सी टीमें अपनी जगह पक्की कर पाती हैं.
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