विश्व कप शुरू होने से पहले से ही इसे लेकर लोगों में काफी उत्साह रहता है, सो इस बार भी था. लेकिन अब तक चार बार बारिश की वजह से वर्ल्ड कप का मजा किरकिरा हो चुका है. इस बार के वर्ल्ड कप में अब तक 4 मैच बारिश में धुल चुके हैं. सबसे पहले 7 जून को पाकिस्तान और श्रीलंका का मुकाबला बारिश में धुला, फिर 10 जून को दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज का मुकाबला बारिश की भेंट चढ़ा और फिर 11 जून को श्रीलंका-बांग्लादेश के मुकाबले पर भी बारिश ने पानी फेर दिया. इतना होते ही 1992 और 2003 का रिकॉर्ड टूट गया, जब वर्ल्ड कप में दो मैच बारिश की वजह से रद्द हुए थे. और फिर 13 जून को भारत और न्यूजीलैंड के मैच के साथ भी यही हुआ, जिसने एक नया रिकॉर्ड बना दिया.
भारत-न्यूजीलैंड के मैच में बारिश हुई तो दर्शकों को बहुत बुरा लगा. वैसे बुरा तो भारत और न्यूजीलैंड की टीमों को भी लगा, क्योंकि 2 प्वाइंट पाने का मौका हाथ से निकल गया और महज 1-1 प्वाइंट में ही संतोष करना पड़ा. लेकिन अब सवाल ये है कि आखिर वर्ल्ड कप में बारिश का क्या इंतजाम हो सकता है? बारिश को रोका तो जा नहीं सकता है. हां, मौसम विभाग बारिश की भविष्यवाणी तो करता है, लेकिन उसका अनुमान भी सटीक नहीं होता. ऐसे में बारिश के हिसाब से मैच के दिन भी निर्धारित नहीं हो सकते. खैर, भले ही आईसीसी को ये समझ ना आ रहा हो कि बारिश का क्या इंतजाम हो सकता है, लेकिन दर्शकों ने अपने सुझाव देने शुरू कर दिए हैं. अब सवाल ये है कि ये सुझाव कितने जायज हैं और क्या ऐसा वाकई हो सकता है?
मैदान पर छत बना दी जाए
सबसे अधिक लोग जिस बात पर जोर दे रहे हैं वो ये है कि क्रिकेट के मैदान पर छत बना दी जाए. सुनने में भले ये...
विश्व कप शुरू होने से पहले से ही इसे लेकर लोगों में काफी उत्साह रहता है, सो इस बार भी था. लेकिन अब तक चार बार बारिश की वजह से वर्ल्ड कप का मजा किरकिरा हो चुका है. इस बार के वर्ल्ड कप में अब तक 4 मैच बारिश में धुल चुके हैं. सबसे पहले 7 जून को पाकिस्तान और श्रीलंका का मुकाबला बारिश में धुला, फिर 10 जून को दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज का मुकाबला बारिश की भेंट चढ़ा और फिर 11 जून को श्रीलंका-बांग्लादेश के मुकाबले पर भी बारिश ने पानी फेर दिया. इतना होते ही 1992 और 2003 का रिकॉर्ड टूट गया, जब वर्ल्ड कप में दो मैच बारिश की वजह से रद्द हुए थे. और फिर 13 जून को भारत और न्यूजीलैंड के मैच के साथ भी यही हुआ, जिसने एक नया रिकॉर्ड बना दिया.
भारत-न्यूजीलैंड के मैच में बारिश हुई तो दर्शकों को बहुत बुरा लगा. वैसे बुरा तो भारत और न्यूजीलैंड की टीमों को भी लगा, क्योंकि 2 प्वाइंट पाने का मौका हाथ से निकल गया और महज 1-1 प्वाइंट में ही संतोष करना पड़ा. लेकिन अब सवाल ये है कि आखिर वर्ल्ड कप में बारिश का क्या इंतजाम हो सकता है? बारिश को रोका तो जा नहीं सकता है. हां, मौसम विभाग बारिश की भविष्यवाणी तो करता है, लेकिन उसका अनुमान भी सटीक नहीं होता. ऐसे में बारिश के हिसाब से मैच के दिन भी निर्धारित नहीं हो सकते. खैर, भले ही आईसीसी को ये समझ ना आ रहा हो कि बारिश का क्या इंतजाम हो सकता है, लेकिन दर्शकों ने अपने सुझाव देने शुरू कर दिए हैं. अब सवाल ये है कि ये सुझाव कितने जायज हैं और क्या ऐसा वाकई हो सकता है?
मैदान पर छत बना दी जाए
सबसे अधिक लोग जिस बात पर जोर दे रहे हैं वो ये है कि क्रिकेट के मैदान पर छत बना दी जाए. सुनने में भले ये बहुत बड़ी बात ना लगे, लेकिन इस पर अमल करना नामुमकिन सा लगता है. एक टेनिस कोर्ट बेहद छोटा होता है, इसलिए उस पर आसानी से छत बनाई जा सकती है, लेकिन क्रिकेट ग्राउंड तुलनात्मक रूप से बहुत बड़े होते हैं. इतना ही नहीं, इंग्लैंड और वेल्स के ग्राउंड भी अलग-अलग साइज के हैं. इन पर छत बनाने में कम से कम क्रमशः 100 मिलियन पाउंड और 70 मिलियन पाउंड का खर्च आएगा. 11 क्रिकेट मैदानों के लिए ऐसी छत बनाना भी नामुमकिन ही है. साथ ही वर्ल्ड कप के लिए क्रिकेट मैदान का चुनाव करते वक्त ये भी ध्यान में रखना होगा कि उस मैदान पर छत लग सकेगी या नहीं. ये सारी चीजें एक मैदान पर छत बनाने के सुझाव को लगभग खारिज करती हैं.
पूरे मैदान को ही ढक देना
अगर आपने इंग्लैंड का श्रीलंका टूर देखा होगा तो ये नोटिस किया होगा कि वहां ग्राउंड के स्टाफ ने बारिश आने पर सिर्फ पिच को नहीं, बल्कि पूरे मैदान को ही शीट से ढक दिया था. इसकी वजह से मैदान पर गीले पैच नहीं आते और बारिश बंद होते ही तुरंत मैच शुरू किया जा सकता है. इसका एक बड़ा फायदा ये भी होता है कि अगर पिछले दिन बारिश हुई होती है तो अगले दिन मैच शुरू होने में देरी नहीं होती है, क्योंकि शीट की वजह से मैदान पूरी तरह सूखा रहता है. तो फिर क्यों ना कि बारिश से मैच को प्रभावित होने से बचाने के लिए बड़ी-बड़ी शीट खरीदने में पैसे खर्च किए जाएं. हालांकि, ऐसा करने के लिए बहुत सारे ग्राउंड स्टाफ की जरूरत होगी और इतने सारे लोगों को काम पर रखना काफी खर्चीला होगा.
रिजर्व डेज़ (Reserve days)
बारिश की वजह से मैच रद्द होने से बचाने के लिए कुछ रिजर्व डेज़ भी रखे जा सकते हैं. यानी कुछ ऐसे दिन जो पहले से ही शेड्यूल में उस दिन के लिए खाली रखे जाते हैं, जिस दिन बारिश हो जाए और मैच ना हो पाए. 1999 में जब इंग्लैंड में वर्ल्ड कप हुआ था, तो वहां रिजर्व डेज़ थे, लेकिन इस बार सिर्फ फाइनल और सेमी फाइनल में रिजर्व डेज़ हैं, ना कि पूरे मैच में. जब गुरुवार को बांग्लादेश और श्रीलंका के बीच खेला जाने वाला मैच बारिश की वजह से रद्द हुआ तो बांग्लादेश के कोच ने ये सवाल उठाया था. उन्होंने कहा था- हम इंसान को चांद पर भेज सकते हैं, तो हम रिजर्व डेज़ क्यों नहीं रख सकते. हालांकि, आईसीसी के चीफ एग्जिक्युटिव स्टीव रोड्स कहते हैं कि रिजर्व डेज़ रखने में कई दिक्कतें होती हैं और इसकी वजह से टूर्नामेंट की अवधि भी काफी लंबी हो जाती है.
बारिश में ही खेला जाए
अगर कोई तरकीब काम नहीं कर रही है तो क्यों ना कि बारिश में भी मैच होने दिया जाए. यानी बारिश होती रहे और खिलाड़ी खेलते रहें. सोचिए, कैसा लगेगा? खैर, ऐसा करने से कुछ हासिल नहीं होगा. बारिश की वजह से मैदान की स्थिति अलग-अलग समय में अलग-अलग हो सकती है और इससे टीमों के बीच निष्पक्ष मैच नहीं हो पाएगा. इतना ही नहीं, गीले और लगातार भीग रहे मैदान पर मैच खेलने से एक तो कीचड़ हो जाएगा और दूसरा गेंदबाजी से लेकर बल्लेबाजी तक में बहुत दिक्कत होगी. साथ ही, ऐसे मैदान पर खेलने में गंभीर चोट लगने के खतरे काफी बढ़ जाएंगे.
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