जीत और हार खेल का दस्तूर है. खेल कोई भी हो, कहीं भी हो रहा हो, एक जीतेगा. एक हारेगा यही होता है. यही होता आया है. खिलाड़ी अगर जीत गया तो ये उसकी मेहनत है लेकिन खिलाड़ी अगर हार जाए तो स्पोर्ट्स मैन स्पिरिट का तकाज़ा यही है कि वो अपनी हार स्वीकार करे और उस खिलाड़ी/ टीम की हौसला बढ़ाए जिसने जीत का ताज अपने सिर पर पहना है. एक आम आदमी के लिए ये आदर्शवादी बातें हैं मगर एक खिलाड़ी के लिये इन बातों पर अमल करना कई मायनों में टेढ़ी खीर है. क्यों ? कारण है पैसा. एक ऐसे वक्त में जब खेल का उद्देश्य नाम और पैसा कमाना शोहरत हासिल करना हो, किसी भी खेल से जुड़ा खिलाड़ी यही चाहता है कि जीत उसे ही मिले. जीत के भूखे खिलाड़ी को जब हार मिलती है तो अंजाम क्या होता है गर जो इस बात को समझना हो तो हम दिग्गज महिला रेसलर गीता और बबीता की ममेरी बहन रीतिका फोगाट का रुख कर सकते हैं जिन्होंने आत्महत्या कर ली है.
रितिका की मौत ने खेल जगत का बदरंग चेहरा भी हमें दिखा दिया है
बताया जा रहा है कि 17 साल की रीतिका राजस्थान में स्टेट लेवल सब जूनियर टूर्नामेंट में हार गई थीं. हार से वह सदमे में थीं. रितिका के बारे में दिलचस्प बात ये है कि वो भी अपनी ममेरी बहनों की तरह कुश्ती में आगे बढ़ रही थीं और मामा महावीर फोगाट के घर पर रहकर ट्रेनिंग कर रही थीं.
जैसे ही ये खबर आई कि रितिका ने जान दे दी है खेल जगत में शोक की लहर तारी हो गयी है और तमाम खिलाड़ियों खासतौर से कुश्ती से जुड़े लोगों ने इस मौत पर गहरा दुख जाहिर किया है. मामले के मद्देनजर रितिका की बहन गीता फोगाट ने ट्वीट किया है और अपनी बहन की मौत पर गहरा दुख जाहिर किया है. गीता ने ट्वीट किया है कि रितिका बहुत होनहार पहलवान थीं.
रितिका की मौत ने पुलिस को भी हैरत में डाल दिया है जिसने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा और बाद में उसे परिजनों के हवाले कर दिया. पुलिस भले ही मौत की जांच कर रही हो लेकिन जो चीजें फिलहाल सामने आई हैं उनको देखकर बस यही कहा जा सकता है कि इस मौत की एक बड़ी वजह हार ही है.
गौरतलब है कि रीतिका ने 53 किलोग्राम भारवर्ग में हिस्सा लिया था. वह 14 मार्च को भरतपुर में फाइनल मैच में उतरी थीं, लेकिन उन्हें महज एक प्वाइंट से हार का सामना करना पड़ा था. हार से रीतिका को गहरा सदमा लगा था और वो अवसाद में आ गईं थीं जिसके बाद उन्होंने ये दिल दहला देने वाला कदम उठाया.
रितिका की मौत की पुष्टि खुद चरखी दादरी के डीएसपी राम सिंह बिश्नोई ने की थी और मीडिया को जानकारी देते हुए बताया था कि रीतिका राजस्थान में एक कुश्ती प्रतियोगिता में हिस्सा लेने गई थीं, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
रितिका अब भले ही हमारे बीच न हो लेकिन वो सवाल ज़रूर है जो इस मौत के बाद खड़े हुए हैं. रितिका की मौत की खबर के बाद ये कहना हमारे लिए अतिश्योक्ति न होगा कि कहीं न कहीं इस मौत ने खेल जगत का वो बदरंग चेहरा हमें दिखा दिया है जो बाहर से देखने पर तो बहुत सुंदर है लेकिन जब हम इसके अंदर झांकते हैं तो एहसास होता है कि कई मायनों में ये बहुत डरावना है और आज खिलाड़ी 'Cut Throat Competition' का सामना कर रहे हैं.
आज जैसे हालात हैं और जिस तरह से टैलेंट की अधिकता है वर्तमान परिदृश्य में जैसे ही कोई खिलाडी हारता है उसको रिप्लेस करने के लिए दूसरा खिलाडी मौके पर मौजूद रहता है और शायद यही वो कारण था जिसकी कल्पना न तो महावीर फोगाट ने की होगी और न ही रितिका की बहन गीत गीता और बबीता ने.
जैसा कि हम बता चुके हैं रितिका फोगाट की मौत ने खेल जगत की तल्ख़ हकीकत को हमारे सामने लाकर खड़ा कर दिया है तो कहा ये भी जा सकता है कि रितिका की इस मौत का एक बड़ा कारण पैसा भी हो सकता है. ध्यान रहे वर्तमान में कुश्ती को स्पॉन्सर्स द्वारा हाथों हाथ लिया जा रहा है.
बहरहाल अब जबकि रितिका की मौत का मामला हमारे सामने आ ही गया है और इसकी वजह हार के चलते उपजे तनाव को माना गया है. तो हम बस ये कहकर अपनी बात को विराम देंगे कि चाहे वो अलग अलग स्पोर्ट्स कॉलेज हों या फिर खेल प्रशिक्षण अकादमी वहां खिलाडियों की एक ट्रेनिंग ऐसी भी होनी चाहिए. जिसमें उन्हें प्रेशर हैंडल करना सिखाया जाए, ताकि अब भविष्य में हम ऐसी ख़बरें न सुन पाएं. यकीन मानिये ये ख़बरें न केवल परिवार के लिए बल्कि पूरे देश को दुःख देने वाली होती हैं.
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