आतंक के सबूत चाहिये थे - UN में तो इमरान ने जुर्म ही कबूल कर लिया!
UNGA में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद और बुद्ध को लेकर पहले ही अपना स्टैंड साफ कर दिया था. फिर भी पाक PM इमरान खान माने नहीं. कश्मीर में खून-खराबा और जंग की धमकी देने लगे - और बातों बातों में पाक को एक्सपोज कर डाला.
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27 सितंबर को लेकर जो प्रोपेगैंडा फैलाया जा रहा था वो फुस्स हो गया - हां, इमरान खान ने पाकिस्तान को दुनिया के सामने एक्सपोज जरूर कर दिया. कहां दुनिया पाकिस्तान के खिलाफ दहशतगर्दी के सबूत खोज रही थी - और कहां संयुक्त राष्ट्र में माइक मिलते ही इमरान खान ने जुर्म कबूल करते हुए इकबालिया बयान ही दर्ज करा डाला.
पाकिस्तान की तरफ से फैलाये गये अफवाहों का हल्का फुल्का असर जम्मू-कश्मीर में भी देखा गया था - लोगों को लग रहा था कि सयुंक्त राष्ट्र में भारत-पाक नेताओं के भाषण में से ऐसा कुछ निकल कर आएगा जिसका घाटी के जनजीवन पर व्यापक असर हो सकता है - जो होना था वो तो नहीं हुआ, लेकिन ऐसे में जब पूरी दुनिया दहशतगर्दी को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ साक्ष्यों की पैमाइश कर रही थी, बौखलाहट में इमरान खान ने बतौर सबूत UN के मंच से इकबाल-ए-जुर्म कर लिया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो 'युद्ध नहीं बुद्ध' बोल कर UNGA को पहले ही मंत्राच्छादित कर दिया था, बची खुची कसर पूरी कर दी संयुक्त राष्ट्र में भारतीय प्रतिनिधि विदिशा मैत्रा ने दुनिया को याद दिला कर कि कैसे जेंटलमैन गेम क्रिकेट से राजनीति में आने वाले इमरान खान हेट-स्पीच से दुनिया को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं.
मोदी ने तो पहले ही जवाब दे दिया था
सिर्फ भारत क्या पूरी दुनिया को पहले से पता कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान संयुक्त राष्ट्र में क्या बोलेंगे. ये तो साफ था कि इमरान खान जो भी बोलेंगे भारत के खिलाफ और कश्मीर को लेकर ही बात होगी. बीच बीच में खुद इमरान खान ऐसे इशारे भी किये जा रहे थे - जैसे मुजफ्फराबाद की रैली में एक ट्रेलर दिखाया और बता दिया कि पिक्चर भी तैयार है. वो पूरी पिक्चर UNGA के मंच से लाइव टीवी पर सबने सरेआम देख भी लिया - कैसे इमरान खाने पाकिस्तान के भविष्य के मंसूबे एक एक कर गिना डाले. राइट टू रिप्लाई के तहत इमरान खान को जवाब देते हुए विदिशा मैत्रा ने एक एक कर याद भी दिला दी - 'बंदूकें...', 'खून बहेगा' और 'आखिर तक लड़ेंगे'. इमरान खान के पास जो एजेंडे की फेहरिस्त थी उसमें था तो यही सब.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहले से ही मालूम था कि इमरान खान तो नफरत की नदी में जहर डालेंगे, इसलिए पहले ही संयुक्त राष्ट्र के माहौल में थोड़ा वैक्सीनेशन छिड़क दिया - 'हमारा मानना है कि आतंकवाद किसी एक देश के लिए बल्कि पूरे विश्व और मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है...'
शिकागो धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद के संदेश से इमरान खान के संभावित जहर से पहले ही मोदी ने कुछ अमृत निकाले और छिड़क दिये, ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का आज भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए शांति और सौहार्द ही एकमात्र संदेश है.'
जब इमरान ने पोडियम संभाला तो लगा वो तो नवाज शरीफ से भी दो कदम आगे और तेज चल रहे हैं. इमरान की जबान जब चलने लगी तो फिर चलती ही गयी, 'मोदी को क्या लगता है कि कश्मीर के लोग इसको शांति से स्वीकार कर लेंगे? कश्मीर में लोगों का कत्ल हुआ है. दुनिया ने कुछ नहीं किया क्योंकि भारत एक बड़ा बाजार है. मैं फिर कहना चाहता हूं, देखें, क्या होने जा रहा है. कर्फ्यू हटते ही खून की होली होगी. मोदी कहते हैं कि उन्होंने ये विकास के लिए किया है... जब लोग बाहर निकलेंगे तो सुरक्षाबल क्या करेंगे? किसी ने कभी सोचा है कि जब खून की होली होगी तो क्या होगा?'
इमरान खान का आखिरी सवाल और विदिशा मैत्रा का फाइनल जवाब!
मजबूरी इमरान खान की भी रही होगी. नवाज शरीफ तो राहील शरीफ को थोड़ा हद में भी रखते थे, इमरान खान तो कमर जावेद बाजवा के बनाये हदों में रहते ही हैं. इमरान खान के भाषण से लगता है भारत ही नहीं इमरान खान के मन में दुनिया के तमाम लोगों के खिलाफ नफरत भरी हुई है, तभी तो सबसे ज्यादा बार वो 'इस्लामोफोबिया' दोहराते रहे - अगर इमरान खान इस मुगालते में हैं कि 71 बार मुस्लिम, इस्लाम और इस्लामोफोबिया बोल कर वो मुस्लिम आबादी वाले मुल्कों के नेता बन जाएंगे तो निश्चित तौर पर मुगालते में हैं - अगर ऐसा होता तो OIC और ऐसे संगठन पाकिस्तान की गुजारिशों को नजरअंदाज करने से थोड़ा गुरेज जरूर करता.
इस्लामोफोबिया के साथ साथ इमरान खान ने बार आतंकवाद, 25 बार पाकिस्तान और कश्मीर, 17 बार भारत, 14 बार मनी, 11 बार '9/11' हमला, 12 बार मोदी, 12 बार RSS, 8 बार UN, 6 बार अफगानिस्तान, 6 बार हिंदू, 6 बार अल्पसंख्यक, 10 बार मानवाधिकार, 6 बार वाटर और ग्लेशियर, 5 बार कर्फ्यू, 5 बार खूनखराबा, 2 बार शांति, 3 बार युद्ध, 2 बार परमाणु बम, 2 बार बलूचिस्तान, दो बार पुलवामा, एक बार रोहिंग्या मुस्लिम, एक बार अभिनंदन, एक बार बालाकोट और एक कुलभूषण जाधव का भी नाम लिया.
इमरान को भारत का फाइनल जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ह्यूस्टन से लेकर UNGA तक पाकिस्तान या इमरान खान का नाम कहीं भी नहीं लिया - लेकिन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री या तो 'मोदी-मोदी' कर रहे थे या फिर कश्मीर पर फोकस थे. इमरान खान ने पूरे भाषण में एक दर्जन बार 'मोदी' शब्द का जप किया.
मोदी के भाषण में पूरी जोर इसी बात पर था कि भारत दुनिया से क्या अपेक्षा रखता है और दुनिया के लिए भारत कितना और क्यों अहम है. साथ ही, मोदी ने कह दिया कि धारा 370 को खत्म करना भारत का आंतरिक मामला है और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इसकी चर्चा की कोई जरूरत नहीं.
चूंकि मोदी का भाषण पहले ही हो गया था और इमरान की बातों को जवाब देना जरूरी था, इसलिए भारत की First Secretary विदिशा मैत्रा ने भारत के जवाब देने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए इमरान खान के नफरत भरे भाषण के एक एक शब्द गिनाये. भारत की तरफ से इमरान खान को साफ कर दिया गया है कि 'कूटनीति में शब्दों की अहमियत होती है और 21वीं सदी में 'नरसंहार', 'रक्तपात', 'नस्लीय श्रेष्ठता', 'बंदूक उठाएं' और 'अंत तक लड़ेंगे' जैसे शब्द मध्यकालीन मानसिकता का प्रदर्शन करते हैं.'
विदिशा मैत्रा ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को ये भी समझा दिया कि कैसे किसी जमाने में 'जेंटलमेन्स गेम' में यकीन रखने वाले क्रिकेटर रहे इमरान खान अपने भाषण में असभ्यता की सारी हदें लांघ गये.
साथ ही साथ, विदिशा ने UN में कुछ सवाल भी रखे जिस पर दुनिया को गौर करना होगा और इमरान खान को हर सवाल का जवाब -
1. हबीब बैंक बंद क्यों हुआ: क्या पाकिस्तान ये समझा सकता है कि न्यूयॉर्क में हबीब बैंक को उसे बंद क्यों करना पड़ा? क्या इसलिए क्योंकि वो आतंकी दहशतगर्दी को बढ़ावा देने के लिए लाखों डॉलर का लेनदेन कर रहा था?
2. आतंकियों को पेंशन क्यों: क्या पाकिस्तान ये मानेगा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा बैन किये गये अल कायदा से जुड़े लोगों को पेंशन देने वाली पूरी दुनिया में अकेली सरकार है?
3. FATF नोटिस: क्या पाकिस्तान इस बात से इंकार कर सकता है कि 27 में 20 मानकों का उल्लंघन करने के लिए उसे FATF ने नोटिस भेजा था?
4. कितने आतंकी पाल रखा है: क्या पाकिस्तान ये बात मानता है कि मुल्क के अंदर संयुक्त राष्ट्र की सूची में शामिल 130 आतंकवादी और 25 आतंकी संगठन मौजूद हैं?
5. ओसामा बिन लादेन का समर्थक: क्या PM इमरान खान न्यूयॉर्क शहर के सामने इस बात से भी इंकार कर पाएंगे कि पाकिस्तान ओसामा बिन लादेन का खुले तौर पर समर्थन करता था?
बेशक इमरान खान को भारत के इन सवालों का सबूतों के साथ जवाब देना होगा. वरना, इमरान खान को बताने की जरूरत नहीं है कि मसूद जहर को अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित किये जाने के प्रस्तावों का संयुक्त राष्ट्र में लगातार विरोध करने वाले चीन को भी आखिरकार पीछे हटना ही पड़ा.
इमरान खान को ये भी नहीं भूलना चाहिये कि पाकिस्तान में ही PPP नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ही इमरान खान के कश्मीर राग का विरोध कर रहे हैं - और कराची के मसले पर सिंध के अलग हो जाने की भी धमकी दे चुके हैं - और अब तो दक्षिण और मध्य एशिया के मामलों के लिए अमरीका के विदेश मंत्रालय की राजदूत एलिस वेल्स ने पूछा ही लिया है - इमरान खान को केवल कश्मीर के मुसलमानों की ही फिक्र क्यों है, चीन के उइगर मुसलमानों की चिंता क्यों नहीं है?
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