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Updated: 21 जनवरी, 2020 06:15 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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मोदी सरकार (Modi Government) जब से नागरिकता कानून (CAA) लाई है, तब से जगह-जगह विरोध प्रदर्शन (Protest) हो रहे हैं. इन प्रदर्शनों की आंच भाजपा (BJP) की सहयोगी पार्टियों तक भी पहुंच रही है. जेडीयू (JDU) के तो कई नेताओं में अपना विरोध दर्ज भी कर दिया है. कुछ समय पहले जेडीयू के उपाध्यक्ष और चुनावी रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने भी नागरिकता कानून के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कर दिया था. बल्कि ये कहना ज्यादा सही रहेगा कि उन्होंने मोदी सरकार के प्रति अपना असंतोष जाहिर कर दिया था. निशाना भले ही मोदी थे, लेकिन उन्होंने नीतीश कुमार (Nitish Kumar) को भी एक साफ संदेश दे दिया था कि वह किस ओर हैं और क्या सोचते हैं. अब जेडीयू के ही पवन वर्मा (Pawan Verma) ने नीतीश कुमार को पत्र लिखकर अपना असंतोष जताया है. हालांकि, ये अलग बात है कि पवन वर्मा का असंतोष इस बात को लेकर है कि नीतीश कुमार ने दिल्ली चुनाव (Delhi Election) में भाजपा के साथ गठबंधन क्यों किया. ये साफ दिख रहा है कि नागरिकता कानून के मुद्दे पर भाजपा और जेडीयू में दरार आई थी, वह लगातार बढ़ती ही जा रही है और किसी न किसी बहाने से जेडीयू के नेता मोदी सरकार पर हमला बोलने के बहाने नीतीश कुमार को भी निशाने पर लेते रहते हैं.

Pawan Verma JDU letter to Nitish Kumarजेडीयू के वरिष्ठ नेता पवन वर्मा ने नीतीश कुमार को लिखे पत्र के जरिए कुछ गड़े मुर्दे उखाड़ दिए हैं.

पवन वर्मा ने किया ये ट्वीट

जेडीयू के वरिष्ठ नेता पवन वर्मा ने एक ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने नीतीश कुमार को लिखे पत्र की तस्वीर भी लगाई है. उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि इस पत्र में उन्होंने नीतीश कुमार से पूछा है कि कैसे जेडीयू ने दिल्ली चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन किया.

पत्र ने उजागर कर दिए कई राज

अपने पत्र की शुरुआत पवन वर्मा ने ये कहते हुए की है कि पहली बार भाजपा ने बिहार से बाहर किसी राज्य में भाजपा को अपना समर्थन दिया है. इस फैसले पर अपनी नाराजगी जताते हुए उन्होंने नीतीश कुमार से इस पर स्पष्ट जवाब मांगा है. उन्होंने आगे लिखा है- 'आपने कई मौकों पर भाजपा-आरएसएस पर सवाल उठाया है. अगस्त 2012 में तो आपने कहा था कि नरेंद्र मोदी और उनकी पॉलिसी देश के लिए नुकसानदायक हैं. जब आप महागबंधन के नेता थे तो आप आरएसएस मुक्त भारत की बात करते थे और अब आप जब 2017 में अपना रास्ता बदलते हुए दोबारा भाजपा से मिल गए हैं तो भी भाजपा के लिए आपके विचार नहीं बदले हैं. आपने कई मौकों पर मुझे बताया है कि कैसे भाजपा ने आपको परेशान किया है. आपने कई मौकों पर ये स्वीकार किया है कि भाजपा देश के खतरे की दिशा में ले जा रही है. आपने ही तो कहा था कि भाजपा संस्थाओं को बर्बाद कर रही है. मेरी ये समझ नहीं आ रहा है कि जेडीयू बिहार के बाहर भी भाजपा को अपना समर्थन क्यों दे रही है, जबकि भाजपा की बेहद पुरानी सहयोगी पार्टी अकाली दल भी ऐसा नहीं कर रही है. वो भी उस समय में जब भाजपा CAA-NRC-NPR के जरिए समाज को बांटने वाला एजेंडा लेकर आगे बढ़ रही है. इन सबको देखते हुए मुझे लगता है कि जेडीयू को ये बताना जानिए कि पार्टी का संविधान क्या कहता है? पार्टी के लीडर की निजी सोच क्या है और वह पब्लिक में क्या सोच रखते हैं?

तो क्या नीतीश कुमार पीएम मोदी से नाराज हैं?

पवन कुमार का ये लेटर पढ़कर तो यही लग रहा है कि मोदी और नीतीश कुमार के बीच सब ठीक नहीं है. कम से कम राजनीतिक स्तर पर तो नीतीश कुमार पीएम मोदी से नाराज ही हैं. ये भी लग रहा है कि बिहार में गठबंधन भी सिर्फ एक मजबूरी है. वैसे भी, नीतीश कुमार कई मौकों पर खुलकर पीएम मोदी का समर्थन करने से बचते से दिखे हैं. ऐसा एक-दो नहीं, बल्कि कई बार हुआ है. जब नीतीश बिहार में और मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो दोनों पंजाब की एक रैली में मिले थे, लेकिन नीतीश कुमार उस समय मोदी से हाथ मिलाने में हिचक रहे थे. इसके बाद बिहार की बाढ़ के दौरान भी केंद्र की सहायाता राशि लौटा दी थी. चलिए ये वाकए तो तब हुए जब दोनों विरोधी थे, लेकिन हाल ही में कानुपर में गंगा परिषद की बैठक हुई थी, जिसमें नीतीश के पोस्टर भी लग गए थे, लेकिन उन्होंने ऐन मौके पर अपना दौरा रद्द कर दिया. बता दें कि नमामि गंगे कार्यक्रम की अध्यक्षता मोदी ही कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव में मोदी कैबिनेट में कोई जेडीयू नेता शामिल नहीं हुआ, ये भी भौंहें ऊंची करता है.

...या ये सब किसी रणनीति का हिस्सा है?

पवन कुमार का पत्र तो यही इशारा कर रहा है कि पीएम मोदी और नीतीश के बीच सब ठीक नहीं है, जो कई मौकों पर देखने को मिल भी चुका है, लेकिन एक बात ध्यान रखनी होगी कि इसी साल के अंत तक बिहार में चुनाव होने हैं. लोकसभा चुनाव में भी जेडीयू ने मोदी सरकार से कोई मांग नहीं की थी, लेकिन बिहार चुनाव से पहले इस तरह के बयान भाजपा पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं. इससे पहले प्रशांत किशोर ने भी कहा था बिहार में आधी-आधी सीटों पर भाजपा-जेडीयू चुनाव नहीं लड़ सकती है. उनका साफ-साफ कहना था कि बिहार में भाजपा छोटी पार्टी है, जबकि बड़े भाई की भूमिका में जेडीयू है, इसलिए इस गठबंधन में अधिक सीटें जेडीयू को मिलनी चाहिए. तब जो दबाव प्रशांत किशोर ने बनाया था, अब वही दबाव पवन वर्मा बना रहे हैं. देखना दिलचस्प रहेगा कि बिहार चुनाव में दोनों के बीच सीटों का बंटवारा कैसे होता है, या वहां भी महाराष्ट्र की तरह गठबंधन टूटता है.

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