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सियासत
| 6-मिनट में पढ़ें
अशोक भाटिया
बिहार की राजनीति में क्यों अहम हुईं अगड़ी जातियां?
90 के दशक में जब मंडल-कमंडल की राजनीति ने अपने पांव फैलाए, तो देश के तमाम दूसरे राज्यों की तरह बिहार की सियासत का नक़्शा भी बदल गया. लेकिन हाल के दिनों में, बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. अचानक वहां अगड़ी जातियों की अहमियत बढ़ गई है.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
अशोक भाटिया
आइए जानते हैं कि आखिर नए संसद भवन की जरूरत क्यों पड़ी?
लोकसभा सचिवालय द्वारा प्रकाशित 'पार्लियामेंट हाउस स्टेट' नाम का एक दस्तावेज बताता है कि आजादी के बाद जैसे-जैसे संसद की गतिविधियां बढ़ीं, अधिक जगह की जरूरत पड़ी. इस जरूरत को पूरा करने के लिए संसद भवन एनेक्सी बनाया गया.
सियासत
| 2-मिनट में पढ़ें
बिभांशु सिंह
बिहार में एक बड़े चेहरे की तलाश कर रही भाजपा का इंतजार जारी है
लोकसभा चुनाव के बाद बिहार में ही 2025 में विधानसभा चुनाव है, जिसकी वजह से भाजपा सबसे ज्यादा चिंतित मालूम पड़ रही है मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर....
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
आनंद सिंह
@1310852232594960
नीतीश कुमार 'आई लव यू' कहने में हिचक क्यों रहे हैं?
नीतीश जिस पार्टी में हैं, उस पार्टी में आज फिर से बिखराव हो गया. वह कांग्रेस को समर्थन देने को तो तैयार हैं पर कांग्रेस उनका समर्थन लेने में आना-कानी कर रही है. सलमान खुर्शीद का बड़ा मौजूं सवाल हैः आई लव यू कहने में हिचक कैसी और देर कैसा?
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
अशोक भाटिया
बिहार की सियासत में 14 जनवरी को कुछ तो बड़ा होने वाला है!
अजीब बात यह कि राजद की ओर से राबड़ी देवी के आवास पर दही-चूड़ा का भोज 14 जनवरी को है और इसी दिन जेडीयू संसदीय दल के नेता उपेन्द्र कुशवाहा के आवास पर जेडीयू की ओर से दही-चूड़ा भोज का आयोजन रख दिया गया है. यह खिंचाव जैसी स्थिति के स्पष्ट संकेत हैं.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
मृगांक शेखर
@msTalkiesHindi
तेजस्वी भी नीतीश से वही सलूक कर रहे हैं जो वो जॉर्ज और शरद यादव के साथ कर चुके हैं
तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) भी धीरे धीरे नीतीश कुमार की राह पर ही बढ़ रहे हैं - और देखा जाये तो नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के साथ भी वैसा ही सब होने की आशंका बन रही है जैसा व्यवहार वो अपने राजनीतिक गुरु जॉर्ज फर्नांडिस और शरद यादव (George and Sharad Yadav) के साथ कर चुके हैं.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
कौशलेंद्र प्रताप सिंह
@2342512585887517
इतिहास खुद को कैसे दोहराता है, ये नीतीश-तेजस्वी प्रकरण से समझिए
बीजेपी का कहना है कि बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार एक बार फिर पलटी मारने की तैयारी में हैं. वे तेजस्वी यादव को भी अब धोखा देने वाले हैं. क्योंकि उनको पता चल गया है कि बीजेपी मोकामा और गोपालगंज दोनों सीट जीतने जा रही है. बीजेपी के इस आरोप के पीछे की कहानी क्या है.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
मृगांक शेखर
@msTalkiesHindi
नीतीश की कमजोर कड़ी है पाला बदलना, और प्रेशर पॉलिटिक्स मजबूत हथियार
प्रशांत किशोर की बातों को उतनी तवज्जो नहीं मिली होती, अगर तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की मौजूदगी में 'जंगलराज' जिक्र न हुआ होता - ये तो सबको मालूम ही है कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) दबाव बनाने के लिए ऐसे नुस्खे आजमाते रहते हैं.
सियासत
| 3-मिनट में पढ़ें
Ravi Anand
@162376681429049
बिहार में जनता को जंगलराज का भूत अब रेलवे में दिखा है...
जंगल राज का भूत लोगों की मानसिकता से निकाल पाना तेजस्वी के लिए आसान नहीं है. लोगों के दिलो-दिमाग में जंगलराज घर कर गया है. भले ही तेजस्वी जंगलराज के दाग को मिटाने के लिए पार्टी का नाम और सिंबल ही क्यों ना बदल दे, जंगलराज का दाग मिटने वाला नहीं है.