क्या कर्नाटक में 33 साल पुरानी परंपरा टूट जाएगी ?
पिछले 33 सालों में कर्नाटक में किसी भी पार्टी ने लगातार दो बार सरकार नहीं बनाई है. यदि कांग्रेस ऐसा कर लेती है तो एक नया इतिहास बनेगा.
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कर्नाटक विधानसभा की 224 में से 222 सीटों के लिए मतदान संपन्न हो गया है. 15 मई को कर्नाटक विधानसभा चुनावों के नतीजे आएंगे. 2013 के विधानसभा चुनावों में जहां 71% के लगभग मतदान हुआ था वहीं इस बार मतदान का प्रतिशत 70 फीसदी रहा है. मतदान संपन्न होने के बाद एग्जिट पोल के जो आंकड़ें आयें हैं, यदि उन पर गौर करें तो कांग्रेस को कर्नाटक में बहुमत मिलता दिख रहा है.
इंडिया टुडे ग्रुप और एक्सिस मॉय इंडिया के सर्वे के अनुसार कांग्रेस को कर्नाटक में 106 से 118 के बीच सीटें मिल सकती हैं.वहीं बीजेपी 79 से 92 सीटें तक कर्नाटक विधानसभा चुनावों में जीत सकती है और यदि जेडीएस की सीटों की संख्या पर गौर करें तो देवेगौड़ा की पार्टी को 22 से 30 सीटें मिलने की सम्भावना हैं. गौरतलब है की कर्नाटक में 1985 में रामकृष्ण हेगड़े की अगुवाई में जनता दल ने दोबारा सरकार बनायी थी, इसके बाद कोई भी पार्टी कर्नाटक में दोबारा सरकार बनाने में सफल नहीं हुई है.
कर्नाटक चुनाव के मद्देनजर भाजपा और कांग्रेस दोनों में कांटे की टक्कर देखने को मिली
यदि पिछले विधानसभा चुनावों के नतीजों पर गौर करें तो, 2013 के कर्नाटक विधान सभा चुनावों में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 224 विधान सभा सीटों में से 122 सीटें जीती थी. वहीं यदि वोट प्रतिशत की बात करें तो कांग्रेस को करीब 37% वोट मिले थे. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी को मात्र 40 सीट और जेडीएस की सीटों की संख्या भी 40 ही थी. बीजेपी का वोट प्रतिशत मात्र 19.89 था, वहीं जेडीएस को करीब 20 % वोट ही मिले थे. इस बार के एग्जिट पोल के अनुसार कांग्रेस को 39 फीसदी वोट मिल सकता है जो पिछली बार के वोट प्रतिशत से लगभग 2 फीसदी ज्यादा है.
कांग्रेस के वोट प्रतिशत में इजाफा होने के कारण ही दोबारा कांग्रेस की सरकार बनने की सम्भावना जताई जा रही है. यदि बीजेपी के वोट प्रतिशत पर गौर करें तो 2013 विधानसभा चुनावों से वर्तमान विधानसभा चुनाव में लगभग 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है और यही वजह है कि 40 सीटों से बढ़कर बीजेपी 79 से 92 सीटों के आंकड़े तक पहुँच रही है. रही बात जेडीएस की तो इंडिया टुडे ग्रुप और एक्सिस मॉय इंडिया के सर्वे से लगता है की जेडीएस की सीटें 2013 से इस बार कम हो सकती हैं.
कर्नाटक राजनीतिक रूप से कई हिस्सों में बंटा हुआ है. हैदराबाद कर्नाटक रीजन में कांग्रेस को 40 में से 33 सीटें मिलती दिख रहीं हैं, वहीं बीजेपी को मात्र 7 सीट ही मिल रही है. बाम्बे कर्नाटक क्षेत्र में कांग्रेस को 50 में से 18 सीटें मिलने की सम्भावना है, वहीं बीजेपी यहां कांग्रेस से बेहतर करती दिख रही है, जेडीएस को यहां से मात्र 1 सीट मिलती दिख रही है. यदि कोस्टल और हिल्स रीजन को देखें जो बीजेपी के गढ़ कहे जाते हैं तो इस इलाके से बीजेपी कांग्रेस पर बढ़त बनाती दिख रही है, यहां बीजेपी को 19 में से 13 सीटें मिल रही हैं तो कांग्रेस को मात्र 6, और जेडीएस का यहां खाता खुलता नहीं दिख रहा है.
सेन्ट्रल कर्नाटक क्षेत्र की 23 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 15, कांग्रेस को 5 तथा जेडीएस को मात्र 4 सीट मिलने की सम्भावना एग्जिट पोल के अनुसार जताई जा रही है. यदि सर्वाधिक 64 सीटों वाले ओल्ड मैसूर रीजन को देखें, जो जेडीएस का गढ़ माना जाता है फिर भी यहां कांग्रेस जेडीएस और बीजेपी पर भारी बढ़त लेते हुए दिख रही है. कांग्रेस इस इलाके की 64 सीटों में से 33 सीटें जीत सकती है, वहीं जेडीएस 20 और बीजेपी 11 सीटें के आंकड़ों तक रह सकती है.
यदि कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर जो कि आईटी सिटी के नाम से पूरी दुनिया में मशहूर है, बैंगलोर रीजन में 28 सीटें आती हैं जिसे बीजेपी के गढ़ के तौर पर भी जाना जाता है. बीजेपी के गढ़ तौर पर माने जाने का कारण यहां हिंदी बेल्ट से आयी अबादी भी मानी जाती है. बैंगलोर रीजन में एग्जिट पोल के अनुसार कांग्रेस बीजेपी पर बढ़त लेती दिख रही है, 28 सीटों में से 15 कांग्रेस को और 10 बीजेपी को मिलती दिख रही है.1 सीट जेडीएस को यहां मिलने की सम्भावना जताई जा रही है. बाकि बची 2 सीटों पर बाद में चुनाव होंगे.
कंटेंट - वेद प्रकाश, इंटर्न इंडिया टुडे
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