New

होम -> सियासत

 |  7-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 29 अगस्त, 2019 09:59 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

जम्मू-कश्मीर को लेकर काफी चीजें साफ हो गयी हैं. गवर्नर सत्यपाल मलिक ने प्रेस कांफ्रेंस करके अपने तरीके से बहुत सारे सवालों के जवाब देने की कोशिश की है - लगे हाथ कुछ नसीहतें भी दे डाली हैं. इनमें से कुछ तो घाटी के नेताओं के लिए लगती हैं और कुछ उन नेताओं के लिए भी जो दिल्ली में रहते हुए भी सूबे में नजरबंद नेताओं के लिए खासे फिक्रमंद रहे हैं.

सत्यपाल मलिक की बातों से तो ऐसा ही लगता है कि घाटी के नेताओं को खुली छूट चुनावों के दौरान ही मिल पाएगी - सवाल है कि चुनाव कब होंगे? गवर्नर की बातों को समझें तो ये स्थिति छह महीने से पहले तो नहीं ही बनने वाली है.

क्या जम्मू-कश्मीर में चुनाव भी छह महीने बाद ही होंगे?

जम्मू-कश्मीर में करीब तीन दर्जन नेताओं और एक हजार से ज्यादा पत्थरबाजों को हिरासत में लिया गया है. करीब 150 पत्थरबाजों पर प्रिवेंटिव सिक्योरिटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है.

पू्र्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती चश्मे-शाही में हैं जबकि उमर अब्दुल्ला को हरिनिवास पैलेस में रखा गया है. विपक्षी नेता युसुफ तरीगामी को उनके घर पर ही नजरबंद रखा गया है.

युसुफ तरीगामी से मुलाकात के लिए सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने सुप्रीम कोर्ट से मदद ली है - और उन्हें इजाजत भी मिल गयी है. सूत्रों के हवाले से प्रकाशित कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिवार के किसी सदस्य ने मिलने की कोई कोशिश नहीं की है. महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने भी जम्मू-कश्मीर पहले ही छोड़ दिया था.

इल्तिजा मुफ्ती, महबूबा मुफ्ती को नजरबंद किये जाने के बाद से काफी सक्रिय हैं और मीडिया और सोशल मीडिया के जरिये आवाज उठाती रही हैं. इंडिया टुडे से खास बातचीत में इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि तीन हफ्ते हो चुके हैं लेकिन कुछ भी पता नहीं चल रहा है. इल्तिजा मुफ्ती का दावा है कि वो अपनी मां से मुलाकात के लिए पत्र भी लिख चुकी हैं - लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिल सका है.

इल्तिजा मुफ्ती का सवाल है - 'मैं भारतीय नागरिक हूं. मेरी मां आतंकी नहीं हैं. वो मुख्यमंत्री रह चुकी हैं - आप ऐसा क्यों कर रहे हैं?'

iltija mufti daughter of mehbooba muftiइल्तिजा मुफ्ती का सवाल - एक बेटी मां से क्यों नहीं मिल सकती?

जिस तरह सीताराम येचुरी ने अपने राजनीतिक साथी युसुफ तरीगामी से मुलाकात के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति ली है, एक कश्मीरी छात्र ने भी अपने घर अनंतनाग जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी. कोर्ट कश्मीरी छात्र को अनंतनाग जाने के साथ ही पुलिस सुरक्षा के इंतजाम की भी हिदायत दी है.

लगता है इल्तिजा मुफ्ती के पास भी ऐसा ही विकल्प बचा हुआ है. सीताराम येचुरी ने तो जम्मू-कश्मीर जाने का प्रयास पहले भी किया था, लेकिन दो बार बैरंग लौटा दिये गये. अब अदालत के आदेश के साथ वो औपचारिक तरीके से जा सकते हैं.

श्रीनगर से लेकर दिल्ली तक, एक सवाल घूम रहा है कि कश्मीरी नेताओं को कब तक ऐसे ही रहना पड़ेगा?

जम्मू-कश्मीर में राज भवन की ओर से एक बयान जारी कर उन खबरों का खंडन किया गया है, जिनमें राज्यपाल सत्यपाल मलिक और नजरबंद नेताओं की मुलाकात का दावा किया जा रहा था. राज भवन का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला की नजरबंदी से उनका कोई लेना देना नहीं है क्योंकि ये फैसला ही पुलिस प्रशासन का है. रिपोर्ट में दावा किया जा रहा था कि नजरबंद नेताओं की रिहाई के लिए धारा 370 के खिलाफ बयान न देने की शर्त पर रिहाई का प्रस्ताव रखा गया था. बहरहाल, अब तो ये बात ही खत्म हो गयी.

आखिरकार एक सवाल बचा रहा - नजरबंद नेताओं की रिहाई कब तक मुमकिन है?

satya pal malik and rahul gandhi'...और कोई सवाल?'

सत्यपाल मलिक ने इस सवाल के जवाब में खुद की मिसाल दी - और इशारों में कई बातें और भी समझायीं. सत्यपाल मलिक बोले, 'क्या आप नहीं चाहते हैं लोग नेता बनें? मैं 30 बार जेल गया हूं. जो लोग जेल जाते हैं, वे नेता बनते. उन्हें वहां रहने दें. जितना ज्यादा वक्त वे जेल में बिताएंगे, चुनाव प्रचार के समय उतना ही वे दावे कर पाएंगे - मैंने छह महीने जेल में गुजारे हैं.'

बातों बातों में ही सत्यपाल मलिक ने बता दिया कि नजरबंद नेताओं को छह महीने तक जेल में गुजारने पड़ सकते हैं - और उसके बाद चुनाव होंगे जिसमें सभी बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले सकते हैं.

हो सकता है ये जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव 2014 की तरह ही एक साथ करायें जायें. वैसे 2014 और 2019 की परिस्थितियां पूरी तरह अलग हैं. 2014 में जो चुनाव हुए थे वो छह साल के लिए कराये गये थे - लेकिन गवर्नर ने विधानसभा पहले ही भंग कर दी थी. फिर लगा आम चुनाव के साथ होंगे, लेकिन हालात माकूल नहीं समझे गये. अभी तो महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के चुनाव की तारीख आने वाली है - जम्मू-कश्मीर पर अभी सस्पेंस बना हुआ है.

तो छह महीने तक सब यूं ही चलता रहेगा!

धारा 370 हटाये जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातों को ही आगे बढ़ाते हुए सत्यपाल मलिक ने कहा, 'मैं आश्वस्त करता हूं कि छह महीने में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में इतना कुछ होगा कि जो उस पार वाला कश्मीर है वहां के लोग ये कहने लगेंगे कि हम उन जैसा होना चाहते हैं. इसके लिए केंद्र सरकार की लगातार बैठकें हो रही हैं और मंत्रालयों की टीमें आ रही हैं.'

सत्यपाल मलिक ने कहा कि पिछले तीन हफ्ते में एक एक भी व्यक्ति की जान नहीं गयी है और ये हमारे से एक उपलब्धि है. साथ ही, इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं जल्द ही बहाल करने करने की बात कही है. गवर्नर मलिक ने ये संकेत भी दिया है कि जल्द ही कश्मीर के विकास के लिए बड़ी घोषणा होने वाली है. हर मंत्रालय से टीमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की स्थिति का जायजा ले रही हैं.

गवर्नर सत्यपाल मलिक ने हाल फिलहाल कई बातों को साफ करने का प्रयास किया है, जिनमें से एक राहुल गांधी को लेकर भी उनकी अपनी खास राय है. कुछ दिनों से सत्यपाल मलिक और राहुल गांधी के बीच ट्विटर और मीडिया के जरिये संवाद काफी हुआ है.

राहुल गांधी का धारा 370 हटाये जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के हालात पर सवाल खड़े करना. राहुल गांधी के सवाल पर सत्यपाल मलिक का न्योता और विशेष विमान की व्यवस्था की बातें. राहुल गांधी का सदल-बल पहुंचने की बातें और फिर सत्यपाल मलिक का न्योता ही रद्द कर देना. आखिर में राहुल गांधी का एक दिन अचानक फ्लाइट पकड़ लेना और फिर श्रीनगर एयरपोर्ट से ही बैरंग लौटा दिया जाना.

अब तो गवर्नर सत्यपाल मलिक ने राहुल गांधी के बारे में अपनी राय भी जाहिर कर दी है - 'पॉलिटिकल जुवेनाइल'. साथ में, धारा 370 की हिमायत करने वालों के लिए 'जूता मारने' वाली बातें भी - जिन पर चर्चा और विवाद जारी है.

इस बीच सुप्रीम कोर्ट भी धारा 370 हटाये जाने की खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है - और अगली तारीख अक्टूबर में पड़ी है. मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर पर एक मंत्री-समूह भी बना दिया है. चुनाव से पहले परिसीमन होने की भी जोरदार चर्चा है. मान कर चलना चाहिये कि अभी छह महीने तक ये सब ऐसे ही चलता रहेगा. फिर चुनाव होंगे और उससे ऐन पहले नजरबंद नेताओं को रिहा कर दिया जाएगा ताकि वो लोगों के बीच जायें और जेल डायरी से मन की बातें सुनायें.

इन्हें भी पढ़ें :

कश्मीर में 'अत्याचार' और उसके 'विरोध' का बेनक़ाब होता झूठ बता रहा है कि लड़ाई लंबी है

कश्मीर पर इंदिरा गांधी के रास्ते पर मोदी, फिर क्यों रुदाली बुला बैठी है कांग्रेस?

कश्‍मीर के बहाने बाजवा और इमरान खान दोनों ने 'एक्सटेंशन' ले लिया

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय