Mamata Banerjee ने मोदी-शाह के सामने अपने पत्ते पहले ही खोल कर गलती कर दी है
ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने हड़बड़ी में बीजेपी नेतृत्व को अलर्ट भेज दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह (Narendra Modi and Amit Shah) पर हमले के चक्कर में ममता बनर्जी ने अपना चुनावी मुद्दा (West Bengal Election 2021) जाहिर कर मुसीबत बढ़ा ली है - अगर बीजेपी ने नहले पर दहला जड़ दिया तो क्या होगा?
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ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने पश्चिम बंगाल में डिजिटल रैली के साथ चुनावी मुहिम (West Bengal Election 2021) की शुरुआत कर दी है. 21 जुलाई को ममता बनर्जी हर साल शहीद दिवस रैली करती हैं और अपना एजेंडा बताने के साथ साथ राजनीतिक विरोधियों पर जोरदार हमला भी बोलती हैं. वैसे बीजेपी की तरफ से डिजिटल रैली तो अमित शाह ने 9 जून को ही कर डाली थी.
हमेशा की तरह ममता बनर्जी की डिजिटल रैली में भी निशाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Narendra Modi and Amit Shah) ही रहे, लेकिन हड़बड़ी में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने एक बड़ी गलती कर दी है - 2021 के विधानसभा चुनाव का एक बड़ा मुद्दा मोदी-शाह के सामने पहले ही खोल कर गलती से मिस्टेक भी कर डाली है.
MP-राजस्थान पर ममता ने मोदी सरकार को घेरा
ममता बनर्जी हर साल 21 जुलाई को पश्चिम बंगाल के लोगों के बीच होती हैं - और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ इकट्ठा होकर शहीद दिवस मनाती हैं. 1993 में ममता बनर्जी तब की वाम मोर्चे की सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही थीं और उसी दौरान हुई पुलिस फायरिंग में 13 लोग मारे गये. तभी से हर साल तृण मूल कांग्रेस की तरफ से शहीद दिवस रैली आयोजित की जाती रही है.
हर रैली में ममता बनर्जी का तेवर तो तकरीबन एक जैसा ही रहता है, लेकिन चुनावी साल में ये ज्यादा आक्रामक हो जाता है. 2019 के आम चुनाव के चलते तो ममता का एक जैसा अंदाज लगातार दो बार देखने को मिला था. पहले जुलाई, 2018 में जब वो मन ही मन प्रधानमंत्री पद की भी दावेदार बनी हुई थीं - और फिर जुलाई, 2019 में जब बीजेपी ममता के बंगाल में भी सेंध लगा चुकी थी. 9 जून की डिजिटल रैली में अमित शाह ने कहा था कि भले ही वो लोक सभा की 303 सीटें जीते, लेकिन पश्चिम बंगाल की 18 सीटें उनके लिए सबसे अहम हैं. ममता बनर्जी की सरकार की लेफ्ट मोर्चे की सरकार जैसा बताते हुए अमित शाह ने कहा, 'मैं करोड़ों बंगालवासियों से कहना चाहता हूं कि आपने कम्युनिस्ट और तृणमूल दोनों को आजमाया है. एक मौका भाजपा को दीजिये, हमारी पांच साल की सरकार के बाद बंगाल में भ्रष्टाचार, टोलबाजी, घुसपैठ, परिवारवाद, बेरोजगारी, आतंक और हिंसा समाप्त हो जाएगी.'
2019 की रैली में ममता बनर्जी ने आम चुनाव को रहस्य बताते हुए कहा कि बीजेपी ने EVM और CRPF के दम पर चुनाव जीत लिया - और वे लोग कुछ सीटें पाकर हमारी पार्टी कार्यालयों पर कब्जा कर रहे हैं. अब जबकि अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ममता बनर्जी एक बार फिर शहीद दिवस रैली में गरजी हैं. हालांकि, ये रैली डिजिटल रही है.
मोदी-शाह के खिलाफ 2021 का तेवर रैली में दिखा चुकी हैं ममता बनर्जी
गलवान घाटी में चीन की फौज से संघर्ष में 20 सैनिकों की शहादत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से बुलायी गयी सर्वदलीय बैठक में ममता बनर्जी जरूर केंद्र सरकार के साथ खड़ी नजर आयीं. तब मोदी सरकार पर सबसे ज्यादा हमलावर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी रहीं, लेकिन अब ममता बनर्जी अपने पुराने तेवर में लौट आयी हैं. ममता बनर्जी अब बीजेपी पर विरोधी दलों की सरकारें गिराने का मुद्दा भी उठा रही हैं.
मोदी सरकार को टारगेट करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, 'केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल की चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों और पैसे की ताकत का इस्तेमाल कर रही है - और साजिश रची जा रही है.
ममता बनर्जी ने बीजेपी को देश की अब तक की तोड़ फोड़ करने वाली सबसे बड़ी पार्टी बताया. बोलीं, 'जब पूरा देश कोविड-19 महामारी से लड़ने में जुटा है, बीजेपी मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान और पश्चिम बंगाल की चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करने में व्यस्त है.'
चीन के मुद्दे को छोड़ दें तो ममता बनर्जी प्रवासी मजदूरों के लिए चलायी गयी श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर भी पहले काफी विरोध करती रहीं. कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन पर ठीक से अमल न करने को लेकर भी ममता बनर्जी केंद्र सरकार पर हमलावर रहीं - और मुख्यमंत्रियों की एक मीटिंग में तो अमित शाह की मौजूदगी में पश्चिम बंगाल के साथ केंद्र की तरफ से राजनीति किये जाने का आरोप लगाया था.
चुनावी पत्ते तो पहले ही खोल डाले
चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर काफी पहले से ही ममता बनर्जी के कैंपेन की निगरानी कर रहे हैं. बीच बीच में वो अपने दूसरे काम भी करते रहते हैं जैसे दिल्ली अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का कैंपेंन और अपने लिए 'बात बिहार की'. काफी दिनों से ममता बनर्जी के हाव-भाव और राजनीतिक तौर तरीके में प्रशांत किशोर की गाइडलाइंस का काफी प्रभाव भी दर्ज किया गया है. मगर, ममता बनर्जी ने मोदी-शाह को लेकर अब जो बात कही है, उससे तो यही लगता है कि प्रशांत किशोर, ममता बनर्जी को उसी तरीके से चुनाव लड़ा रहे हैं जैसे 2015 में नीतीश कुमार के चुनाव अभियान में देखने को मिला.
ममता बनर्जी को राजनीतिक हक हासिल है कि वो मोदी-शाह पर चाहे जैसे हमला बोलें. चुनावों के दौरान ये काफी निम्न स्तर तक पहुंच जा रहा है. दिल्ली चुनाव में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के डंडा मार बयान पर खूब बवाल भी हुआ.
ममता बनर्जी ने शहीद रैली में नाम तो प्रधानमंत्री मोदी या गृह मंत्री अमित शाह का नहीं लिया, लेकिन जिन शब्दों का इस्तेमाल किया वे तो साफ साफ बोल रहे थे कि किसका जिक्र हो रहा है. ममता बनर्जी ने बीजेपी पर भय का माहौल बना देने के आरोप लगाते हुए, लोगों से अपील की कि वे अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को ही वोट दें - और लगे हाथ ये भी बता दिया कि वे ऐसा क्यों करें?
बिलकुल अपने तीखे अंदाज में ममता बनर्जी ने सवाल किया - 'गुजरात को सभी राज्यों पर शासन क्यों करना चाहिए? संघीय ढांचे की क्या जरूरत है? एक राष्ट्र-एक पार्टी प्रणाली बना दें.' आसानी से समझा जा सकता है, ममता बनर्जी के निशाने पर गुजरात से आने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ही रहे - हो सकता है उनकी दलील पश्चिम बंगाल के उनके समर्थकों को ठीक भी लगे, लेकिन सब की एक जैसी प्रतिक्रिया होगी, ऐसा तो होने से रहा.
2019 के चुनाव में निश्चित तौर पर मोदी लहर रही, लेकिन लोगों ने बीजेपी को वोट दिया - आखिर पश्चिम बंगाल के लोगों ने भी तो बीजेपी को वोट दिये ही. और बीजेपी को जो वोट मिले वो पहले किसके थे. आखिर बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस की सीटों पर ही तो कब्जा जमायी हुई है. जब पश्चिम बंगाल के लोग ही बीजेपी को वोट दे रहे हैं तो ममता बनर्जी भला किससे कह पूछ रही हैं कि सूबे में कहां के लोगों का शासन होना चाहिये?
ऐसा लगता है ममता बनर्जी का चुनाव अभियान भी 2015 के नीतीश कुमार की चुनाव मुहिम की दिशा में ही आगे बढ़ रहा है. नीतीश कुमार के चुनाव में बिहारी बनाम बाहरी की लड़ाई बना दी गयी थी और अब लगता है प्रशांत किशोर 2021 में भी बंगाली बनाम बाहरी की लड़ाई छेड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
ममता बनर्जी कहती हैं, 'बाहरी और गुजरात के लोग नहीं, बल्कि बंगाल के लोग शासन करेंगे. हमें यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि बीजेपी के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो जाये.'
अव्वल तो 2021 तक पहुंचते पहु्ंचते राजनीति बहुत हद तक बदल चुकी होगी. वैसे भी 2021 में 2015 वाले मोदी-शाह भी नहीं होंगे, बल्कि वो जोड़ी होगी जो केंद्र में 5 साल सरकार चलान के बाद पहले के मुकाबले ज्यादा बहुमत से सत्ता में लौटी और पश्चिम बंगाल में भी काफी मजबूती से पैर जमा चुकी होगी.
क्या अब भी ममता बनर्जी को लगता है कि पश्चिम बंगाल में मोदी शाह को बाहरी बताकर बीजेपी को खारिज किया जा सकता है?
ममता बनर्जी ने अपना एजेंडा बताकर बीजेपी को अलर्ट भेज दिया है. अब तो साफ है कि ममता बनर्जी बंगाली बनाम बाहरी को चुनावी मुद्दा बनाने जा रही हैं, लेकिन तृणमूल कांग्रेस नेता भूल गयीं कि बीजेपी ने अभी अपनी रणनीति स्पष्ट नहीं की है. ऐसा भी नहीं है कि बीजेपी हर चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर ही लड़ती है. असम में सर्वानंद सोनवाल पहले से ही डेरा डाल चुके थे - और उसी तरह त्रिपुरा में बिप्लब देब.
आखिर ममता बनर्जी को कैसे यकीन हो गया है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी उनके मुकाबले किसी को खड़ा नहीं करने वाली है. झारखंड और दिल्ली गंवा चुकी बीजेपी काफी चौकन्ना है. क्या मालूम बंगाल में ही बैठा हुआ कोई ममता बनर्जी को चैलेंज करने की तैयारी कर रहा हो. ममता बनर्जी को ये भी नहीं भूलना चाहिये कि उनके पुराने साथी मुकुल रॉय भी बीजेपी में हिमंता बिस्वा सरमा की तरह ही मेहनत कर रहे हैं. ये ठीक है कि मुकुल रॉय 2016 में फेल रहे, लेकिन 2019 में तो उनका असर ममता ने भी महसूस किया ही होगा.
ममता बनर्जी कह रही हैं, 'बंगाल में बंगाली ही राज करेगा,' तब क्या होगा जब बीजेपी भी किसी बंगाली को ही मैदान में उतार देगी?
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