राहुल-सोनिया को ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है, कांग्रेस विपक्ष के नेतृत्व के काबिल नहीं
ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को राहुल और सोनिया गांधी (Rahul and Sonia Gandhi) ने भले ही बीजेपी और मोदी (BJP and Narendra Modi) विरोध की राजनीति में हाशिये पर पहुंचाने की कोशिश की हो, लेकिन तृणमूल कांग्रेस नेता ने भी अब साफ साफ बोल दिया है - दो बार हार चुकी कांग्रेस विपक्ष का नेतृत्व करने में सक्षम नहीं है.
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ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को भवानीपुर उपचुनाव का इंतजार सिर्फ इसलिए नहीं था कि अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाये रखें. ये इसलिए भी जरूरी था कि वो नंदीग्राम की हार की भरपाई कर सकें - और बंगाल पर पकड़ को चुस्त और दुरूस्त करने के बाद अपना राजनीतिक दायरा दिल्ली तक थोड़ा निश्चिंत होकर फैला सकें.
भवानीपुर उपचुनाव में ही ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी ने अपना इरादा नये सिरे से जाहिर कर दिया था, जब वे लोगों से सिर्फ बंगाल की सीएम की कुर्सी को बनाये रखने भर के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश में तृणमूल कांग्रेस और बंगाल का परचम लहराने के लिए वोट मांग रहे थे - जाहिर है इरादा तो कांग्रेस को किनारे करने का तभी से रहा होगा.
गोवा में पूर्व मुख्यमंत्री लुईजिन्हो फलेरियो को कांग्रेस से झटकने के बाद तो अभिषेक बनर्जी और भी खुल कर बोलने लगे और उनके निशाने पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी (Rahul and Sonia Gandhi) ही नजर आ रहे थे. बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (BJP and Narendra Modi) से मुकाबले के लिए तृणमूल कांग्रेस महासचिव ने कांग्रेस को कुर्सी से उठ कर सड़कों पर उतरने की नसीहत दी और ये भी कहा कि ये सब घर में बैठ कर आराम से नहीं हो सकता. अभिषेक बनर्जी का ये कहना कि टीएमसी ऐसी राजनीतिक पार्टी नहीं है जो सिर्फ सोशल मीडिया पर एक्टिव हो - ये कहने का मतलब भी तो कांग्रेस को ही कठघरे में खड़ा करना रहा.
पश्चिम बंगाल चुनाव से लेकर भवानीपुर उपचुनाव तक ममता बनर्जी की राजनीतिक दुनिया में काफी बदलाव देखने को मिला है. बंगाल चुनाव में बीजेपी नेतृत्व को शिकस्त देने के बाद ममता बनर्जी जुलाई में दिल्ली के दौरे पर बड़ी उम्मीदों के साथ निकली थीं, लेकिन वापसी के वक्त घोर निराशा का आलम हो गया था. शरद पवार से मुलाकात न हो पाने का ममता बनर्जी को अफसोस रहा - और वो समझ चुकी थीं कि उनके खिलाफ जो कुछ भी हो रहा है वो कांग्रेस के इशारे पर ही हो रहा है.
चुनाव जीतने के बाद ममता बनर्जी ने अपने रणनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर के जरिये विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश शुरू कर दी थी, लेकिन कांग्रेस को उन गतिविधियों से बाहर ही रखा था. ममता बनर्जी की आशंका उस वक्त सही साबित हुई जब उनके दिल्ली में कदम रखते ही राहुल गांधी हद से ज्यादा एक्टिव हो गये और विपक्षी खेमे के नेताओं के साथ ताबड़तोड़ बैठकें करने लगे - और दूसरी तरफ लालू यादव से मुलाकात के बाद शरद पवार ने ममता बनर्जी से दूरी बनाने की कोशिश की.
कुछ ही दिन बाद जब सोनिया गांधी ने विपक्षी दलों की मीटिंग बुलाई तो ममता बनर्जी ने बहिष्कार कर विरोध नहीं जताया, बल्कि शामिल होकर अरविंद केजरीवाल को विपक्षी खेमे से बाहर रखने की कांग्रेस नेतृत्व की कोशिश पर खूब खरी खोटी भी सुनाई.
और अब तो खुल्लम खुल्ला कहने लगी हैं कि बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कांग्रेस विपक्ष का नेतृत्व करने के काबिल है ही नहीं - क्योंकि वो दो-दो आम चुनाव हार चुकी है और मतलब ये भी कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी आगे से ममता बनर्जी के रास्ते में आने की बिलकुल भी कोशिश न करें.
दिल्ली के बुलावे का दावा
कांग्रेस को तृणमूल कांग्रेस की तरफ से साफ तौर पर एक कड़ा संदेश देने की कोशिश हो रही है - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष के चेहरे के तौर पर ममता बनर्जी उभर कर सामने आयी हैं, न कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी!
ये दावा तृणमूल कांग्रेस के मुखपत्र जागो बांग्ला के पूजा संस्करण में किया गया है. 'दिल्ली का बुलावा' शीर्षक से टीएमसी मुखपत्र लिखता है, "तथ्य ये है कि हाल के दिनों में, बीजेपी के खिलाफ लड़ाई लड़ने में कांग्रेस असफल रही है... दो लोक सभा चुनावों में ये साबित हो गया है. अगर आप केंद्र में मुकाबला नहीं कर सकते तो जनता का विश्वास टूट जाता है - और बीजेपी को राज्य विधानसभा चुनावों में कुछ और वोट मिले, इस बार हम ऐसा नहीं होने दे सकते.'
ऐसा भी नहीं कि ममता बनर्जी कांग्रेस नेतृत्व के साथ पहली बार इस तरह पेश आ रही हों, लेकिन अब तक ये सब खुलेआम नहीं हुआ करता रहा. 2019 के आम चुनाव से पहले भी जब विपक्षी खेमे के कई सीनियर नेता तृणमूल कांग्रेस के आगे पीछे घूमने लगे थे तो ममता बनर्जी ने कांग्रेस को यही समझाने की कोशिश की थी कि वो विपक्षी गठबंधन का हिस्सा बन जाये - भला ये प्रस्ताव कांग्रेस को अपने अस्तित्व में बने रहने तक कैसे मंजूर हो सकता है.
ममता बनर्जी कांग्रेस नेतृत्व को सिर्फ पॉलिटिकल चैलेंज ही नहीं पेश कर रही हैं, बल्कि अमेठी में हार जैसी कमजोर नस पर भी वार करने लगी हैं.
टीएमसी मुखपत्र के लेख में दावा किया गया है कि बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ शानदार जीत के बाद पार्टी ने देश भर के लोगों का भरोसा हासिल किया है. मुखपत्र लिखता है, 'देश के लोग अब तृणमूल कांग्रेस के इर्द गिर्द एक नये भारत का सपना देख रहे हैं... बंगाल की सीमाओं से परे तमाम राज्यों से बुलावे आ रहे हैं... लोग चाहते हैं कि बंगाल नये भारत का नेतृत्व करे - हमें लोगों की ख्वाहिशें पूरी करनी है और बीजेपी विरोधी सभी ताकतों को एक मंच पर लाना है.'
जैसा कि अपने दिल्ली दौरे में भी ममता बनर्जी ने मीडिया से कहा था कि वो विपक्ष का नेता नहीं बनना चाहतीं, नेतृत्व कोई भी करे लेकिन विपक्षी खेमा एकजुट हो. टीएमसी मुखपत्र के जरिये भी ममता बनर्जी ने वही बात दोहरायी है, 'हम विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व नहीं चाहते, लेकिन कांग्रेस को वास्तविकता को समझना और स्वीकार करना होगा वरना गठबंधन पर फर्क पड़ेगा.'
ममता बनर्जी का जोर इस बात पर लगता है कि पूरे देश में खड़ी की जाने वाली बीजेपी विरोधी ताकत में किसी तरह का फर्क नहीं होना चाहिये - किसी भी स्तर पर कोई कमी भी नहीं बचनी चाहिये - और ये सारी बातें सिर्फ कांग्रेस नेतृत्व के लिए कही गयी लगती हैं.
तृणमूल कांग्रेस के कांग्रेस को टारगेट करने के पीछे बेशक राजनीतिक वजह है, लेकिन ये भी सही है कि ममता बनर्जी की राह में कांग्रेस ही आड़े आ रही है - और ये भी काफी हद तक सही बात है कि कांग्रेस सिर्फ ममता बनर्जी की राह में ही नहीं बल्कि विपक्षी एकजुटता के रास्ते की भी सबसे बड़ी बाधा है.
अपने दौरे के आखिरी दिन कोलकाता रवाना होते वक्त ममता बनर्जी ने कहा था कि वो दो महीने के अंतर पर दिल्ली आती रहेंगी. ममता बनर्जी के ऐसा बोले भी दो महीने से ज्यादा हो चुके हैं. लगता है ममता बनर्जी एक बार फिर दिल्ली दौरे की तैयारी कर रही है - लेकिन प्रोजक्ट ऐसे कर रही हैं कि दिल्ली बुला रही है.
तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस की सोशल तकरार
तृणमूल कांग्रेस मुखपत्र के साथ ही ममता बनर्जी ने कांग्रेस को टारगेट करने के लिए सोशल मीडिया का भी रुख किया है - और ममता की मुहिम को आधार दिया है तृणमूल कांग्रेस के रणनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर ने - सिर्फ एक ट्वीट से. ये भी प्रशांत किशोर किशोर के अपने क्लाइंट के लिए कामकाज का एक हिस्सा ही है. जब वो दिल्ली चुनावों में अरविंद केजरीवाल के लिए चुनाव मुहिम संभाल रहे थे तो ऐसे ही ट्वीट किया करते थे.
यूपी के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और उनके भाई राहुल गांधी कुछ ज्यादा ही उत्साहित नजर आ रहे हैं. तभी तो प्रियंका गांधी की बनारस रैली का नाम प्रतिज्ञा की जगह किसानों के साथ जोड़ दिया गया. खास बात ये है कि प्रशांत किशोर ने भी कांग्रेस को लेकर जो ट्वीट किया है उसमें भी लखीमपुर खीरी की घटना का उल्लेख है - और कांग्रेस के अतिउत्साहित होने को लेकर भी.
एक ही ट्वीट में प्रशांत किशोर ने काफी चीजें बता दी हैं और ये भी समझाने की कोशिश की है कि बीजेपी और मोदी के खिलाफ जो लोग कांग्रेस को विकल्प के तौर पर देखने लगे हैं उनको निराशा हो सकती है - क्योंकि कांग्रेस की समस्याओं का कोई फौरी समाधान नहीं है. ध्यान देने वाली बात ये है कि कांग्रेस की तरफ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने प्रशांत किशोर को कांउटर करने का प्रयास किया है तो बचाव में तृणमूल कांग्रेस मोर्च पर आ गयी है.
प्रशांत किशोर ने ट्विटर पर लिखा है, 'लखीमपुर खीरी की घटना के आधार पर देश की सबसे पुरानी पार्टी के नेतृत्व में जो खड़े हो जाने की उम्मीद कर रहे हैं, निराश हो सकते हैं - अफसोस की बात है कि सबसे पुरानी पार्टी में व्याप्त समस्याओं और कमजोरियों का कोई त्वरित समाधान नहीं है.'
People looking for a quick, spontaneous revival of GOP led opposition based on #LakhimpurKheri incident are setting themselves up for a big disappoinment.
Unfortunately there are no quick fix solutions to the deep-rooted problems and structural weakness of GOP.
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) October 8, 2021
कांग्रेस की तरफ से भूपेश बघेल ने भी अपनी प्रतिक्रिया में प्रशांत किशोर या ममता बनर्जी का नाम तो नहीं लिया है, लेकिन जवाब उसी लहजे में दिया है. कांग्रेस प्रवक्त रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ये कह कर टाल दिया है कि वो सलाहकार की टिप्पणी पर रिएक्ट नहीं करना चाहते. दरअसल, प्रशांत किशोर के कुछ दिनों से कांग्रेस में शामिल होने की संभावना जतायी जा रही है, लेकिन अभी तक तृणमूल कांग्रेस के लिए काम करना वो छोड़े नहीं हैं. जैसे पंजाब कांग्रेस में चल रहे विवाद के बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह को पत्र लिख कर बता दिया था कि वो उनके लिए अपनी सेवाएं जारी नहीं रख पाएंगे. खबर आयी है कि प्रशांत किशोर के कांग्रेस ज्वाइन करने का मामला रद्द तो नहीं हुआ है लेकिन पांच विधानसभा चुनावों तक टल जरूर गया है.
कांग्रेस की तरफ से भूपेश बघेल ट्विटर पर लिखते हैं, 'अपनी सीट तक न बचा पाने वाले कांग्रेस के कुछ नेताओं को अपने पाले में मिलाने के बाद राष्ट्रीय विकल्प बनने की अपेक्षा रखने वालों को निराशा हो सकती है - दुर्भाग्य की बात है कि राष्ट्रीय विकल्प बनने के लिए गंभीर और और सतत प्रयासों की जरूरत होती है और उसका कोई त्वरित समाधान नहीं है.'
People looking for a “national” alternative based on poaching INC functionaries who can’t win even their own seats is in for a big disappointment.
Unfortunately, to become a national alternative deep-rooted and concerted efforts are needed and there are no quick- fix solutions.
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) October 8, 2021
भूपेश बघेल के जवाबी ट्वीट का प्रशांत किशोर ने कोई जवाब नहीं दिया है, लेकिन ये भी काफी गंभीर बात है कि भूपेश बघेल के बहाने कांग्रेस नेतृत्व को तृणमूल कांग्रेस ने सीधे राहुल गांधी की अमेठी की हार की याद दिला दी है. तृणमूल कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भूपेश बघेल को टैग कर लिखा गया है, 'बड़ी बड़ी बातें वो कर रहा है जो पहली बार मुख्यमंत्री बना है... अपनी हैसियत से बढ़ कर बात करना आपको शोभा नहीं देता मिस्टर भूपेश बघेल... ये आलाकमान को खुश करने का बेहद घटिया प्रयास है - वैसे, एक और ट्विटर ट्रेंड के जरिये कांग्रेस अमेठी की ऐतिहासिक हार भुलाने की कोशिश कर रही है क्या?'
Rich words coming from a first-time CM. Punching above your weight doesn’t bring honour to you, Mr. @bhupeshbaghel. What a shoddy attempt to please the high command!
By the way, is @INCIndia going to try to erase the historical defeat at Amethi through yet another Twitter Trend? https://t.co/UiI1Zvcudl
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) October 8, 2021
प्रशांत किशोर का ट्वीट कांग्रेस को लेकर भले ही हो, लेकिन जरूरी नहीं है कि निशाने पर राहुल और सोनिया गांधी ही हों - लेकिन ममता बनर्जी का मैसेज तो कांग्रेस नेतृत्व के लिए ही है. कहने की जरूरत नहीं कि ममता बनर्जी की तमाम हालिया राजनीतिक गतिविधियों में प्रशांत किशोर की महत्वपूर्ण भूमिका है - लेकिन तब क्या होगा जब वो कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे?
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